Kahanikacarvan

बेइंतहा सफ़र इश्क का – 140

हर एक रात दीवान मेंशन मे दर्द की तरह बीतती तो हर सुबह कहर बरपाने को तैयार नज़र आती|

भूमि सुबह होते ही संस्था जाने को तैयार होती क्षितिज के पास आई| उजला क्षितिज के पास बैठी उसका सर सहला रही थी| उसे चुपचाप सोता हुआ देख वे धीमी आवाज मे बात करने लगी|

“उजला मुझे बहुत जरुरी है संस्था जाना – तुम थोड़ी देर सब संभाल लेना – मैं जल्दी ही आ जाउंगी |”

“आप आराम से जाइए – मैं क्षितिज के पास ही रहूंगी |”

भरोसे से आंख झपकाकर वह भूमि को आश्वस्त करती है| भूमि क्षितिज का माथा प्यार से चूमती हुई मन कडा किए बाहर निकलने लगती है| उस वक़्त उसके मन मे जाने कितनी उथल पुथल मची हुई थी| इतना कुछ संस्था मे गड़बड़ चल रहा था, उसे बार बार यही लग रहा था कि कैसे उसकी नज़र इन सब बातो पर नही गई| उसे लगा था कि कल्याण के हटते सब ठीक हो जाएगा पर नही हुआ कुछ भी ठीक !! तो क्या कोई और है इन सबके पीछे ? अगर जल्दी ही उस शख्स का पर्दाफाश नही हुआ तो सारा आरोप उसी पर लगा दिया जाएगा और हो भी क्यों न ! आखिर सारी जिम्मेदारी उसी की बनती है|

अभी वह मन ही मन खुद को बता ही रही थी कि उसी पल उसके मोबाईल मे कोई मेसेज ब्लिंक करने लगा, इससे वह तुरंत लिविंग रूम की ओर जाकर वहां का टीवी ऑन कर देती है|

टीवी का स्क्रीन ऑन होते ही उसमे खबर सुनाई देने लगती है| भूमि बुत बनी अपनी जगह खड़ी रह गई|

कोई रिपोटर जनता के बीच आकर उनसे राय ले रही थी और जनता भी जितना भी जानती थी उसपर अपनी राय बेबाकी से रख रही थी|

“बिलकुल ऐसा ही होना चाहिए ऐसे सो कॉल अमीर लोगो के साथ ! ये बाकी लोगो को तो कुछ समझते ही नहीं है – कितनी बुरी औरत है भूमि दीवान – क्या उसके अपने बच्चे नहीं है जो ऐसे मासूम बच्चों के साथ फ्रोड करती है|”

ये भीड़ थी जिसका कोई चेहरा नहीं होता बस होता है सुर मे सुर मिलाता हुआ सुर जिसके लिए जो उन्हें सामने दिखता है वे उसी को सच मान लेते है| उस भीड़ मे से फिर कोई और बोला –

“सब कर्मो का फल है – आखिर क्या बिगाड़ा था उन अनाथ बच्चों ने – वे उनके नाम पर आए अनुदान के पैसे को भी खा गए – तभी तो देखो उनके साथ भी बुरा हो रहा है – सुना है उनके शेयर के भाव कौड़ियों के भाव हो गए है – देखना उनके साथ अब बुरा ही होता रहेगा |”

“हाँ ठीक कहा – ये सो कॉल बिलेनियर मासूमो का खून पीकर ही रिच बने है – मेरा बस चलता तो मैं उसकी सारी संस्थाओ मे ताला लगवा देता और उस औरत को जेल के पीछे भिजवा देता – |”

जनता आक्रोश मे कहे जा रही थी और रिपोटर इस बात को खुलकर न्यूज मे दिखा रही थी फिर माइक खुद के आगे करती वह इस पर अपनी रिपोटर देने लगती है –

“तो आप देख ही रहे है कि पिछली रात जैसे ही संस्था की सरकारी रिपोर्ट आम हुई तब से जनता मे इस बात का भारी रोष है और वे सभी उन मासूम बच्चो के हक़ की लड़ाई के लिए एकसाथ आवाज उठा रहे है – अभी तक की रिपोर्ट के अनुसार संस्था को दी जाने वाले सारे सरकारी अनुदानों को फ़िलहाल के लिए रोक दिया गया है और जांच पूरी होने बाद ही पता चलेगा कि सरकारी इस गैरसरकारी संस्था के खिलाफ क्या एक्शन लेती है – आगे का जानने के लिए बने रहे मेरे साथ |”

न्यूज लगातार चलती रही पर उसका प्रभाव आंसुओ के रूप मे भूमि के चेहरे पर नज़र आने लगा| वह किसी तरह से खुद को सयंत करती टीवी ऑफ़ करके अब कही न जाने का फैसला करती वापस क्षितिज के पास चल देती है|

***
दीवान इंटरप्राइजेज का मेन ऑफिस जहाँ बेतहाशा हलचल मची हुई थी| सारा स्टाफ जैसे सहमा बैठा था| अभी अभी कोंफ्रेंस हॉल मे कुछ ब्लैक सूट वाले सीधे प्रवेश कर गए थे| वे सभी थ्री ब्लैक सूट पीस मे आँखों मे काला चश्मा चढ़ाए हुए सुनियोजित भाव से कोंफ्रेंस रूम मे कतार मे बैठे थे|

उनका ऑफिस मे इस तरह आना सबके लिए होश उड़ाने वाला सबब था| दीपांकर भी वही खड़ा था| उसके हाथ मे कुछ जरुरी फाइलें थी| वे सभी इस तरह से बैठे थे जैसे किसी बात का उन्हें इंतज़ार हो|

इधर अरुण और आकाश लगभग भागते हुए ऑफिस मे दाखिल हो रहे थे| उनके पीछे पीछे ब्रिज भी थे| वे तीनो एकसाथ प्रवेश करते उन सबको देखते हुए सकते मे थे| इससे पहले कि वे कुछ पूछते दीपांकर आगे आता हुआ कहता है –

“सर टुडेज एजंडा इज टेक ओवर |”

“टेक ओवर !!” आकाश भन्नाया हुआ एकदम से दीपांकर का कॉलर पकड़कर चीख उठा इससे दीपांकर के हाथ कि पकड़ी फाइलें जमीन पर गिर पड़ी|

इसपर हमेशा दबे रहने वाला दीपांकर आकाश का हाथ झटकते हुए उससे दो कदम पीछे जाता हुआ गिरी फाइलें उठाते हुए बोलता है –

“आई हैव सम्मिटेड माय रेजिक्नेशन सो नाव वी विल टॉक अबाउट न्यू इशु |”

ये सुनते आकाश अवाक् दीपांकर को देखता रह गया| उस पल उसके चेहरे पर इतना गुस्सा चढने लगा कि अगर अरुण आकाश के कंधे पर हाथ रखे उसे रोक नही लेता तो पक्का वह दीपांकर को मुक्का जड़ देता|

दीपांकर अब उन के बीच आता हुआ कहने आगा – “सो जेंटलमैन वी स्टार्ट द मीटिंग नाव |” कहते हुए वे कुछ स्लाइड स्क्रीन मे दिखाता हुआ कहता है – “ये है अब दीवान इंटरप्राइजेज के नए शेयर होल्डर के मेनेजिंग डाइरेक्ट टीम – |”

दीपांकर इससे पहले कि आगे कुछ कहता आकाश फिर भमक पड़ा – “हाउ डेयर यू – तुम्हे ये डिसाइड करने का राईट दिया किसने ?”

अब उन चार पांच काले सूट वालो मे से एक खड़ा होता हुआ कहता है –

“मिस्टर आकाश ये हक़ मिलता है हमे शेयर होल्डर्स होने से और इससे पहले कि आप किसी फ़ंतासी मे रहे आपको रियल्टी मैं बता देता हूँ – इस समय दीवान इंटरप्राइजेज के सिक्सटी परसेंट के शेयर होल्डर आर आर कम्पनी है – इससे इसके नए एमडी वही हुए – अब इतनी बात आप समझ गए हो तो आगे की प्रक्रिया पर बात किया जाए |”

“ये सब ..|”

आकाश अपना सर पकड़े खड़ा रह गया तब अरुण आगे आता हुआ कहता है –

“तो चाहते क्या है तुम्हारे ये एमडी |”

इस पर वही दुबारा कहता है –

“सीधी सी बात है – नए एमडी आगे की प्रक्रिया तय करेंगे और जितने भी प्रोजेक्ट है उन्हें वही टैकिल करेंगे |” कहते कहते वह स्क्रीन मे एक एक करके कुछ स्लाइड शो दिखाते हुए एक एक कंपनी का बयोरा उनके सामने रखता है जो अब उनके हाथ से जा चुकी थी| दिवान्स ने जिस तरह से लगभग हर क्षेत्र मे अपने शेयर से अपना परचम लहरहा रखा था आज वे लगभग सारे उनके हाथ से निकल चुके थे|

एक ही पल मे उनके हाथो से समय रेत की तरह फिसल गया था| उनके पास कहने को कुछ नही बचा बस सामने खड़े उस व्यक्ति की बाते वे चुपचाप सुन रहे थे|

“अब मेरे ख्याल से आप अपना अपना सामान भी अपने अपने केबिन से समेटना शुरू कर दे तो बेहतर रहेगा क्योंकि हमारे एमडी साहब को ऑफिस मे बेकार के लोग देखने बिलकुल नही पसंद |” वह व्यक्ति अपने साथ लाए डिवाइस मे ऑनलाइन कनेक्ट था जिसके पार रंजीत ता जिसका चेहरा तो वहां कोई नही देख पा रहा था पर उसका होना सब महसूस कर पा रहे थे जिससे आकाश की झुंझलाहट और भी बढ़ गई थी|

वह जिस तरह से उनका अपमान कर रहा था उससे आकाश बुरी तरह से तिलमिलाया हुआ लग रहा था पर उसके हाथ जैसे बंध चुके थे और वह मज़बूरी मे वहां खड़ा हुआ था| जबकि अरुण के चेहरे पर बेहद शांत भाव थे| उनके पीछे खड़ा ब्रिज भी अभी तक अवाक् भाव से खड़े थे|

ये तय था कि जो हुआ वो सब उनकी कल्पना मे भी कभी नही था पर सच उनकी आँखों के सामने था|

“अब आपको अपने पुराने सीइओ की ओर से इस कंसर्न पेपर पर साइन करने है |”

जब उन सबको लगा कि बात खत्म हो गई तब अरुण कहना शुरू करता है –

“मैं आपकी सारी बात मंजूर करता हूँ |”

ये सुनते आकाश एकदम से अरुण की ओर देखने लगा| वह अरुण को टोकना चाहता था पर अरुण बिना उसकी ओर देखे आगे कहने लगा –

“पर एक जरुरी बिजनेस डील आपका एक्डी भूल रहे है – किसी कंपनी के जबतक सारे शेयर्स वैल्यू नहीं कर लिए जाते तब तक उनका नया एमडी पूरी तरह से टेकओवर नही कर सकते –|”

अरुण की बात सुनते वहां मौजूद सबके चेहरे पर अलग ही हाव भाव नज़र आने लगे थे| जबकि अरुण आगे कहे जा रहा था –

“आप चाहे तो बिजनेस लॉ बुक को रीचेक कर सकते है |”

अरुण की बात पर जहाँ स्क्रीन के पार रंजीत के मन मे भी हलचल हो गई थी वही बाकी मौजूद सूट वाले भी अपनी अपनी बगले झाँकने लगे थे|

अरुण आगे कहता है –

“और इस प्रक्रिया के लिए कोर्ट भी समय देता है – इस तरह से अभी भी हमारे पास तीस दिन है – सो यू ऑल वेकेंट अवर ऑफिस नाव !”

वे सभी सकते मे थे फिर दीपांकर एक कॉल रिसीव करता हुआ उधर से कुछ सुनता है फिर उसके अगले कुछ समय मे वह बोलता है –

“मिस्टर अरुण – आप कम्पनी को टेक ओवर करने से कुछ समय के लिए तो रोक सकते है पर आपका अधिकार सिर्फ उन्ही कम्पनी तक होगा जिनके आप शेयर होल्डर बचे रह गए है – ये बात भी याद रखिएगा |”

दीपांकर का इस तरह कहने से आकाश के तेवर फिर से चढ़ जाते है वह अबकी फिर कुछ कहने वाला था पर अरुण आकाश को हाथ का संकेत देकर रोक देता है| ऐसा पहली बार हुआ कि आकाश अरुण के संकेत पर चुप होकर रह गया और मन मसोजे चुपचाप उन सबको घूरने लगा|

अरुण अपनी पॉकेट मे हाथ डाले उनके बीच आता हुआ कहता है – “मुझे बताने की जरुरत नही है ये मुझे पता है |”

उनमे से एक काला सूट वाला कहता है – “तो आपको ये भी पता होगा कि अगर आप इस तीस दिन मे अपने सभी कन्साइन्मेन्ट पूरे नहीं करते है तो आपको करोडो का नुक्सान उठाना पड़ सकता है लेकिन अगर आप इस वक़्त अपनी कम्पनी हमारे एमडी के सुपुर्द कर देते है तो आप कम से कम अब इस नुक्सान से खुद को बचा सकते है|”

“मुझ्रे पता है कि हमे अपनी कम्पनी कैसे चलानी है |”

“सोच लीजिए मिस्टर अरुण – ये बहुत जज्बाती फैसला आपको गर्त तक पहुंचा सकता है – मैं आपको दुबारा ऑफर कर रहा हूँ – बस एक साइन के साथ आप अपने बचे पैसो को बचा सकते है नहीं तो बाद मे नुक्सान की भरपाई करते करते कही आपको अपना मेंशन तक की नीलामी न करना पड़े |”

ये सुनते अब्क्की अरुण का चेहरा गुस्से मे तन जाता है पर किसी तरह से खुद को नियंत्रित करते हुए कहता है – “ये तीस दिन हमारे है और मैं इसमें क्या कर सकता हूँ और क्या नहीं ये मैं तीस दिन बाद ही बताऊंगा -|”

तभी वह आदमी कान मे लगे डिवाइस से कुछ निर्देश पाते आगे कहता है –

“ओके मिस्टर अरुण मिलते है ठीक तीस दिन बाद |”

कहते हुए वे सारे कोंफ्रेंस रूम से निकलने लगते है| उनके पीछे पीछे दीपांकर भी जाने लगता है| पर जाते हुए वह एक छुपी नज़र से आकाश और अरुण की ओर देखता है जिससे वह अपने सामने नहीं देख पाता कि अरुण ने पैर से एक वायर उसके सामने कर दिया था जिसकी चपेट मे आता दीपांकर एकदम से लड़खड़ा जाता है| जिससे आगे बढ़ कर अरुण उसे सँभालते हुए कहता है –

“संभाल कर दीपांकर दूसरो के रास्ते पर पत्थर बिछाने वाले कभी कभी खुद भी उन पत्थरो से लड़खड़ा जाते है – सो बी केयर फुल |” उसके कंधे थपथपाते हुए अरुण तीखी नज़र से उसे देखता है जिससे दीपांकर सर झुकाए हुए वहां से चला जाता है|

अब उसके जाने के बाद कोंफ्रेंस हॉल मे ब्रिज के अलावा अरुण और आकाश थे| आकाश एकदम से मेज पर मुट्ठी का वार करता हुआ चीखता है –
“अफ़सोस होता है कि अब तक एक बास्टेड पर मैं भरोसा करता था|”

अरुण आकाश के पास आता उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है – “चलिए देर ही सही आपको गलत सही लोगो की पहचान तो होनी शुरू हुई |”

आकाश सन्न भाव से अरुण को देखता रह गया |

एक सवाल क्या कोई ये कहानी विदेश से भी पढ़ रहा है तो मेसेज मे उस देश का नाम लिखे…

क्रमशः……………….

25 thoughts on “बेइंतहा सफ़र इश्क का – 140

  1. Ab aakash ko b Arun ki kabiliyat pr vishwas hone laga h…..lagta h ab deewans ke business ko Arun hu bacha payega…..or bhumi to vishvash karke dhokha kha gyi

    1. Jabardast part…
      Bhoomi ki help Ranjeet karega….
      Deewans ko obviously Arun hi bachayega…
      But Vivek & menka ka kya hoga???
      Vivek vse to Menka se sachha pyar hi karta h, vo to bas Aakash ki vjah se galat raste pr aa gya…..

  2. Ooh 30 din bache h ab ky hoga bese to समय बदलते time hi lgta par ky sach m Arun कंपनी बचा पाएगा या gar bhi kho dega fir bhi gav m che जायेगा ar jab dono ka lebal Arun ar ujla ka tab dadi kr lenge ya fir khani kuch ar hi mod legi

  3. Wow wow wow kya tevar the Arun k mja aagya ye dekh ke….ab Aakash k tevar bhi dheele pd jayge Usk samne

  4. Akaash ke bass ki baat nhi hai gire huye empire ko uthana.. Arun hi kar sakta hai ye sab.. dekhna ye hai k kaise karta hai..
    Ab mauka Mila hai Arun ko apne dhang se kaam karne ka..
    Bhoomi to galat nhi thi us ke sath bhi galat ho gya.. uske sath thik hona chahiye.. vo to galat logo pe bharosa kar k fass gyi.. 🥺🥺

  5. Ye hi to h Arun ka nature ..musibat me Shanti se reply Krna.. gusse me kuch nhi smj me aata h….muje Arun ka reply bhut jyada achha lga…ese hi real life me bi Krna chahiye

  6. ओह गॉड लगता है अरुण के पास कोई प्लान है आकाश को तो सिर्फ गुस्सा करना ही आता है अरुण कूल है कुछ समाधान खोज ही लेगा

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