
बेइंतहा सफ़र इश्क का – 159
वह तय नही कर पा रहा था कि वक़्त उसके साथ इंसाफ कर रहा है या उसे सजा दे रहा है| अपनी बहन को अपने पास पाकर ही उसे अपने परिवार के पास होने का जो क्षणिक अहसास था वो भी वक़्त ने उससे छीन लिया|
उसने तारा को खोजने में शहर की कोई गली कूचा नही छोड़ा, हर जगह वह अपनी बहन की तलाश करता रहा पर हर मोड़ पर बस निराशा ही उसके हाथ लगी| वह लगभग रुआंसा होता सर पकड़े बैठ गया|
तारा को वह इलीगल तरीके से सरकारी मेंटल हॉस्पिटल से लाया था, उसे अपने पास रखने का उसके पास कोई सरकारी कागज नही था इससे वह इस वक़्त न पुलिस की मदद ही ले सकता था और न कही उसकी तस्वीर छपवा सकता था पर कब तक वह इन अंधगलियों में उसे खोज सकेगा ?
“विवेक…!!”
सेल्विन उसके पास खड़ा उसे सांत्वना देने के सिवा कुछ नही कर सकता था|
“हिम्मत मत हारो – मैं भी खोज रहा हूँ |”
सेल्विन के कहते विवेक एकदम से चीत्कार उठा –
“किस किस गली को मैंने नहीं खंगाला – यहाँ तक कि हॉस्पिटल के लावारिस लाश के डिपार्टमेंट तक को खंगाल आया – आखिर अचानक एक ही पल में कहाँ चली गई ?” विवेक जैसे खुद से ही सवाल कर उठा – “पता नहीं कैसी अनहोनी है – जब किसी से न मिलना चाहो तब ये शहर कितना छोटा हो जाता है और जब किसी को तलाशो तक उसी शहर की सरहदे कितनी असीम हो जाती है|”
सेल्विन के पास भी इस बात का कोई जवाब नहीं था वह एक गहरा उच्छ्वास लेता उसके सामने कुछ पल तक मौन खड़ा रहा| उसकी नज़र विवेक पर थी जिसका हर हाव भाव बेहद तना हुआ नज़र आ रहा था मानों किसी अनदेखी आग में उसका समस्त अस्तित्व सुलग रहा हो|
विवेक आक्रोश में कहता रहा – “मन करता है इस सारी दुनिया को आग में झोक दूँ – आखिर ये भी तो जाने क्या होता है तिल तिल कर जलना |”
“इसलिए एक ख़ास खबर लाया हूँ तुम्हारे लिए |”
सेल्विन की बात पर अब नज़र उठाकर वह उसकी ओर देखता है जो कह रहा था –
“असल दुश्मन आकाश दीवान है और जब तक उसकी कमजोर नस तुम्हारे हाथ नहीं लगेगी तुम उसका कुछ नही बिगाड़ पाओगे – अब समझो बस वो वक़्त आ गया |”
“मतलब ? तुम्हे क्या पता चला है उसके बारे में ?”
“पता तो नही चला पर ऐसा कुछ पता चले इसका रास्ता जरुर मिल गया है|” सेल्विन अब टहलते हुए अपनी बात कह रहा था – “कोई स्टैला है जो कई सालो से लगातार आकाश को ब्लैकमेल कर रही है जिसके एवेज में वह हमेशा उसकी जायज नाजायज मांगे मानता रहता है तो जरुर उसके पास ऐसा कुछ होगा जिससे आकाश दीवान को डर लगता होगा – सोचो वो तुम्हारे हाथ लग जाए तो तुम जो वो उससे करवा सकते हो |”
“तुम्हे ये सब कैसे पता चला ?”
“रूबी से – असल में रूबी ने उसकी बात धोखे से सुन ली थी और इस बात पर वह उसपर बहुत ज्यादा नाराज़ भी हुआ – रूबी को उसने इतना डरा दिया कि वह इस नौकरी को छोड़ने को तैयार हो गई पर बस इस राज़ की तह तक पहुँचने के लिए मैंने उसे किसी तरह से अभी उस नौकरी में बने रहने को राजी किया है – अब तो मुझे भी उस शख्स से नफ़रत है क्योंकि उसने रूबी पर बहुत मेंटल टॉर्चर किया है – एक बार ये राज़ मालूम पड़ जाए बस फिर मैं रूबी के आस पास से उसका नाम भी उखाड़ फेकूऊंगा |” बेहद नफ़रत के साथ सेल्विन कहता है|
विवेक उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है – “तुम क्यों रूबी की जान खतरे में डाल रहे हो – जब वो नौकरी छोड़ना चाहती है तो उसे छोड़ लेने दो |”
“तुम फ़िक्र मत करो मैं रूबी का ख्याल रखूँगा पर अभी इस स्टैला का पता लगना ज्यादा जरुरी है और ये उस ऑफिस में रहे बगैर पता करना नामुमकिन होगा क्योंकि वह बहुत शातिर औरत है |”
“हाँ होगी ही – जो आकाश जैसे को नाच नचा सकती है वो ऊँची चीज तो होगी ही |”
“हमारे पास बस एक ही मौका है क्योंकि अब शायद वह दुबई भागने के चक्कर में है इसलिए इस मौके को हमे किसी भी हालत में खोना नही है – एक और बात विवेक |”
“क्या ?”
“मुझे उसके बारे में रंजीत सर को भी बताना पड़ेगा क्योंकि मैं उनके साथ भी विश्वासघात नही कर सकता – बस मैं ऐसा करूँगा कि तुम जब सारे सबूत उससे हासिल कर लोगे तब मैं उन्हें उसके बारे में बताऊंगा |”
“ठीक है – वैसे भी मुझे उस स्टैला से कोई मतलब नही बस वो राज मुझे किसी भी हालत में चाहिए |”
सेल्विन देखता है कि विवेक बेहद आक्रोश से अपनी बात कहता अब कही जाने लगता है ये देखते वह उससे पूछता है –
“अब तुम कहाँ जा रहे हो ?”
“अब न मैं खुद चैन से बैठूँगा और न अपने दुश्मन को बैठने दूंगा – इस तरह छुपकर रहने से कुछ नही होगा – |”
“तो क्या करने वाले हो तुम ?”
“बस वो दर्द देखने जा रहा हूँ जो इस वक़्त मेरे अंदर सुलग रहा है |”
कहता हुआ विवेक तेजी से उस जगह से बाहर निकल जाता है और उसे जाते सेल्विन हैरान नज़रो से देखता रह जाता है|
***
दीवान परिवार में जहाँ आगामी खुशियों की तैयारीयां हो रही थी वही अपने गिरते बिजनेस को सँभालने में अरुण देर शाम तक भी अपने ऑफिस में डाटा एनालिसिस में लगा था| समय इतना कम था कि वह लगातार मींटिंग पर मीटिंग करता अपनी रणनीति पर काम कर रहा था|
वही आकाश ऑफिस से निकलकर मेंशन जा रहा था| तभी कोई कॉल आते वह एकदम से हड़बड़ा गया और ड्राईवर को होटल चलने को कहता है|
उस वक़्त आकाश के हाव भाव में डर और संशय के मिलेजुले हाव भाव थे| होटल के पोर्च पर कार के रुकते वह तूफान की तरह कार से उतरता हुआ अपने स्वीट रूम की तरफ भागता है|
सब हैरान उसे इस तरह भागते हुए देख रहे थे पर कोई उससे इसका कारण न पूछ सका| आकाश को ऊपरी मंजिल मे पहुँचने की इतनी जल्दी थी कि वह लिफ्ट के लिए भी न रुका रह सका और सीढियां से चढ़ता हुआ वह वहां पहुँच गया|
वह एक झटके में उस रूम का दरवाजा खोलता है| उसकी नज़रो के सामने उसके ही सोफे पर पसरा सामने की मेज पर पैर पर पैर चढ़ाए विवेक बैठा था| आकाश के पीछे पीछे आता हुआ उसका नया मेनेजर गिड़गिड़ाते हुए कह रहा था –
“सर मैंने इन्हें आपके आने तक रुकने को कहा पर ये नहीं माने – फिर मेनका मैम के हसबैंड है तो कैसे रोक सकता था |”
ये सुनते आकाश की आँखों में जैसे दबी चिंगारी भड़क उठी वह उस मेनेजर की ओर बिना देखे उसे हाथ से जाने का इशारा करता है|
मेनेजर भी चुपचाप जाते हुए दरवाजा बंद कर देता है|
“तुम्हारी इतनी हिम्मत ? तुम हो क्या ? क्या है तुम्हारी औकात ?”
आकाश दांत पीसते हुए कहता है जिससे विवेक तिरछी मुस्कान के साथ उसे देखते हुए कहने लगा –
“अभी अभी तुम्हारा मेनेजर बोल कर गया है लगता है सही से सुनाई नही देता पर क़ानूनी कागज पढने तो आते है न – ये शादी पूरी तरह से लीगल है इसे चाह कर भी तुम इलीगल साबित नहीं कर सकते |”
“कमीने – |” आकाश खीजता हुआ एकदम से उसके पास आता उसका गिरेबान पकड़ता हुआ चीख उठा – “तुम्हे ये खेल बहुत महंगा पड़ेगा – बंद करो ये सारा नाटक – तुम्हे पैसे चाहिए तो मैं देता हूँ – जितना चाहोगे उतना दूंगा |”
आकाश के स्वर में विनती और घृणा के मिले जुले भाव थे| विवेक आकाश के हाथ झटकता उसका चेहरा गौर से देखता हुआ कहता है –
“बिलकुल यही स्वर मैं तुम्हारे मुंह से सुनने तो बेताब था लेकिन तुम्हारे स्वर में अभी भी पूरी तरह से विनती नहीं है|”
आकाश तेजी से झुंझला उठता है –
“अब मेरी बहन मेरे पास है तो अब तुम चाहकर भी उसके पास फटक नहीं पाओगे – जब वो तुम्हारा सच जानेगी कि तुमने पैसो के लिए उससे शादी की तो वो तुमसे नफ़रत करेगी – और रही बात इस शादी की तो चुटकी में मैं से खत्म करा दूंगा |” चुटकी बजाते हुए आकाश कहता है|
“तो बता दो उसे सारा सच |”
ये सुनते आकाश कुछ पल के लिए असहज हो जाता है| उसे इस तरह बगले झांकते देख विवेक आगे कहता है –
“वैसे कोशिश करके देख लो – लो बात करा दूँ क्या उससे |”
कहता हुआ वह अपना मोबाईल उसकी नज़रो के सामने करता है जहाँ मेनका का नंबर शो हो रहा था| ये देखते आकाश हैरानगी से उसे देखने लगा|
“उसे इस तरह से मैंने अपने मोहपाश में बांध लिया है कि अब वो तुम्हारी कोई बात नहीं सुनेगी – मेरे कहने पर ही वो वापस गई है और जब चाहूँगा तब उसे अपने पास बुला सकता हूँ – टेस्ट करना चाहोगे |’
आकाश मौन उसके सामने खड़ा रहा|
विवेक अब उसके आस पास घूमता हुआ आगे कह रहा था –
“तुम्हे तो पता है ये लड़कियाँ प्यार में कितनी बेवकूफ होती है – थोडा प्यार व्यार खेल लो तो अपना सब कुछ लुटा देती है – पता है न तुम्हे – अरे हाँ ये बात तो तुम्हे अच्छे से पता होगी कि लड़कियों का बस इस्तेमाल करो और..|”
विवेक बेहद नफ़रत से आकाश की ओर देखता अपनी बात अधूरी छोड़ देता है| उसके सामने खड़े आकाश के होश पूरी तरह से उड़े हुए थे| वह हथेली से माथे का पसीना पोछते हुए कहता है –
“तुम उसके साथ ऐसा कुछ नहीं कर सकते – तुम उसे प्यार करते हो – तुमने शादी की है |”
“प्यार और शादी दोनों चीजे तुम्हे समझ आती है क्या !! मुझे तो नहीं आती |”
“देखो विवेक ये सब बंद करो – तुम मुझसे क्या चाहते हो वो बताओ ? मेरी बहन को छोड़ दो उसने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है |”
“छोड़ दूंगा – बस कुछ राते तो बिता लूँ |”
“विवेक….!!” अबकी फिर गुस्से में आकाश उसका गिरेबान पकड़ने वाला था पर उससे पहले ही वह उसका हाथ झटक देता है जिससे वह गिरते गिरते बचता है|
“अभी तो उसे ये सौगात देनी बची है जिससे ताउम्र वो मुझे याद रखे |” कहते हुए विवेक अपनी पॉकेट से एक शीशी निकालता हुआ उसकी आँखों के सामने लहराता है|
“तुम क्या करने वाले हो ?”
आकाश उस एसिड की शीशी को दहशत से देखने लगता है|
विवेक जहरीली हँसी से कहता है –
“तुम्हारा जाना पहचाना औजार है लेकिन ये वैसा नही है बल्कि उससे भी तेज है |” दांत भीचे हुए वह कहता रहा – “ये सिर्फ ऊपर की चमड़ी ही नहीं जलाता बल्कि अंदर की हड्डी और उसके अंदर की नस नस तक में अपना निशान छोड़ देता है – सोचो मेनका की नर्म मुलायम त्वचा इसे कैसे झेलेगी |”
“विवेक |”आकाश आँखों के सामने नाचती शीशी झटके से नीचे गिरा देता है शीशी फर्श पर गिरती ही टूटा जाती है| आकाश उसे दहशत से देखने लगता है|
“हा हा – तुम्हे क्या लगा – मैं असली का तुम्हारे सामने लाऊंगा – असली तो बस असल वक़्त के लिए रखा है – तुम अब कुछ नही कर सकते – न अपना सच बता कर मेनका को रोक सकते हो और न मुझे उससे मिलने से तुम रोक पाओगे |”
ये सुनते आकाश की आंखे भय से फैलकर दोगुनी हो जाती है| वह घबराया सा गिडगिडाने लगता है –
“देखो विवेक मैंने कुछ नहीं किया – वो सब जग्गा ने किया – मैंने तारा के साथ ऐसा करने को उसे कुछ नही कहा था – यकीन करो वो हमेशा गड़बड़ कर देता है – तुम यकीन करो मेरा |“
“सच में मैं भी मेनका को बिलकुल भी बहाने से नही बुलाऊंगा और न उसकी ओर तेजाब फेकुंगा – यकीन करो मेरा |” कहता हुआ विवेक अब वहां से जाने को होता हुआ फिर आकाश की ओर मुड़ते हुए कहता है – “तुम्हारे पास अब दो ही रास्ते है – या तो अपना सच कबूल कर लो – या तैयार रहो मेनका की वही हालत देखने जो एक भाई अपनी बहन की कभी नही देख सकता |”
अपनी बात बेहद नफरत से कहता हुआ विवेक वहां से चला जाता है और पीछे खड़ा आकाश हताशा से उसे जाता हुआ देखता रहा|
क्रमशः……….
Jese ko tesa
Nice 👍👍👍
Very nice
Amazing part ❤️
विवेक आकाश को डरा कर चाहे कुछ भी करे उसके साथ लेकिन मेनका को कुछ नहीं होना चाहिए l उस बेचारी की क्या गलती है l और हाँ आकाश का सच सब के सामने आना ही चाहिए…..👌👌👌👌👌🙏
Aaj akash ko pta chala jab apni par gujrati hai to kaisa lagta hai.. Vivek ne abhi to sirf kaha hai aur akash ki halat kaisi ho gyi.. Vivek ne to jhela hai.. 🥺🥺🥺
Tara kaha gyi.. vo thik ho bas.. pehle hi buri halat hai uski..🥺
Very Nice Part
Behatareen part….
Bhut badhiya aakas ko esa hi milna chiye tha ser ko swa ser
Vivek Akash ko sirf dra rha taki wo apne gunah kubul kr le. Menka k sath Aisa kuchh nahi karega wo sachhi mohabbat krta hai Menka se.
Behad shandaar part
Aaj aakash ko pta lga jab khud par bette toh kaisa lgta hai
Jb khud ke chot lagti h tabhi chot ka ahsaash hota h vhi aaj aakash ke sath hua h….dusre ki bahno ko khilona banakar khelta tha aaj jb vhi sab apni bahan ke liye suna tb dard ka ahsaash hua h
Nice
Ab aakash ke liye to aage kua picche khai h…
Ek taraf Stella to dusri or vivek
Sahi maja chakhaya aakash ko… Menka ki to wo kuch krega nhi par aakash jarur dar k rahega….
Di ..sach me apka is story pe to daily soap BN jayega…itni khtrnak story h apki….u r genius
Bahut hi jabarjast part hai.jese ko tesa
Ab aakash kya karega jab baat uski bahen ki hai .
Aakash jaisa lichad insan ke saath Aisa hi hona chahiye jab apni behan ki baat aayi to dard hua . But kisi bekasoor ke saath ab bura na ho. Bahut khubsurat part ❣️💕💕💕💕💕💕
Very very👍👍👍👍👍🤔🤔