Kahanikacarvan

प्रेम:एक तुम्हारा इंतज़ार ..

साहिल को छू कर

लौटती लहरों सा मेरा इंतज़ार

विचारों को

एक छोर से

दूसरे छोर तक ले जाता है

और अहसासों में

तुम्हारे होने से न होने का

अहसास

मुझको लड़कपन से

परिपक्वता तक ले जाता है

तिस पर

पथराई अँखियों के

झरोखों से

झाँकती प्रसून उमंगे

अनजाने कदमो को

अश्व वेग दे देती है

और पीछे छूटते

कदमों के निशान

फिर मन में प्रवाह लाते है

तब

ख्वाबों में होता है

एक तुम्हारा इंतज़ार ||

@अर्चना ठाकुर

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