Kahanikacarvan

बेइंतहा सफ़र इश्क का – 127

वो जगह न्यूज का पार्किंग एरिया था जहाँ स्टैला आई तो अपनी कार लेने थी पर उस वक़्त रंजीत के पंजो मे दबी बुरी तरह से फडफडा रही थी| रंजीत चाहता तो था कि अपने पंजे के बंधन को पल मे कस दे लेकिन उस वक़्त अपना दवाब बनाए हुए वह स्टैला के चहरे के पास आता हुआ कहता है –

“इससे समझ तो आ गया होगा न कि तुम दुनिया के किसी भी कोने मे चली जाओ पर मेरी पकड़ से तुम नहीं बच सकती – मन तो कर रहा है इसी वक़्त तुम्हारी गर्दन मरोड़ कर रख दूँ पर तुमने जो किया है उसे समेटने का एक आखिरी मौका तो देना बनता है |”

स्टैला की आंखे फ़ैल कर चौड़ी गई थी, उसकी सांसे जैसे हलक मे अटकी रह गई ,इस दर्द और तड़प से वह पैर पटक रही थी और अपने दोनों हाथों से रंजीत का बंधन खोलने की बेवजह की कोशिश कर रही थी|

“जो तुमने जुर्रत की है उसकी क्या सजा दूँ – तुम्हारे जिस्म मे जलता हुआ तेल डलवा दूँ या तुम्हारे शरीर पर जहरीली चींटियों और बिच्छु को छोड़ दूँ या किसी चूहों वाले बॉक्स मे बंद कर दूँ तुम्हे – समझ नही आ रहा क्या सजा दूँ |”

रंजीत की पकड़ मे अभी तक स्टैला की गरदन थी और वह बुरी तरह से तड़प रही जैसे बस अब हलक मे उसकी जान अटकी रह गई हो| गुस्से मे रंजीत की ऑंखें अंगार हो उठी थी| गुस्से मे उसके जबड़ो मे कसाव आ गया था|

“मेरे मना करने के बावजूद तुमने वो रिपोर्ट अपनी तरह से ऑनएयर किया लेकिन अब तुम उसे वापस लेकर छुट्टी पर जाओगी – अब से दुबारा तुम मुझे नज़र आई तो तुम्हारा ऐसा हश्र करूँगा कि अपने चेहरे को भी देखने की हिम्मत नही कर पाओगी |”

बेहद आक्रोश से वह उसे पीछे की ओर धकेलता हुआ कार से उतर जाता है| कार के बाहर उसे घेरे हुए उसके बॉडीगार्ड और सेल्विन खड़ा था जो रंजीत के वहां से बाहर निकलते उसके पीछे पीछे चल देते है| अपनी कार मे ही बंद स्टैला अभी तक खुद को सँभालने की कोशिश करती तेज तेज सांस ले रही थी| अभी तक जो उसके साथ हुआ वो उसके लिए किसी डरवाने अनुभव से कम नही था|

रंजीत के जाते वह जब कुछ देर खुद को संभाल लेती है तो झट से कार से उतरकर ऑफिस की ओर भागती है| एडिटर अपने चैबर मे बैठा था तभी स्टैला हड़बड़ाती हुई उसके सामने खड़ी हुई कह रही थी –

“वो जानवर है पूरा – मुझे मार देगा – मैं मरना नही चाहती लेकिन मेरी जान खतरे मे है |”

एकदम से स्टैला के आते एडिटर जब तक बात समझता उससे पहले स्टैला उसके पास आती उसके गिरेबान को पकड़ती हुई चीख रही थी – “तुम सुन रहे हो मेरी बात – वो यहाँ तक आ पहुंचा – कैसे आया – बिना कोड स्कैन किए कोई मिडिया हाउस मे कदम नहीं रख सकता और वो पार्किंग तक आ गया -|”

“ये क्या पागलपन है – छोड़ो मुझे |” झटके से खुद को छुडाते हुए एडिटर भी उसी तरह चीखा – “किसकी बात कर रही हो – कौन आ गया ?”

“रंजीत कुमार |” दहशत से भरी हुई स्टैला उसका नाम लेते अपने आस पास यूँ देखने लगती जैसे उसका नाम लेने भर से वह वहां आ जाएगा|

“रंजीत राय की बात कर रही हो ? वो कहाँ मिले तुम्हे ?”

“वो राक्षस है और कही भी किसी वक़्त आ जाता है |” दांत पीसती हुई वह बोलती है|

“तुम तो फार्म हाउस जा रही थी फिर वापस क्यों आई ?”

“मुझे अब ऐसी जगह जाना होगा जहाँ वो मुझे ढूंढ न पाए पर ऐसी कौन सी जगह होगी ?” घबराई हुई स्टैला खुद से ही बोलती रही – “लेकिन अब मुझे कही तो जाना होगा – वह अगली बार मुझे बिलकुल नही छोड़ेगा – इसके लिए मुझे बहुत सारे रुपयों की जरुरत होगी – जो तुम और आकाश दीवान मुझे दोगे |”

स्टैला को इस तरह खुद से बोलते देख एडिटर गुस्से से उसे देखता रहा|

***
जो रात कितनो के लिए दर्द तो कही दहशत से गुजर गई वही रात मेनका के लिए सपनो कि थी जिसे मन ही मन बुनती वह अपनी सपनीली दुनिया मे खो गई थी| सुबह एक कॉल से ही उसकी नींद टूटी|

वह बिना आंख खोले मोबाईल को ऑन करती पूछती है –

“कौन ?”

“तुम्हारा सपना – आँख खोलकर मुझे हकीकत बना लो |”

एकदम से आवाज सुनते वह बिस्तर मे उठकर बैठ गई|

“विवेक !! तुम्हे कैसे  पता कि मैं तुम्हारा ही सपना देख रही थी|” वह भोली सी आवाज मे पूछती है|

“क्योंकि वही सपना मैं भी देख रहा हूँ जिसे आज मैं हकीकत का जामा बना लेना चाहता हूँ |”

“और वो कैसे ?”

“बस तुरंत मेरे पास आ जाओ – वही जहाँ हम हमेशा मिलते है |”

“लेकिन सुबह सुबह !”

“हाँ क्योंकि सुबह का सपना सच होता है न – मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ – बस तुम आ जाओ |”

इससे पहले कि मेनका और कुछ कहती विवेक बाय कहकर कॉल डिस्कनेक्ट कर देता है|

विवेक क्या सोच रहा था मेनका नही जानती थी पर मेनका की ये हालत थी कि वह इस समय विवेक के प्रेम मे इस तरह ग्रस्त थी कि उसके सिवा कुछ सोच ही नहीं पा रही थी| वह मुस्कराती हुई बिस्तर छोड़कर तैयार होने चल देती है|

***
मिस्टर ब्रिज और अरुण साथ मे थे और फैक्ट्री पर कुछ डिस्कस कर रहे थे| अरुण सारी टेक्नीकल चीजे क्लियर करने के बाद कहता है –

“अब यहाँ सब कुछ ठीक हो गया है तो मैं सोचता हूँ कि मुझे वापस निकल जाना चाहिए |”

“हाँ वैसे तो सब क्लियर हो गया है|”

अभी वे बात कर ही रहे थे कि तभी लोकल मैनेजर उनके पास आता हुआ कहता है –

“सर कुछ मजदूर आए है आपसे मिलने |”

अरुण और मिस्टर ब्रिज अब साथ मे उसे देखते है|

ब्रिज उससे पूछते है – “क्यों ? फैक्ट्री को स्टार्ट करने का नोटिस जारी कर दिया गया है न !”

“जी सर – उसी बात से मजदूर बहुत खुश है कि उनकी समस्या हल हो गई है और आज से फैक्ट्री भी शुरू हो रही है इसलिए वे चाहते थे कि अगर आपकी परमिशन हो तो वे वहां रामचरितमानस का पाठ करा कर काम स्टार्ट कर सकते है !!”

इस बात पर अब मेनेजर के साथ ब्रिज भी अरुण का चेहरा देखने लगते है कि वह क्या कहेगा ?

“ठीक है करा सकते है पर उसने कहो कि एक शर्त है मेरी |”

“जी सर !!”

“मेरी शर्त है कि उसमे शामिल होने की वे मुझे भी परमिशन दे !” अरुण अपनी सजह मुस्कान के साथ कहता है तो ब्रिज के साथ साथ मेनेजर हैरानगी से उसे देखने लगते है|

“अरे ऐसे ही खड़े रहोगे या जाकर उनसे पूछोगे भी !”

“जी जी सर !!” मेनेजर होश मे आते तुरंत बाहर की ओर भागता|

उसे इस तरह जाते देख ब्रिज मुस्कराते हुए अरुण से कहते है – “जो हैरानगी तुम इस मेनेजर के चेहरे मे देख रहे हो उससे ज्यादा उन मजदूरो के चेहरे मे होगी – तुम बिलकुल अलग हो अरुण – सच मे तुम इनके राम ही हो |”

ब्रिज स्नेह से अब अरुण को देखने लगे थे|

वह कह रहा था – “मैं अब रात मे सूरत के लिए निकल जाऊंगा – आप इसका प्रबंध कर ले |”

….अगले पार्ट मे है कुछ नए धमाके तो बस कल तक का करे इंतज़ार…

..क्रमशः……

17 thoughts on “बेइंतहा सफ़र इश्क का – 127

  1. Bahut Badhiya Part.
    Stela Ab Kya Karegi? Aur Ranjit Kya Karega? Ye Jaane Ko Dil Bahut Tadap Raha Hai.
    Jaldi Hi Agla Part Aa Jaye To Maza Aa Jayega..

  2. Maza aa gya Stella ke saath sahi kiya ranjeet ne usko toh finish ku nhi kiya tension hi finished
    Arun ne bhi sab sahi kar Diya hai
    Ab menka ke saath dekhna hai kya hota hai

  3. Ab ye stela ky kregi ye to ab bhi Ranjit ki bat manne ko taiyar nhi h ise kyu choda Ranjit ne mar Dena chiye to tha

  4. छोटा पर मज़ा आ गया ये मेनका तो पूरी तरह विवेक के चंगुल में आ गयी है पर मुझे लगता है उजला (किरण) रोक लेगी बेस्ट है पॉर्ट

  5. Mazedaar part.. ab stella kya karegi.. vo to chipne ja rhi hai matlab k ranjeet ki baat nhi maanegi to ranjeet kya hashr karega uska?? Menka ka kya hoga.. ab to bilkul bhi wait nhi hota..🤗🤗

  6. Very interesting part tha ye to…Stella ki to bolti hi bnd ho gyi….ab fectry walo ki bolti bnd hogi jb Arun ko dekhenge….Maja aayga …..bs menka k liy bura lg rha h

  7. Waiting for next part 🥰🥰🥰🥰🥰🥰👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏💐

  8. …… tension me hu..ab aage kya hoga …. Ujla aur arun ki tension kya kam thi jo menka ki bhi de di …. Waiting for next part

  9. Stella ke sath bahut achcha kiya ranjit ne…….Arun ne factory ki problm bahut samjhdari se solve ki h

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