
बेइंतहा सफ़र इश्क का – 167
अरुण जिस गुस्से से निकला था उससे आकाश हैरान उसे जाता हुआ देखता रहा पर उसे रोक न सका| वह सीधे अपने ऑफिस पहुँचता अपने केबिन में आता है| उसके पहुँचते माधव उसके सामने खड़ा होता उसे सारी रिपोर्ट दे रहा था जिसे ब्रिज जो दीवान साहब का पीए था उसने उसे अरुण यानी नए सीईओ का पीए नियुक्त किया था| अरुण को सिडनी से वापस लाने माधव ही गया था और तभी से वह अरुण के अंडर में काम करने का इच्छुक था|
वह अरुण के सामने खड़ा जरुरी फाइल्स दिखाता बिजनेस के जरुरी कंसर्न पर डिटेल दे रहा था लेकिन अरुण का ध्यान तो कही और ही था, वह उसकी बात अधूरी सुनता हुआ उससे वो रिकार्डिंग मांगता है जो आकाश के मोबाईल की थी|
सर्विलांस डिपार्टमेंट से मिली रिकार्डिंग उसे उपलब्ध करा कर माधव उसके सामने खड़ा था पर उसे केबिन से बाहर करके वह एक एक रिकार्डिंग अकेले सुनने लगता है|
धीरे धीरे करते आकाश का वो सारा बचा हुआ सच उसके सामने आने लगा जो उसकी छिपी जिंदगी की परत दर परत खोले दे रहा था| जग्गा से बात करती रिकार्डिंग हो या स्टैला से बात करती हुई रिकार्डिंग|
इससे उसे मालूम पड़ गया कि आकाश स्टैला को काफी रकम देता रहा है और इस बार भी वह उसे काफी पैसे दे रहा है पर ऐसा क्या है उसके पास जिससे वह उसके आगे इतना मजबूर बना हुआ है| अब ये जानना भी उसके लिए बहुत जरुरी हो गया जिसके लिए उसे स्टैला के पास जाना पड़ेगा|
स्टैला का प्रोग्राम बदल चुका था अब वह आकाश से भारी रकम लेकर उसको आखिरी बार होटल ब्लू मून रूम नम्बर 1017 में बुलाती है| अब ये अरुण भी सुनता हुआ तय कर चुका था कि अब बाकी का राज़ वह खुद उसके मिलकर पता करेगा|
अरुण के लिए ये सब जानना बेहद अविश्वसनीय था उसे यकीन नही आ रहा था कि उसके ही आस पास रहते उसके भाई का ऐसा भी कोई रूप होगा ? वह आकाश के गुस्से और उसकी धूर्तता से वाकिफ था पर उसमे रिश्तो के प्रति विश्वासघात मिला होगा ये बात उसे अंतरस बेचैन कर गई| वह समझ नही पा रहा था कि उसकी भाभी ने ये सब कैसे सहन किया होगा?
बेचैनी में अपना सर थामे वह कुछ पल को आंखे बंद कर लेता है पर आँखों के भीतर भी जैसे कोई दबा शोला दहक रहा था| उसके आगे विवेक की जान के लिए गिड़गिड़ाती मेनका का रुंधा चेहरा और अगले ही पल उसकी खून से लथपथ देह स्मरण होते उसका मन और तड़प उठा जिससे वह तुरंत उठता हुआ बाहर निकल गया|
माधव कुछ कहने उसके पीछे आता है पर सब अनसुना करता वह तेजी से पोर्च तक आ जाता है| इस वक़त उसकी मानसिक हालत बेहद खराब थी जिससे वह कार के लगते चुपचाप पिछली सीट पर बैठ गया| उसके बैठते ड्राईवर स्टेरिंग संभाल लेता है|
हॉस्पिटल जाने को बोलता वह एक ओर गर्दन करता अपनी नज़रे लापरवाही से बाहर फेक देता है|
चलते रास्ते के परिदृश्य उसकी आँखों से गुजरते रहे, कई सिग्नल आए तो कितनी जगह रेड लाइट पर कार खड़ी रही पर अरुण का मन कही नहीं रुका, जाने कितनी दुर्भावनाए उसके मन को सालने लगी| तभी किसी सिग्नल पर खड़ी कार के कांच के पार उसे दो बच्चे दिखे|
वे भाई बहन रास्ते के किनारे फुटपाथ पर बैठे थे| भाई के एक हाथ में चाय का कप तो दूसरे हाथ में बन था जिसे वह चाय में डुबो डुबो कर अपनी बहन को खिला रहा था| उसके ठीक बगल में बैठी उसकी छोटी बहन अपने हाथ में पकड़ी कपडे की गुडिया में इतनी व्यस्त थी कि कभी बन उसके हाथो से लगकर कप में गिर पड़ता तो कभी चाय होंठो के किनारे से निकल जाती|
तब उसका भाई हौले से उसके सर पर टीप मारता जिससे वह अपने भाई की ओर देखने लगती| तब दोनों की ऑंखें हँसी से गुलज़ार हो उठती| तब वे देर तक अपनी छोटी सी दुनिया में खिलखिलाते रहते| ये देखते अरुण का मन मेनका को याद करते एक बार फिर ग्लानि से भर उठा| कार अभी भी रुकी थी और तभी अरुण तुरंत कार से उतर गया| ड्राईवर औचक पीछे देखता समझ ही नही पाया|
अरुण ट्रेफिक को लांघते उन भाई बहन के पास खड़ा दो पल उन्हें प्यार से निहारने लगा, अब उन दोनों की निगाह भी अरुण पर पड़ी तो हैरानी से वे उसे देखने लगे| साफ़ सुथरे कपड़ों के भीतर कोई उससे भी साफ़ मन था जो उन्हें पूरे स्नेह से देख रहा था|
उन बच्चो के पीछे ही चाय और बन का ठेला था| अरुण जल्दी से उस ठेले वाले को कई नोट एकसाथ पकड़ा कर ऐसे बच्चों को चाय बन देने को कहता तुरंत ही वापस लौट गया| अब सिग्नल खुलने वाला था|
अरुण का आना और उससे कही ज्यादा उसका ये कहना उस ठेले वाले और उन बच्चों को हैरान कर गया| वे हतप्रभता से उस ओर देखने लगे जहाँ रोजाना ढेरो बड़ी छोटी गाडियों का हुजूम खड़ा होता पर कितने लोग होते जो उनपर ऐसी करुणाभरी नज़र रखते|
***
हॉस्पिटल में सीनियर डॉक्टर की एक बैंच लगातार मेनका का निरिक्षण करने में लगी हुई थी| जितनी परेशानी उस समय उन डॉक्टरो के चेहरे पर थी उससे कही ज्यादा बेचैनी इस समय उनके सामने मौजूद दीवान साहब और आकाश के चेहरे पर नजर आ रही थी| डॉक्टर ने बताया कि गोली पसली को भेदती हुई बाजू में लगी और हैवी ब्लीडिंग की वजह से हालत नाजुक बनी हुई है|
मेनका की हालत देखते दीवान साहब जहाँ चुप हो गए थे वही आकाश का मन ढेर आशंकाओ से भर उठा था| मेनका का शांत पड़ा शरीर धीरे धीरे रियक्ट करना बंद कर रहा था और अगर ऐसा हुआ तो? ये सोचते उसके पूरे जिस्म में ढेरो बिजलियाँ कौंध गई| दर्द की अनुभूति से उसकी ऑंखें नम हो आई|
डॉक्टर पर अभी अभी आकाश बुरी तरह बिगड़ा था तब भूमि उसे शांत रहने को कहती वेटिंग रूम में ले आई थी| जहाँ वह जाने कबसे लगातार टहलता चक्कर काट रहा था| उस पल दीवान परिवार के लिए एक एक पल सुनामी सा गुजर रहा था|
अरुण तेज कदमो से चलता आता अब वार्ड के बाहर खड़ा था| उसकी इतनी हिम्मत नही हो रही थी कि वह कांच के शीशे के पार मेनका का मशीनों से बिंधा शरीर देख पाता| वह सीने पर हाथ बांधे नज़रे नीची किए खड़ा रहा|
तभी भूमि वहां आती है| वह उसके पास आते जब उसका कन्धा छूती है तब वह ऐसे चौंकता है मानो किसी तन्द्रा से निकला हो|
अरुण धीरे से पूछता है –
“डॉक्टर ने क्या कहा ?”
बड़ी मुश्किल से वह सारे शब्द समेटती हुई कहती है – “अगले पांच छह घन्टे में अगर होश नही आया तो शायद कोमा में….|”
वह शब्द अधूरा छोड़ती पलके कसकर भीच लेती है| उस पल कहना मुश्किल था कि वक़्त ज्यादा भारी है या मन..!! मेनका सबके लिए एक कमजोर नस थी जिसके दुखते उनकी आह निकल जाती पर आज तो वो बुरी तरह से चोटिल थी| उसे इस तरह देख पाने का हौसला किसी में भी नहीं था| उनके मन की ये बेबसी थी कि उनके महंगे से महंगे इलाज और बड़े से बड़े डॉक्टर भी भगवान के करम के मुहताज नज़र आ रहे थे| वे नहीं जानते थे कि आज किसकी दुआ या स्पर्श उसे मौत से बाहर खींच के ला सकता है !!
तभी अचानक हुए किसी शोर पर उन दोनों का ध्यान एकसाथ जाता है| सामने गलियारे से कोई तेजी से चला आ रहा था जिसे रोकने में सिक्योरटी गार्ड भरसक कोशिश कर रहे थे| अरुण भी हाथ खोले उस ओर घूर कर देखने लगता है|
सामने से विवेक आ रहा था| वह भी बुरी तरह चोटिल था फिर भी किसी तरह लंगड़ाते वह उन गार्ड को पीछे धकेलता हुआ उस ओर बढ़ा चला रहा था| उसे देखते अरुण की मुट्ठियाँ कस गई| वह तने हुए हाव भाव से बस उसकी ओर बढ़ने ही वाला था कि भूमि उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लेती है|
विवेक अब ठीक उनके सामने खड़ा अपनी रक्तिम नेत्रों से उन्हें घूरता है| गार्ड फिर से उसकी ओर बढ़ने लगे पर इस बार भूमि दूसरे हाथ से उन्हें पीछे रहने का संकेत कर देती है| गार्ड अब वापस पीछे हो लेते है पर विवेक अभी तक खड़ा अरुण को कसकर घूर रहा वह मानो आँखों से चुनौती दे रहा हो कि अब नहीं रोक सकोगे मुझे…..
विवेक वार्ड के अंदर चला गया| उसे इस तरह आते और अरुण भूमि को खामोश खड़े देख डॉक्टर भी चुपचाप वहां से निकल जाते है|
बेड पर मशीनों से बिंधी मेनका की देह चेतन शून्य पड़ी थी| विवेक लंगड़ाते हुए उसके पास आता है| वह उसके सिरहाने बैठते गौर से उसका चेहरा देखने लगता है, जहाँ कितनी बार उसने हँसी की बारिश देखी, नफरत, प्यार, दर्द में भींचा चेहरा देखा पर कभी इस तरह मौन तो वह कभी नहीं रही|
वह उसकी हथेली कसकर थामता उसे अपने सीने में भींचता हुआ आँखों को मीच लेता है| जैसे आत्मा का आत्मा से बात करने का कोई जतन कर रहा हो| मन ही मन कितनी शिकायत कर रहा था उससे कि क्यों वह उसे बचा लेना चाहती थी, बार बार उसके फोन नही उठाने पर छोड़ देती न, आखिर क्यों वह उसकी मौत के बीच में आ गई| आखिर ये तो उसके हिस्से की मौत थी| आखिर ये जंग कही तो विराम पाती…जीत न सही हार ही हो जाती….पर वह उसे इस तरह जाते हुए तो नहीं देख सकता….
वह अभी भी मूक थी पर हार्ट रेट मॉनिटर मशीन हलके शोर के साथ उसका हल्का उठा करव शो कर रही थी| उसे देखते विवेक की हथेली और कस गई| वह अपनी डबडबाई आँखों से अब मेनका के चेहरे को नज़र भर कर देखता कह उठा –
“तुम इस तरह नहीं जा सकती – तुम मेरा इंतकाम अधूरा छोड़कर नही जा सकती – अभी मुझे तुम्हारी आँखों में अपने लिए बहुत नफ़रत देखनी है – कैसे सब अधूरा छोड़कर चली जाओगी – कितना हौसला किया है मैंने तुम्हारी आँखों में खुद के लिए नफरत देखने के लिए – तो क्यों नहीं करती तुम मुझसे उतनी नफ़रत – क्यों ?”
दबे प्रेम की कुछ दर्द भरी बुँदे अब मेनका के चेहरे पर गिरने लगी, विवेक अभी भी कसकर उसकी हथेली थामे दिल का दर्द बयाँ कर रहा था – “नहीं चाहिए तुम्हारा इतना प्यार मुझे – मत करो मुझसे इतना प्यार – अब डर लगने लगा है तुम्हारे प्यार से कि कही ये मेरे सीने की नफरत पर भारी न पड़ जाए – तुम्हारा प्यार मेरे अंदर की नफरत को खत्म कर रहा है – नहीं चाहिए तुम्हारा प्यार बस मेरी नफरत के लिए लौट आओ – तुम्हारी नफरत के साथ जी लूँगा पर तुम्हारे बिना नही…लौट आओ मेनका…लौट आओ….!!”
वो दर्द की आखिरी हिल्की जो जिस्म ने भरी और मन टूट कर बस देखता रह गया| अचानक मोनिटर की लाइन सपाट हो चली ये देखते विवेक कसकर चीख पड़ा….
क्रमशः……
Nice 👍👍👍
Very emotional part
Very emotional part ❤️
Bahut marmik chitran
Behad emotional part…..plz plz plz menka ko kuch nhi hona chahiy……wo to glti se in sb k beech aagyi….in dono ka pyar bhi sachha h
Omg ye kya ho gya
Heart Tuching Part
Menka ko kuchh nahi hona chahiye please 🥺🥺🥺
Very emotional part…….
Di kaise likh leti ho aap
Bhavuk part….👍👍👍
Very emotional part
ankh on me nami k sath pda poora part.. par menka KO kuch nhi hona chahiye.. plz.. vivek aur menka ka pyar pavitra hai… arun kiran ki trah..
manu
A nice and emotional part
👌👌👌👌👌
Bhut hi hrdyvidarak dryas h kiski saja kisko mili ar ye aakas isko koi saja nhi mili abhi tak
very emotional
मेनका को कुछ नहीं होना चाहिए जी 🙏🙏
Menka ko Kuch nhi hoga Vivek ka pyaar menka ko wapas leyaga🤗
Ooh etna dard ……
Very emotional part
Aakash k liy ki saza menka or Vivek ko nhi milni chahiy
Aakash ke karmo ki saja ek bekasoor ko mil gaya heart broken 💔💔💔💔💔💔💔💔 part
बहुत ही भावुक भाग हैं अरुण ,विवेक मेनका भूमि सबकी हालत इस वक्त बहुत ही भावुक है।
जल्दी ही सब ठीक हो जाए इनकी जिंदगी में
Menka ko bapish aana hi hoga…..vo ese nhi ja sakti h
अर्चना जी बडी तो चला गया, अब मेनका के साथ कुछ गलत मत होने देना। Ye विवेक का सपना कर देना या फिर उस thik कर देना
Very very emotional part😞😞😞😔😔😣😣😣😣
Menka ko to baju mai goli lagi hai na fir wo mar kese sakti hai ?