
बेइंतहा सफ़र इश्क का – 106
अरुण की रात जिस बेचैनी में कटी ये बस उसे ही खबर थी| पूरी रात एकटक जागकर उसने गुजार दी, एक पल को भी उसने पलके नही झुकाई| नर्स अपनी ड्यूटी टाइम में एक दो बार आकर चेक कर गई पर हर बार उसे वह जगा हुआ ही मिला जिससे वह चुपचाप अपना रूटीन चेकअप करके वापस चली गई|
सुबह का उगता हुआ सूरज भी अरुण ने अपनी खुली हुई आँखों से देखा| उजला अभी भी अचेत सो रही थी पर उसकी देह का तापमान ठीक था ये अरुण चेक कर चुका था| अब सुबह का रेगुलर चेकअप करने नर्स फिर से आ गई थी जिससे अरुण उठकर टहलता हुआ कमरे की देहरी में जाकर खड़ा हो गया था|
“गुड मोर्निंग – अब आपको कैसा लग रहा है ?” ये नर्स की आवाज थी| उसकी आवाज सुनते अरुण का ध्यान बेड पर लेटी उजला की ओर जाता है जिसका चेहरा तो उसे नहीं दिख रहा था पर आवाज से लगने लगा कि उसे होश आ गया था और नर्स उसे ही गुड मोर्निंग विश कर रही थी|
“मैं कहाँ हूँ ? और क्या हुआ था मुझे |”
“अरे आप लेटी रहे – आपको रात से बहुत तेज फीवर था जिससे आप बेहोश हो गई थी और उसी हालत में आप हॉस्पिटल में एडमिट हुई थी पर अब आप बिलकुल ठीक है – डॉक्टर साहब अभी आते होंगे |”
उजला नर्स की बात सुनती हुई अब उसके पीछे देखने की कोशिश करती है| अरुण का चेहरा वह भी नहीं देख पा रही थी पर उसके होने का आभास उसे मिल गया था| नर्स उसका चेकअप करती हुई कमरे से जाने लगी तो देहरी पर अरुण को देखती हुई कह उठी –
“सर आप रात भर से जाग रहे – आप चाहे तो डॉक्टर साहब के आने तक मैं बैठ जाती हूँ – आप आराम कर लीजिए |”
नर्स के ऐसा कहते अरुण तुरंत असहज हो उठा क्योंकि उसे बिना देखे ही पता था कि उजला की नज़र उसी की ओर उठी हुई है और ये बात भी वह सुन चुकी है| फिर भी वह खुद को इन सबसे निर्लिप्त दिखाने के लिए सीने पर हाथ बांधे हुए कहता है –
“नहीं मैं बस निकलने वाला हूँ |”
ये सुनते नर्स चुपचाप चली जाती है| उजला अभी भी अचरच में पड़ी सब देखती हुई सोच ही रही थी कि अगली आवाज पर उसकी नजर ठीक दरवाजे की ओर चली गई|
भूमि वही चली आ रही थी| अरुण भूमि को देखकर हटना चाह रहा था पर उससे पहले ही वह अरुण को देखती हुई बोल पड़ी –
“अरे तुम यही हो – क्या रात भर से तुम यही थे?”
भाभी की बात पर अरुण तुरंत रियक्ट कर उठा – “नहीं तो – मैं खुद बस अभी अभी यहाँ आया |”
“अच्छा |” अरुण की बात पर सर हिलाती अब वह उजला की ओर बढ़ गई थी| भूमि को अपनी ओर आते देख उजला उठने की कोशिश करने लगी जिसे देखती हुई भूमि कह उठी –
“उठो नही लेटी रही उजला – बताओ कैसा लग रहा – अब ठीक तो हो न ?” कहती हुई उसका माथा छूती हुई कहती है – “हम्म – अब तो टेम्प्रेचर बिलकुल सही है |”
“तो आंटी हमारे साथ वापस चल सकती है ?” ये क्षितिज था जो अपनी माँ के साथ ही आया था|
अरुण अभी भी देहरी पर चुपचाप खड़ा था|
“हाँ क्यों नही – अब तुम्हारे योगेश अंकल परमिशन दे दे बस – |”
उजला क्षितिज को सामने देख मुस्कराती उसे देखती हुई कह रही थी – “आप ने क्यों तकलीफ की – मुझे ऐसा भी क्या हुआ था ?”
“आंटी आप सच में बहुत बीमार थी – चाचू आपको उठाकर यहाँ लाए – आप ठीक होकर मेरे साथ चलोगी तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा |”
क्षितिज की प्यारी बातो पर उजला धीरे से मुस्करा देती है| वह अपनी नज़रो के आभास से अरुण का वहां होना जान रही थी लेकिन अब सीधी नज़र उठाकर उसकी ओर न देख सकी|
“हाँ भई – तुम जल्दी से ठीक हो जाओ नहीं तो तुम्हे सबसे ज्यादा चाहने वाला परेशान हो जाएगा – तुम्हे पता है कल रात से ही यहाँ आने की रट लगाए हुए है इसलिए देखो सुबह सुबह ही आकर माना जबकि अभी स्कूल भी जाना है |”
उजला अब स्नेह से क्षितिज को देखती है जो अपनी चंचल निगाह से उसे ही देख रहा था|
“गुड मोर्निंग – गुड मोर्निंग |” सबकी विश लेते हुए योगेश तेजी से उस कमरे में प्रवेश करता है| योगेश ने भूमि का वहां होना सोचा नही था जिससे वह भूमि को देखते चौंक जाता है फिर उन्हें अभिवादन करता हुआ उनका वहां होना समझता हुआ कहता है – “बस फीवर के कारण बेहोश हुई थी – ऐसे अब तो काफी ठीक लग रही है -|” कहता हुआ वह नर्स द्वारा लिखा गया नोट पढता हुआ कहता है – “आज ही डिस्चार्ज कर दूंगा – क्यों क्षितिज अब तो हैपी हो न ?”
इस पर क्षितिज सच में भरपूर मुस्कान से मुस्करा देता है|
“तो क्या अभी अपने साथ ले जा सकती हूँ ?”
“बस भाभी एक घंटे बाद – वो क्या है मैंने कुछ टेस्ट कराए है उनकी रिपोर्ट देख लूँ तो श्योर हो जाऊंगा कि नार्मल फीवर था |”
“ओह पर मैं एक घंटा तो नहीं रुक सकती और फिर अभी क्षितिज को स्कूल छोड़ने भी जाना है |” भूमि कहती हुई अरुण की ओर देखती हुई आगे कहती है जो अभी भी वहां बेहद ख़ामोशी से खड़ा था – “अरुण तुम रुक रहे हो तुम्ही ले आना उजला को या मैं कार भेज दूँ !”
अरुण जल्दी से कहता है – “जैसा आप चाहे भाभी – वैसे मैं कुछ देर तो रुक रहा हूँ |”
“ओके फिर ये तय हो गया कि तुम ही ले आना उजला को – चलो अब मैं चलती हूँ – |”
कहती हुई भूमि क्षितिज के साथ बाहर चली जाती है| उजला हतप्रभता से सब देख रही थी| अब योगेश अरुण के पास खड़ा होता हुआ कहता है –
“यार तू क्या सच में रात भर यही था – नर्स बता रही थी – ऐसा कर..|”
“योग्रेश कहाँ है – तुम यहाँ हो और मैं पूरे नर्सिग होम में तुम्हे तलाशती घूम रही हूँ |” ये वर्तिका था जो योगेश को देखती हुई वही रूम में आ गई थी तभी अचानक उसकी नज़र अरुण पर पड़ी जो आज बुरी तरह से झेप गया था| जिनकी नजरो से बचना चाहता था वही सब उसे नजर आ रहे थे|
“अरुण !!!” वर्तिका हैरानगी से उसे देखती है|
उजला की निगाह भी बस उन्ही की ओर उठी हुई थी कि तभी कुक ऐसा हुआ जिसका अंदाजा किसी को भी नहीं था|
अरुण एकदम से अपनी हाव भाव नियंत्रण करता हुआ खुश नज़र आने लगा था| और उसी उमंग में एकदम से वह वर्तिका को गले लगाते हुए कह रहा था –
“हेलो वर्तिका – कैसी हो – बहुत लम्बे समय बाद तुम्हे देखा और सच में आज तुम्हे देखकर बहुत अच्छा लगा – वैसे आज कुछ अलग ही नज़र आ रही हो तुम |”
ये अरुण है ??क्या ये वही अरुण है ?? वर्तिका आश्चर्य से उसे देखती रह गई| अरुण उसे गले लगाकर बडी वाली मुस्कान के साथ कह रहा था – “चलो वर्तिका आराम से बैठकर बाते करते है – इतने दिन बाद मिली हो तो तुमसे बहुत सारी शिकायत करनी तो लाज़मी है |” कहता हुआ वह नाटकीयता से हँस पड़ा पर इसके विपरीत वर्तिका और योगेश आँखें फाड़े उसे देखते रहे| उजला तो खैर उसके मन पर इस पल क्या गुजर रही थी ये तो बस उसे ही पता था|
सच में इससे पहले कि वर्तिका या योगेश कुछ प्रतिक्रिया करते अरुण वर्तिका के कंधे पर हाथ फैलाए उसे वहां से बाहर ले जाता है| ऐसा करते उसने एक बार भी उजला की ओर नही देखा पर जैसे उसे अच्छे से आभास था इस प्रतिक्रिया के प्रभाव का| उजला की आंखे सच में नम हो आई थी|
वर्तिका की हालत तो उससे भी अजीब थी वह अरुण के एकदम से इस बदले रूप को हजम ही नहीं कर पा रही थी| उसने कभी सोचा ही नही था कि इतने समय बाद वह उससे मिलेगी तो कैसा रियक्ट करेगी और यहाँ तो आज अरुण ने उसे और भी गहरे पशोपेश में डाल दिया था| वह अरुण के साथ उस रूम से बाहर योगेश के केबिन तक आ गई जहाँ उसे छोड़ते हुए अरुण कह रहा था –
“वर्तिका तुम यही बैठो मैं आता हूँ अभी – शायद मैं अपना मोबाईल कार में भूल आया |” अपनी बात कहकर वह तुरंत ही उसके विपरीत चल दिया|
वर्तिका अनबुझी सी खड़ी रह गई| तब तक जब तक योगेश वहां नहीं आ गया|
“तुम यहाँ हो तो ये अरुण कहाँ है ?”
“पता नहीं – कहा कि आता हूँ अभी |” वर्तिका बेहद धीमे से कहती है|
“वैसे आज इसे हुआ क्या था – कल से अजीब व्यवहार कर रहा है – इसका माइंड भी न कुछ समझ नही आता लगता है इसका सिटी स्कैन करा कर इसके दिमाग को समझना पड़ेगा – पता ही नहीं चलता कि कब क्या करेगा ?”
दोनों अनबुझे से एकदूसरे को देखते रहे|
अरुण को अच्छे से आभास था कि वह क्या और क्यों कर रहा है, वह वर्तिका के साथ खुद का होना जैसे उजला के मन की कसोटी पर परखना चाह रहा था और उसकी छुपी आँखों से उजला की भीगी पलके छिपी न रह सकी| वर्तिका को जानकर वह छोड़कर बाहर निकला था और यूँही आस पास घूमता हुआ वह वर्तिका का वापस जाने जा इन्तजार कर रहा था और ठीक वही हुआ जैसे ही वर्तिका को उसने बाहर जाते देखा वह तुरंत ही योगेश के पास चल दिया|
योगेश इस समय बाकी के मरीजो में व्यस्त था तो नैना ने डिस्चार्ज की सारी प्रक्रिया पूरी करके उजला को अरुण के साथ जाने दिया|
इधर उजला को कुछ समझ नही आ रहा था| वह समझ ही नहीं पा रही थी कि क्या सच में वह उसके पास सारी रात रुका था तो फिर झूठ क्यों बोला ? आखिर अरुण के दिमाग में चल क्या रहा है ये सोचती हुई वह बुरी तरह से उलझ गई थी| आजतक किसी भी गैर लड़की का नाम तक उसने जिसके मुंह से न सुना और आज तो वह किसी अनजान लड़की को गले से लगा रहा था ये देखते हुए उसका मन किया कि अपना सारा सच कह दे और साथ ही बता दे कि ये सब वह किसी हाल में नही देख सकती| लेकिन बेबस होती वह मन मसोजे उसके पीछे पीछे चल दी|
अरुण उसके साथ था और बराबर से उसके हमकदम हुए चला रहा था जैसे उसे प्रोटेक्ट कर रहा हो| आगे बढ़कर वह अपनी से दूसरी तरफ का दरवाजा खोलकर उसे आगे बैठने का संकेत करता है| उजला संकेत पर चुपचाप आगे बैठ जाती है| उसके बैठते वह ड्राइविंग सीट पर बैठते ही कार मेंशन की ओर मोड़ लेता है| इस बीच वह एक बार भी उजला की ओर न देखता है और न उससे कुछ कहता है| उजला भी अपने संकोच में चुपचाप बैठी रही|
अगले कुछ पल में कार मेंशन पहुंचकर ही रूकती है| पोर्च पर कार के लगते ही उजला कार से उतरने लगती है| उसके साथ साथ अरुण भी अपनी तरफ से उतर जाता है तभी उसे सामने से हरिमन काका आते हुए दिखते है –
उन्हें अपनी तरफ आते देखता हुआ अरुण उन्हें पुकारता हुआ कहने लगा – “काका – आप ध्यान रखिए कि अभी कुछ दिन तक ये घर का कोई काम न करे |”
“अच्छा ठीक है बिटवा |” काका हामी में सर हिलाते हुए उजला के पास चल देते है वही उजला आश्चर्य भरी नज़रो से अरुण को जाते हुए देखती रही जो उसकी ओर से निर्लिप्त होता हुआ अपनी दोनों पॉकेट के हाथ डाले सीधे अंदर चला जा रहा था|
“काका मैं ठीक हूँ |”
जब उजला को चलने के लिए वे उसको सहारा देने की कोशिश करते है तो उजला कहती है|
“हाँ बिटिया ठीक हो – बस बिटवा के हुकुम का पालन कर रहा हूँ |” कहते हुए वह धीरे से हँस दिए पर उजला सोच में पड़ गई|
क्या उसी ने हरिमन काका को उसके आने से पहले बाहर बुलाया ? क्या उसी ने हरिमन काका को उसकी देखभाल करने को बोला ? क्यों मेहरबान हो रहे है उस पर ? कहीं सच में किरन को भूलकर उजला तो उनके मन में राज नही करने वाली ? अगर ऐसा हुआ तो वह तो दोनों ओर से हार जाएगी| न पत्नी बन सकेगी न प्रेमिका ? हे ईश्वर किस दोराहे पर लाकर आपने मुझे खड़ा कर दिया|
उजला काका के साथ साथ मेंशन के अंदर चल देती है|
आगे क्या होने को है उजला की जिंदगी में ? क्या अरुण कुछ बड़ा कदम लेने वाला है या उजला ही डरकर अपना सच सामने ले आएगी ? जानने के लिए जुड़े रहे बेइंतहा के सफ़र से….
क्रमशः……………लीजिए आपके लिए बड़ा पार्ट लाई अब आपको कितना पसंद आया जरुर बताए ताकि अगला पार्ट और जल्दी आए…
Ohh my god…ab ye hoga ki Arun Ujala ko pareshan krega…jealous feel krwa k…Taki wo apna sacchai batay…I think so…
Arun ab janbhujhakar ujla ko presan kr rha h…kya ujla apna sach arun ko batayegi…..aapne bola tha kiran ko kisne kidnap kiya ye next part me batayegi but aapne abhi tk nhi bataya
किरन का किडनेप विवेक ने किया कैसे और क्यों ये सब पता चलेगा….
Superb part!!! Lagta hai arun kiran ko majboor karega khud se sach batane ke liye. Arun ab tadpane wala hai kiran ko. Jitna usne pareshan kiya hai use ab vo bhi karega. Bus sach ka pata laga le saath saath
Bhat pasand aaya… Superb ho aap mam.. Love you apko…
Maja aa gya….
Very😊😊👍👍👍 very very🤔🤔🤔
Waise Kiran ko arum ko sab sach bata dena chahiye..jisse shadi ki hai uspe itna bharosa nahi bhi kar sakti to use tadapta hua dekhkar hi bata deti…ab jab sab use gadbad lag raha hai tab hi bata de..aisa b kya pareshan hona..
Mam Next Part Kab Aayega??
आज आएगा…
Mai Aap Yaha Par Beinteha Ka Next Part Upload Kyu Nhi Kar Rahi Ho???