
बेइंतहा सफ़र इश्क का – 102
बहुत देर से वर्तिका मोबाईल के स्क्रीन को उठा उठाकर चेक कर लेती जैसे किसी कॉल का उसे इंतज़ार था फिर दौड़कर मुख्य कमरे से लगे डोर को देखने लगती| ऐसा करते बीच बीच में वह जल्दी से मेसेज टाइप करके सेंड भी कर देती|
दोपहर का समय था और रंजीत तैयार होकर निकलने को था कि वर्तिका आकर उसके सामने खड़ी हो जाती है जिससे रंजीत मुस्कराकर उसके गाल छूता हुआ कहता है –
“आज साथ में लंच नही कर पाउँगा – थोड़ा जल्दी है |”
“लेकिन भईया |” वह उसे रोकना चाहती थी पर कोई बहाना समझ नहीं आ रहा था|
“चलता हूँ |”
कहता हुआ रंजीत आगे बढ़ने लगा तो वर्तिका फिर से दौड़कर उसके सामने खड़ी होकर कहने लगी –
“भईया मैंने आज कुछ ख़ास बनाया था आपके लिए पर आप तो बिना टेस्ट किए ही जा रहे है |”
उदासी के साथ वह कहती है इससे वह उसकी ओर मुड़ता हुआ कहता है –
“डिनर में मैं सबसे पहले वही खाऊंगा अभी सच में जल्दी है |”
“ठीक है तब तक मैं भी नहीं खाऊँगी |” रूठती हुई वह अपने भाई के विपरीत देखने लगती है|
बस यही नहीं कर सकता था रंजीत| उसे देखकर कोई भी कह सकता था कि उसे निकलने की जल्दी थी पर वर्तिका को नाराज तो वह किसी हाल में नही कर सकता था| अपनी कलाई घड़ी में समय देखता वह वर्तिका के कंधे पर हाथ रखता हुआ कहता है –
“चलो जल्दी से ले आओ – खाकर निकल जाऊंगा – अब ठीक |”
“थैंक्यू भईया – मैं अभी लाती हूँ |”
रंजीत को अंदर वापस आते देख वर्तिका झट से किचेन की ओर भागने लगती है| वहां पहुँचते वह झट से एक कॉल लगाती लगाती कुक को इशारे से कुछ बनाने को कहती है|
“हेलो कहाँ हो – अरर सुनो तो |”
“सुनने का समय नही है बस आ रहा हूँ – |”
उस पार आदित्य था| दोनों फुसफुसाकर बात करते कॉल डिस्कनेक्ट कर देते है| अब वर्तिका मोबाईल गुस्से में स्लैप पर रखती हुई खिड़की से बाहर झाँकने लगती है| तभी वर्तिका को पुकारते हुए रंजीत की आवाज आती है जिससे कुक द्वारा तैयार हलुआ लेकर वह अहिस्ता कदमो से चलती हुई अपने भाई के पास पहुँचती है|
रंजीत भी जैसे उसी के इंतजार में बैठा था| उसके आते ही जल्दी से खाकर निकलने लगता है| वर्तिका को आदित्य का इंतजार था इसलिए वह अपने भाई को किसी तरह से तब तक रोकना चाहती थी लेकिन अभी तक वह आया नहीं था और इधर रंजीत फिर से उसे बाय करता हुआ निकलने लगा था|
आदित्य ऊष्मा को जबरन साथ में बैठाए कार सीधे वर्तिका के मेंशन में लाकर रोकता है|
“आदि मुझे तो कोई पार्टी जैसा नही लग रहा और वैसे भी दोपहर को कौन पार्टी करता है ?” ऊष्मा खीजती हुई बोलती है|
वे दोनों अभी कार में ही बैठे थे|
“क्या दी जब बोला है तो आना बनता है न ! और शाम को हो सकता है उसका कोई प्रोग्राम होगा |”
“मुझे तो नहीं लगता कि आज वर्तिका का जन्मदिन होगा – किसी और की कार नज़र ही नहीं आ रही या तो हम समय से पहले ही आ गए होंगे – ऐसा कर आदि तू जा आखिर तुझे ही बोला था मुझे वैसे भी काम है आज |”
“क्या काम है दी – आज तो छुट्टी है न !”
“छुट्टी नहीं है और आज तो गाँधी जी की पुण्यतिथि में फ्री हेल्थ कैपिंग है – मुझे जाना है वहां फिर पहले से ही मेरा यहाँ आने का मन नही था पर तुम्ही ने जिद्द लगा दी – चल न मुझे छोड़ दे वापस |”
“बिलकुल नही – बडी मुश्किल से आप आई हो – अब उतरो जल्दी और हाँ गिफ्ट तो ले लो |”
कहता हुआ आदित्य अपनी ओर से उतरकर ऊष्मा की ओर का दरवाजा खोलकर उसे बाहर आने को संकेत करता है| ऊष्मा भी मन मसोजे उतर जाती है|
यही वक़्त था जब रंजीत बाहर निकल रहा था और एकदम से आदित्य और उसका आमना सामना हो जाता है| वर्तिका रंजीत के पीछे ही थी और आदित्य का इंतजार कर ही रही थी| आदित्य के साथ ऊष्मा थी| रंजीत दो अनजान चेहरे और उनके हाथ में पकड़े गिफ्ट को आश्चर्य से देखने लगा|
आदित्य समझ गया कि उसके सामने दिखने वाला कड़क इन्सान जरुर वर्तिका का भाई है| वह कुछ बोलता उससे पहले ही वर्तिका बोल उठी – “अरे आदित्य ऊष्मा जी आइए न – भईया ये है डॉक्टर ऊष्मा बहुत अच्छी सोशल वर्कर भी है – इन्हें दूसरो की मदद करना बहुत अच्छा लगता है |” वर्तिका का इस तरह सिर्फ ऊष्मा के बारे में बताने से ऊष्मा थोड़ा हिचकिचा गई और वर्तिका को बेचारगी से देखने लगी जिससे वर्तिका अब आदित्य की ओर देखती हुई थोड़ा ठन्डेपन से बोलती है – “और ये है आदित्य इनका भाई |”
रंजीत बिन शब्दों के आँखों से उनका अभिवादन करता है| इसके बाद वह वहां से निकलना चाहता था पर आदित्य जल्दी से आगे आता रंजीत की ओर हाथ बढ़ाते हुए कहने लगा –
“आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा भईय…आई मीन सर |” रंजीत की सख्त नज़र को देखता हुआ आदित्य थोड़ा संभल जाता है|
इन सबके बीच ऊष्मा इतना सकपका गई थी कि उसे लगने लगा कि वह कहीं गायब हो जाए तो ज्यादा बेहतर होगा लेकिन किसी तरह गहरा शवांस भीतर से खींचती हुई वह गिफ्ट वर्तिका की ओर बढ़ाती हुई धीरे से बोली –
“हैपी बर्थडे वर्तिका |”
“बर्थडे आज ??” रंजीत अवाक् वर्तिका की ओर पलटकर देखता है जबकि वर्तिका खुद भौचक होती नज़र आती है|
इसपर आदित्य जल्दी से वर्तिका की ओर देखता हुआ कहता है – “तुमने बोला था न आज बर्थडे है – बुलाया था हमे |” वह आँखों से इशारा करता कहता है|
इससे वर्तिका जल्दी से कहने लगी – “ओह गलती से तुमने मेरा समझ लिया होगा – चलो कोई बात नहीं – प्लीज़ अंदर आए न – अब अगर आप दोनों चले गए तो भईया को भी बुरा लगेगा |”
रंजीत कुछ समझ नही पा रहा था कि हो क्या रहा है, वह हतप्रभ वर्तिका की ओर देखने लगा| वह अब अपने भाई के पास आती धीरे से विनती करती हुई कहती है – “भईया प्लीज़ थोड़ी देर रुक जाइए नहीं तो इनको बुरा लगेगा – |”
वर्तिका विनती करती हुई रंजीत को देख रही थी तो वही ऊष्मा और आदित्य अचरच में पड़े थे| आखिर रंजीत उन्हें अंदर आने का निमंत्रण देता हुआ खुद भी अंदर चल देता है| उन्हें अंदर जाते देख वर्तिका पीछे होती आदित्य के पास आती फुसफुसाती हुई कहती है – ‘तुम्हे कुछ और बहाना नही मिला |’
आदित्य बस दांत दिखाता हुआ उनके पीछे पीछे चल देता है|
इन सबके बीच ऊष्मा बडी बेचारी स्थिति में फस गई थी| आखिर वे सभी मुख्य हॉल में बैठ गए थे| वे चारो एक साथ बैठे थे, नौकर नाश्ता ले आया पर इस बीच बातो का कुछ ख़ास दौर शुरू नहीं हुआ जिससे वर्तिका आदित्य को आँखों से कुछ बोलने का इशारा करती है|
रंजीत और उष्मा धीरे धीरे चाय सुड़क रहे थे| आदित्य बिस्किट कुतरता इस ख़ामोशी को तोड़ने का सोच रहा था| वह जल्दी से रंजीत की ओर देखता हुआ बोलता है –
“वाओ ग्रेट सर – आपकी वाच बहुत अच्छी है रोलेक्स गोल्ड है न !! गुड च्वाईस |”
इसपर रंजीत एक फीकी सी मुस्कान देकर फिर से कप होंठ से लगा लेता है इससे वर्तिका जल्दी से जवाब देती है –
“हाँ भईया की च्वाइस ड्रेस में भी बहुत अच्छी है – मेरे लिए जब कुछ लाते है तो वो ड्रेस बेस्ट होती है – डॉक्टर ऊष्मा आपको कुछ सजेशन चाहिए हो तो प्लीज़ आप जरुर बताना |”
इस बार ऊष्मा संकोच से पलके झपका लेती है| सबके लिए बड़ी अजीब स्थिति बन गई थी, रंजीत और ऊष्मा उठकर जाना चाहते थे पर मारे संकोच के बैठे हुए थे कि तभी ऊष्मा के मोबाईल में कोई कॉल आती है, आदित्य जो उसके बगल में बैठा था देखता है वो कोई स्पैम कॉल थी लेकिन ऊष्मा तो जैसे कुछ इसी तरह के इंतज़ार में थी वह झट से कॉल रिसीव करती बोलने लगती है –
“ओह क्या अभी ओपरेशन है – मैं निकलती हूँ बस – हाँ हाँ तुरंत आती हूँ |” ऊष्मा अपनी बात कहती कॉल डिस्कनेक्ट करती सामने देखती है वर्तिका उसे ही देख रही थी|
ऊष्मा इस मौके को कतई नही गंवाना नही चाहती थी इससे वह तुरंत उठती हुई वर्तिका को देखती हुई कहती है –
“सॉरी वर्तिका जरुरी कॉल नही होता तो मैं जरुर रूकती |”
“मैंने तो सोचा था हम साथ में लंच लेंगे |” वर्तिका उदासी से कहती है|
“हाँ तो आदि है न वो रुक जाएगा – मैं टैक्सी से निकल जाउंगी |”
ऊष्मा जाने को व्यग्र थी ये देखते वर्तिका का मन बुझा बुझा होने लगा|
वह बाय कहती निकलती आदित्य को देखती हुई कहती है – “आदि तुम रुक जाओ नहीं तो वर्तिका को बुरा लगेगा न |” कहते कहते वह आदित्य को यूँ चुपचाप घूरती है जैसे कह रही हो कि तुम्हे तो मैं बाद में बताती हूँ|
ऊष्मा को जाते देख वर्तिका को कुछ समझ नही आया| रंजीत भी चुपचाप बैठा था तभी वर्तिका रंजीत को टोकती हुई कहती है – “भईया आपको जल्दी जाना था न तो आप क्यों नही डॉक्टर ऊष्मा को लिफ्ट दे देते |”
“अरे नही वर्तिका – मैं चली जाउंगी |”
ऊष्मा कितना मना करती रही यहाँ तक कि रंजीत भी संकोच से भर रहा था लेकिन अब इस आखिरी मौके को वर्तिका कतई नहीं गंवाना चाहती थी उसने जबरन दोनों को साथ में भेज दिया|
उन्हें बाहर तक छोड़कर आने के बाद ही उसने गहरी साँस ली| आदित्य ये सब उसके पीछे खड़ा देख रहा था|
“आदित्य तुम्हे लगता है इससे कुछ होगा ?”
वर्तिका आदित्य की ओर देखने लगी थी|
“तुमने कभी बंद खाते में इन्वेस्टमेंट सुना है !! बस इन दोनों को देखकर यही फिलिंग आ रही है –|”
“ऐसा मत कहो |”
“यार ये तुम्हारा गब्बर सिंह जैसा भाई और मेरी दी जैसी बोर इंसान दोनों का कुछ न होने वाला – इससे अच्छा अपन शादी कर लेते है फिर ये दोनों हमारे बच्चे खिलाएँगे |”
“आदित्य…!!”
वर्तिका अचानक से चिहुंक पड़ी| आदित्य कुछ ज्यादा ही कह गया था| वह तुरंत वापस अंदर जाने लगी| उसे जाता हुआ देख वह उसके पीछे पीछे चलता आता हुआ कहता है –
“हे बेबस सच में सीरियसली |”
“तुम्हे अगर इसी तरह की बातें करनी है तो मेरी ओर से बाय |”
“और तुम्हारा डेट वाला वादा !!”
“रात गई बात गई |” वर्तिका अब आगे आगे चलती लिविंग रूम में आ गई थी और उसके पीछे चलता आदित्य मुंह लटकाए उसके पीछे पीछे चलता कुछ कह रहा था जिसपर ध्यान न देती वर्तिका रंजीत को कॉल लगाती है| असल में वह जानना चाहती थी कि वे दोनों अभी भी साथ में है या नहीं|
“मैं ऑफिस में हूँ – उन्हें ड्राईवर ड्राप करने गया है |”
रंजीत की बात सुनते वर्तिका के हाव भाव में एक मायूसी छा जाती है| वह कॉल डिस्कनेक्ट करके आदित्य की ओर देखती हुई कहती है –
“यहाँ तो साथ जाने से भी कुछ न हुआ |”
“मैंने पहले ही कहा था कि इन तिलों में तेल नहीं |”
“तो ओके बाय – मैं जा रही हूँ |”
“और मेरा क्या होगा – ?” वर्तिका को जाता देख आदित्य मुंह लटकाए खुद से कहने लगा – “यार लगता है अपनी लव स्टोरी के लिए इन दोनों की स्टोरी का कुछ करना ही पड़ेगा – |” एक हताश सी सांस छोड़ता वह वर्तिका को आवाज लगाते हुए कहता है – “अच्छा अगर विथ इन वन वीक उनकी मुलाकात करवा दी तो चलोगी मेरे साथ डेट पर |”
“क्या सच में ?” वर्तिका उसकी ओर मुड़ती उमंग से पूछ उठी|
“यस लेट्स सी माय मेरिकल |”
आदि जहाँ कंधे उचकाते कह रहा था वही वर्तिका अब फिर से मुस्करा दी थी|
क्रमशः…………….
Ye Aditya badi cheez hai.. mila hi dega in dono ko😁😆 matlab ki aap😂
Aur acha bhi hai .. ranjeet ki life kuch to sattle hogi .❤️❤️
तो क्या आदित्य और वर्तिका की चाल कामयाब हो पाएगी????
Aaditay Ranjit or ushma ki jodi banakar hi rahega…..fir apni b to vartika ke sath jodi banani h…..sabhi love story chal rahi h…..but abhi b kisi ki b dono taraf se puri nhi h…..bs sabhi ka payaar one sided hi chal rha h
Nice part
Sabhi ki Jodi bana dijiye 🥰🥰🥰🥰
Kya comment karun Bhoomi k sath galat nhi dekh pa rhi