
बेइंतहा सफ़र इश्क का – 107
सुबह वापस आकर अरुण जहाँ थका हुआ बिस्तर पर निढाल पड़ा था वही उजला अरुण के बदले व्यवहार पर बेचैन हुई जा रही थी| वह कभी बेचैनी में कमरे में टहलने लगती तो कभी हथेली मसलती देर तक खिड़की पर खड़ी रहती| काका ने सब उसे कमरे में ही उपलब्ध करा दिया था जिससे वह कमरे से बाहर भी नहीं निकल सकती थी|
इधर दीवान एंटरप्रराइजेज में अलग ही हडकंप मचा था| कांफ्रेंस रूम में दीवान साहब बैठे बड़े से स्क्रीन में नज़र टिकाए बैठे थे जहाँ बार ग्राफ लगातार डाउन शो कर रहा था| सब कुछ जीवंत शो की तरह से चल रहा था जिसे देखते हुए दीवान साहब के चेहरे का रंग ही उड़ा जा रहा था|
इस वक़्त उस रूम में वे अकेले थे| तभी तेजी से आकाश रूम में प्रवेश करता हुआ कहता है –
“डैड मैंने बहुत कोशिश की लेकिन कोई स्टॉक मेनेजर बात करने तक को राजी नहीं है -|” आकाश बुरी तरह से उलझा हुआ लग रहा था| वह उसी परेशानी में वही बैठते हुए अपने सामने का लैपटॉप खोलता हुआ कहता रहा – “लगातार हमारे सारे शेयर होल्डर हमारा साथ छोड़ते जा रहे है – अगर ऐसा ही चला तो हमे अभी के अभी अपने कई प्रोजेक्ट होल्ड ओवर करने पड़ेंगे |” आकाश अपनी बात कहता जा रहा था इससे उसका ध्यान नही गया कि उसके पिता अपने गले की टाई को ढीला करते हुए कुछ ज्यादा ही विचलित नज़र आने लगे थे|
“पता नही आज कौन सा भूचाल आ गया कि सारी मुसीबत एकसाथ आ गई – एक तरफ हमारे सारे शेयर डूब रहे है वही बिजनेस एसोसियशन का मेल भी आया है – डैड हर बार वे आपको उसका चेयरमैन चुनते है लेकिन इस बार पता नही क्यों वे रीवोटिंग कर रहे है और….|”
आकाश अपनी बात कह भी नहीं पाया था कि ब्रिज नॉक करके प्रवेश करते आकाश की ओर देखते हुए कहते है – “सर भावनगर के प्रोजेक्ट में बहुत बडी प्रॉब्लम हो गई – वहां मजदूरो ने सारा काम बीच में ही छोड़ दिया है |”
“क्या !! अभी तो प्रोजेक्ट बस कम्प्लीट होने वाला था – जल्दी कुछ करो नही तो हमे बहुत बड़ा नुक्सान हो जाएगा |” आकाश बुरी तरह चिल्ला पड़ा|
“सर आई एम् ट्राइंग माय बेस्ट लेकिन शिचुएश्न हमारे हाथ से निकल चुकी है |”
“दीवान सर !!” अचानक ब्रिज का ध्यान दीवान साहब की ओर गया| वे ऑंखें बंद किए गहरी गहरी सांस ले रहे थे|
“डैड !! कॉल द डॉक्टर इमेजेटली |” चीखते हुए आकाश तुरंत अपने पिता को संभालता है|
जहाँ ब्रिज डॉक्टर को कॉल लगा रहा था तो वही आकाश दीवान साहब का सिर चेयर पर टेक लगाकर उसके गले के कपड़े ढीले करता उसकी हथेली रगड़ता बार बार उन्हें पुकार रहा था| अपने पिता की ऐसी हालत देखकर उस पल उसके होश बुरी तरह से उड़े हुए थे|
***
पिछली पूरी रात जागने से अरुण बेसुध होता बिस्तर पर लेटते ही निढ़ाल हो गया था| अभी कुछ देर पहले ही वह लेटा था जिससे वह काफी गहरी नींद में था जब काका ने आकर उसे जगाया| वह अधखुली आँखों से उनकी ओर देखता है| वे घबराए हुए उसे बता रहे थे कि आकाश का फोन आया है उसे तुरंत ऑफिस आने के लिए|
उठते ही मोबाईल में दस बीस मिस कॉल देखने के बाद वह माजरे की गंभीरता को समझता तुरंत ही ऑफिस जाने के लिए तैयार होने लगता है|
***
दीवान साहब काउच पर लेटे थे और डॉक्टर उनका फुल चेकअप करने के बाद उनसे कह रहा था –
“मेरे हिसाब से दीवान साहब आपको घर पर आराम करना चाहिए |”
वही आकाश और ब्रिज भी मौजूद थे|
“यस डैड आप बेफिक्र होकर जाइए मैं सब हैडल करता हूँ |”
“ब्लडप्रेशर ही बढ़ा था ठीक हो जाएगा – तुम पहले सारे बोर्ड ऑफ़ मेम्बर्स को बुलाओ इमिजेटली |”
वे सहारा लेकर उठने लगते है तो आकाश आगे बढ़कर उनको अपना सहारा देता हुआ कहता है –
“लेकिन अभी तो आप !!”
“मैं ठीक हूँ |”
तभी केबिन में अरुण प्रवेश करता हुआ तेजी से उनके पास आता हुआ कहता है –
“क्या हुआ डैड को ? डॉक्टर !!” वह एक दौड़ती नज़र से क्रमशः डॉक्टर, आकाश और ब्रिज की ओर देखता है|
“दीवान साहब का बीपी और शुगर दोनों बढ़े हुए है – मेरी राय है कि उनको अभी आराम करना चाहिए |” डॉक्टर अरुण की ओर देखता हुआ कह रहा था|
“डैड चलिए – आप अभी चलिए मेरे साथ |”
“मैंने कहा न मैं अब बेहतर महसूस कर रहा हूँ – बोर्ड मेम्बर्स की मीटिंग जरुरी है – वो अरेंज करो जल्दी |”
सब जान रहे थे कि उनकी हालत ठीक नहीं थी लेकिन वे अपनी जिद्द से कही नही जाएगे ये भी सब जानते थे| अरुण फिर उनसे जाने के लिए कहने वाला था उससे पहले ही आकाश उसे इशारे से रोकता हुआ कह उठा –
“ठीक है डैड आप यही आराम करिए जैसे ही मीटिंग अरेंज होती है मैं आपको इन्फॉर्म करता हूँ – मिस्टर ब्रिज आप यही डैड के पास रुकिए |” कहते हुए अरुण को अपने साथ चलने का संकेत करता हुआ कहता है – “तुम अभी चलो मेरे साथ |”
सभी आकाश की बात पर सहमती देते हामी से सिर हिला देते है|
इसके साथ ही आकाश अरुण के साथ उस केबिन से बाहर निकल जाता है|
***
“ऐसा हुआ क्या है कि बोर्ड मेम्बर्स की इमिजेट मीटिंग बुलानी पड़ रही है|”
आकाश के केबिन में मौजूद अरुण हैरानगी से आकाश की ओर देखता हुआ पूछता है –
“हमारे फिफ्टी परसेंट शेयर किसी कंपनी में खरीद लिए है |”
“किसने ?”
“डोंट नो – बट प्रोब्लम ये नहीं है – अभी की शिचुएश्न ये है कि बाकी के शेयर्स को अपने होल्ड में लेने की इसलिए डैड बोर्ड मेम्बर्स की मीटिंग बुलाना चाहते है – अगर उनके शेयर्स भी हमारे हाथ से निकल गए तो दीवान कंपनी को डूबने से कोई नहीं बचा सकता |”
“हाउ इस दिस पोसिबल ?”
“जो सोचा नही था वो सब हो रहा है – फिलहाल मैं किसी तरह से जल्द मीटिंग अरेंज करता हूँ तब तक के लिए मेनिफेक्च्रिंग फैक्ट्रीज की वर्क एक्टिविटी को कुछ समय के लिए बंद करना होगा |” आकाश केबिन में टहलता हुआ कहता रहा|
“लेकिन इससे तो मजदूर सीधे अफेक्टेड होंगे –|”
“सो व्हाट – मैं उन छोटे लोगों की चिंता करूँ या दिवान्स एंपायर की |”
“लेकिन !”
अरुण विरोध करना चाहता था पर उसे बीच में रोकता हुआ आकाश बोल उठा – “तुम ये सब मुझपर छोड़ दो |”
आकाश के रूखे रवैए पर अरुण होंठ भींचे हुए बोल उठा – “तो आप ने मुझे बुलाया ही क्यों ?”
“अरुण तुम बात को समझो – अभी ये सब तुमसे हैंडिल नही होगा – तुम रुको मीटिंग तक बस |” कहता हुआ आकाश इंटरकॉम उठाकर दीपांकर को बुलाने ही वाला था कि तभी वह केबिन में प्रवेश करता है|
“सर !”
दीपांकर हड़बड़ाहट के साथ अंदर आ रहा था|
“सर बिजनेस एसोसियशन की ओर से मेल आया है |”
“तो !!” आकाश घूरते हुए कहता है|
दोनों दीपांकर को देख रहे थे वही वह हिचकिचाते हुए बोलने लगा –
“बिजनेस एसोसियशन के चेयरमैन के पद से दीवान सर को हटा दिया गया है |”
“क्या !!!”
“और ..!”
“और क्या डैमिड !” आकाश गरजते हुए बोला|
“भावनगर की फैक्ट्री की प्रॉब्लम आउट ऑफ़ कंट्रोल हो रही है – |”
अरुण तुरंत पूछ उठा – “वहां क्या हुआ है ?”
दीपांकर बात समझाते हुए कहने लगा – “सर वहां पर फैक्ट्री के मजदूर और लोकल गुंडों के बीच निकासी के रास्ते को लेकर कोई झगड़ा हुआ था उसी में लोकल गुंडे ने वहां की एक महिला मजदूर को छेड़ दिया इसपर मजदूरो ने मिलकर उन गुंडों पर हमला कर दिया जिसमें वे खुद ही घायल हो गए – तभी से वहां के सारे मजदूर काम छोड़कर बैठे है – अब मामला पुलिस के पास है |”
“तो हमारी ओर से क्या किया जा रहा है ?” अरुण पूछता है|
“हम क्या करेंगे ? पुलिस हैडिल कर रही है न – तब तक दूसरे मजदूरों का इंतजाम कर लेंगे |” आकाश जल्दी से कहता है|
“ये क्या बात हुई भईया – हम उसके ओनर है और इतनी बडी बात होने पर भी अगर हमारी ओर से कोई रियक्शन नही होगा तो उन लोकल गुंडों को शह मिलेगी |”
“तो तुम क्या चाहते हो उन छोटे लोगो के लिए मैं सीना तानकर खड़ा हो जाऊं – एक मजदूर मरा है तो दूसरे आ जाएँगे – काम इनके लिए नहीं रुकेगा |” आकाश बुरी तरह भन्नाया हुआ दीपांकर को देखता हुआ कहता है जो उनके बीच अवाक खड़ा था|
“तुम जाओ और वहां कोई नई अपडेट हो तो ही देना |”
इतना सुनते दीपांकर तुरंत चला जाता है| तभी आकाश का मोबाईल बजा जिसका स्क्रीन देखने के बाद वह अरुण की ओर देखता है| अरुण समझते हुए उसके सामने से उठता हुआ कहता है –
“मैं डैड के पास जा रहा हूँ – कोई जरुरत हो तो बता दीजिएगा|”
मोबाईल लगातार बज रहा था| अरुण के जाते आकाश तुरंत कॉल रिसीव करते ही गरजता है – “बोलो क्या बकने फोन किया है |”
“आकास सर धमाकेदार न्यूज है – स्टैला इस समय कोई और बिजनेसमैन के पीछे पड़ी है और यही सही समय है आप जो भी करोगे तोहमत उसके सर आएगी |”
“किसके ?”
“रंजीत नाम है उसका – सुना है उसपर कोई रिपोर्ट तैयार करके निकालने वाली है – बस यही सही मौका है |”
“और वो है कहाँ ?”
“यही सूरत में है – आपको होटल का पता करके बताता हूँ |”
“ठीक है |”
कॉल रखकर आकाश सोचने की मुद्रा में सिगरेट सुलगाने लगता है|
आगे क्या कदम होगा आकाश का ? क्या कुछ संभलेगा या बिगड़ेगा..!!
क्रमशः…….