Kahanikacarvan

फेसबुकिया चेहरा

निलेश यंत्रवत अपने घर से निकला और बस स्टॉप की ओर चल दिया, उसके घड़ी देखते ही सुनियोजित समय पर बस रुकी और निलेश जल्दी से उसमे चढ़ कर बस के बिल्कुल पीछे कोने की सीट की ओर बढ़ते ही अपनी पॉकेट से मोबाईल निकाल कर बैठ गया और स्कूल पहुँचने के अपने निश्चित तीस मिनट के इस समय में अपना अंतरजाल का जन संपर्क का दायरा अपडेट करने लगा| फेसबुक पर आज रक्त दान महा दान का स्टेटस डाला , फिर व्हाटसअप पर दोस्तों रिश्तेदारों को सुप्रभात लिखा और ट्विटर पर कोई सामायिक विषय पर अपना मत दिया तब तक आराम से तीस मिनट बीत गए और निलेश मोबाईल अपनी पॉकेट के सुपुर्त कर अपने गन्तव पर उतर जाता है | ये निलेश का रोजाना का यंत्रवत दिन के प्रारंभ का तरीका था अब स्कूल में वो पूरे समय विज्ञान के अध्यापक के रूप में बच्चों में उलझा रहेगा| फिर शाम होते वही बस और अपने नियत स्थान पर बैठ कर अपना स्टेटस चेक करते आएगा | यही दिनचर्या निलेश की पहचान भी थी जिससे संस्कृत के कुमार सर नए आए हिंदी के प्रकाश सर को निलेश सर के बारे में परिचय करा रहे थे| क्योंकि अब स्कूल के परिचय के साथ साथ निलेश सर से भी परिचय उसके लिए उतना ही आवश्यक था| निलेश सर की पहचान सिर्फ एक टीचर के रूप में नहीं थी बल्कि वे प्रिंसपल सर के राईट हैण्ड थे| स्कूल का कोई भी कार्यक्रम उनके बिना अकल्पनीय था| ये सब समझ कर प्रकाश सर बाहर निकले ही थे कि खबर मिली की प्रिंसपल सर ने बुलवाया है| प्रकाश सर झट से उस ओर चल दिए और अगले ही पल प्रिंसपल सर के रूम के बाहर नज़र आए| चपरासी ने कुछ पल उन्हें बाहर रुकाया क्योंकि अभी निलेश सर के साथ प्रिंसपल सर की मीटिंग हो रही थी|

कुछ क्षणों बाद जब निलेश सर निकले तो उनको अन्दर जाने का मौका मिला |

इससे पहले कि प्रकाश सर कुछ संबोधन कर अपनी बात कहते प्रिंसपल सर एक दम से भमक पड़े|

‘क्या प्रकाश हिंदी के टीचर है आप ! फिर आपसे ये उम्मीद नहीं थी – बच्चों का निबंध पढ़ा आपने – क्या भेंजू मैं नेशन कम्पीटीशन के लिए – कुछ सामायिक बनिए और बच्चों को इन्टरनेट से जोड़ीए तभी न होंगे आप समय के साथ नहीं तो पिछड़ ही जाएँगे|’

प्रकाश सर खुद को खंगालने लगे कि आखिर क्या भूल हो गई जो सुबह सुबह ये प्रवचन सुनना पड़ा|

प्रिंसपल शायद समझ गए फिर वे बोले|

‘आप पर मैं निबंध पतियोगिता की जिम्मेदारी सौंप कर गया था और आप ने क्या पुरातत्व विषय निकाल निकालकर  बच्चों को दिए – हमारा प्रधानमंत्री, आरक्षण ,अनुसाशन पर लिखवा डाला – अरे अभी ये विषय पुराने हो चुके है सभी या तो देश सफाई की बात कर रहे है या देश ही साफ़ कर रहे है मतलब की भ्रष्टाचार – फिर उसमें से कुछ चुनकर नेशन कम्पीटीशन के लिए भेजना था अब क्या ख़ाक भेजू पहले लिए डिसकोउलिफाय हो जाएँगे सब|’

अब प्रकाश सर समझे फिर धीरे से कहते है – ‘जी समझ गया|’

‘निलेश सर से कुछ सीखिए और कुछ नहीं कर सकते तो बस नेट पर उनको फॉलो करते हुए भी बहुत कुछ अपडेट हो जाएँगे आप|’ कहते हुए कुर्सी की पुस्त से पीठ जोड़ कर बैठ जाते है और प्रकाश सर अपना सा मुंह लिए बाहर आ जाते है|

सोचते सोचते स्टाफ रूम की ओर चले जा रहे थे कि गुप्ता सर से टकरा गए|

‘अरे अरे प्रकाश सर क्या बात है किस दुविधा में चले जा रहे है|’

गुप्ता जी ने उनको प्रिंसपल रूम से निकलते देख लिया था बस निलेश सर और अपडेट शब्द सुनते ही शुरू हो गए|

‘अरे निराश न होइए सच में आपको मैं सौ टके की सलाह दे रहा हूँ आज कल ज़माने के साथ न चलेंगे तो नए ज़माने के बच्चों से सटीक ताल मेल भी नहीं बैठा पाएँगे|’

‘तो क्या करूँ?’

‘अरे बस निलेश सर से व्हाट्सअप और फेसबुक पर जुड़ जाइए बस खुद बा खुद आप अपडेट हो जाएँगे – यहीं देख लीजिए स्कूल के सत्तर प्रतिशत लोग निलेश सर के फालोअर है – कितने ही बच्चे निलेश सर के फेसबुक फ्रेंड है प्रिंसपल रूम से पहले उनतक सारी जानकारी पहुँचती है|’

प्रकाश सर शायद अच्छे से स्थिति समझ गए तभी स्टाफ रूम में आकर अपने सूखे गले को तर करने से पहले तुरंत मोबाइल निकाल कर अपना फेसबुक एकाउंट बनाया और पहली फ्रेंड रिक्वेस्ट निलेश सर को भेजी फिर फेस बुक ने उन्हें खुद स्कूल के और भी लोगो से जोड़ने का सुझाव दे डाला | प्रकाश सर ने देखा कि खुद प्रिंसपल सर  निलेश सर की हर पोस्ट पर कमेंट करते दिखे|

आज की पोस्ट देखी कि आज तो शहीदी दिवस है तो जल्दी से उठे कि आज बच्चों को शहीदी दिवस पर वक्तव देगे|

निलेश सर क्लास में या फेसबुक पर दो ही जगह काफ़ी सजक दिखते| क्लास में बच्चों में प्रोपुलर थे हो भी क्यों न वे रोजाना बच्चों को कोई न कोई दिवस के बारे में बताते और फेसबुक में उसका स्टेटस अपडेट करते उनके इस घ्यान के सभी मुरीद थे| जाने कितने बच्चों का उन्होनें खुद फेसबुक एकाउंट बनवाया था|

आज सुबह निकलते निलेश सर ने डाला रिसोर्सेस सेविंग दिवस है बस उनके रिसोर्सेस सेविंग दिवस के स्टेटस के साथ उनकी बस सफ़र की पिक डालते ही धड़ाधड़ कमेंट आने लगे कि वाकई हमे अपने रिसोर्सेस बचाने चाहिए आखिर आज नहीं बचाएंगे तो आने वाली जेनरेशन को क्या देंगे| इसी तर्ज़ पर आज प्रिंसपल सर ने घर से निकलने से पहले की उस पर स्माइली टैग कर स्टेटस् डाला कि आज वे खुद बस से आए और स्कूल की सुबह की प्रार्थना से पहले उसपर कुछ भाषण भी दिया| स्कूल तालियों से गूंज उठा और निलेश सर मंद मंद मुस्करा उठे|

यूँ तो स्कूल वैसे भी चर्चा में रहता कि यहाँ के टीचर्स बड़े अपडेट रहते है और बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान देने के अलावा सामायिक मुद्दों से भी जोड़ते है|

आज सुबह निलेश रोजाना की तरह घर से निकलने से पूर्व अपनी पत्नी पर झुन्झला उठा|

‘सुनिए बहुत दिन हो गए माँ बापू जी और अपने बड़े भैयाजी से मिलने नहीं गए|’ पत्नी बड़ा सँभलते हुए बोली|

‘क्या! अरे रोज़ तो व्हाट्सअप पर गुड मोर्निंग सेंड करता हूँ, उनका भी गुड मोर्निंग मेसेज आता|’ सहजता से निलेश ने कहा|

‘कल उनका फोन आया था – भाभी की बड़ी तबियत खराब है खून चढ़ाना पड़ता है कभी आप भी…|’

‘अरे ये सब छोड़ो पहले जो मैं ढूंढ रहा हूँ उसको देखो|’

निलेश पूरी अलमारी खंगाल चुका था और जिस चीज़ को वो ढूंढ रहा था वो चीज़ अपनी नियत स्थान पर न होने पर पूरी तरह से भमका हुआ था|

‘तुम पूरा दिन करती क्या हो ,एक छोटे बच्चे के साथ क्या पूरा दिन सोती रहती हो – एक तस्वीर जो परसों मैंने अपनी कमीज़ के नीचे संभाल कर रखी थी आज देखता हूँ तो अपनी जगह पर नहीं है|’

‘मैंने सच में अलमारी में कुछ इधर से उधर नहीं किया|’  

‘चुप करो|’ निलेश पल भर घड़ी देखता है कि बस का टाइम हो रहा है और तस्वीर नहीं मिल रही उधर उसकी पत्नी अपनी डेढ़ साल की बच्ची को गोद में लिए दयनीय मुद्रा से उसकी ओर देख रही थी|

‘आप बस से क्यों जाते है|’

ये सुन जैसे निलेश का पारा ही चढ़ गया ‘तुम निरी बेवकूफ़ हो – ये पैसे बचेंगे तभी तो कार ले पाउँगा मैं|’

निलेश फिर से नए सिरे से अपनी अलमारी खंगालना शुरू करता है और इस बार एक गहरी साँस छोड़ते ही तस्वीर उसके हाथ में होती है जिसे देख उसका गुस्सा छू हो जाता है|

और बिना पत्नी की ओर देखे झट से बाहर की ओर निकल जाता है |

पत्नी उसको जाता हुआ देखती है फिर बच्ची को गोद में लिए लिए ही अलमारी का फैला सामान ठीक करने लगती है|

आज का स्टेटस अपडेट था मदर डे पर एक भावुक पंक्तियों के साथ में निलेश ने अपनी माँ के साथ की कोई पुरानी तस्वीर लगाई| स्कूल पहुँचते पहुँचते  उस पर पचास लाइक और दस पंद्रह कमेंट हो गए|

आज रोजाना की स्कूल प्रार्थना के साथ प्रिंसपल सर ने अपने भाषण में कुछ अपना बालपन अपने भाषण में उकेरा कि किस असुविधा के बीच उनका बालपन गुज़रा पर जीवन के कुछ करने के ज़ज्बे ने उन्हें आज यहाँ तक पहुँचाया|

स्कूल फिर तालियों की गडगडाहट से गूंज उठा|

निलेश आज ज्यों घर पंहुचा तो गुस्से से तमतमा गया| पत्नी सिर्फ माँ के पास जा रही हूँ इतना भर इतला कर अपने मायके चली गई|

तुरंत निलेश ने फोन उठाया और दो चार जो बात समझ आई पत्नी को कस कर सुना डाली| पर इतना पूछने की फुर्सत नहीं मिली कि आखिर ऐसी क्या इमरजेंसी थी कि एकाएक छोटे बच्चे को लिए तुरंत मायके चली गई| देर शाम जब वापस आई तो पति की नाराज़गी के डर से थकी हारी होने पर भी तुरंत रसोई में घुस गई और खाना बना कर ही रसोई से बाहर निकली |

खाने की टेबल पर मन पसंद खाना देख निलेश का गुस्सा छू हो गया| खाया गया फिर निलेश अपने मोबाईल के साथ सोने चला गया पर पत्नी मायके क्यों गई और कैसे जल्दी आई पूछना शायद भूल गया| पर पत्नी एक बेटी  भी थी और अपनी बेटी को दूध पीला के सुला कर झट से अपनी माँ को फोन मिला लिया और हाल चाल लिया कि अब तबियत कैसी है आज सुबह उसकी माँ जब घर पर अकेली थी अकस्मात् वह घर में  फिसल कर गिर गई तब बेटा बेटी सबको फोन मिलाया बेटा शहर से बाहर गया था देर शाम तक आया पर बेटी जो उसी शहर में रहती थी सो झट से पहुँच गई और माँ को डॉक्टर के पास ले गई | शाम को जब भाई आया तो जल्दी से अपने घर वापस आ गई|

निलेश की पत्नी का हर दिन उस केलेंडर की तरह था जिसका साल बदल जाता और तारीखे थोड़ा इधर उधर सरक लेती पर हर दिन एक सा रहता | कदाचित् निलेश को हर दिन के महत्व का अच्छे से पता था| वो रोजाना की तरह यंत्रवत उठा और अपना सारा काम पत्नी को सुपूर्त कर अच्छे से तैयार हो कर सही समय पर बस स्टाप की ओर भागा|

और आज का फेसबुक पर स्टेटस अपडेट किया महिला दिवस पर और व्हाट्सअप पर एक लम्बा वक्तव सबको फॉरवर्ड किया कि आज ये मेसेज हर विवाहित पुरुष के मोबाईल में होना चाहिए ताकि उन्हें अपनी पत्नी के महत्व का अंदाजा हो …आई लव माय वाइफ स्टेटस डाला ही था कि उसके क्रम में बाधा आ गई| उसने सर उठा कर देखा कि बस की सारी जनसँख्या एक तरफ की खिड़की से नीचे झाँका रही थी| उससे भी न रहा गया वो तुरंत उठा और उसने भी जानना चाहा कि अखिर क्या माजरा है | बस रास्ता अवरुद्ध होने के कारण रुकी थी और कारण था एक कार वाले और एक स्कूटर वाले में भिडंत हो रही थी| स्कूटर वाला बुजुर्ग था और उसके पुराने स्कूटर से उस कार चालक की नई कार में टक्कर हो गई थी| जिसके कारण वो उस बुजुर्ग की खुले आम लानत मनालत कर रहा था और भीड़ मूक तमाशा बनी देख रही थी कुछ उसका विडिओ बना रहे थे | ये देख निलेश तुरंत उतरा| भीड़ चीरते  किसी तरह भीड़ में से जगह बनाते  वो उस स्थान के काफी नजदीक पहुँच गया| फिर  झटके  से पॉकेट से मोबाईल निकाल कर उसका विडिओ बनाने लगा कुछ खटा खट फोटो भी खिंची | तब तक उस कार वाले का मन हल्का हो गया वो बुजुर्ग को धक्का देकर अपनी कार में बैठ कर  चला गया| अगले ही पल कुछ मामला शांत हो गया और बुजुर्ग के जाते भीड़ भी हट गई |

और निलेश की बस भी जाने को तैयार हो गई| निलेश पुनः अपनी सीट पर बैठ गया| वो  मुस्कराया कि आज ये मौका है जब झट से वो दूसरा स्टेटस डाल रहा था | खुलेआम शर्मनाक हरकत कि कोई बुजुर्ग की सहायता को नहीं आया उसने फेसबुक में स्टेटस डाला और अपने गंतव्य पर उतर कर उसने देखा कि चंद मिनटों में ही पचास से ऊपर लोगो ने लाइक और शेअर किया था ये देख वो मुस्कराते स्कूल के अन्दर दाखिल हो गया|

@समाप्त

2 thoughts on “फेसबुकिया चेहरा

  1. Aaj kal sab ki life fake ho gyi.. apni maa ko sirf mother’s day status ke liye hi rakhte hai.. unka khyal nhi rakhte .. 🥺🥺

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