Kahanikacarvan

बेइंतहा सफ़र इश्क का – 126

एक रात और ढेरो मनो मे अलग अलग उलझन !! जहाँ अरुण के हिसाब से सब कुछ ठीक हो गया था फिर भी उसे समझ नही आ रहा था कि आज उसका मन इतना बेचैन क्यों हुआ जा रहा है ? वह लॉन मे टहलता हुआ बार बार सूने आसमान के तनहा चाँद को देख लेता और एह गहरा उच्छ्वास छोड़ लेता|

वही उजला क्षितिज को सुलाने के बाद फिर से बाहर लॉन तक आ गई जहाँ उस अकेली रात का तनहा चाँद जैसे उसकी की राह देख रहा था| उस वक़्त उसका साथ देने बडी भी वही मौजूद था| वह उसके आस पास घूमता कभी उसके पैरो को छूता हुआ बगल से निकल जाता तो कभी बैठा उसे इधर उधर टहलते हुए गर्दन घुमाते हुए देखता रहता फिर वह ऊपर आसमान की ओर गर्दन उठाए यूँ कू कू करने लगता जैसे अपनी ही भाषा मे कुछ कह रहा हो पर उजला का ध्यान उसपर बिलकुल नही था| वह कोने की बैंच पर घुटनों पर सर रखे देर तक वही बैठी रही| अब बडी एक छलांग मे बैंच पर उसके बगल पर बैठ गया जैसे उसकी तन्हाई मे उसका साथ दे रहा हो|

भूमि देर रात वापस आई तो इतनी थकी थी कि जब तक क्षितिज के पास पहुंची वह गहरी नींद मे सो गया था| उसे एक नज़र देख कर वह अपने कमरे मे चली जाती है|

इधर रंजीत ने न्यूज मे जो चेंजेस किए थे उसके हिसाब से उसका नाम पूरी तरह से गायब था दीवान परिवार के गिरते ग्राफ पर पूरी रिपोर्ट थी| ये देखते स्टैला बुरी तरह बिफरी हुई रिपोर्ट को घूरती हुई बुदबुदाती है – ‘तुम क्या सोचते हो तुम डिलीट करके पूरी रिपोर्ट बदल सकते हो – ये मैं हूँ स्टैला – सब मेरे दिमाग मे रहता है – अब देखना तुम आमने सामने स्क्रीन मे बैठ कर – मैं पूरी रिपोर्ट जस की तस अपनी तरह से ही रखूंगी |’

गुस्से मे दांत भींचती हुई वह न्यूज रूम की तरफ चल देती है और दस बजने से कुछ मिनट पहले मेकअप आर्टिस्ट उसके चेहरे पर टचअप करता हुआ जैसे ही हटता है स्टैला टेक्नीशियन को संकेत करती है और अपने बॉडी मे लगे माइक्रोकॉलरफोन को चेक करती हुई अपने स्थान की ओर बढ़ जाती है|

हेडलाइन के बाद से वह अपनी स्लाइड प्रेजेन्ट करती हुई रिपोर्ट पढ़ने लगती है कि दो बिजनेसमैन की लड़ाई कैसे किसी का बिछड़ा हुआ जूनून है| वह भूमि और रंजीत की पुरानी तस्वीर भी स्क्रीन मे दिखाने लगती है|

इसी वक़्त समंदर के पास अपना अगला कन्साइन्मेन्ट लेता हुआ रंजीत इस न्यूज को लाइव देख रहा था| मोबाईल की स्क्रीन को देखते देखते उसकी ऑंखें क्रोध से यूँ जल उठी मानो पल मे सारे जहाँ को जलाकर राख कर देगी|

सेल्विन कुछ और आदमियों के साथ समंदर के किनारे खड़ा था और शराब की पेटियां लगातार बोट से लेकर वे सभी आदमी एक ट्रक मे रखते जा रहे थे जिन्हें अभी कुछ देर मे वे शहर के स्टोर मे पहुंचा देते फिर वह अवैध शराब सारे गुजरात मे अवैध रूप से सभी के लिए उपलब्ध हो जाती|

रंजीत उनसे कुछ दूर एक खुली जीप मे था और बेहद तने हुए हाव भाव से स्क्रीन को देख रहा था| उसे कतई उम्मीद नहीं थी कि इतना सब होने पर भी स्टैला उसकी बात मानने से इनकार कर देगी और जिस रिपोर्ट को उसने डिलीट करवा दिया था उसे ही वह ऑनस्क्रीन कर देगी| क्रोध मे उसके जबड़े की मासपेशियां तन गई और वह तुरंत उठकर समुन्द्र के तट के उस हिस्से तक पहुँच गया जहाँ शराब अब ट्रक मे लोड हो चुकी थी और सेल्विन बोट को वापस जाने का संकेत करके ट्रक के ड्राईवर को खड़ा कुछ समझा रहा था|   

रंजीत तेज कदमो से सीधे वहां आता ट्रक के पीछे के हिस्से की ओर खड़ा था जब तक सेल्विन और बाक़ी के लोग मामला समझते रंजीत एक पेटी को उठाकर उस ट्रक पर तेजी से दे मारता है और पल मे जलते हुए लाइटर को उस ओर फेक देता है| टूटी हुई शराब की बोतल से वह आग कुछ सेकेंड मे ही एक आग के गोले का रूप ले लेती है|  

बाकी सभी हैरान इस दृश्य को देखते रह गए| ट्रक तेजी से जल रहा था और सभी उस जलते अंगारे को ऑंखें फाड़े देखते रह गए| वह आग का गोला दूर से ही अब सबकी नज़र मे आ गया था जिससे उस स्थान से दूर खड़े लोग तेजी से उस ओर भागते हुए आने लगते है| लोगो को उस ओर आते देख सेल्विन बाकी सभी को जाने का इशारा करते रंजीत कि ओर भागता हुआ आता है| वह अभी भी आक्रोश मे उस जलते अंगारे को घूरता हुआ खड़ा था| वह रंजीत को अपने साथ लिए तुरंत वहां से निकलने लगता है|

वह वहां से निकलते हुए कभी रंजीत की क्रोध मे जलती हुई नज़रो को देखता है तो कभी उन जलते हुए ट्रक को जी इस वक़्त जलते हुए अंगारे मे तब्दील हो चुका था| जीप सेल्विन ड्राइव कर रहा था और रंजीत उसकी बगल कि सीट पर बैठा था| सेल्विन अभी तक समझ नही पाया कि आखिर रंजीत ने ऐसा क्यों किया ? क्यों उसने अपना खुद का इतना बड़ा नुक्सान कर डाला ? वह चाहकर भी उससे पूछने की हिम्मत नही कर सका|

तभी उसकी निगाह रंजीत के हाथ मे पकडे मोबाईल की स्क्रीन की ओर जाती है| जहाँ रात दस बजे की न्यूज को बंद करे इस अग्निकांड की लाइव फुटेज दिखाई जा रही थी| अब हेडलाइन मे उस जलते हुए अनजान ट्रक का जिक्र था तो उनमे लोडेड शराब की बोतलों का भी और सबसे अनसुलझा सवाल कि किसने शराब से भरे ट्रक मे आग लगा दी ??

***

ये रात जो मेनका के लिए सपनो की रात थी तो वही विवेक उस अँधेरे कमरे करे फर्श पर बैठा अपनी ही परछाई को घूर रहा था जैसे खुद को ही पहचनाने कि कोशिश कर रहा हो| उसके हाव भाव पूरी तरह से सपाट बने हुए थे| उसने अभी कुछ पहले ही अपनी बहन को किसी तरह से खाना खिलाकर शांत करके बिस्तर पर सुलाया था और खुद उसके पैताने बैठा शून्य मे ताकता रहा|

***
स्टैला बुरी तरह से स्क्रीन को घूर रही थी क्योंकि उसकी चलाई न्यूज छोड़कर एडिटर लाइव अग्निकांड की न्यूज को ऑनएयर किया हुआ था|

“स्टैला इस तरह मुंह लटकाने से क्या होगा – तुम अपनी न्यूज कल भी दिखा सकती हो और ये बिजनेसमैन लोगो की लड़ाई कोई एक मिनट मे खत्म नहीं होती – कल नए क्लू के साथ पेश करना |”

“ठीक है अपने फ़ार्म हाउस की चाभी दो |” एडिटर को हलकी नज़र से देखती हुई स्टैला कहती है – “लाओ – |”

“क्यों ?”

“मेरा तुम्हारे संग कोई रंगरेलियां मनाने का कोई प्रोग्राम नहीं है –  बस आज रात अपने फ़्लैट मे नही जाना |”

“स्टैला तुम्हारे पास अपने कम फ़्लैट है क्या – किसी दूसरे मे चली जाओ – तुम्हे पता है तुम्हारे वहां जाने से मेरी पत्नी को पता चल ही जाता है और फिर कोई प्रोबलम मेरे लिए खड़ी हो जाएगी |”

“ओह स्टैला संग जब निजी वक़्त बिताना था तक तो चाभी हाथ मे ही रहती थी और आज वजह पूछी जा रही है – सुनो एडिटर ये बात तुम कभी नहीं भूलना कि तुम भी मेरी मुट्ठी मे हो और जो चाहूंगी तुम वो करोगे समझे |”

एडिटर तने हुए हाव भाव मे उसे देखता हुआ पॉकेट से चाभी निकालकर उसे देता है और वह चाभी हवा मे उछालती हुई लिए वहां से निकल जाती है|

स्टैला अपनी पार्किंग एरिया मे अपनी कार का की लॉक खोलती हुई जैसे ही बैठती है उसी के साथ उसके बगल का दरवाजा भी बंद हो जाता है| वहां क्या हुआ इसके साथ समझती उससे पहले ही उसकी गर्दन पर रंजीत का हाथ कसने लगा और वह फटी हुई आँखों से उसे देखती रह गई|

“मैंने मना किया था न कि मुझे ओवर स्मार्ट लोग कतई नही पसंद – अब तुम्हारा जो होगा उसकी जिम्मेदार तुम खुद होगी – क्योनी तुम्हारी वजह से मुझे अपना इतना बड़ा नुक्सान करना पड़ा ताकि तुम्हारी लाइव न्यूज को मैं रोक सकू लेकिन अब मेरी समझ मे आ रहा है कि मुझे न्यूज को नहीं बल्कि तुम्हे रोकना पड़ेगा|”

रंजीत का हाथ उसकी गर्दन पर कसता रहा और वह घुंटी हुई आवाज मे बेबसी से उसे देखती रही|

क्या होने को है आगे ? कुछ बुरा होगा स्टैला के साथ ? क्या करना चाहता  है रंजीत ? बस अगला पार्ट जल्दी ही और आप सभी यूँही प्यारे प्यारे कमेन्ट करते रहे| 

…….अभी तक का सबसे ज्वलंत कमेन्ट..विवेक की बहन की कहानी आकाश से किस तरह से जुडी है और रंजीत और भूमि का रिश्ता आगे क्या मोड़ लेगा और रंजीत कब भूमि की शादी का सच जानेगी तो बेफिक्र रहे जैसे समय पर रंजीत के इतिहास से आप रुबरुह हुए आगे भी शेष किरदारों के बारे मे पता चलेगा…..बस इस लम्बी यात्रा के सहयात्री बने रहे और कमेन्ट करते मुझे प्रोत्साहित रखे….और अगर आप चाहते है कि आपकी पसंद की कहानी आपके मित्र भी पढ़े तो आप अपने मित्रो से जरुर शेयर करे…..

क्रमशः…..

25 thoughts on “बेइंतहा सफ़र इश्क का – 126

  1. Dhamakedar part
    Stella ki akal ab sahi hogi ranjeet sahi karega usko he is so much minded apna hi truck jala Diya uski news ko offair karane ke liye

  2. Shi kha mem aapne yhi sab savalo ke sath ye bhi sabal h ki selvin ka past ky h ky uske sath bhi koi anhoni Hui h ye divan paribar ki bjh se

  3. Mazedaar part.. ranjeet ne kya dimaag lagaya .. report ko band karwane ke liye.
    Ab stella ko Mila koi takkar wala.. par ab stella ka kya hoga..
    Akaash ne jarur Vivek ki behn ke saath galat Kiya hoga jis ke karan Vivek badla le rha hai..
    Par phir bhi Vivek bhi to wahi kar rha hai.. menka ke saath galat.. phir akash me aur Vivek me kya antar reh gya..😳🥺

  4. mam ye part aacha hai ranjit ek bhut hi samajhdar insan hai

    Mam please aap bhumi or ranjit ki love story bhi dikha dijiye or (aakash or vivek ki sister ki bhi love story) aap story me ye dikha dijiye ki aakash vivek ki sister se pyar karta hai or unki shadi bhi dikha dijiye to phir sab ki love story puri ho jayegi (bhumi or ranjit) or aakash or vivek ki sister)

  5. काफी समय बाद पढ़ने को मिली मज़ा आ गया अर्चना जी एस्प बहुत ही अच्छा लिखती है बेइंतहा पढ़ने को नही मिल रही थी सो बेचैनी हो रही थी आपका बहुत धन्यवाद 👌👌👌

  6. Ranjit bahut intelligent h…usne breaking news hi badal di…..ab stella ka kya hoga…..or vivek ki bahan ke sath galat hua h but vo b menka ke sath galat kr rha h

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