
बेइंतहा सफ़र इश्क का – 158
आज का दिन भूमि के मन के सुकून का दिन था जहाँ सुबह सुबह उसकी संस्था की परेशानी झट से दूर हो गई वही किरन को अपने इतने पास पाते उसकी तो ख़ुशी का ठिकाना न रहा| अब तो उसका मन बस दीवान साहब के मेंशन लौटने का इंतजार कर रहा था ताकि इस ख़ुशी को ख़ुशी का असल जामा वह पहना सके| वह अभी अभी अपनी संस्था में फोन लगा कर अपने न आने की सूचना देती हुई पूछने लगी –
“अच्छा पता चला क्या कल्याण का कोई ?”
उधर से आवाज आती है –
“नहीं मैडम जी – उसकी बीवी को भी उसके बारे में कुछ नही पता – बोल रही थी जाने कबसे वह अपने घर खुद नहीं लौटा – उसके बच्चे बड़ी बुरी हालत में है मैडम जी |”
“ओह – ऐसा करो – कल्याण के परिवार तक हर तरह की सहायता पंहुचा दो और उनकी पत्नी को बोलो कि जैसे ही कल्याण वापस आए तो मुझे सूचित करे |”
ठीक है कहती वह संस्था की कर्मचारी फोन रख देती है अब भूमि मेनका के पास चल दी थी|
इन सब चक्करों में वह अभी तक मेनका से तो बात कर ही नहीं पायी थी| इससे वह मेनका के पास आती है जो अपनी उदासी में लिपटी चुपचाप खिड़की के बाहर का उदास आसमान निहार रही थी|
“हाँ पता है किरन के जाते घर सूना हो गया पर अभी मैं भी हूँ घर में |” हँसी की फुहार उड़ाती हुई भूमि मेनका के पास आती उसका सर सहलाने लगती है|
इस पर मेनका भूमि का हाथ थामे हुए कहने लगी –
“लकी हूँ कि इतनी अच्छी भाभीयां जो है मेरे पास – बस अपने मामले में ही किस्मत खराब निकली |”
“कैसी बात करती है – |”
“क्या ये सच नहीं है भाभी !!”
मेनका की उदास नज़र भूमि की आँखों से छिपी नहीं थी फिर भी वह किसी तरह से मुस्कराती हुई मेनका से कहने लगी –
“देखना सब धीरे धीरे ठीक हो जाएगा – देखो – आखिर हमने कभी सोचा था कि यूँ अचानक से किरन हमे अपने इतने पास मिल जाएगी – आज वाकई लगा कि समय से पहले किसी को कुछ नही मिलता |”
“पर कुछ की किस्मत मेरी तरह होती है जिनके लिए समय कभी अच्छा नही होता – नहीं तो क्या जिस विवेक को मैं जानती हो उसका अतीत इस घर के अतीत से जुड़ा होता !! क्या ऐसा होना मेरी ही किस्मत में था !!”
ये सुनते भूमि अचानक से चौंकती हुई कह उठती है –
“मतलब तुम विवेक के बारे में जानती हो सब ?”
“हाँ भाभी – मुझे सारा सच पता है और अब लगता है काश नही पता होता तो अपने ही भाई से इतनी नफरत नही होती |” कहती हुई मेनका चेहरा ढांपे बुरी तरह सिसक उठी|
भूमि आगे बढ़कर उसे अपने अंक में समेटती हुई कहने लगी –
“क्या विवेक ने तुम्हे बताया सब ?”
“हाँ खुद उसी ने मुझे सारा सच बताया – तो क्या भाभी आप भी आकाश भईया और विवेक की बहन तारा के बारे में सब जानती है ?” हैरानगी से वह भूमि का चेहरा देख रही थी पर उसे विश्वास नही आया कि भूमि इस पर हाँ में सर हिलाएगी| ये देखते वह भूमि को पकड़ती हुई कहने लगी – “आप सारा सच जानती है और फिर भी इस रिश्ते को निभा रही है – क्यों भाभी ?”
“क्योंकि मेरा रिश्ता सिर्फ आकाश से नही इस परिवार से भी है – तुम, अरुण, क्षितिज हो मेरा परिवार |” भूमि मेनका का चेहरा थामे कहती रही – “मैं तो बचपन से अकेली रही पर जब इस परिवार में आई तो लगा मुझे मेरे छोटे भाई बहन मिल गए – तो बोलो कैसे इस परिवार को छोड़ दूँ मैं ?”
“भाभी ..|” मेनका बिलखती हुई भूमि से लिपट गई|
अब भूमि उसका सर हौले हौले सहलाती हुई कहने लगी – “कुछ बाते बस समय के हाथो में होती है – उनपर हमारा कोई बस नही चलता मेनका – मुझे अफ़सोस है कि मैंने जब तारा के बारे में जाना तब तक बात हाथ से निकल चुकी थी और मैं उसके लिए कुछ नहीं कर सकी – इसका मुझे बहुत अफ़सोस है |”
“मैं तो उनकी हालत देख भी नहीं सकी – यकीन नहीं आता कि जिस भाई के साथ मैं रहती हूँ वो इतना हैवान भी हो सकता है – उफ़ उनका जला चेहरा…|”
“क्या !! तुम कब कैसे मिली तारा से ? क्या जिन्दा है वह ?”
“जिन्दा क्या वे तो जिन्दा लाश की तरह है – |”
भूमि हडबडाते हुए पूछती है – “क्या मिला सकती हो उससे ?”
मेनका अफ़सोस से जवाब देती है – “आप नही मिल सकती उनसे |”
“मतलब ?”
“वह खो गई कही – विवेक से मैंने ही जिद्द की थी कि उनसे मिलूं लेकिन मुझसे दरवाजा खुला रह गया तभी वे कही चली गई – उस रात हमने बहुत खोजा पर उनका कही अता पता नहीं चला – अब पाता नही विवेक अभी तक उन्हें ढूंढ भी पाया या नहीं |”
“ओह – |”
“कभी कभी सोचती हूँ कि काश ये सब नहीं जानती तो बेहतर होता – भाभी विवेक इस समय बहुत अकेला है – मैं तो उसके साथ ही रहना चाहती थी लेकिन उसी ने मुझे यहाँ भेज दिया – |”
“सब्र करो मेनका – नियति अपना काम कर रही है – समय से पहले और समय से ज्यादा किसी को कुछ नही मिलता – मुझे भी तारा के लिए इंसाफ का इंतजार है बस देखना है नियति इसे कैसे पूरा करेगी ? लेकिन साथ ही इस परिवार को टूटते हुए भी मैं नहीं देख सकती – देखती हूँ भविष्य अब हमसे और कौन कौन सी परीक्षा लेता है ?”
एक गहरा श्वांस छोड़ती हुई भूमि मेनका का हाथ थाम लेती है|
***
इस वक्त दीवान मेंशन में अजब सा माहौल बना था न ठीक से ये लग रहा था कि इस घर में खुशियाँ आ रही है और न पूरी तरह से घर उदास लग रहा था| मेनका की वापसी भी इस वक़्त अजब हालात में हुई थी| उधर किरन के मिलने से खुशियों का द्वार खुलता सा महसूस हो रहा था|
दीवान साहब भी ठीक होकर मेंशन में वापस लौट आए| उनके लिए सुबह से ही दादा जी मठ में उनके लिए पूजा हवन और भोजन करवा रहे थे पर इस बीच क्या क्या बदल गया ये उन्हें लौटने पर खबर हुई|
हालाँकि वह किरन का सच जानते थे पर दिल पर पत्थर रखकर चुप थे लेकिन हवन पूजन के बाद जब वे वापस आए तो भूमि के जरिए किरन की मेंशन से विदाई का सुनते वे सीधे मंदिर जा पहुंचे| ईश्वर के चरणों में गिरे वे उनका धन्यवाद् करने लगे|
उन्हें लगा अब शायद सब कुछ ठीक होने लगा है फिर भी अभी भी दीवान साहब के मन के क्या होगा ये सोचते वे थोड़े उदास भी बने थे|
शाम होने से पहले ही दीवान साहब मेंशन लौट आए और अब किरन की खबर उनका इंतजार कर रही थी| भूमि बेसब्र होती उनके पास पहुँच गई और सारा सच कहती हुई अब उसके उत्तर का दिल थामे इंतजार करने लगी|
दादा जी भी उनसे मिलने के बहाने किरन पर वे अब क्या फैसला लेते है ये जानने उनके पास आ पहुंचे थे| कुछ पल तक सारा माहौल जैसे किसी मौन के अतल में समां गया| भूमि व्याकुलता से उनकी ओर देख रही थी तो वही दादा जी बार बार अपनी छड़ी की मूठ को दाबे मन ही मन कोई प्रार्थना कर रहे थे|
आखिर उस मौन को तोड़ते दादा जी कहने लगे –
“श्याम – अब जो कुछ भी फैसला लेना सिर्फ और सिर्फ इस परिवार के हित के लिए लेना – दुनिया का कुछ मत सोचना – क्योकि हम चाहे जो कर ले पर दुनिया के हर सवाल का जवाब नहीं बन सकते – हर बात कर सवाल उठाने वाली दुनिया कभी साथ देने नही खड़ी होती बस उसे तो उंगली उठानी आती है – अब तुम सोच कर बता दो कि तुम्हारे मन में क्या है ?”
ये सुनते दीवान साहब गहरा शवांस भीतर खींचते हुए कहने लगे –
“भूमि .|”
“जी !!” अपना नाम सुनते वह हतप्रभता से उनकी ओर देखने लगी|
वे आगे कहते है – “बीते समय का शायद मुहर्त ठीक नही था अबकी तुम मुहर्त दिखवा लेना – आखिर दीवान परिवार की बहु की विदाई है तो सब अच्छे से होनी चाहिए |”
उनके इतना कहते जैसे ख़ुशी बेसब होती होंठो पर बिखर गई| दादा जी की आंखे तो डबडबा उठी वही भूमि तो दो पल तक खड़ी ये तय ही नहीं कर पाई कि आगे क्या कहे|
इस मौन उमंग में वे आगे कहने लगे – “अब तुम बता देना कब चलना है |”
इसपर दादाजी झट से पूछ उठे – “क्या तुम भी चलोगे श्याम ?”
दीवान साहब कहते है – “जैसा आप सभी चाहे |”
ये बदला हुआ स्वर दीवान साहब का होगा ये कभी उन्होंने कल्पना नही की थी पर कहते है न वक़्त अच्छे अच्छे को झुकना सिखा देता है| यही कुछ शायद उनके साथ भी हुआ| किरन को भलेही वे नहीं जानते थे पर उजला से वे प्रभावित तो थे ही|
भूमि तो बस इसी पल का इंतजार कर रही थी कब अपने देवर की ओर से शगुन लेकर वह अपनी देवरानी की विदाई कराने जाए|
भूमि कहने लगी – “डैडी जो आपकी सहमती ही हम सबको इतना उत्साहित कर गई कि मन करता है बस अभी चली जाऊ – पर अभी हॉस्पिटल से पता चला कि आज शाम तक डॉक्टर उन्हें डिस्चार्ज दे देंगे तो मैं कल सुबह की सारी तैयारी करती हूँ – कल सुबह होते ही मैं शगुन के साथ उनके यहाँ पहुँच जाउंगी – और मेरे ख्याल से अभी आपको आराम करना चाहिए तो मैं दादा जी के साथ चली जाउंगी – आखिर सब आपकी की ही मंजूरी से हो रहा है |”
भूमि ख़ुशी उसके एक एक शब्द से झलक रही थी| उसकी बात पर वे सभी सहमत हो जाते है और अब दीवान मेंशन जैसे अब से अपनी नई ख़ुशी के इंतजार में एक बार फिर खिल उठा था|
क्रमशः……….
Woww.. kiran ab apne Ghar wapis ayegi.. ye vo banwaaas hai jo ram aur seeta ne sath sath door rehte huye kaata hai.. ab ram seeta ka matalab Arun kiran ka Milan bhi karwa dijiye❤️💕
Nice part. Next part ka intezar hai. Thanks for story
अब सब कुछ लगभग ठीक हो गया है लेकिन हमें तो उस पल का इंतजार है, जब अरुण अपनी किरण का घूंघट उठाएगा 💔💔💔💔💔👌👌👌👌🙏🙏
Ab lgta h deewan parivar m khushiyan a jaygi
Bahut achcha lg rha h ….ab sabne kiran ko sweekar kr liya h……lekin anhi tara ka kuch pta nhi lga h ….vo thik ho….ab aage aakash ka kya hoga
Kya sach mein itni aasani se Kiran Arun ka Milan ho jayega lagta nhi hai baaki jaisa hamari lekhika ji chahe
🥰🥰🥰🥰🥰🥰wow kya part tha mja aagya….bs ab Kiran k sath koi bura na ho….or dono mil jay….baki story to dheere dheere chlti hi rahegi….sbko apni manjil mil hi jaygi…..bs pahle Kiran or Arun mil jay
Iswareey satta ka nyay b ese hi hota h
Wow amazing part ab sab kuch thik ho raha hai. Pr intjar hai us pal ka jab Arun aur Kiran amne samne hoge kya manjar hoga wow.🤩🤩🤩
Bahut Hi Badhiya Bhag.
Ab Arun Aur KIRAN Ka Millna Dekhna Hai.
Aakash Ka Sach Jankar Arun Kya Karega? Ye Dekhne Ko Dil Bahut Beqarar Hai
Nice part …..
Aakhir ab kiran apne ghar aane wali h….. So excited……..
बहुत ही सुन्दर भाग ❤️
Nice 👍👍👍
Diwan sahb ka ye bdla rup bhut achcha lga sach m ab bs Kiran or Arun ke milne ka intejar h .
Very nice part
Very nice part 😊
चलो दीवान जी को तो ठोकर लग कर अक्ल आ गयी किरन को लाने को तैयार है लेकिन आकाश का सच जानकर क्या महसूस होगा नही पता
Very very😊😊👍👍😊😊😊😊😊😊😊🤔🤔
Nice part. Next part ka intezar hai. Thanks for story
Bahut hi badhiya part hai. Diwan pariwar ki khushiyan lout rahi hai.
Lekin aakash ko uske kiye ki saza kese milti hai ye dekhana hai.
Safar ishq ka bahut achcha👌
Nice part ❣️💕💕💕💕
Amazing part ❤️