Kahanikacarvan

बेइंतहा सफ़र इश्क का – 125

“बहुत सस्पेंस हो गया अब तो प्लीज़ बता दो कि ये सब करके करना क्या चाहते हो – मतलब सोच सोचकर मेरे दिमाग के उरजे पुर्जे ढीले हो गए कि आखिर उन गुंडों तक खाना पहुँचा कर किस तरह समस्या हल हो गई ?”

ब्रिज जिस परेशान हालत मे अरुण से पूछ रहे थे वही अरुण सजहता से मुस्कराते हुए उनकी ओर देख रहा था|

“कुछ समझ नही आ रहा – दो दिन से उन गुंडों को खाना पहुँचाया जा रहा है – वैसे वो गेट तो उन लोगों से बंद कर दिया लेकिन कब तक ?”

“अच्छा पीएम आपने कभी सांप सीढ़ी खेली है ?”

“हाँ – बचपन मे पर अभी क्यों पूछा ?”

“अच्छा उसमे क्या होता है ? जब लगातार सीढ़ी मिलती रहती तो मन से सांप का डर भी निकल जाता है और तभी अचानक से सांप डस लेता और सीधे सांप की दुम मे आकर गिरते है|”

“मतलब !!” ब्रिज अभी भी उलझे हुए लग रहे थे|

“मतलब साफ़ है – उन गुंडों को खाना मिल रहा है तो उन्हें सांप का डर नहीं – लेकिन सांप तो है न – वो समय पर अपना काम भी करेगा |”

“इतना कोम्प्लेक्स सवाल तो मैंने अपनी बोर्ड की परीक्षा मे भी नहीं पाया था प्लीज़ जरा आसान भाषा मे बताओ |”

“देखिए उन गुंडों को खाना मिलने लगा है तो उनका मजदूरो पर से ध्यान हट गया और गेट भी दूसरी तरफ हो गया – ऐसे ही कुछ दिन तक उन तक खाना पहुंचता रहेगा और फिर बिना किसी बाधा के मजदूर वहां से आते जाते रहेंगे लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि वे गुंडे सुधर गए – वे कभी न कभी जरुर फिर से प्रोबलेम क्रिएट करेंगे इसलिए बस कुछ दिन बाद आप कमिश्नर से कह कर उस जगह पर रेड पडवा दे – गुंडे जेल के अंदर और समस्या हमेशा के लिए खत्म – इससे उन गुंडों को कतई नही लगेगा कि हमारी या मजदूरो की ओर से उनको ये प्रोबलम दी गई है – खाना मजदूरो की ओर से आ रहा है तो वे उनकी ओर से पोजिटिव बने रहेगे -|

अरुण के चुप होने पर भी ब्रिज अवाक् उसे कुछ पल तक देखते रहे जिससे अरुण आगे कहता है –

“उसके बाद उस खाली प्लाट को उसके ओनर से खरीद कर उसमे उन मजदूरो के लिए एक और धनश्याम कालोनी बनवा देंगे जहाँ उनका परिवार हमेशा के लिए सुरक्षित रहेगा |”

अब ब्रिज होश मे आते एकदम से छोटे बच्चे की तरह ताली बजा उठे – “मतलब मेरे पास कोई शब्द नही इस बेजोड़ आइडिया के लिए |” वे अवाक् अरुण को देखते हुए कहने लगे – “आज तो सच मे दिल से सर कहने का दिल चाह रहा है – यू आर जीनियस सर |”

“आप कल ही मिल शुरू करने की ओफिसियल नोटिस जारी कर दे – यहाँ सब ठीक हो जाए तो मुझे लौटना भी है|”

“बिलकुल क्यों नहीं |”

ब्रिज अपनी बात कहकर चले गए पर अरुण सोफे से गर्दन सटाकर उस सूरत का इंतखाब करने लगा जिसे उसने पिछले दो दिन से नहीं देखा था| वह आंखे बंद किए हौले से मुस्करा लेता है|

***
स्टैला रात दस बजे की स्पेशल न्यूज की तैयारी लैपटॉप पर करती खुद मे बुदबुदा रही थी –

‘सारी रिपोर्ट तैयार है – मैंने ऐसा कहानी का एंगल मोड़ा है कि दुनिया अब मेरे  चश्मे से सारा मामला देखेगी – दीवान परिवार और राय परिवार की दुश्मनी की आंच को यूँही धीरे धीरे भड़काना है और दुनिया के सामने सारा का सारा एंगल प्रेम मे हारे हुए प्रेमी की ओर मोड़ दूंगी – सबूत के तौर पर दुनिया देखेगी कि किस तरह एक समय पर बिजनेस मे एकछत्र राज रखने वाले राय दीवान के आगे किस तरह झुक गए और अब वही इतिहास दोबारा दोहराया जा रहा है – लगातार दीवान के शेयर गिर रहे है तो वही राय इंडस्ट्री के शेयर बढ़ रहे है – गज़ब की खोज की है तुमने स्टैला – चलो इस सनसनी की तैयारी मे थोड़ा कूल कूल हो लेती हूँ |’

वह लैपटॉप को स्लीप मोड मे रखकर शावर लेने चली जाती है| अभी कुछ देर वह ठन्डे पानी के नीचे अपने जिस्म को ठंडा कर ही रही थी तभी उसे कुछ आहट हुई तो वह बाथरॉब पहने बाहर आ कर देखने लगी| और अगले ही पल उसकी नज़रो के सामने जो दृश्य था उसे देखते उसके होश ही उड़ गए|

वह अपने एक ऐसे फ़्लैट मे थी जिसकी जानकारी ज्यादा लोगो को नहीं थी फिर भी इस समय उसके अलावा वहां एक अनजान शख्स मौजूद था जो उसके ही लैपटॉप से छेड़छाड़ कर रहा था|

“कौन हो तुम और अंदर कैसे आए – और मेरे लैपटॉप के साथ तुम क्या कर रहे हो |”

वह चीखती हुई उसकी ओर बढ़ ही रही थी कि कमरे के दूसरी ओर से आवाज सुनाई पड़ती है –

“इतने सारे सवाल एकसाथ पूछोगी तो उनके जवाब के लिए कुछ पल रुकना भी तो होगा |” वह आवाज की दिशा की ओर अँधेरे मे देखती है जहाँ लाइटर के घिस की आवाज के साथ एक चिंगारी फूटती है और उस क्षणिक रौशनी मे जो शक्स उसे दिखता है उसकी उसने कल्पना भी नहीं की थी|

“तुम !!”

“अब प्लीज़ फिर वही रिपिटेड सवाल मत पूछना |”

स्टैला घबराकर झट से पास का लैम्प जला लेती है| उस रौशनी मे अब उसके आस पास का नज़ारा और साफ़ हो जाता है| उस वक्त रंजीत और उस अजनबी के अलावा दो तीन लोग और थे जिन्होंने काले रंग के टू पीस सूट पहन रखे थे और उनके हाथो मे पिस्तौल चमक रही थी|

रंजीत सिगरेट का धुँआ फेकता हुआ स्टैला की ओर बिना देखे हुए कहता है –

“तुम कब आए और कैसे आए इस तरह के फालतू के सवाल से मेरा समय  बिलकुल खराब मत करना – बस जो कहूँगा वही करना होगा तुम्हे|”

“क्या चाहिए तुम्हे ?”

“वो तो बिलकुल नहीं चाहिए जो तुम हर किसी को बाँटती फिरती हो फिलहाल जो कह रहा हूँ उसे ध्यान से सुनो – तुम्हारी रिपोर्ट मुझे पसंद नही आई इसलिए मेरा आदमी उसमे थोड़ी फेरबदल कर रहा है – बस उस रिपोर्ट को जस का तस आज रात सुना देना है और तुम्हारा काम खत्म |”

“ओह तो तुम्हे क्या लगता है तुम्हारे इस चमचो को देखकर मैं तुम्हारी बात मान जाउंगी ?”

“पिछली बार तुम देख चुकी हो कि मैं अकेला ही तुम्हारे लिए काफी हूँ और रही बात इनकी तो इन्हें मेरे आस पास रहने की आदत है फ़िलहाल तुम उस बात पर ध्यान दो जो मैंने कही है क्योंकि मुझे ओवर स्मार्ट लोग कतई पसंद नही है|”

स्टैला समझ गई थी कि उस वक़्त वह कुछ नहीं कर सकती थी इससे वह बुरा सा मुंह बनाती हुई अन्यत्र देखने लगी|

“मैं नही चाहता कि जिस जिस्म को तुम सुगंध से नहला कर लाई हो उसे कोई कचरे के पास लावारिस पड़ा हुआ पाए और तुम्हारे नर्म नर्म जिस्म को कुत्ते बुरी तरह से नोचे|”

जिस कड़क लहजे से रंजीत अपनी बात कहता है उसे सुनते अब सचमे स्टैला के चेहरे मे डर दिखाई देने लगा था|

“चलो तुम्हारे स्पेशल शो का टाइम हो गया तो मिलते है स्क्रीन मे आमने सामने |” कहता हुआ रंजीत सिगरेट को उसके सोफे के हैडिल मे बुझाते हुए वहां से निकलने लगता है| स्टैला चुपचाप ये होता हुआ देख रही थी| रंजीत के जाते उसके बॉडीगार्ड और डाटाबेस स्पेलिस्ट व्यक्ति भी साथ मे निकल जाते है और स्टैला दांत पीसती हुई उन्हें जाते देखती हुई वापस अपने ड्रेसिंग रूम की तरफ मुड़ जाती है और अगले ही पल तैयार होती तेजी से लैपटॉप लिए वह अपने फ़्लैट से निकलने लगती है|

बाहर आते उसे दरवाजे पर अपना सिक्योरिटी गार्ड दिखता है जो स्टैला को देखते तुरंत उसे सलाम करता है| पर उसे देखते ही स्टैला गुस्से मे एक भरपूर तमाचा लगाती हुई तुरंत बाहर निकल जाती है और वह अपने गाल पर हाथ रखे हुए अवाक् उसे जाता हुआ देखता रहता है|

***
दिन ढलने के साथ आज उजला का मन भी लगातार डूबता जा रहा था| विवेक तो चला गया पर ढेर तूफान उसके मन मे छोड़ गया| मेनका और विवेक का कैसा रिश्ता है वह समझ चुकी थी पर जो मेनका नही देख पा रही थी वो था विवेक का चालबाज चेहरा !! आखिर कैसे वह उसका सच सबसे कह सकती है ? और क्यों कोई उस पर विश्वास करेगा ? उसका मन हो रहा था काश इस वक़्त अरुण वहां होता तो वह सब कुछ उसे कह देती फिर चाहे उसके बाद स उसे ये घर सदा के लिए छोड़ना पड़े उसे ये मंजूर था पर मेनका के साथ होने वाला ये अनाचार वह कैसे देख सकती थी ?

ये सोच सोच कर उसका मन बेचैन हुआ जा रहा था| कही उसका मन नही लग रहा था| कभी उठकर टहलने लगती तो कभी बैठ जाती|

इसी उलझन मे वह क्षितिज का ध्यान भी नहीं रख पाई| वैसे भी उस फोन कॉल के बाद से भूमि संस्था मे कुछ ज्यादा ही खोजबीन मे व्यस्त हो गई थी| ये बात अगल थी कि उन शातिर लोगो को वह अभी तक पकड़ नही पाई थी|

इधर सबकी नामौजूदगी का फायदा उठाकर क्षितिज अपनी ही मस्ती मे लगा था| वह फाउन्टेन मे पैर डुबाए आइसक्रीम खा रहा था| बडी भी वही उसके आस पास था जो बार बार क्षितिज का पैर अपने मुंह मे दबाए उसे नीचे खींच रहा था| जिसका साफ़ मतलब था कि वह उसे फाउन्टेन के पास से हटाना चाहता था कि एक तरफ क्षितिज भीग रहा था तो दूसरी तरफ आइसक्रीम खा रहा था| बडी जब बहुत देर तब क्षितिज को नहीं उठा पाया तो दौड़ता हुआ मेंशन के अन्दर चला गया और सीधे उजला के पास जाकर उसकी साड़ी का पल्लू खींचकर उसे अपने साथ ले जाने लगा|

उजला पहले तो उसकी इस हरकत नही नहीं समझ पाई तभी काका की आवाज उसे मिली –

“कहाँ हो उजला बिटिया – जल्दी आओ – ये देखो क्षितिज बाबा क्या कर रहे है ?”

ये सुनते उजला तुरंत दौड़ती हुई बाहर की ओर भागी और वाकई क्षितिज की हरकत देखती हुई हैरान रह गई|

“ये क्या कर रहे हो – ऐसे तो तुम्हारी तबियत खराब हो जाएगी|” तुरंत ही उसे फाउन्टेन से हटाती हुई अपनी गोद मे ले लेती है|

“क्यों कर रहे थे ऐसे ?”

“वो देखो आंटी |” कहता हुआ क्षितिज आसमान की ओर इशारा करता हुआ कहता है – “आज ये मून देखकर मेरा मून के साथ आइसक्रीम खाने का मन हो रहा था – मेरी आइसक्रीम और मून दोनों वाईट वाईट है न |” अपने हाथ की आइसक्रीम को दिखाता हुआ क्षितिज कहता है|

उजला भी अब आसमान की ओर देखती है| आज की रात पूनम की थी और चाँद अपने पूरे शबाब मे था पर उजला मे मन मे तो घनघोर अमावस छाया हुआ था| वह उदासी से उस चाँद को कुछ पल तक देखती रही| बडी भी उजला के आस पास घूमता हुआ चक्कर लगाने लगा जैसे उसे उसकी उदासी से बाहर निकालना चाहता हो|

“आंटी आप रो रही हो ?” क्षितिज उजला का चेहरा अपनी नन्ही हथेली के बीच लेता हुआ देखता है| लगातार चाँद को देखने से या मन की गहराई मे उतरने से उजला का मन भर आया था|

उजला जल्दी से अपने मनोभावों को नियंत्रित करती हुई उसे लिए हुए अंदर चल देती है| अब बडी उस हिस्से मे अकेला बैठा उन दोनों को जाते हुए देखता रहा|

कमरे के ले जाकर उजला क्षितिज को सुलाने की कोशिश करती हुई उसके बगल मे बैठी उसका सर हौले हौले सहला रही थी|

“आंटी आप आज इतनी सैड सैड क्यों हो ?”

इसपर उजला हौले से मुस्करा देती है|

“अच्छा जब चाचू मेरे लिए चॉकलेट लाएँगे मैं उनमे से आपको भी दे दूंगा |”

“तो कब आ रहे है तुम्हारे चाचू ?”

“मैंने उनको फोन किया था पर मेरे चाचू भी न फोन उठाते ही नहीं है फिर मैंने दूसरे अंकल को फोन किया तो उन्होंने बताया कि चाचू कल आ जाएँगे – हुर्रे फिर मुझे मेरी पसंद की चॉकलेट भी मिलेगी |”

क्षितिज का मुस्कराता चेहरा सहलाती हुई उजला मन ही मन अपनी उदासी पी जाती है|

“आंटी आज कोई गाना सुनाओ न – |”

“नहीं क्षितिज फिर कभी |”

“प्लीज आंटी |”

क्षितिज की भोली जिद्द अब उजला को माननी पड़ी| उस पल उसके मन मे क्या बीत रही थी ये तो बस उसके मन को खबर थी| उसी उदास आँखों से वह कांच की  बडी सी खिड़की के पार के उजले चाँद को देखती हुई गुनगुनाने लगी –

“….चंदा ओ चंदा… चंदा ओ चंदा
किसने चुराई तेरी मेरी निंदिया
जागे सारी रैना तेरे मेरे नैना..
तेरी और मेरी, एक कहानी
हम दोनो की कदर, किसी ने न जानी
तेरी और मेरी, एक कहानी
हम दोनो की कदर, किसी ने न जानी
साथ ये अन्धेरा, जैसे तेरा वैसे मेरा हो
जागे सारी रैना तेरे मेरे नैना
चंदा ओ चंदा चंदा ओ चंदा
किसने चुराई तेरी मेरी निंदिया
जागे सारी रैना तेरे मेरे नैना

…..|”

क्षितिज कबका सो चुका था पर उजला गुनगुनाती हुई भरी आँखों से अभी भी उस चाँद को अपनी उदास आँखों से देख रही थी जबकि दूसरी ओर आज अरुण का मन भी बेचैन हुआ जा रहा था| उसकी आँखों मे भी नींद नहीं थी| वह सीने मे हाथ बांधे जाने कब से आसमान की ओर उस चाँद को निहार रहा था|

क्रमशः…..

28 thoughts on “बेइंतहा सफ़र इश्क का – 125

    1. Ye ujla Arun ko phone krke kyu nhi bta deti sab kuch bad m Jo hoga vo dekha jayega ye sochkar sab bta de
      Mem hme bhi nhi dekhi ja rhi ujla ki ye becheni ar kitna रुलाओगे ujla ko

  1. mam please aap bhumi or ranjit ki love story bhi dikha dijiye or (aakash or vivek ki sister ki bhi love story)
    aap story ye dikha dijiye ki aakash vivek ki sister se pyar karta hai or unki shadi bhi dikha dijiye please mam

    1. जरुर कहानी मे सबके बारे मे पता चलेगा….इसलिए इस लम्बी यात्रा के सहयात्री बने रहे.

    2. Shayad archna Ji ne sharu mein jab vivek ka zikar aaya tha… Tab bataya tha ki uski bahan married hai(mujhe aisa yaad aa raha hai

      1. उसकी बहन की पूरी कहानी भी आगे जाकर बताउंगी…

        1. Jarur aakash ne hi vivek ki bahan ki esi halat ki h ….tabhi vo aakash ko bahan ko dhokha de rha h

  2. Bahut hi badhiya….Maja aagya…Arun ka to jawab hi nhi…..
    Bt ab ye dekhna h ki Ujala ki sacchai kese samne aati h….or menka Vivek k jaal me fasti h ya Bach jati h

  3. मन को छू जाने वाली प्यारी सी प्रेमकहानी।आज के युग में कहाँ मिलता है ऐसा प्रेम

  4. मन को छू जाने वाली प्यारी सी प्रेमकहानी।आज के युग में कहाँ मिलता है ऐसा प्रेम

  5. Bahut sunder part!!!
    Badi ki क्षितिज को ले कर फिक्र
    क्षितिज का अपने बालपन में जीना
    अरुण का समस्या का हल निकाल लेना
    बृज जी का अरुण पर विश्वाश और समझदारी का लोहा मानना
    उजला की उलझन
    रंजीत का स्टेला को उसकी असली जगह दिखाना
    👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻☺☺☺☺☺☺☺☺😘😘😘😘😘😘
    Sab kuch badiya tha

  6. Bahut sunder part!!!
    Badi ki क्षितिज को ले कर फिक्र
    क्षितिज का अपने बालपन में जीना
    अरुण का समस्या का हल निकाल लेना
    बृज जी का अरुण पर विश्वाश और समझदारी का लोहा मानना
    उजला की उलझन
    रंजीत का स्टेला को उसकी असली जगह दिखाना
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    Sab kuch badiya tha

  7. Arun ke dimag gajab ka tej h👌👌👌kiran ka koi sath dene wala b nhi h….or arun uska sach jankar uska sath hi dega…..lekin uska darr us pr havi h…….stella ko ab sava sher mila h

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