
बेइंतहा सफ़र इश्क का – 137
अरुण और आकाश जाने कहाँ कहाँ की ख़ाक छानते मेनका को खोजते फिर रहे थे| विवेक का ऑफिस मे जो ऑफिशियल एड्रेस लिखा था वो गलत निकला और इसपर उन्हें कोई आश्चर्य भी नही हुआ| अरुण को रह रह कर उसपर गुस्सा उमड़ रहा था जैसे अगर सामने मिल गया तो निश्चित रूप से उसका गला ही दबा देगा| झूठ और धोखे से उसे सख्त नफरत थी लेकिन अक्सर ही इसका इसी से सामना होता जिससे वह बुरी तरह तिलमिला उठता|
हर जानी अनजानी जगह वे गाड़ी घुमाते तो कभी पैदल कुछ रास्ता खंगालते| फिर एक जगह दोनों एकसाथ खड़े बुरी तरह से भन्नाए हुए आपस मे कहते है –
“अब तो रात होने वाली है और अभी तक हम उस रास्कल का कुछ पता नही कर पाए – कैसी मुसीबत है पुलिस की मदद भी नहीं ले सकते – नहीं तो ऐसी दफा मे डलवाता कि जीवन भर कभी बाहर नही आ पाता |”
“अभी इस बात से ज्यादा जरुरी है मेनका का पता करना – पता नहीं कहाँ होगी ?”
“वही तो समझ नही आ रहा |” आक्रोश मे सिगरेट सुलगाते हुए आकाश इधर उधर देखता है| तभी उनके पीछे आती सिक्योरटी टीम जो अपनी अपनी तरह से मेनका को खोजने मे लगी थी| उसका हेड आकर आकाश को अपने मोबाईल का स्क्रीन दिखाते हुए कहता है –
“सर ये वीडियो देखिए |”
“क्या है ये ?”
“सर इसके पीछे देखिए – लगता है इस न्यूज को रिपोर्ट करते वक़्त अभी किसी रिपोटर की नज़र मैम पर नही पड़ी है |”
अरुण भी उस वीडियो को देख रहा था जो उसी हॉस्पिटल का था जहाँ मेनका थी| उस न्यूज को रिपोर्ट करते समय उसका चेहरा उस रिपोर्ट मे कैद हो गया था पर अभी तक किसी की नज़र उस पर गई नही थी ये देखते ही अरुण जल्दी से बोलता है –
“ये वीडियो तो एक घंटे पहले का है तो मेनका के अभी वहां होने की मैक्सिमम पोसबिलटी है |”
इससे पहले कि आकाश इस पर कुछ प्रतिक्रिया करता अरुण जल्दी से कह उठा – “मेनका को अभी किसी ने देखा नही है इसलिए हमे मेनका को वहां से चुपचाप निकालना होगा – आप ये मुझपर छोड़ दीजिए – मैं मेनका को लेकर आता हूँ |”
“ठीक है – अगर कही भी तुम्हे कुछ प्रोब्लम लगे तो बस एक मेसेज करना – पूरी टीम बैकअप मे तैयार रहेगी |”
आकाश की बात पर हामी मे सर हिलाते अरुण अकेला कार लेकर उस हॉस्पिटल की ओर चल देता है|
***
उस सरकारी हॉस्पिटल के बाहर अभी भी अच्छी खासी भीड़ मौजूद थी| वे रिपोर्टर जो लाइव रिपोर्ट कर रहे थे अभी भी वहां मौजूद थे| मेनका अब हॉस्पिटल से बाहर निकलकर कुछ दूर तक चली आई थी| एक हाथ से अभी भी वह अपना सर थामे हुए थी| चोट की पीड़ा उसके हाव भाव मे झलक रही थी| उसे कुछ समझ नही आ रहा था कि वह करे क्या ? उसका मोबाईल भी उसके पास नही था और न कुछ भी पैसे !! साथ ही अपने घर पर किसी को कॉल करने की उसकी हिम्मत भी नहीं हो रही थी|
वह दिशाहीन बस चलती जा रही थी| हॉस्पिटल से कुछ दूर निकलते वह किसी सुनसान रास्ते पर आ गई थी| तभी चक्कर आते वह सड़क किनारे फुटपाथ पर बैठ जाती है|
तभी एक बाइक आकर ठीक उसके सामने रूकती है, उसमे बैठा एक लोफर जैसा लड़का मेनका को अकेला बैठा देख इधर उधर देखता हुआ उसकी तरफ आता हुआ पूछता है –
“ए चलती है क्या ?”
आवाज सुनकर मेनका सर उठाकर उसे देखती है| उसकी आँखों लालसा साफ़ साफ़ दिखाई पड़ रही थी| वह अवाक् उसे देखती रही जिसका अपनी तरह से मतलब निकालता वह लड़का मेनका का अब हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ खीचने की कोशिश करने ही वाला था कि एक तेज आवाज वातावरण मे गूंजी और वह लड़का हवा मे उछलता हुआ उससे दूर छिटकता हुआ गिर पड़ता है|
एक पल को उसे समझ नही आया कि उसके साथ हुआ क्या? उसका सर बुरी तरह से घूम गया था| वह अपना सर इधर उधर हिला डुला कर खुद को सयंत करता हुआ फिर से मेनका की ओर देखता है जहाँ अब वह किसी के बहुत पास खड़ी थी|
ये देखते वह किसी तरह से खुद को उठाता हुआ उसकी ओर आता हुआ कहता है –
“मेरे को क्यों मारा ?” वह लड़का अभी भी बुरी तरह से सूज आया अपना गाल सहलाते हुए बोलता है|
मेनका को संभाले हुए अरुण खड़ा था जो अब उस लड़के का कॉलर पकड़ता हुआ बोल रहा था –
“अकेली मजबूर लड़की हर बार मौका नही होती |” कहते हुए वह फिर से उसे पीछे की ओर धकेलता हुआ मेनका को लिए कार की ओर बढ़ जाता है| एक्सीडेंट की वजह से मेनका अभी भी अस्वस्थ नज़र आ रही थी पर अचानक अपने भाई को देखते वह उससे लिपटती हुई बिलख उठी| जैसे देर से दर्द के बाद अब उसे मरहम मिला हो|
वह बुरी तरह से बिलखती हुई कह रही थी –
“सॉरी भईया मुझसे गलती हो गई – मुझे माफ़ कर दीजिए |”
मेनका उससे लिपटी रोती जा रही थी उसे रोते देख अरुण का मन भी भर आया पर किसी तरह से खुद्द को नियंत्रित करता वह मेनका के आंसू पोछते हुए कहता है – “बस अब चुप चुप – जो हुआ भूल जाओ – पहले खुद को संभालो फिर हम इसपर बात करेंगे – चलो |”
मेनका को सहेजकर बैठाते हुए वह मेंशन की ओर चल देता है|
***
वह एक कम रौशनी वाला छोटा सा कमरा था| जहाँ औंधे मुंह विवेक लेटा था| उसके शरीर मे जगह जगह जख्म थे जो शर्तिया मार पीट की वजह से आए थे| सेल्विन उनमे पट्टी कर रहा था| धीरे धीरे अब उसे होश आने लगा| होश मे आते वह दर्द से कराहते हुए खुदकी स्थिति देखने लगा| वह एक कमरे मे था और सेल्विन उसके पास बैठा उसके शरीर मे दवाई लगा रहा था| ये देखकर वह उठने की कोशिश करने लगा पर इससे उसके शरीर के पोर पोर मे दर्द उभर उठा|
“लेटे रहो – अभी तुम्हे आराम करने की जरुरत है |”
“मैं हूँ कहाँ ?”
“इससे ज्यादा जरुरी है ये जानना कि कैसे आए – वो तो तुम्हे मार ही देते |”
“सेल्विन तुमने मेरी जान बचाई ?”
“हाँ पर इसे भी तुम मेरी कोई साजिश मत समझना – मुझे सच मे तुम्हारी परवाह है – मैं चाहता हूँ कि तुम्हे इन्साफ मिले और इसके लिए तुम्हारा जिन्दा रहना जरुरी है |”
सेल्विन बेहद सपाट भाव से कहता अब उठ कर अपने हाथ साफ़ करने लगता है| विवेक भी अब सहारा लेता हुआ उठता हुआ सेल्विन कि ओर देखता हुआ जैसे पिछला सब सिलसिलेवार याद करने लगता है और किसी तरह से उठता हुआ कहता है –
“मेनका !! वो कहाँ है ? मुझे उसे किसी भी तरह से ढूंढना होगा |”
सेल्विन देखता है कि विवेक खुद को घसीटते हुए उठाकर बाहर निकलने लगता है तो उसे टोकता हुआ कहता है –
“कोई फायदा नहीं उसे ढूँढने का – मुझे अभी पता चला है कि वह वापस मेंशन चली गई है |”
“क्या ?”
“हाँ शायद ये होना ही था – खैर तुम ये दवाई खा लो और ठीक होने तक यही रुको – इस जगह का अभी फ़िलहाल किसी को पता नही है |”
कहते हुए वह दवाई वहां रखी एकमात्र टेबल पर रखता हुआ जाने लगता है तो विवेक उसे टोकता हुआ कहता है –
“सेल्विन रुको |”
वह रुककर उसकी ओर देखने लगता है|
“मैंने तुम्हे इतना सब कहा फिर भी तुमने मेरी मदद की – क्यों ?”
विवेक सेल्विल के चेहरे को गौर से देखने लगा जिसके हाव भाव मे जैसे कोई अनकहा दर्द उभर आया था|
“क्योंकि इसमें मेरा स्वार्थ है |”
सेल्विन की बात पर विवेक हैरानगी से उसे देखता रहा, वह आगे कहता है –
“तुमने उस दिन कहा था न कि मैंने किसी से प्यार नही किया इसलिए मुझे क्या पता इस प्यार की कीमत तो हाँ सच मे मैंने सिर्फ खुद से प्यार किया और जब तक मैं खुद के लिए जीता था तब तक खुश था अपनी जिंदगी से पर जब इस प्यार को किसी दूसरे मे तलाश किया तब ही से दर्द और दुःख की दुनिया का एक बाशिंदा मैं भी हो गया – |”
विवेक ख़ामोशी से सेल्विन को देख रहा था क्योंकि आज से पहले सेल्विन ने कभी खुद को व्यक्त नही किया था| वह अभी भी कहे जा रहा था –
“बचपन से अनाथ की तरह पला और जिसने कभी कोई रिश्ता प्यार देखा न महसूस किया तो तुम समझ नही सकते वह इन्सान अंदर से कितना खोखला हो जाता है – बस उस खोखलेपन के साथ किसी तरह से जी रहा था और तभी मैं एक वृद्ध से मिला – मिलना अचानक से हुआ – असल वे वह सड़क पर बेतहाशा दौड़ा जा रहा था और उस वक़्त मैं नही पहुँचता तो वह किसी भी गाड़ी के नीचे आकर मर जाता – अब इसे संयोग ही समझो – मैं फिर रोजाना उसकी देख रेख के लिए जाने लगा – तब पता चला उसका कोई बेटा है जिसके इंतजार मे वह हर दिन जीते जी मर रहा है – और जब वह वापस भी आया तो वह उससे अंतिम बार मिल भी नहीं पाया – एक पिता बेटे का प्यार था जिसे कुछ दिन मैंने उसका बेटा होकर जिया – उस वक़्त का ऋणी हो गया मैं – और वो और कोई नही तुम्हारे पिता थे – |”
नम शब्दों से सेल्विन कहता रहा जबकि विवेक की आँखों से लगातार आंसू गिरते जा रहे थे जिन्हें वह रोकने की कोशिश भी नही करता है|
“विवेक – उस वक़्त पहली बार लगा मैंने अपना पिता खो दिया – यही वजह है कि मैंने पीछे से हर पल तुम्हारा साथ दिया क्योंकि मैं चाहता हूँ कि तुम्हारा परिवार जिसकी वजह से बिखरा है उसका इन्साफ तुम्हे मिलना ही चाहिए – बस यही मेरा स्वार्थ है |”
कहते हुए सेल्विन खामोश होता हुआ अपना सर झुका लेता है| विवेक अब उसके पास आता हुआ उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है –
“शर्मिंदा तो मुझे होना चाहिए जिसने बिना जाने ही तुम्हे गुनाहगार मान लिया |”
कुछ पल तक दोनों खामोश होकर जैसे अपना अपना सच अपने अपने अंतर्मन मे सोखने लगे|
फिर जल्दी से खुद को सँभालते हुए सेल्विन कहता है – “रंजीत साहब को बस अपना बदला दिख रहा है इसलिए मैं बस यही कहूँगा कि उनके रास्ते मे मत आओ तो वो भी तुम्हारे रास्ते मे नहीं आएँगे – मेरे बुरे वक़्त मे उन्होंने ही मुझे सहारा दिया – मैं उनके प्रति भी गद्दारी नही कर सकता – |”
“तुम्हे अब इस पर ज्यादा सोचने की जरुरत नही है – वैसे भी तुमने मेरे लिए बहुत किया – अब आगे मुझे खुद ही अपना रास्ता तय करना होगा –|” कहते हुए विवेक की आँखों मे जैसे कोई अग्नि सी दहक़ उठती है|
***
मेनका के मिलने की खबर से जैसे दबा दुःख थोडा कम हो गया था मेंशन का फिर भी मेनका जिस दहलीज को विवेक के साथ लांघकर गई थी उसपर वापस आते उसे ये अहसास तो हो गया कि कुछ तो जरुर हुआ है| मेनका को अपनी बाजु मे समेटे अरुण जैसे ही पोर्च से अंदर आता है एक सिक्योरिटी ऑफिसर उसके पास आता हुआ जल्दी से कहता है –
“सर बडी को मारने वाली की तस्वीरे आ गई है – ये है|”
“बडी !! क्या हुआ उसे ?” जब वो कुछ तस्वीरे अरुण की ओर बढ़ा रहा था तब मेनका के हाव भाव आश्चर्य से भर उठे क्योंकि उसके पीछे यहाँ क्या हुआ उसे पता नही चला था|
मेनका को इस तरह परेशान देखते अरुण उसे सँभालते हुए कहता है –
“कुछ नही – अभी कुछ मत सोचो – पहले अपनी तबियत ठीक करो |” फिर एक मेड को संकेत करके मेनका को उसके साथ भेज देता है| मेनका हैरानगी से जाती हुई उसे देखती रही जो अब उन तस्वीरो को लेकर लिविंग एरिया की ओर निकल गया था|
सीसीटीवी फुटेज से बीते सारे घटनाक्रम की तस्वीरे उसकी आँखों के सामने थी| वह केकड़ा का चेहरा देखते पहचान गया जिससे उसकी आँखों मे जैसे कोई दबी अग्नि जल उठी पर उसी के साथ घायल बडी और उसके दोस्ती मे दी गई क़ुरबानी वह नम आँखों से देखता रहा|
खून से लतफत होने पर भी वह कितना संघर्ष करता रहा| ये दोस्ती की अनकही मिसाल थी जिसे व्यक्त करने मे दुनिया का हर शब्द छोटा पड़ जाना था| उस पल अपनी आँखों से गिरते अश्क को वह रोक न सका, जैसे जन्मो का जब्त समंदर आज उफान मारता हुआ बह निकला हो….बडी उसके उस पल का साथी था जब वह सबसे अकेला था…उसे उस वक़्त पर गुस्सा आ रहा था जब उससे बिछड़ जाना उसकी किस्मत मे लिखा गया तो आखिर क्यों मिलाया उससे….!! उसके मन ने अंतरस ही उसके अहसास को कसकर अपने सीने से लगा लिया……
मेरी जिंदगी सँवारी मुझको गले लगाकर….यारा तेरी यारी को मैंने खुदा माना… याद करेगी दुनिया तेरा मेरा अफसाना…..तेरे जैसा यार कहा…कहाँ ऐसा याराना……
क्रमशः…….
Behad bhavnatmak part
Menka sahi time par Arun ko mil gyi selvin ne Vivek ko bhi safe kar liya buddy ke liye Arun ki feelings dekh kar dil bhar aaya bahut dukh hua buddy ke jaane ka
Wao bhut hi gamgin parts tha Aaj ka sukr h menka mil gi
Achcha hua menka mil gyi…..nhi to pta nhi kya hota or us news pr kisi or ki nazar pad jati to menka bahut badi problem me fas jati…sach me badi ke liye bahut dukh gya…..uske jesa dost or bafadaar milna bahut kathin h….vo apne malik ke liye shaheed ho gya….uski kurbani bekar nhj honi chahiye…..usne kiran le liye jaan di…..
Mam, Aaj Ke Part Me Bhasha Kahi Kahi Samajh Me Nhi Aa Rahi Hai.
Ho Sake To AAP Phir Se Correction Kar Ke, Ye Wala Part Dubara Dall Dijiyega..🙏🙏
बहुत ही मार्मिक भाग
Iss part me sab thk hua menka b safe bach gyi or vivek b
Par badi k jane ka dukh aj b hua
Kash wo cctv futage menka ne dekha hota to bo b krida ko phchan jati
Bahut hi lajawab part…finally menka safe h apne ghr chli gyi….but badle ki bhawana k karan Vivek Jo such me menka se pyar krta h usk karan usne menka ka istemaal Kiya ….ab usk pyar ka koi Mol na rhega….
Whi buddy k Jane ka jitna dukh Arun ko ho rha hoga use to koi nhi soch skta
Bahut hi bhavatamak path hai y… Sach me buddy ka jan bahut hi bura lag rha hai….
Emotional part
Shukar hai menka sahi salamat Ghar pohnch gyi .. par aage kya hoga jab use pta chalega k uski vjah se uske papa attack a gya..
Arun aur buddy ka emotional rishta .. ahhh
Arun ka dard.. buddy ko nhi Jana chahiye tha… 🥺🥺
Vivek ko nyay milana hi chahiye
Very emotional part ❤️
Bhut hi khubsurat 🥺
👌👌👌👌👌
Nice 👍👍👍
Very👍👍😊 very🤔🤔🤔🤔👍👍👍👍🤔
Amazing part ❤️
ओह राज खुल रहे है धीरे धीरे