Kahanikacarvan

बेइंतहा सफ़र इश्क का – 113

चोट के दर्द के कही ज्यादा दिल का दर्द इन्सान को तोड़ कर रख देता है| अरुण उस रात का सच किरन के मुंह से जानना चाहता था आखिर वही तो अकेली गवाह है कि शादी की रात हुआ क्या था? पर किरन से उजला बनी उजला की अलग ही कशमकश थी, उसके दिल में अलग ही प्रश्नों का झंझावत चल रहा था| वह समझ ही नहीं पा रही थी कि कैसे उस किरन को वह सबके सामने स्वीकार कर ले जिससे सारे के सारे बेइंतहा नफरत करते है ? उजला बनकर जो नफरत सुन रही है क्या किरन की तरह उन सबकी अपनी ओर उठती निगाह वह बर्दाश्त कर पाएगी ?

अरुण की नाराजगी का उसके पास कोई जवाब नहीं था| वह उसी ख़ामोशी के साथ उसकी नजरो के सामने से हट गई जैसे वह सबकी नज़रो के सवालों से हट गई पर क्या खुद का सामना करने से वह खुद को रोक पाएगी ?

दिल तो उसका भी टूटा है? भरोसा तो उसे भी किसी पर नही रहा ? सबके आरोप झेलते झेलते वह ये तो अच्छे से समझ गई कि वह सबके सामने चाहे जो कह ले पर कोई शब्द किरन के दामन को पाक साफ़ साबित नहीं कर सकते क्योंकि सबके पास झूठ के जितने सबूत है उसके पास अपने सच का एक भी सबूत नहीं है| अब तो वो शख्स भी जीवित नहीं जिसने उसका अपहरण किया था| तब सीता कैसे अपनी अग्नि परीक्षा देगी ? जब वो ये साबित ही नहीं कर पाएगी कि उसका अपहरण हुआ !!

दर्द की बेइंतहा तकलीफ से गुजरती उजला सीधे मंदिर पहुंची| बस एक वही उसकी शरणस्थली थी जहाँ वह खुद की वास्तविकता स्वीकार कर सकती थी| मंदिर में माँ सीता की प्रतिमा के आगे नमस्तक करती वह बुरी तरह से बिलख उठी| उसके सुंदर चेहरे पर आंसुओ की बाढ़ आ गई थी| वह बार बार अपने बहते आंसुओ को पोछती ऑंखें झपकाती हुई प्रतिमा को देखती अपने आंसुओं से भरी प्रश्नात्मक आँखे सीता माता की प्रतिमा की ओर उठाए रही|

क्या करूँ माँ कुछ तो रास्ता बताए…आप तो माँ है और अपने बच्चो के मन की सारी व्यथा जानती है फिर क्यों मेरी ओर से मुंह फेरे है आप !!

उसका मन बुरी तरह से टूट कर बिखर रहा था| वह बिसूरती हुई प्रतिमा के आगे कह उठी –

कितना और दर्द आपने मेरे लिए रख रखा है वो भी बता दीजिए माँ – आखिर क्यों? आखिर क्यों मुझे आपने इस सजा के लिए चुना ? क्या कसूर किया था मैंने? नित दिन मैंने आपकी पूजा किया – अपनी माँ के बाद से आपको माँ माना फिर क्यों…??

कुछ पल मौन वह प्रतिमा को देखती फूट फूटकर रो दी| उसका मन अब खुद से बगावत करने में तुला हुआ था| अगले ही पल अपने आसुंओ को पोछती वह थोड़े सख्त लहजे से कह उठी –

तो ठीक है आपके पास मेरे सवाल का कोई जवाब नही तो मेरा भी मौन बरक़रार रहेगा – नहीं दूंगी किसी को मैं अपनी सफाई – अब जिस वक़्त ने मेरा सब कुछ बिगाड़ा है उसे ही सब ठीक करना होगा – हाँ आपको देना होगा मेरे सवालों का जवाब और अगर आप ये वक़्त मुझे मेरे हिस्से का सच नहीं दे पाया तो मौन ही मैं इस दुनिया से सदा के लिए चली जाउंगी – चली जाउंगी | कहती हुई उजला बुरी तरह बिखकर रो दी….

***
अब दो दिलो में जज्बात एक हो तो भलेही वह अलग अलग धड़कते हो पर उनकी रिदम बस एक ही होती है और यही बेचैनी ठीक इन दो दिलो की भी थी| उजला अगर परेशान थी तो अरुण भी अपने हालात से खुश नही था| उसने उजला बनाम किरन को जितना तड़पाने के लिए किया उसके हिस्से का उतना ही दर्द उसने भी अपने दिल में महसूस किया, जिसे बिन देखे उसके अस्तित्व से उसने प्रेम किया उसे सामने देखकर भी वह अपने तड़पते जज्बात पर कैसे नियंत्रण किए ये बस उसे ही पता था|

उसने उजला को बेचैन करने के लिए ही अपने कमरे में शराब और सिगरेट की मौजूदगी दिखाई थी| उसके जाते वह कमरे में जगह जगह जलाकर छोड़ी गई सिगरेट को उठा उठाकर एस्ट्रे में बुझाने लगा| उसने सच में एक भी सिगरेट को मुंह नही लगाया था और शराब तो कतई नही| सब कुछ अपने से विरक्त करके वह एक गिलास पानी पीकर अपने सूखे गले को तर करने लगा|

कुछ पल अपने एकांत में बैठा वह उजला का मासूम रुंधा चेहरा याद करने लगा| उसकी बेचैनी को समझने लगा| कुछ तो है जो उसके मन में इतने गहरे से जब्त है पर उसे इस तरह नही सामने लाया जा सकता| उसे और परेशान नही कर सकता मैं| उसका रोता चेहरा और अगली बार देखा तो पक्का मैं खुद पर से नियंत्रण खो बैठूँगा और उसे उसकी मर्जी के खिलाफ भी थाम लूँगा पर आखिर वह क्या सच है जो वह किसी से भी नहीं कह रही….शायद मैं ही तुम्हारे विश्वास में इतना खरा नही उतर सका कि हक़ से तुम मुझे सब कह पाती तो पहले मुझे तुम्हारे लिए खुद को इस काबिल बनाना होगा कि तुम मुझपर आंख मूंदकर मुझपर विश्वास कर सको और उसके लिए अब कोई जबरजस्ती नही करूँगा..बस तुम्हारे आस पास मौजूद रहूँगा ताकि जब भी तुम्हे मुझपर भरोसा हो तो तुम उस पल में सबसे नजदीक मुझे पाओ…..सोचते हुए अरुण जैसे हवाओ में से एक गहरी सांस इश्क की अन्दर खींच लेता है और सुकून सा एक ठंडा श्वांस बाहर छोड़ देता है|

इस वक़्त बहुत रात हो चुकी थी संभव है सभी सो गए होंगे पर उन आँखों में नींद का कतरा भी नही था| अरुण को बहुत बुरा लग रहा था आखिर दिन में कितनी बार उसने किरन को परेशान कर दिया था पर उसका सारा दर्द वह अपने भीतर महसूस कर रहा था और यही कारण है कि चाहकर भी उसे नींद नही आ रही थी| 

उसका मन नही माना तो वह एक नज़र किरन को देखने के मन से कमरे से निकलने लगा| वह चुपचाप सीढियां उतरता हुआ रसोई के पास वाले बने कमरों की ओर चल दिया जहाँ हरिमन काका और उजला के कमरे थे| वह बेहद शांति से उस ओर बढ़ रहा था क्योंकि वह समझता था कि किसी ने इतनी रात उसे यहाँ देखा तो उसके पास उसके सवाल का कोई जवाब नही होगा फिर भी दिल के हाथों मजबूर वह कदम दर कदम उसके कमरे की ओर बढ़ रहा था|

उस गलियारे में अच्छा खासा अँधेरा था और उस अँधेरा का ही फायदा उठाकर वह अब ठीक उसके कमरे के बाहर अपने धड़कते दिल के साथ खड़ा था| कमरा बंद था और वह आधी रात कोई आहट भी नही करना चाहता था फिर आस पास देखते हुए उसे एक खिड़की नज़र आती है| खिड़की खुली थी जिससे वह खिड़की के पास आता अंदर देखने का प्रयास करने लगा पर अंदर डले परदे से उसे अंदर का कुछ नजर नहीं आ रहा था| हवा से बार बार पर्दा उनकी निगाहों का रास्ता रोक लेता जिससे उसका सारा गुस्सा उस परदे पर आकर ठहर जाता| कुछ पल तक वह वही खड़ा रहा और मन ही मन उस परदे से जैसे हटने की गुजारिश करने लगा|

उस पल उसके हाव भाव की बेचैनी कोई देखता तो उसके दिल का हाल साफ़ साफ़ जान जाता| बहुत देर तक खड़ा वह परदे को घूरता रहा और एक ऐसा पल आखिर हवा ने उस परदे को थोड़ा सरकाकर उसे दे ही दिया या उस दिलवाले की बेचैनी पर उस निर्जीव परदे को भी दया आ ही गई|

पर्दा हलके से हटा तो अरुण की निगाह उस पार किरन को खोजने लगी…वह बिस्तर पर लेटी थी और उसकी ओर पीठ किए थी..उस पल उसे ऐसे सुकून से सोते देखकर ही उसका दिल सुकून महसूस करने लगा और पल भर को अपनी मुस्कान समेटता हुआ वह वहां से चला गया|

***
ये रात सबके लिए एक सी नहीं थी| जहाँ इस रात में प्रेम पनप रहा था उसी पल दूसरे स्थान में दुश्मनी सुलग रही थी| सूरत का टॉप क्लास होटल जिसमे रातो रात पुलिस की रेड पड़ी और वहां के एक रूम से कुछ विदेशी लड़कियों के साथ ड्रग भी पकड़ी गई| ये खबर पूरी रात से टीवी पर हेडलाइन की तरह चल रही थी और इसकी कसक आकाश के ऊपर गुजर रही थी जबकि टीवी पर सारी गतिविधि देखता रंजीत अपने में ही मुस्कराता हुआ बुदबुदा रहा था –

‘युद्ध का आगाज हो चुका है जिसका अंजाम भी मेरे हाथ में है – दिवान्स तैयार हो जाओ हर एक दिन अपनी बर्बादी का अंजाम देखने के लिए|’

जहाँ रंजीत के हाव भाव में गहरा सुकून उतर रहा था वही आकाश की नींद बुरी तरह उड़ी हुई थी| एक पल को उसने होटल के कमरे में हो रही उस गतिविधि से अपना पल्ला झाड़ तो लिया था पर लगातार टीवी पर उसके होटल के नाम को दिखाने से उसकी साख लगातार नीचे गिर रही थी| अभी तक ये खबर सिर्फ उसे ही पता थी पर उसे डर था सुबह का जब असल धमाका होगा और इस बात की खबर उसके पिता को लगेगी|

वह व्याकुलता से घर के बार में गिलास लिए इधर से उधर टहल रहा था इसी बीच कोई फोन बजा और लपक कर उसने उसे रिसीव करते हुए बोला –

“हाँ मंत्री जी – कब से मैं आपके फोन का इंतज़ार कर रहा हूँ – आप ये सब बंद कराए अभी का अभी |”

“रुकिए रुकिए आकाश जी मैं मंत्री जी नहीं उनका पीए बोल रहा हूँ |”

“मैंने कहा था कि मुझे मंत्री जी से बात कराओ |”

“मंत्री जी आगामी चुनाव में थोड़ा ज्यादा ही व्यस्त है |”

“व्यस्त है !! और जब पार्टी के लिए डोनेशन चाहिए होता है तब फ्री हो जाते है |”

“अभी कहाँ हमने आपसे पार्टी के लिए चन्दा माँगा |”

“मांगने तो आओगे कभी – तब क्या होगा ?”

“आकाश साहब – हम तो जनता के सेवक है और बस सेवा सहयोग लेते है पर इस बार मंत्री जी ने सोचा आपको तकलीफ न दिया जाए बल्कि सच में जनता के लिए कुछ कर के दिखाया जाए – आखिर हमारा गुजरात तो वैसे भी देश के लिए एक मॉडल है तो बस उसी की गन्दगी की सफाई में लगे है हमारे मंत्री जी |”

“बंद करो ये ढोंग करना – तुम्हारे मंत्री कितने पानी में है मैं अच्छे से जानता हूँ – मुझे मेरी….|”

तभी दूसरी ओर से फोन काट दिया गया|

“क्या !! मेरा फोन काट दिया – आज इन सबकी इतनी हिम्मत कैसे हो गई ? इन्हें इस बात का भी डर भी नहीं कि इन्हें इलेक्शन के लिए पैसे कहाँ से मिलेंगे ? कोई तो है इस सबके पीछे – लेकिन कौन ? कौन इन सबकी जेबे गर्म रख रहा है ? कौन ?” जबड़े कसते हुए आकाश डेस्क पर तेजी से हाथ मारता हुआ सामने की ओर देखने लगता है|

सामने शराब की बोतलों की कतार पर उसका बिगड़ा हुआ अक्ष्स दिखाई दे रहा था|

क्रमशः……..

3 thoughts on “बेइंतहा सफ़र इश्क का – 113

  1. Kiran ka sach.. sab k sahmane ana jaruri bhi hai par sab kya yakin kar payenge.. Arun to kar hi lega .. kitna ishq … Ahhh…💕💖🤔

  2. Aakash ke karan sara deewans ka business hi khatre me aa gya…..galati kisi ki or bugtege sabhi…..esa kyu hota h galti kisi or ki or saza koi or bugat rha h….kiran or arun b dusro ki galti ki saza pa rhe h

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