
बेइंतहा सफ़र इश्क का – 105
ये एक ऐसा अवसर था जब अरुण उस सूरत को नज़र भरकर देख पा रहा था, सच में वह बहुत सुंदर थी लेकिन इस पल उसका चेहरा यूँ उदासी में लिपटा था मानो किसी निश्चल वेगमयी नदी की तरह जिसे पल भर को वक़्त ने अपनी मुट्ठी में झकड़ लिया हो जिससे कुछ पल को वह कुम्हला गई हो| वह उसके पास बैठा उसे आवाज लगाता है| जब उसके आवाज लगाने पर भी वह कोई प्रतिक्रिया नही करती तो एक पल को वह भी घबरा जाता है फिर जल्दी से उजला की कलाई थामकर अपने दिल की एक एक धड़कन से उसकी साँसे गिनने लगता है|
“चाचू …!” पास खड़ा क्षितिज रुआंसा हो गया था|
“कुछ नहीं बेटा – बस बीमार है – ऐसा करो बेटा तुम योगेश अंकल को फोन लगाकर बुलाओ तक तक मैं इन्हें होश में लाने की कोशिश करता हूँ |”
अरुण के निर्देश पर क्षितिज तुरन्त कमरे से निकल जाता है| अब अरुण जल्दी से पास रखे गिलास से पानी लेकर उसके चेहरे पर छींटे मारता है| पानी की बूंदे उजला के चेहरे पर कुमुदनी पर पड़ी ओस की तरह ठहर जाती है लेकिन वह फिर भी नहीं उठती| वह उसका गाल छूते तापमान देखने उसे स्पर्श करता है तो झट से हाथ हटा लेता है|
‘इसे तो बहुत तेज फीवर है |’ वह धीरे से बुदबुदाता हुआ उसके चेहरे से पानी की बूंदे झाड़ने हाथ बढ़ाता है कि तभी उसकी नज़र उसके सीने की ओर रखे उसके हाथ पर जाती है जिसके बीच कुछ था| वह उसके हाथ को हटाते हुए उस चीज को देखता है तो उसकी ऑंखें हैरानगी से फैली रह जाती है| वह अपनी चीज कैसे भूल सकता है| वह वही रुमाल था जो किसी रोज उसने उजला के बहते खून को रोकने के लिए एक बार उसी की हथेली पर बाधा था| आखिर उसे वह क्यों सीने से लगाए थी| पल भर में उसकी भौंहे तन जाती है और वह आक्रोश से तुरंत उस रुमाल को हटा देता है पर उसी के साथ उजला का आंचल भी अपनी तय जगह से हट जाता है|
इसी क्षण उसकी निगाह जहाँ गई अब अगली हैरानगी उसके आँखों के सामने थी जिससे वह चाहकर भी उससे अपनी निगाह न फेर पाया| आखिर कैसे भूलता वह मंगलसूत्र जो उसने खुद किरन के गले में पहनाया था और उसे उजला के गले में देख कर वह उससे कैसे नजर फेर सकता था|
पल भर को उसके सामने की सारी तस्वीर ही बदल गई| क्या उजला ही किरन है !! इसी के साथ जैसे बहुत कुछ उसके अंतर्मन में घुमड़ने लगा तभी क्षितिज भागता हुआ आता कह रहा था –
“चाचू – चाचू रिंग जा ही नहीं रही |”
इसके बाद जैसे तुरंत ही उसने सब तय कर लिया और बिना समय गंवाए झट से उजला को अपनी बाँहों में उठा लिया| वह फूल सा नाजुक बदन उसकी मजबूत बाँहों में झूल जाता है|
अरुण जल्दी से उसे लिए बाहर निकलता पोर्च की ओर भागता है| उसे जल्दी से पीछे की सीट पर लेटाकर तुरंत ड्राइविंग सीट संभाल लेता है| क्षितिज भी अरुण के बगल में आकर चुपचाप बैठ जाता है| अगले ही पल कार तेजी से रफ़्तार पकड़ती सड़क पर दौड़ जाती है|
***
“हाँ हाँ मैं तब से कह रहा हूँ ये किसी पागलखाने का नम्बर नही बल्कि एक नर्सिंग होम का नंबर है – समझे |” गुस्से में भुनभुनाते हुए रिसीवर पटकते हुए बडबडाता है – ‘यार ये वाई फाई के साथ फोन नहीं मुसीबत दे देते है – एक तो कोई फोन नहीं आएगा अगर आएगा भी तो हमेशा रोंग नंबर ही आएगा |’
योगेश का भन्नाया चेहरा देख उसके सामने बैठे मरीज को हँसी आ जाती है जिससे योगेश उसे घूरता हुआ देखता है जिससे वह तुरंत अपने दांत मुंह के अंदर बंद किए फिर से मुंह लटकाए बैठ जाता है|
वह मरीज का चेकअप करने ही जा रहा था कि फिर से फोन की घंटी बज उठती है| लगातार बजती घंटी को घूरता हुआ आखिर वह रिसीवर उठा कर माउथपीस में लगभग दहाड़ते हुए पूछता है –
“हैलो..! कौन है ?”
उधर से जो आवाज आती है उसे सुनकर योगेश बुरा सा मुंह बनाते हुए कहता है – “मेरे बाप माफ़ कर दे – बार बार तुमसे मैं एक ही बात कह रहा हूँ कि ये पागलखाने का नंबर नहीं है – कसम खाता हूँ ये सच में पागलखाना नहीं है और तूने और दो तीन बार अगर फोन किया तो मैं जरुर पागल हो जाऊंगा – |” योगेश रिसीवर बगल में पटकते हुए अभी चैन की एक साँस छोड़ ही पाया था कि अरुण की घबराई आवाज उसके कानो में पड़ी|
वह उसके सामने पसीने से भरे चेहरे के साथ बुरी तरह से घबराया खड़ा उसे जल्दी से अपने साथ चलने को कह रहा था| उसकी ऐसी हालत देखने के बाद न योगेश कुछ पूछ पाया और न अरुण उसे ही इतना वक़्त दिया और दोनों ही साथ में उसके चेंबर से बाहर निकल गए|
***
इस वक़्त अरुण के मन में कितनी बेचैनी थी ये बस उसका मन ही जानता था, वह उस वार्ड के बाहर उस स्थान पर खड़ा था जिससे अंदर का दृश्य वह वही से खड़े खड़े साफ़ साफ़ देख सके| क्षितिज योगेश के साथ था और योगेश नैना के साथ उजला का चेकअप कर रहा था| योगेश के निर्देश पर नैना उजला के ड्रिप लगा रही थी और वही से खड़े खड़े अरुण जैसे उस चुभन को अपने अंतरस चुभता हुआ महसूस कर रहा था|
कितनी अजीब सी कशमकश में वह फंस गया था| किरन और उजला के बीच वह बुरी तरह से झूल रहा था| किरन जिसे बिना देखे उसने अपने दिल की गहराइयों से चाह तो वही उजला जिसे देखते हुए भी उसकी तरफ झुकते अपने दिल को उसने कितनी मज़बूरी में रोके रखा| उस चेहरे को निहारते जाने कितने ढेरो प्रश्न उसके दिमाग में बुरी तरह से तूफान मचाए थे|
उसका मन तो कर रहा था कि अभी जाकर उसे झंझोड़कर पूछे कि अगर उसकी जिंदगी से जाना नही था तो क्यों उसके जीवन में इस तरह से साथ रही ? क्यों हर एक दिन उसके जीवन का अटूट हिस्सा बनती चली गई ? क्यों न उसे गिरने दिया और न सँभलने ही दिया ? कितनी शिकायत कितनी नाराजगी है उसके प्रति पर उसकी निस्तेज अवस्था को देखकर वह दिल मसोजे बस उसे निहारता रहा| बस आज जी भरकर वह उस चेहरे को हक़ से देख रहा था|
“अरे अरुण यहाँ क्यों खड़े हो जाकर केबिन में बैठ न – |”
आवाज पर चौंककर अरुण अपनी तन्द्रा से वापस आता अपने सामने खड़े योगेश को देखता है जो उसे इस तरह बाहर खड़ा हुआ देखता हुआ कह रहा था –
“अभी ठीक है बस हाई टेम्प्रेचर होने की वजह से बेहोश हो गई थी – आज रात भर ऑवज़रवेशन में रखूँगा तो कल तक मे बी डिस्चार्ज कर दूँ – चल आ |” कहता हुआ वह उसके कंधे पर अपनी बांह फैलाए उसे वहां से ले जाता है|
अब उन दोनों के साथ क्षितिज भी केबिन में बैठा था|
क्षितिज उदासी से उनकी ओर देख रहा था जिससे योगेश बडी सी स्माइल करता हुआ कहता है – “तो चैम्प क्या लोगे – आइसक्रीम !!”
इस पर क्षितिज उदासी से ही योगेश की ओर देखता रहा तो योगेश उसके गालो को थपथपाते हुए कहता है – “मेरा ब्रेव बॉय सैड क्यों है – अरे तुम्हारी नैनी आंटी को कुछ नही हुआ बस आज रेस्ट करेगी तो कल देखना तुम्हारे साथ खड़ी होगी – |”
ये सुनते क्षितिज का बाल मन सच में मुस्करा पड़ता है|
योगेश जल्दी से एक आइसक्रीम और दो कॉफ़ी का ऑर्डर करके अरुण की ओर देखता है जो कही और ही उसे खोया हुआ नज़र आता है|
“अरुण !! अरे कहाँ खोए हो |”
“न नही – |”
“अच्छा तूने पूछा ही नहीं कि मेरी नैना से क्या बात हुई – चल मैं ही बताता हूँ |” योगेश जहाँ दिलचस्पी से अपनी बात बता रहा था वही अरुण का मन जैसे वहां था ही नहीं|
“बस सोच रहा हूँ – अगले हफ्ते नैना ने जन्मदिन पर अपने घर पर बुलाया है सोचता हूँ तभी अपने मन की बात उसके सामने रख दूंगा पता नही क्या सोचती होगी – ये लड़कियों का मन भी न गहरा समन्दर होता है – पता नही क्या क्या छिपा रहता है इसके अंदर |”
इस पर अरुण उच्छ्वास छोड़ता उसका चेहरा देखता रहा तब तक उनके बीच कॉफ़ी और आइसक्रीम आ गई|
काफी देर तक वही रुके रहने से भूमि का फोन योगेश के पास आता है| फोन रखते ही योगेश अरुण से कह रहा था –
“बहुत देर हो रही है मेरे ख्याल से तू न क्षितिज के साथ वापस चला जा बाकी उजला की फ़िक्र मत करना – मैं चला भी जाऊंगा तो भी रात की शिफ्ट में स्टाफ रहता है और मैं स्पेशली कह भी जाऊंगा – ओके |”
अरुण क्या चाहता था वो योगेश से न कह सका| फिर क्षितिज को तो वापस घर ले ही जाना था इससे योगेश की बात पर हामी भरने के अलावा उसके पास कोई चारा नही था| कुछ समय बाद योगेश के साथ साथ अरुण भी क्षितिज को लिए वहां से निकल जाता है|
कौन जानता था कि उसका मन तो किरन के पास से जरा भी टस से मस नहीं हुआ था| क्षितिज को घर पर छोड़कर वह किसी को बिना बताए वापस योगेश के नर्सिंग हो में आ जाता है|
“आप !! डॉक्टर साहब…|” नर्स उसे अचानक सामने देख चौंकती हुई पूछती है|
“हाँ योगेश से बात हो गई – तुम जाओ मैं यही बैठता हूँ – कुछ जरुरी होगा तो बता दूंगा |”
अरुण की बात को मानती हुई नर्स चुपचाप उठकर चली जाती है| अब रूम में अरुण और बेड पर उजला लेटी हुई थी| वह अभी भी उसी भांति निस्तेज पड़ी थी| वह उसके पास बैठा नज़र भरकर उसे निहार रहा था| उसे देखते उसका मन कितने झंझावत से गुजर रहा था| उजला ने किरन के प्रति सबकी नफरत अपनी आँखों के सामने झेली !! जिस घर की रानी बनना था वहां नौकरानी बनकर रही !! आखिर क्या है उसके मन में !! अगर लौटना था तो क्यों गई थी मुझे छोड़ कर !! अपना सच क्यों छिपा रही है सबसे !! क्या है उसका सच जिसे वह जानकर सबके सामने नही ला रही !!
सोचते सोचते अरुण झटके से अपना सर दोनों हाथों से थाम लेता है जैसे इन सारे प्रश्नों की चुभन से उसका अंतरस मन किलक उठा हो| बेहद बेचैनी उसके जहन में भरने लगी थी जिसकी तड़प साफ़ साफ़ उसके चेहरे पर नज़र आने लगी थी|
पूरी रात वह वही एकटक बैठा रहा कभी टहलता तो कभी उसके सिरहाने बैठा देर तक उसका सर सहलाते उसे निहारता रहता| आधी रात जब फिर से उसका तापमान बढ़ने लगा तो खुद ही ठंडी पट्टी करता रहा| बीच बीच में कई बार नर्स वहां से आकर गुजर गई| ड्रिप के खत्म होते उसे हटा गई लेकिन अरुण खुली आँखों से अभी भी सजग वही बैठा रहा जिससे नर्स चुपचाप वहां से चली गई|
सुबह होश में आते क्या बदल जाएगी उजला की जिंदगी या फिर अभी और भी परीक्षा से गुजरना होगा उसे जानने के लिए जुड़े रहे बेइंतहा के इश्क के सफ़र से….क्रमशः……
Amazing part ❤️
तो अरुण सच जान गया…..👍😊
Kitni taklif utha rhe hai dono .😔😔
Ohhh my god….Arun ko Ujala ki sacchai pta chl hi gyi…. bt jb use hosh aayga tb kya hoga …..bhaut hi badhiya story dil ko chooo lene wali
Jabadast Part.
Ujla Jo Jawab Degi Us Par Kaun Bharosa Karega??
Diwan Sahab Ko Jab Kiran Ka Sach Pata Chalega, Tab Kya Wo Kiran Ko Apni Bahu Swikar Karenge?? Shayad Nhi.
Dekhty Hai Aage Kya Hota Hai
Arun ko to pta lg gya ki ujla hi kiran h…..lekin kiran apne aap ko sahi kese sabit karegi….arun to sayad uska sach maan b le but baki family kya react karegi