
बेइंतहा सफ़र इश्क का – 146
उस समय दीवान परिवार का वो परचम था कि अगर उस परिवार से किसी को छीक भी आती तो वह भी मीडिया के लिए हेडलाइन बन जाती| इस कारण भूमि से एंगेजमेंट होते ये खबर हर जगह हवा की तरह फ़ैल गई लेकिन किसी के लिए ये दमघोटू धुँआ साबित हो रही थी|
वो समय था जब आकाश में सूरत शहर में अपने होटल की दो बड़ी बड़ी ब्रांच खोली थी और इसकी चेन दूसरे शहरों में आगे बढ़ाने के लिए वह भरपूर मेहनत कर रहा था जिसके कारण उसका ज्यादातर समय मेंशन से बाहर ही बीतता था|
सूरत शहर में एक साथ दो बड़े होटल के मेनेजमेंट को संभालना उसके लिए मुश्किल था ऊपर से और भी शहरों में वह उन होटल की चेन खोलने के लिए प्रयासरत था जिससे सूरत के दोनों होटलों का मेनेजमेंट तारा ही संभालती थी| पर कुछ दिन से बार बार मेनेजर के कॉल आने से आकाश उसपर बिगड़ रहा था –
“तुम्हे पता है ये सब तारा संभालती है तो बार बार मुझे क्यों कॉल कर रहे हो ?”
इसपर वह धीरे से नज़रे झुकाए हुए कहता है – “मैम ने रिजाइन दे दिया है |”
“व्हाट – कब हुआ ये और पहले तुमने मुझे क्यों नहीं बताया ?”
“आज सुबह ही सर और अभी वे जाने के लिए अपना सामान पैक कर रही है |”
“ओह शिट…|” हवा में हाथ झिड़कते हुए आकाश तेजी से गलियारे की ओर बढ़ जाता है और अगले ही पल उस सुनिश्चित रूम में बाहर खड़ा होता है जो तारा का था| वो तेजी से उस रूम का लॉक घुमाकर खोलने की कोशिश करता है पर रूम शायद अंदर से बंद था पर तभी उसे याद आता है कि उस रूम की एक चाभी हमेशा उसके पास रहती है इससे वह झट से पॉकेट से एक चाभी निकालकर उससे रूम का लॉक खोल लेता है|
दरवाजा खुलते ही उसकी नज़रो के सामने तारा थी जो एक बैग में अपना सामान रख रही थी| उसके पास आता आकाश तुरंत उसे पीछे से अपनी बाहों में भर लेता है| इससे वह कुछ भी प्रतिक्रिया नही करती तो आकाश उसका चेहरा अपनी तरफ घुमाता हुआ कहता है जो आंसुओ से भीगा हुआ लग रहा था|
“ये क्या है ? तुम मुझे छोड़कर जा रही हो ?”
अब वह धीरे से खुद को आकाश के बंधन से अलग करती हुई कहती है – “जी सर अब मेरी यहाँ कोई जरुरत नहीं |”
“सर !! ये सब क्या नाटक है तारा – तुम….!!”
“नाटक तो पहले हो रहा था – ये तो सच है आज का – वो सच जो आज सारी दुनिया देख रही है |” तारा कहती कहती बुरी तरह से सिसक उठी |
आकाश अब उसका चेहरा अपनी हथेली में भरता हुआ कहता है – “ओह तो तुम इस इंगेजमेंट की बात कर रही हो !”
इस पर वह खामोश रहती है|
“डार्लिंग वो सब तो मेरी मज़बूरी है – तुम अच्छे से जानती हो कि मैं तुमसे ही प्यार करता हूँ पर ये शादी मेरी मज़बूरी है – समझो मेरे डैड को घर को सँभालने वाली एक बहु और मेरे छोटे भाई बहन के लिए केयर टेकर चाहिए पर मुझे उस लड़की से कोई मतलब नही – मेरे लिए तुम ही सब कुछ हो – |”
“तो मुझसे शादी कर लेते – मैं भी वो सब कुछ कर सकती हूँ जो उस लड़की से उम्मीद की जा रही है |”
“हाँ कर सकती हो पर अब ये बात मैं डैड को कैसे समझाऊ – समझो ये शादी नही बस एक समझौता है और जल्दी ही ये टूट जाएगा फिर मैं डैड के सामने ये साबित करूँगा कि उनकी पसंद कितनी अनरियलिस्टिक निकली – फिर मैं तुम्हे उनके सामने कर दूंगा |”
“और फिर तुमने ये कह दिया कि उन्माद में जाने मैं क्या क्या कह बैठता हूँ तब..!!”
तारा अब सीधे उसकी आँखों में देख रही थी जबकि आकाश इस बात से थोडा खिसिया गया था| वह किसी भी हालत में तारा को मना लेना चाहता था|
“अरे मेरी जान – तुम इतने समय से मेरे साथ रिलेशन में हो और अब तक मुझे नहीं समझ पाई – जल्दीबाजी में बोल गया मैं कुछ भी पर आज का यही सच है कि मैं सिर्फ तुम्हे ही प्यार करता हूँ – क्या इसे मुझे बार बार प्रूफ करना पड़ेगा |” कहता कहता आकाश तारा को समेटे बिस्तर तक ले जाता है|
तारा बस ख़ामोशी से उसकी आँखों में देखे जा रही थी जबकि आकाश एक हाथ से बिस्तर पर फैले सामान को नीचे सरका कर अब तारा को लेटा देता है|
“जिसे मैंने देखा भी नहीं उससे मेरा क्या मतलब – देखना मैं किसी तरह से ये शादी कैंसिल करा लूँगा – मैं तो अपनी तारा के प्यार में डूबना चाहता हूँ फिर तुम मुझे छोड़कर जाने का सोच भी कैसे सकती हो – तुम तो मेरी जान हो |” आकाश की बाते जैसे तारा के दिलो दिमाग में अपना असर छोडती जा रही थी और उसी क्रम में आकाश उसके जिस्म से एक एक हिस्से को बड़ी शिद्दत से चूमता जा रहा था| फिर तारा भी जैसे उसके आगे हार मानती उसके प्रति खुद को समर्पित कर देती है| तारा की इसी भावना पर विजय पाता आकाश एक बार फिर उसे अपने शीशे में उतार लेता है|
फिर कुछ दिन वही सब क्रम चलता रहा| तारा फिर से आकाश का सारा होटल मेनेज करती रही और आकाश नए नए होटल स्कीम के काम पर लग जाता है| इस बीच तारा जैसे आकाश की शादी की बात एक सिरे से भूल ही गई लेकिन आखिर वह दिन भी आ गया जब आकाश की शादी होनी थी तब एक बार फिर तारा में वही बेचैनी नज़र आने लगी|
उस दिन उसका किसी काम में मन नही लग रहा था, वह बार बार आकाश से संपर्क करने की कोशिश करने में लगी थी पर किसी भी तरह से जब उससे संपर्क नही हुआ तब वह खुद दीवान मेंशन आने का सन्देश आकाश के मोबाईल में छोड़ती है और आखिर आकाश उसे कॉल करता है| उसका फोन आते ही वह बुरी तरह से बिफर पड़ती है –
“तुमने एक बार फिर से मुझसे झूठ बोला – अब मैं यहाँ पल भर भी नहीं रुकुंगी या तो आज मुझसे शादी करो नही तो मैं खुद तुम्हारे डैड से मिलूंगी और उन्हें बताउंगी कि तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हूँ |”
इतना सुनते आकाश जो लगातार उसे मनाने की कोशिश कर रहा था एकदम से रुक जाता है और धीरे से कहता है –
“मैं तुरंत अभी वहां आ रहा हूँ और तब तक तुम कही नहीं जाओगी -|”
कॉल डिस्कनेक्ट करके वह अपने चारो ओर देखता है| आज ही शादी थी और चारोओर बस इसी चीज की तैयारीयों दिख रही थी| इस वक़्त उसका मेंशन से बाहर निकलना मुश्किल था पर उसे जाना ही था ये सोचते वह तुरन्त पोर्च तक बढ़ने लगता है कि कोई आवाज उसे तुरन्त टोक देती है –
“कहाँ जा रहे हो आकाश ?”
आवाज सुनते उसके पैर जैसे बर्फ हो जाते है और वह बड़ी मुश्किल से अपने हाव भाव नियंत्रित करता हुआ आवाज की ओर पलटता है|
दीवान साहब ठीक उसके पीछे खड़े उसे ही घूर रहे थे|
“मैंने पूछा आज अपनी शादी के दिन तुम कहाँ जा रहे हो ?”
“कुछ अर्जेंट था – बस जल्दी से निपटा कर आता हूँ |”
“किसी और को भेजो – तुम्हे कही जाने की जरुरत नही है – अभी भूमि के परिवार से कुछ रस्म के लिए आने वाले है – वो सो कॉल हल्दी वल्दी इसलिए तुम अभी कही बाहर नही जाओगे |”
“लेकिन डैड – बहुत अरेंट है – मैं बस विथिन ट्वेंटी मिनट में आ जाऊंगा |”
“इतना जान लो – ये शादी बहुत जरुरी है और मैं किसी भी हाल में इसमें कोई डिस्टर्बनस नहीं चाहता हूँ |”
मौन ही हामी भरता आकाश चुपचाप चला जाता है जबकि घूरते हुए वे उसे जाता हुआ देखते रहते है|
अगले कुछ पल में खुद ही ड्राइव करके वह तुरन्त ही अपने होटल पहुंचकर पल भर में ही तारा के सामने खड़ा होता है जो सच में जाने को तैयार दिख रही थी| आकाश उसका हाथ पकड़े उसे कमरे में ले जाता हुआ कहता है –
“बैठो यहाँ – मैं आ गया न !”
“हाँ तो अब नहीं जाओगे न कही ?”
तारा की बात पर वह गहरा शवास खींचता हुआ उसे ठीक अपने सामने बैठाते हुए कहता है –
“तुम इतनी इन्सेन्टिव कैसे हो सकती हो – तुम्हे पता भी है कि मेरी लाइफ में क्या चल रहा है |”
“क्या !!”
“आज ही शादी है और..|” आकाश अपनी बात पूरी कह भी नहीं पाया था और तारा उठने का उपक्रम करने लगी जिससे वह उसे जबरन हाथ पकड़कर बैठाते हुए बोलता है – “यही तो मैं कह रहा हूँ तुम कितनी इन्सेन्टिव हो गई हो – समझ ही नही रही बात – तुम ऐसी तो नहीं थी – हमेशा तुमने मेरी बात समझी है फिर अब ऐसा क्यों – पता है डैड की तबियत ठीक नहीं है और ऐसे समय मैं न शादी के लिए मना कर सकता हूँ और न उनसे तुम्हारे बारे में बात कर सकता हूँ |”
“क्या सच में ?”
“और क्या – यही तो मैं तुम्हे समझा रहा हूँ – देखो अभी ये बात मैंने सिर्फ तुम्हे बताई है क्योकि पता है मीडिया तक उनकी तबियत की अपडेट जैसे ही पहुंचेगी वे सब इसे तूल बना देंगे – बस इसी कारण मैं थोड़ा मजबूर हूँ – फिर मैं कितनी बार तुम्हे यकीन दिलाऊ कि मैं सिर्फ तुमसे प्यार करता हूँ |”
अब तारा के हाव भाव थोड़े नम पड़ने लगे इसका लाभ उठाते हुए आकाश अपनी जेब से कोई दवाई निकालता हुआ कहता रहा –
“देखो तुमने खुद को कितना थका लिया है – आज तुम बस आराम करो और उल्टा पुल्टा मत सोचो – समझी – ये दवाई लो ये तुम्हे रिलैक्स करेगी – तुम आराम करो और जैसे ही डैड थोड़ा संभलते है मैं तुरन्त तुम्हारे पास आता हूँ – तुम्हे यकीन है न मेरी बात पर |”
कहते कहते आकाश तारा को अपने हाथ से दवा खिलाकर सही से लेटाकर वापस चला जाता है|
इधर आकाश भूमि के साथ आराम से शादी कर लेता है और किसी को उसके और तारा के रिश्ते की खबर भी नहीं होती| उधर तारा सारी रात पेट दर्द से परेशान होकर हॉस्पिटल भागती है जहाँ उसे पता चलता है कि हैवी ब्लीडिंग के कारण उसका मिसकैरिज हो गया है| जिस रात आकाश भूमि संग अपनी जिंदगी की नई शुरुवात कर रहा था उस सारी रात तारा की हॉस्पिटल के सर्जिकल वार्ड में कटी| उस पल वह तय नहीं कर पाई कि उसकी आँखों से आंसू ज्यादा गिरे या जिस्म से लहू| उसका मन कतरा कतरा होकर बिखर गया|
अगले दो दिन बाद हॉस्पिटल से डिस्चार्ज लेकर तारा एक बार फिर अपना सामान समेटने होटल वापस आई और इस बार वह चुपचाप वहां से चली जाना चाहती थी| लेकिन क्या पता था उस कमरे में आकाश पहले से मौजूद उसी का इंतजार कर रहा था|
और उसे देखते ख़ुशी से उसकी बांह पकड़े हुए बोलता है –
“गेस करो मैं क्यों खुश हूँ ? चलो ज्यादा सस्पेंस नहीं रखता हूँ – बताता हूँ – मेरे अगले तीन होटल्स को एक साथ एप्रूवल मिल गई है और उसका कुछ हिस्सा गवर्नमेंट फंडिंग करेगी क्योंकि उसका एक पार्ट मैं गवर्नमेंट हॉलिडे पर दे रहा हूँ – है न डबल फायदा ?”
आकाश जितना खुश होकर उसे बता रहा था तारा उतनी ही हैरानगी से उसे देखे जा रही थी|
क्या हुआ होगा उनके इस अमान्य रिश्ते का ? क्या तारा समझ पाएगी कि वह आकाश के हाथो का खिलौना बन चुकी है ? क्या वह प्रेम और हवस का अंतर समझ सकेगी ? अगले भाग में पढ़े लिविंग रिलेशन का कड़वा सच…
क्रमशः……..
Aaj ka bhag sach ka aaina dikhata hai. Jab ek ladka apni chikni chupdi baaton mein phansa kar uska phayda uthata hai aur ladki pagalon ki tarah us par vishvas karti hai. Akal tab aati hai jab kuch bura hota hai ya phir khud hi duniya mein nahi rahti 52 tukde case ki tarah. Wahan bhi to Live-in mein rah kar uska yahi haal hua tha.
Bhagwan bahut baar chetavani deta hai par us samay akal pata nahi kahan ghans charne chali jati hai in ladkiyon ki. Tab ek kahawat yaad aati hai :- विनाश काले विपरीत बुद्धि
Aaj ka time bhi esa h bhut badiya
Very nice part 😊
Aap ki kahaniya samaj ka ayina dikhaati hai.. ab ye live in ka sach.. akaash Tara ko baaton me fassa rha hai.. abortion bhi usi ki di dwai se hua.. par kya Tara akash ke khel ko samjh gyi ya nhi…
😳😳
Ye aakash kr kya rha h
Tara bechari chupchap jana chahti thi pr usne tara ko jane b nhi diya….
बड़े लोगों के लिए गरीब की कोई अहमियत ही नहीं होती और तारा के साथ भी एसा ही हो रहा है…बहुत ही मार्मिक भाग 👌👌👌👌🙏
Very Nice Part.
Tara Buri Tarah Se Fass Gayi Hai Akash Ki Baaton Me
आकाश ने तारा को डबल क्रॉस कर रहा है वो बेचारी बेवकूफ बन रही है क्या कर सकती है मर्द की चिकनी चुपड़ी बातों में अक्सर लड़कियां आ ही जाती है
😟😟😟😟😟
Ohh my god …..Kitna ghatiya aadmi h Aakash…..or usse bhi badi bewacuf h Tara Jo uski baato me aarhi h
Nice 👍👍👍
Heart touching part
Aaj ke time ka bahut hi kadva sach h….live in relation kisi b tarah se sahi nhi h….isne pta nhi kitne logo ki life kharab ki h
Bahut sundar
Neech insaan hai ye ..
Amazing part ❤️
Very 😔😔😔😧😧😧