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बेइंतहा सफ़र इश्क का – 157

दीवान लिमिटेड में मची हलचल अब दिखने भी लगी थी, कुछ बिजनस एसोसिएट तो कुछ फ़ाईनेन्शल कम्पनी से अपना किनारा कर चुके थे| आज उन्ही शेष एसोसिएट संग मीटिंग रखी गई थी| कोफ्रेंस हॉल में ब्रिज अपने प्रेजेंटेशन के साथ तैयारी में थे| दीवान साहब अभी वहां आए नही थे, वे अपने केबिन में आकाश संग कुछ डिस्कसन कर रहे थे| अरुण भी वही था जब तक कोई कॉल नही आ गई थी|

वह अब उस कॉल को लिए बाहर किसी एकांत में खड़ा कह रहा था –

“जी मुझे आपके कॉल का ही इंतजार था – एक्चुली एक मेरा फैमिली नंबर है जिसमे मुझे लगता है कोई थेरेटन कॉल आ सकती है तो उस नम्बर को कुछ दिन के लिए मुझे सर्विलेंस पर लेना है – अगर आप इस लीगल प्रोसेस को करने में थोड़ी हेल्प कर दे तो ..|”

अरुण अपनी बात अधूरी छोड़ता फोन के विपरीत मौजूद कमिश्नर की प्रतिक्रिया का इंतजार करने लगता है|

“वेल पर्सनली तो ऐसा कोई नहीं कर सकता पर कुछ वीआईपी नम्बर के लिए हम ऐसा कर सकते है – अगर आपको ऐसा ही लगता है तो कुछ दिनों के लिए उस नंबर की सारे कॉल रिकार्ड की जा सकती है – यू डोंट वरी – ये काम सिक्रेटली हो जाएगा |”

इसपर शुक्रिया अदा करता अरुण आकाश का नंबर उन्हें दे देता है| इस वक़्त उसके दिमाग में क्या चल रहा है और वह क्या करने वाला है ये तो शायद उसने खुद को भी जाहिर नहीं किया था|

वह अब ऑफिस में रूबी का पता करने इंचार्ज को कॉल करता है तब उसे पता चलता है कि आज रूबी आई ही नहीं ये सुनते वह वापस कोंफ्रेस हॉल में आ जाता है जहाँ अब सभी मौजूद थे दीवान साहब से लेकर कुछ एसोसिएट तक|

ब्रिज बिजनेस की वर्तमान सिचुएशन को प्रेंटेशन के जरिए बता रहा था जिसे सुनते सभी के चेहरे के हाव भाव आ जा रहे थे|

इस बात को आगे बढ़ाते हुए एक एसोसिएट उनको सुझाव देता हुआ कहता है – “मेरा सुझाव है कि इस वक़्त जो आपकी कंपनी की स्थिति है उसको देखते आपको रंजीत सर के साथ कोलैब्रेट कर लेना चाहिए |”

ये सुनते ही आकाश एकदम से भड़कते हुए कह उठा – “साफ़ साफ़ क्यों नही कहते – हम उसके पास जाए, गिडगिडाए और उसकी मनमानी चुपचाप मंजूर कर ले -|”

“फिर आप ही बताए कि आप अपनी उन कम्पनी जिसका अधिपत्य आपके पास नही रहा उसकी तुलना मे बची कम्पनी से अपना माल कैसे सप्लाई कर पाएँगे –दिस इज इम्पोसिपल – फिर रही सही आपकी साख भी चली जाएगी -|”

उस एसोसिएट की बात पर दीवान साहब के चेहरे पर परेशानी उभर आई वही आकाश भुनभुनाता हुआ बगले झांकने लगा तब अरुण कहना शुरू करता है –

“हम व्यवसाय की संरचना में चेंजेस करेंगे |”

“चेंजेज !!!”

“किस तरह के चेंजेस ?”

सभी हैरान उसकी ओर देखने लगे तब वह आगे कहता है – “मैन्युफैक्चरर से लेकर डिस्ट्रीब्यूटर और डिस्ट्रीब्यूटर से लेकर कस्टमर तक सब कुछ चेन सिस्टम से गुजरता है – और इसी चेन सिस्टम में हम चेंजेस करके अपनी आपूर्ति को पूरा कर्रेंगे |”

इस पर आकाश हँसी उड़ाने वाले अंदाज में कह उठाता है – “ऐसा करो अरुण तुम कम्पनी के सीईओ बन जाओ फिर आराम से चेंजेस करते रहना |”

“थैट्स गुड आइडिया |” अचानक बीच में एक एसोसिएट बोल उठा इससे आकाश के चेहरे का हाव भाव ही बदल गया|

अब उसके साथ साथ बाकी के एसोसिएट भी बारी बारी से कहने लगे –

“हाँ हमे भी कोई एतराज नही – |”

“हाँ हमे भी |”

“इस तरह से कुछ पोजिटिव होने की उम्मीद की जा सकती है – अब दीवान साहब आप बताए |”

सभी अपनी हैरान नज़रे दीवान साहब की ओर मोड़ देते है जबकि आकाश के चेहरे पर बारह बज आए थे| वह काफी समय से कंपनी का सीईओ था और इससे इतर की उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी| जो बात उसने मजाक के लिए बोली थी उसे लेकर सभी इतने सीरियस हो जाएँगे ये उसने सोचा भी नहीं था|

अब सबकी निगाह दिवान साहब की ओर थी जो कम्पनी के निर्देशक थे और ये फैसला सिर्फ वही ले सकते थे| इससे पहले कि वे कुछ कहते अरुण कह उठा –

“इसकी कोई जरुरत नही है – मैं अपने स्तर पर रह कर भी कम्पनी के लिए कर सकता हूँ |”

अरुण की बात खत्म होते दीवान साहब कह उठे – “अगर तुम जैसा सोच रहे हो वैसा कुछ करना चाहते हो तो इसके लिए इसके राइट्स तुम्हारे पास होने चाहिए अरुण – एक सीईओ होने के बाद तुम अपने निर्णय स्वतंत्र हो कर ले सकते हो – और फिर बाकी सभी भी यही चाहते है तो मुझे भी उनका निर्णय मंजूर है|” अबकी बात कहते कहते वे आकाश की ओर नज़र घुमाते है जिसका चेहरा तना हुआ नज़र आ रहा था|

अगले ही पल सब कुछ एक डोक्युमेंट प्रक्रिया के रूप में आ गया और दीवान कम्पनी का सीईओ अरुण को बना दिया गया| जल्दी ही मीटिंग समाप्त हो गई और उन तीनो के अलावा बाकि सभी कोंफ्रेसं हॉल से चले गए|

अब दीवान साहब अरुण की ओर देखते हुए कहते है –

“तो अरुण कैसे करोगे ये सब ?”

आकाश भी सख्त नज़र से उसी को देखने लगा|

अरुण कहता है – “अब आपने मेरे ऊपर इतना भरोसा किया है डैड तो विश्वास रखिए मैं दीवान लिमेटेड का नाम डूबने नही दूंगा -|”

“पर करोगे क्या ?” आकाश पूछता है|

“बस आज मैं अपने स्ट्रेजिटी तैयार कर लूँगा – कल बताता हूँ सब – फिलहाल मैं डिस्ट्रीब्यूटर से मिलने जा रहा हूँ |”

अरुण की बात पर आकाश तंज कसते हुए कहने लगा – “एक सीईओ होकर तुम डिस्ट्रीब्यूटर से मिलने जाओगे – पहले अच्छे से सीईओ बनाना तो सीख लो |”

इस पर अरुण सरल मुस्कान के साथ कहता है – “कोशिश करूँगा |”

कहता हुआ अरुण अब अपने पिता की ओर देखता खड़ा होते हुए कहता है – “डैड आधे घंटे में रामानंद आ जाएँगे तब आप जरुर घर वापस चले जाइएगा – अभी आपका आराम करना ज्यादा जरुरी है –|”

रामानंद उसके पिता का ड्राईवर था| अरुण की बात पर मौन हामी भरते वे अरुण को जाता हुआ देखते रहे|

उसके जाते वे आकाश की ओर देखते है जो बेहद तनाव में नज़र आ रहा था| एक पिता और एक निर्देशक के नाते वे आकाश के स्वभाव को भली भांति जानते थे| इससे वे आकाश की ओर देखते हुए कहने लगे –

“आकाश – इस वक़्त जो कुछ भी तुम्हारे मन में चल रहा है – मैं अच्छे से समझता हूँ |”

“तो फिर ऐसा फैसला क्यों लिया आपने ?”

“वक़्त की नजाकत को समझो आकाश |”

“डैड इस वक़्त वक़्त ही खराब चल रहा है और ऐसे समय बचा हुआ भी हमने गँवा दिया तो !!”

“अब डूबने को बचा ही क्या है ? आकाश मैंने तुम्हे हमेशा भरपूर मौका दिया अपनी काबिलियत दिखाने का – आज अरुण की बारी है – उसे भी उतना ही मौका मिलना चाहिए – फिर अब तो हमारे पास गंवाने को बचा ही क्या है – ये तीस दिन अगर कम्पनी अपने डिस्ट्रीब्यूटर के सारे नोम्स पूरे नही कर पाए तो फिर हमारे पास कुछ नहीं रह जाएगा – इसे समझो आकाश |” कहते हुए वे आकाश की ओर सहयोग भाव से देखते हुए कहते है – “आज उसे भी तुम्हारे सहयोग की जरुरत है – गिव हिम योर सपोर्ट |”

आखिरी शब्द वे इतने गहरे भाव से कहते है कि आकाश के हाव भाव भी नम पड़ जाते है और वह एक गहरा निश्वास खींचता हुआ अन्यत्र देखने लगता है|

***
किरन सारंगी के साथ उसी हॉस्पिटल आ गई जहाँ उसके पिता एड्मिड थे| उस वक़्त अचानक किरन को सामने देख उनके मन की क्या हालत हुई ये उस नज़ारे को देखने वाला भी शब्दों से नहीं बता सकता| उस सुप्तावस्था से वे ऐसे उठे थे जैसे कोई लम्बी उम्र काटकर आया हो| मुरझाए चेहरे पर ढेरो लकीरे जैसे हर दर्द और शिकायत का चिन्ह प्रदर्शित कर रही थी|

फिर गले लगते कितने आंसू नदी बन गए ये उनका भीगा चेहरा इसका प्रमाण था| सारंगी अब उन्हें वो सब बता देती है जो किरन ने उसे बताया था ये सब जानते उनके हाव भाव वेदना से भर उठते है| वे बिसूरती हुई किरन को सँभालते हुए कहते है –

“तू क्यों रोती है – तेरी कोई गलती नही – गलती तो मेरी है |”

“नहीं बाबू जी |”

“हाँ बेटी – मेरी तरह हर वो पिता गलत है जो अपनी बेटी को ससुराल में कैसे रहना है ? सबका कैसे ख्याल करना है ? कैसे सबके दुःख दर्द अपने बना लेना है? ये सब तो अच्छे से सिखा देता है पर अपनी बेटी को ये नहीं बताता कि उसे अपने हक़ के लिए क्या करना है या किस हद तक उसे सब कुछ सहना है – और सहन शक्ति को असीम सीमा तक बढ़ाते बढ़ाते वो बेटी खुद कितना टूट जाती है ये किसी को पता नही चलता – तू खुद को इंसान समझना भूल गई थी क्या ? हाँ शायद मैंने ही नहीं सिखाया – सच में नहीं सिखाया कि अत्याचार करना जितना गलत है उतना सहना भी गलत है – सब कुछ तू चुपचाप सहती चली गई – अगर तुझे अपने हक के लिए खड़ा होना सिखाया होता तो इतना दर्द तेरे हिस्से नहीं आता |” कहते कहते उनकी आंखे डबडबा गई|

किरन भी अपने आंसू नही रोक पाई फिर भी वह अपने पिता के आंसू पोछने लगी लेकिन आज वे इतना कुछ कहना चाहते थे कि सारा मन का गुबार निकालते रहे – “जब बिना देखे किसी परिवार संग तुम्हारा रिश्ता कर दिया तब ही तुझे मुझसे सवाल करना चाहिए था पर नही सवाल करती तो अच्छी बेटी कैसे कहलाती – जब सारी दुनिया तुझपर लांछन लगा रही थी तब सबके सामने आती और सारा सच कह पाती पर कहाँ तेरे पिता ने तुझे इतना हौसला दिया – तुझे तो सिखाया था कि अपने मन से ज्यादा अपने परिवार की इज्जत का ख्याल रखो – और तूने सच में अपनी सारी इच्छाएँ होम कर दी इसके लिए – आज तो मन करता है हर मेरे जैसे बाप को पकड़कर मैं समझाऊ कि बेटी को अच्छी बहु बनाने से पहले एक इन्सान रहने की सीख भी दो ताकि उसे पता रहे कि उसे किस हद तक सब सहना है |”

कहते कहते वे बुरी तरह से बिलख उठे तो उन्हें संभालती हुई किरन अब उन्हें चुप कराती हुई कहने लगी –

“बस आप अब कुछ मत बोलिए – नहीं तो मैं आपकी नज़रो से सामने से चली जाउंगी |”

“न न बेटी अब – ऐसा नही होने दूंगा |”

भीगे मन को समेटे अब पिता पुत्री गले लगे धीरे धीरे सिसकते रहे|

क्रमशः…….

एक महीने में youtube और यहाँ दोनों स्टोरी साथ साथ हो जाएगी क्योंकि youtube में लम्बे लम्बे पार्ट्स आएँगे…….अगर आप यहाँ कमेन्ट करते है और नहीं होता तो मुझे स्क्रीन शॉट भेजे….मुझे प्रॉब्लम समझ आएगी….

22 thoughts on “बेइंतहा सफ़र इश्क का – 157

  1. Arun jarur deewans ke business ko bapish apni position pr le aayega…..sach kha h kiran ke pita ne apni beti ko achcha bante bante itna b nhi jhukna chahiye ki vo khud hi tut jaye

  2. Ab Aakash ki sari Pol Patti khul Jayegi Kitna ganda insan hai Aakash Itna dhokebaj Makkar hai😈

  3. अरुण का दिल सच्चा है वो जरूर सफल होगा आकाश स्टेला सबका सच सामने आएगा 👌👌👌👌 किरण भी अपनी मंजिल पाएगी

  4. अब आकाश का कच्चा चिट्ठा खुल जाएगा और अरुण अपने एम्पायर को डूबने से बचा लेगा l अगले भाग में उम्मीद करते हैं कि अरुण और किरण भी मिल जाए….

  5. Kya baat h ….ek majak Aakash ko bhari pd gya….now Arun ab ceo h or ab is company ki Dasha or disha dono hi badalne wali h….
    Bs ab dekhna h Arun or Kiran kb milte h

  6. Sooo very nice parts ab aakas ki pol khul jayegi ar Arun ko bhumi ar aakas ke riste ke bare bhi pta chal jayega

  7. आज काफी समय बाद वेबसाइट खुल पाई है। और करीब 10 पार्ट्स एकसाथ पढ़े।
    काफी कुछ हो गया है। भूमि का शुभचिंतक यानी की रंजीत कभी उसके बारे में जान पाएगी क्या भूमि?
    किरण को अब उजला बन कर नहीं रहना पड़ेगा। पर अरुण और किरण कब आमने सामने आएंगे और अपने प्यार को एक दूसरे को बता पाएंगे?
    वैसे लगता है अरुण अब स्टेला के बारे में भी सब जान जायेगा। आखिर आकाश का फोन टैपिंग पर जो लगाया है।
    अगले भाग का इंतजार है।

  8. Woww.. Arun CEO ban gya.. ab vo sab thik kar hi dega.. Arun aur kiran bhi ab mil jaye to mazaa a jaye..
    Ab akash ki karastaani bhi sahmane a jayegi..
    Sahi kaha kiran k pita ne .. beti ko apne liya jeena bhi sikhana chahiye…

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