बेइंतहा सफ़र इश्क का – 132
सुबह से जो उनका मूड थोड़ा अपसेट था वो क्षितिज के संग समय बिताते अब खिल उठा था| भूमि को भी क्षितिज को अपने दादू संग समय बिताते देख अच्छा लग रहा था| उस वक़्त डाइनिंग टेबल ही उनका खेल का स्थान बन गया| दीवान साहब अपनी बंद मुट्ठी को इस तरह घुमाते दिखाते कि कभी उसमे से अंगूर निकलता तो कभी किशमिश जिसे वे बहलाते हुए क्षितिज के मुंह मे रख देते| भूमि फिर चुपके से दीवान साहब की दूसरी हथेली मे अंगूर और किशमिश रख देती| कुछ देर तक यूँही खेल चलता रहा और वह नन्हा क्षितिज बारिश की नन्ही नन्ही बूंदों की तरह खिलखिलाता रहा|
तभी दीवान साहब भूमि को पुकारते हुए पूछते है – “ये मेनका कहाँ है बहु – तब से नज़र नहीं आई|”
उस वक़्त सवाल के इंतजार मे वे भूमि की तरफ देखते है तो भूमि बाहर से भाग कर उनकी तरफ आते नौकर की ओर देखती हुई पूछ रही थी –
“क्या बात है जिगना – कहाँ से भागे आ रहे हो इस तरह ?”
जिगना जो दृश्य बाहर देखकर आया था उससे वह बुरी तरह से हकबकाया हुआ था|
“व वो – बाहर ..!!”
तभी सबकी नज़र एकसाथ उस दरवाजे की ओर जाती है जिससे मेनका विवेक के साथ अंदर प्रवेश कर रही थी| जहाँ विवेक की नज़र सीधे डाइनिंग टेबल पर बैठे दीवान साहब पर ठहर गई वही बाकी की नज़रे कभी मेनका और विवेक के गले मे पड़े हार को देखती तो कभी उनके आपस मे बिंधे हुए हाथो को !
तब से शांत पड़े माहौल मे एकदम से खलबली सी मच गई| दीवान साहब की नज़रे जो देख रही थी सभी उस तरफ देखने लगे थे| मेनका और विवेक उनकी नजरो के ठीक सामने खड़े थे| मेनका सहमी सी लगातार फर्श की ओर देख रही थी| वह बुरी तरह से पसीने से तर बतर थी| भूमि को तो मानो सांप सूंघ गया| उस पल जो हो रहा था वो उसकी समझ से परे था| इन सबके बीच क्षितिज मौन नाक खुजाता सब देख रहा था|
दीवान साहब उन्हें अपनी अग्निय नेत्रों से घूरते गुस्से मे खड़े होते चीख पड़े –
“मेनका – ये सब क्या है ?”
विवेक मेनका की बांह पकड़े उसे आगे लाता हुआ कहता है – “जो आप देख रहे है वो सच है – हमने शादी कर ली है |”
“तुम हो कौन ? मैं तुमसे नही अपनी बेटी से पूछ रहा हूँ |”
मेनका अभी भी सर झुकाए थी| मेनका की ख़ामोशी पर विवेक सीना ताने कहता है – “मैं आपको फिर से बताता हूँ – हम अब पति पत्नी है और ये है हमारी लीगल शादी के पेपर्स |” कहते हुए वह कुछ पेपर्स उनकी नजरो के सामने लहराते हुए वही मेज पर छोड़ देता है – “हम बालिग है और अपनी मर्जी से शादी करने की परमिशन हमे कानून देता है – हम तो साथ मे बस आपका आशीर्वाद लेने आए थे |” कहते हुए वह मेनका का हाथ छोड़ कर उसके कंधो पर अपनी बांह फैलाते हुए तीखी दृष्टि से उनकी तरफ देखता है|
विवेक की बात सुनकर दीवान साहब के मुंह से गुस्से मे झाग निकलने लगता है| वे मेनका की तरफ बढ़ते हुए फिर से चीखते है –
“तू चुप क्यों है – बोलती क्यों नहीं – ये सब क्या है ?”
मेनका के मन ही हालत तो बस उसे ही पता थी| उस पल उसका दिमाग जैसे शून्य मे चला गया| वहां जो हो रहा था उसका वह अंदाजा भी नही लगा पा रही थी| अपने पिता से हमेशा डरने वाली मेनका कुछ कहने का हौसला भी नहीं कर पाई| वह मुर्छित होती लड़खड़ा जाती है तो विवेक उसके अपनी बाहों मे समेटे सहारा देता हुआ कहता है –
“आप मेरी पत्नी को इस तरह धमका नही सकते – अगर आशीर्वाद नही देना है तो कोई बात नही – हम चले जाते है |”
कहते हुए विवेक मेनका को कसकर थामे उसे अपने साथ वापस ले जाने लगता है| ये देखते दीवान साहब को बेहद धक्का लगता है और वह अपने होश खोते लहराते हुए जमीन पर गिर पड़ते है| उन्हें इस तरह गिरते देख भूमि तेजी से उनकी ओर बढ़ती उन्हें सँभालने की कोशिश करती है पर तब तक वे जमीन पर गिर चुके थे| उनकी गर्दन एक ओर को लुढ़क गई थी| ये दृश्य देखते भूमि के हलक से एक चीत्कार उभर गई जिसे सुनते मेंशन के सारे नौकर उनकी तरफ तेजी से भागते है|
अचानक से माहौल मे इस तरह हलचल मच गई कि सभी के सभी दीवान साहब की ओर भागे चले आ रहे थे| भूमि बिलखती हुई उनकी हथेली मलती हुई बिसूरती जा रही थी तो वही बाकी के उन्हें उठाकर सही से लेटा रहे थे|
मेनका के बाहर निकलते अंदर क्या हुआ उसका मेनका को अपनी बेहोशी मे पता भी नही चला| उसके होश इस कदर डूबे हुए थे कि वह कुछ रियक्ट ही नहीं कर रही थी और इसी बात का फायदा उठाता विवेक उसे अपने साथ लिए जा रहा था| वह मेनका के ढलके शरीर को पूरी तरह से अपनी पकड़ मे रखे उसे बाहर तक ले आया|
विवेक ने कार वही छोड़ दी और मेनका के साथ वह पैदल ही मुख्य गेट की ओर बढ़ रहा था| बाहर आते उसने ऑटो के लिए सड़क पर देखना शुरू कर दिया| वह इस वक़्त जिस तरह से सुनियोजित तरीके से सब कुछ भी कर रहा था जैसे सब कुछ उसने पहले ही तय कर लिया हो| वह इस खबर का असर ज्यादा से ज्यादा बनाना चाहता था| उसने कोर्ट के बाहर भी अपनी और मेनका की तस्वीर साथ मे खिचवाई जो किसी पत्रकार द्वारा ली गई थी| उसे पता था ये तो चिंगारी है जिसे उसे बस हवा देना है और ये अपने आप ही बड़ी आग मे तब्दील हो जाएगी|
मेंशन के सारे नौकर चाकर और सिक्योरिटी दीवान साहब के पास पहुँच गए थे जहाँ तूफान सा मचा था पर एक हलचल मुख्य गेट के बाहर भी थी जहाँ केकड़ा भाई अपने गुंडों के साथ एक बंद कार के शीशे से वहां का सारा जायजा ले रहा था|
लेकिन तब से बिना एक्शन मोड के केकड़ा भाई बैठे देखते जब एक गुंडा ऊब गया तो वह उससे पूछने लगा –
“केकड़ा भाई कोई तो काम करने को बोलो – तब से आप इसी तरह चुपचाप बैठो हो और कल रात भी वहां दारु के अड्डे पर इसकी बात सुनने बैठे रहे – आप बोलो तो एक बार – इस साले को ठोक डालते है |”
“अबे डीजल से नहा कर आया है क्या जो तब से सुलगा जा रहा है – केकड़ा भाई के कई हाथ ही नहीं कई दिमाग भी है – इस बार बड़ी तकड़ी वाली डील हाथ लगी है|”
बाकी के गुंडे चुपचाप उसे सुन रहे थे और वह कहता जा रहा था – “उस सेल्विन के बच्चे से मेरा जीना दूभर कर रखा है इसलिए मैंने उसे मात देने उसकी कमजोरी का पता करने की सोची और इस तरह कल रात अड्डे मे सेल्विन का पीछा करते इसके दोस्त की बातचीत भी सुन ली – और तभी से मुझे समझ आ गया कि ये अपने बॉस के साथ भी डबल गेम खेल रहा – उसे भी सारी बात नही बताता तो बस मैंने उस बड़े बॉस से संपर्क किया और सब बता दिया – तो अपन को पैसा भी मिला और इसका पीछा करने का काम भी – इससे अपना दोनों काम हो जाएगा – उस सेल्विन से छुटकारा भी और उस बड़े बॉस की शरण भी – |”
“तो उस बड़े बोस ने क्या बस अपन लोगो को ऐसे ताकने को बोला है |”
“हाँ तो बॉस की माननी पड़ेगी न – |”
तभी एक गुंडा केकड़ा का ध्यान दिलाते हुए जल्दी से कहता – “भाई देखो ये तो वही है ?”
दीवान मेंशन मे जब ये सारा हंगामा मचा तब उजला मेनका के कमरे तक गई थी और जब तक वह वापस बाहर को आई तब तक वहां सारा कांड हो चुका था| मेनका को लेकर विवेक बाहर निकल गया था और दीवान साहब को बाकी सब लोग संभाल रहे थे| उस वक़्त उजला को बस यही समझ आया कि वह किसी तरह से मेनका को उसके साथ जाने से रोक ले इससे वह तेजी से बाहर की ओर भागी|
विवेक लम्बे लम्बे डग भरता हुआ मेनका को लिए बाहर किसी टैक्सी के आने का कुछ देर वेट करता है और जैसे ही उजला वहां पहुंची वैसे ही टैक्सी मे मेनका को लिए विवेक जाने लगा| ये देखते उजला मेनका को आवाज लगाती हुई मुख्य गेट से बाहर निकलती है| और ठीक यही वक़्त था जब केकड़ा के एक गुंडे की नज़र उसपर पड़ गई|
केकड़ा भी उसी ओर ध्यान से देखता हुआ कहता है – “ये तो वहीच छोकरी है जो उस दिन उस श्याने के साथ थी – आज तो अपन इसको नहीं छोड़ने वाला – इस छोकरी का आज ऐसा काम तमाम करेगे कि वो श्याना भी याद रखेगा कि किस केकड़ा भाई से पंगा लिया था|”
“तो क्या करना है भाई ?”
“चल तू गाड़ी स्टार्ट कर – अपन इसे चलती गाड़ी मे खीच लेगा – तब अपन मिल बाँट कर खाएँगे इसे |” कहते हुए वे सारे भद्दी हँसी से हँसने लगे|
एक ही समय मे एक साथ कई घटनाएँ घट गई| एक तरफ विवेक मेनका को लिए वहां से निकल गया और उजला उसे रोक नहीं पाई लेकिन उसे अकेला बाहर देख कर जैसे ही केकड़ा उसे गाड़ी के अंदर खीचने वाला था वैसे ही जाने कहाँ से बडी उछलता हुआ वहां आ गया|
शायद वह उजला को बाहर अकेला निकलते देख दौड़ता हुआ उसके पीछे आया था| गाड़ी के बाहर निकले केकड़ा के हाथ पर बडी उछलते हुए काट लेता है और उजला के ऊपर कूदते हुए उसे किनारे ढकेल देता है| उजला उससे टकराती हुई सड़क के एक ओर गिर पड़ती है जबकि इस अन्यास हुए इस हमले से केकड़ा भाई बुरी तरह से तिलमिला उठता है और गाडी को दुबारा उस ओर घुमाने को कहता फिर से उजला कि ओर जाने कि कोशिश करता है पर बडी फिर से उजला और गाड़ी के बीच मे आता उसके बोनट मे कूद जाता है| ये देखते सारे गुंडे हडबडा जाते है और गाड़ी को पोल से टकरा देते है जिससे बडी नीचे गिर पड़ता है|
“ये साला कुत्ता क्यों हमारे पीछे पड़ा है ?”
“भाई बोलो तो उड़ा दे साले को !”
अबकी केकड़ा की आँखों के संकेत पर एक गुंडा शीशे से बाहर निकले हाथ मे छूरा पकड़ लेता है और बडी के अगले हमले पर झुककर उसपर उसकी तेज धार से हमला कर देता है| मूक जीव उस हमले पर भी उन गुडो के आगे हार नहीं मानता और दुबारा उछलकर बोनट पर कूदता हुआ शीशे पर कूदते हुए उन्हें रोकता है|
इधर एक ओर सड़क पर गिरने से उजला का एक कन्धा घायल हो जाता है| वह किसी तरह से कराहते हुए उठती है तब तक बडी पर हमला हो चुका था और उसके शरीर से खून बह रहा था ये देखते वह बचाव के लिए कसकर चिल्लाती है|
उसके चिल्लाने की आवाज पर जहाँ गुंडे पकड़े जाने से डर जाते है वही सिक्योरिटी वाले बाहर की घटना के लिए एलर्ट होते वहां आने लगते है जिससे गुंडे अब वापसी के लिए अपनी गाड़ी घुमा लेते है पर जाते जाते वे बडी को जानकर अपनी गाड़ी से धक्का दे देते है| बडी तेजी से सड़क के किनारे पत्थर से टकराते हुए गिरता है|
चाकू से पहले से ही घायल बडी गाडी के बोनट और पत्थर से टकराने की वजह से अब बुरी तरह से घायल हो गया था| उसके शरीर से लगातार ख़ून बह रहा था| उजला खुद की घायल स्थिति मे भी बडी की ओर दौड़ती हुई आती उसे अपनी बाहों के बीच समेटती सँभालने लगती है| वह उसकी हालत पर बुरी तरह बिलखती हुई चीख पड़ी| उस वक़्त उसकी हालत बेहद बिखरी हुई हो गई थी|
***
अरुण जो सुबह ही सूरत के लिए निकलने वाला था अब दादा जी के मिलते रात वही रुकने का तय करता है| वह अब भावनगर के मेंशन मे दादाजी के साथ था| दादा जी सोफे पर बैठे थे तो अरुण वही उनके पैरो के पास बैठा उनके घुटने पर सर रखे था| वे हौले हौले उसके सर पर हाथ फिराते हुए कह रहे थे –
“तुझे फिर से देखकर जैसे मेरे शरीर मे दुबारा जान वापस आ गई |”
“फिर क्यों छोड़कर गए थे आप ?” वह चेहरा उठाकर उनकी ओर देखता हुआ पूछता है|
“तेरे लिए ही गया था – मेरे एक गलत फैसले ने तेरा जीवन बर्बाद कर दिया – आखिर ये कैसे अपनी आँखों के सामने देखता – तेरा दादा का हौसला टूट गया बेटा |”
“पता आपके जाने से मैं कितना अकेला हो गया था – पता है डैड भी आपको बहुत याद करते थे|”
आंखे बचाते हुए वह कहता है जिसपर वे हलके से होंठो को विस्तार देते हुए कहते है –
“जब झूठ नही बोल सकते तो मत बोला करो -|”
“कुछ भी कहिए दादा जी – कोई अपना घर छोड़कर जाता है क्या – कहता तो मैं रहता था और छोड़कर आप चले गए |”
“न मेरे बच्चे – तू घर छोड़ने की बात मत कर |” वे घबराकर उसका चेहरा थामते हुए बोलते है – “राम भी वनवास काटकर आखिर अपने घर लौटे थे – आज वही दिन है – पर ये राम तो अपनी सीता से मिल लेंगे पर काश तुम भी अपनी सीता को खोज पाते !” कहते हुए दादा जी अपने साथ ले गई राम की प्रतिमा को देखते हुए कहते है| उनकी निगाह प्रतिमा की ओर थी जिससे वे अरुण के चेहरे पर बदल आए हाव भाव नही देख पाए जहाँ अब एक प्यारी मुस्कान खेल रही थी|
“पता नही कहाँ होगी किरन ? किस हाल मे होगी ?’
“दादा जी मुझे आपको कुछ बताना है |”
अरुण की बात पर वे उसकी ओर देखने लगते है पर इससे पहले कि अरुण कुछ का पाता ब्रिज हवा की रफ़्तार से वहां भागते हुए आते एक ही सांस मे कह रहे थे –
“अरुण – हमे अभी तुरंत ही सूरत के लिए निकलना होगा |”
वे इस हडबडाहट से अपनी बात कह रहे थे कि अरुण और दादा जी दो पल तक हैरानगी से उन्हें देखते रह गए|
क्रमशः………………….
बहुत ही मार्मिक भाग 👌👌👌👌🙏🙏
Please please please buddy ko kuch mat karna .. bechara pyara sa jeev..arun ka diya kaam nibhane me Jaan par khel gaya.. please 🥺🥺❤️❤️ usko bacha Lena … Buddy,🥺💙💙💙💙
Really awesome part
Apna buddy toh hero ki tarah fight ki hai gundo ke saath
Kitna bura hua 🥺🥺🥺🥺🥺🥺🥺🥺
Nice part
Very nyc
बडी की वफादारी को नमन
🙏🙏
Nice 👍👍👍
Ohh my god…..ye kya se kya ho gya….bs badi ko kuch na ho
Bhut hi katarnak bhag h ooh my God ab ky ho bady bachega ya nhi ar divan sahab unko to hos aate hi fir se dohra pad jayega ye sab ky ho gya
Bada hi dukhdai bhàg udhar diwan sahab ko kuch ho gya aur idhar buddy bechara.. use bacha lijiye ga plz.. kuch nhi hona chahiye use.. ye Vivek ne to apna badla pura kar liya diwan sahab ko dukh de kar.. ab vo menka ke saath kya karega..😳🥺🥺
Badi ki vafadari👌👌
Very nice episode……
Buddy k liye dhuk hua…
Nice
Nice
Badi ko kuch b na ho…..badi thik ho jaye…..ek hi pal me sab bikhar gya…..kuch thik hote hote sab gadbad ho gya
☹️☹️😣😣😣😣😩😩😩😔😔, 👌👌👌👌👌👌👌
Amazing part ❤️