
बेइंतहा सफ़र इश्क का – 150
अपनी बहन का दर्द भरा अतीत सुनने का हौसला करने में विवेक को खुद में बहुत हिम्मत जुटानी पड़ी| तारा जहाँ अपनी जिंदगी की कहानी कहती कहती कितनी बार रोई और कब चुप हुई विवेक ने पलटकर नही देखा वह तो खुद ही अपने आंसू छिपाते उससे पीठ किए खड़ा था|
उसे क्या पता था जिस दुनिया को वह पंखो सी कोमल समझता हुआ ख़ुशी ख़ुशी जी रहा था वही दुनिया किसी दिन उसे बेरहम सच की पथरीली जमीन पर कसकर पटक देगी कि उसका सारा अस्तित्व ही छिल जाएगा|
तारा अभी भी कहे जा रही थी –
“मेरी जिंदगी की कहानी में सिर्फ प्रेम में धोखा नही विश्वास और भरोसे का धोखा भी है – वो विश्वास जो मुझे एक ऐसे शख्स से हुआ जिससे मैंने अंतरात्मा से प्रेम किया और यही मेरी पहली भूल थी कि एक धोखेबाज से मैं प्रेम करती रही और उसपर आंख मूंदकर यकीन करती रही – और उससे से बड़ी भूल ये थी कि एक शादीशुदा आदमी से प्रेम करती उसकी इस बात पर यकीन करती रही कि वह कभी तो अपनी पत्नी को छोड़ कर मुझसे शादी करेगा – नहीं जानती कि हर बार मैं ही खुद को धोखा देती रही या उसे धोखा देने का मौका देती रही|”
तारा बिलखती हुई कहती रही –
“मैंने आज अपनी जिंदगी का एक एक सच तुमसे कह सुनाया है – अब तुम इस घर को संभालो ताकि मैं अपनी जिंदगी की लड़ाई खुद लड़ सकूँ |”
“क्या करने वाली हो आप ?” विवेक अभी भी तारा की ओर पीठ किए हुए उससे पूछता है|
“मैंने अपने अतीत में जो वक़्त खोया है उसे किसी भी हालत में वापस तो नही पा सकती पर उसका बदला जरुर लुंगी – अब उस आकाश दीवान को मैं अपने सामने घुटनों के बल बैठे माफ़ी मांगते हुए देखना चाहती हूँ जिसकी वजह से मैंने अपना….|” अपने बच्चे का ख्याल करती तारा एकबार फिर अंतरस बिलख उठती है|
तभी तेज आवाज के साथ धड़धाते हुए तीन चार गुंडे टाइप आदमी उस घर में प्रवेश करते है| विवेक झटके से उनकी ओर देखता हुआ पूछता है –
“कौन हो तुमलोग और इस तरह यहाँ कैसे घुस आए ?”
इस पर तारा तेजी से कहती है –
“ये उसी आकाश के आदमी है |”
“तू कहे तो तेरे आदमी बन जाते है |” तारा की बात के जवाब में जग्गा भद्दी हंसी हँसते हुए कहता है|
इसपर विवेक तुरंत भड़कते हुए उनकी ओर बढ़ने लगता है पर वे सभी पहले से इस बात के लिए तैयार थे और विवेक के जग्गा के पास आते ही उसका एक आदमी उसके पीछे से किसी भारी चीज से तेजी से वार कर देता है जिससे वह तुरन्त ही बेहोश होता जमीन पर ढह जाता है|
ये देखते तारा चीखती हुई तुरंत विवेक की ओर लपकती है पर वे गुंडे उसे पकड़ने लगते है| ये सब शोर होते बगल के कमरे में लेटे उसके पिता तारा को आवाज लगाते हुए उधर आने को होते है उससे पहले ही एक गुंडा उन्हें देहरी पर ही रोकता हुआ जग्गा से पूछता है –
“भाई इस बुड्डे का क्या करना है ?”
“अबे पहले ही मरा हुआ लग रहा है – धकेल दो इसे कमरे में और कमरा बंद कर दो – ये अपने आप ही मर जाएगा |” कहते हुए जग्गा अब तारा की ओर ध्यान देता है पर इस पल के मौके का फायदा उठाकर तारा बाहर की ओर भागने लगती है|
वह किसी तरह से उन गुंडों से भागकर पुलिसथाने जाना चाहती थी| उसे इस तरह अपने चंगुल से भागते देख जग्गा अपने गुंडों पर चिल्लाते हुए कहता है –
“इस बुड्ढे को छोड़ो उस रसाली को पकड़ो |”
तारा बेहिसाब भागी जा रही थी| भरी दोपहर का समय था और सड़के काफी सुनसान थी लेकिन एक आध लोग जो दिख भी रहे थे उन्हें लोग कहना तो सरासर गलत ही था| वे गुंडों को एक असहाय लड़की के पीछे भागते हुए चुपचाप देखते रहे| अगर वे चाहते तो मिलकर उन गुंडों से सामना करके उसे बचा सकते थे पर वे वो भीड़ थी जिसे बाद में उसे खबर की तरह पढ़ते ये तय करना था कि आजकल लोग कितने असंवेदनशील हो गए है|
तारा अकेली असहाय भागती उसी पल किसी वाहन से टकराती वह सड़क के एक ओर उछाल दी गई| सड़क पर अप्रत्याशित एक्सीडेंट से पल में ही वहां भीड़ लग जाती है| जग्गा भी अपने आदमी के साथ उसी भीड़ में शरीक हो जाता है| ट्रेफिक पुलिस तारा को सरकारी हॉस्पिटल पहुंचाती है| जग्गा भी उसके साथ साथ चुपचाप ही पीछे लगा रहता है|
पुलिस उसे भर्ती कराती खानापूर्ति करती चली जाती है| तारा हॉस्पिटल में थी और विवेक अपने घर में बेहोश पड़ा था| उसके पिता उसे किसी तरह होश में लाते है इससे वह अपनी बहन की खोज करने निकल पड़ता है|
ये सारी खबर अब तक आकाश तक पहुँच चुकी थी और वह किसी भी तरह से तारा से छुटकारा पाना चाहता था जिसमे स्टैला उसकी पूरी पूरी मदद करती है| वह उसे आगे का सारा प्लान समझाती है और आकाश भी आंख मूंदे वही करने को तैयार हो जाता है|
पूरी कहानी को कुछ और ही रंग दे दिया जाता है जब तक विवेक तारा का पता करते करते हॉस्पिटल पहुँचता है तारा पर जग्गा एसिड एटैक कर चुका था जिसका पूरा इल्जाम विवेक पर लगा दिया गया| और पैसो के बल पर सबूत जुटाना कोई बहुत बड़ी मुश्किल बात नही थी और बाकी का काम स्टैला ने अपने न्यूज मीडिया से कर दिया|
कुछ मिलकर सारी कहानी को ऑनर किलिंग का जामा पहना दिया गया कि तारा के किसी से अवैध सम्बन्ध थे जिससे नाराज उसके भाई से उसपर जानलेवा हमला किया जिसके सबूत मिलते न किसी ने विवेक की सुनी और न तारा कहने लायक रही| इसके बाद विवेक को जेल हो गई और तारा को उसकी बुरी हालत में मरने छोड़ दिया गया|
अब उसके लिए मौत से ज्यादा बुरी जिंदगी थी जिससे एक बार फिर उसने अपना मानसिक संतुलन खो दिया और फिर से उसे मेंटल हॉस्पिटल के पीछे धकेल दिया गया| सारा कुछ स्टैला के प्लान के अनुसार होता गया पर उस वक़्त आकाश को नही पता था कि वह समस्या को खत्म नही कर रहा बल्कि समस्या में तो वह अब फसने जा रहा है|
जो कुछ भी तारा के साथ हुआ वो सब स्टैला के इशारे पर हुआ पर उसने सारे सबूत आकाश के खिलाफ इकट्ठे कर लिए| अब सामने आने की बारी उसकी थी| आकाश को लगा उसने तारा नाम की समस्या से छुटकारा पा लिया पर उसे नहीं पता था कि अब उसके लिए स्टैला नाम के मकडजाल से निकलना लगभग नामुमकिन था|
अब आकाश मजबूर होकर उससे मिलने आया और वह पूरे अंदाज से उसके आगे खड़ी थी जबकि आकाश के हाव भाव बेबस नज़र आ रहे थे|
“ये सब क्या है स्टैला – तुम जो चाहती हो मैं दे रहा हूँ न फिर मुझे ब्लैकमेल करने का क्या मतलब ?”
“ओह डियर – अभी तक वो सब कहाँ तुमसे लिया जिससे सिर्फ मुझे मजा आए |”
इसपर आकाश बुरी तरह से उसे घूरने लगता है जबकि वह लहराती हुई उसके सामने आती अपनी दो उंगलिया उसकी नजरो के आगे करती हुई कहती है –
“जानू जरा इन दोनों उंगली में से एक तो पकड़ना !”
इसपर आकाश उसे और बुरी तरह से घूरने लगता है जिसपर स्टैला भी तेवर बदलती उसे आंख दिखाती हुई लगभग तेजी से बोली –
“मैंने कहा एक पकड़ो |”
घबराकर आकाश एक उंगली पकड लेता है जिसपर वह मादक हंसी हँसती हुई कहती है –
“ओ डियर पता है तुमने कौन सी उंगली पकड़ी – ये मेरी वाली थी – और जो तुमने नहीं पकड़ी वो दूसरे मीडिया हाउस की थी जिसका मतलब होता मैं सारे सबूत किसी और मीडिया को बेच दूँ पर देखो तुमने फिर मुझे ही चुन लिया और अब सारे सबूत मेरे पास ही सुरक्षित रहेंगे – ये अच्छा है न !”
“सीधे सीधे बोलो तुम मुझे ब्लैकमेल कर रही हो !”
“अरे बाबा प्यार से कहती हूँ तो समझ नहीं आता तुम्हे – चलो ये सब छोड़ो – अब देखो मेरा तीन दिन का ऑफ है तो सोचती हूँ पेरिस ही घूम आती हूँ – जानू कल का टिकट करा देना – |”
“मैं तुम्हे कुछ भी नहीं दूंगा – ये सब तुम्हारा किया धरा है |”
“अच्छा ये बात साबित कैसे करोगे और क्या कहोगे दुनिया को कि मैं तो भोला पंछी था और जो स्टैला कहती गई मैं चुपचाप करता गया – और तारा की मेडिकल रिपोर्ट का क्या ? और डॉक्टर से तुम्हारी हुई बात की कॉल रिकोर्ड पर क्या कहोगे ? और वो सो कॉल बच्चा तुम्हारा था न ! तारा भी तुम्हारे साथ रहती थी – उफ़ अब क्या क्या सबूत बताऊँ – थक गई मैं तो |” नखराती हुई स्टैला आराम से बैठती अपना नेलपेंट देखती हुई कहने लगी –
“अरे तुम्हारे पास किस बात की कमी है – थोड़ा अपने सागर से दो चार लोटा पानी दे दोगे तो खाली नही हो जाओगे तुम !”
इस पर आकाश खीजता हुआ कहता है – “मुझे तुमपर भरोसा करना ही नहीं चाहिए था|”
“देखो भरोसे का तो तुम नाम ही मत लो और हाँ मुझे तारा समझने की भूल मत कर लेना – इसलिए जो कहती जाऊ चुपचाप देते जाओ – तुम भी खुश और मैं भी खुश – फिर हम ख़ुशी ख़ुशी फॉर एवर रहते रहेंगे |” कहती हुई स्टैला कसकर हँस पड़ी जबकि आकाश की हालत बुरी होने लगी| अब समझ आ रहा था कि वह अनजाने में ही खुद को किस जाल में फसा चुका था|
प्रिय पाठको बेइंतहा को मिले इस बेहिसाब प्यार से मैंने सोचा अब आप अपनी कहानी को और भी करीब महसूस कर सके तो क्यों न उसे सुनाया जाए….मेरे youtube चैनल जिसका मैं लिंक दे रही हूँ उसपर जाकर आप ये कहानी सुन सकते है…तो लगाए इयर फोन और खो जाए इश्क की दुनिया में जिससे एक बार फिर से बेइंतहा को शुरुवात से जीने का आपको मौका मिलेगा…..
क्रमशः………
Ise khte h jese ko tesa………Aakash Tara se chutkaara Pana chahta tha bt khud hi fas gya
Badhiya sabak Mila akash deewan ko
But vivek ke saath bahut bura hua bechara begunaah jail mein daal diya gya
Amazing part ❤️
आकाश तारा से तो छूट गया स्टेला तो मकड़जाल है जिसमें वो फंस चुका है मुझे अर्चना पढ़ने में ही मज़ा आ रहा है यूट्यूब पर नहीं
अब आया है ऊँट पहाड़ के नीचे…बहुत ही अच्छा हुआ आकाश के साथ लेकिन तारा का क्या हुआ?????
Ye Jo aakas ne Tara ke sath Kiya uske aage kuch bhi nhi h ye snja aakas to to ar bhi batate jindgi milni chiye usne ek nhi Kai जिंदगी खराब की h
Acha to ye baat h iske liye hi Stella aakash ko blackmail kiya krti h…..
Shi hi h jese ko tesa…..
Pr isme ye to btaya hi nhi ki bhumi tara or uske bhai ko kese janti h….
Bhumi ne aakash ko kyon kha tha k ye tara ka bhai h na…..??
आगे पता चलेगा
Nice part❤️
Stella to shuru se chalak lomdi lagi hi thi.. to yahi dukhti rag stella ke hath hai akash ki . Vivek aur Tara ko kitni bure tarike se fasaya .. Vivek ka badla Lena Banta bhi hai.. par tarika galat tha.. menka ko is me involve nhi karna chahiye tha..
Bhut acha hua aakash k sath jaisa usne Tara k sath Kiya uske sath waisa he hona chahiy
Tara ke sabut ke dam pr hi stella aakash ko black mail kr rhi h…..aakash ke sath to bahut bura hona chahiye….but bahut baar gunhgaar ke sath begunah b saza pate h….vhi menka ke sath hua h….ab lagta h aakash ke paap ka ghada bhar gya h tabhi Ranjit or vivek use barbaad karne pr aamada h….but vivek ka rasta galat ….lekin Ranjit ka tarika bilkul sahi h
Nice 👍👍👍
Bahut khoob jaisi karni waisi bharni
Jo mja mujhe pdne me aata h wo suune me nhi,to me to apki pyare pyare story ka mja padker he lunge.
Speechless
Bahut sundar
Very very👍👍🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔👍👍👍