
बेइंतहा सफ़र इश्क का – 168
विवेक मेनका की हथेली अभी भी पकड़े थे और उसकी नजर मोनिटर पर थी जिसकी लाइन बहुत ही कम कर्व के साथ लगातार सपाट होती जा रही थी| ये देखते उसके हलक से जैसे कोई दबी चीख निकल गयी| उसकी आवाज सुनते वहां मौजूद मेडिकल स्टाफ जो बगल के सेक्शन में था तुरंत उस रूम में आता है| मौजूद डॉक्टर नर्स को दूसरे कार्डियक एक्सपर्ट डॉक्टर को बुलाने को कहता दूसरे जूनियर डॉक्टर को मेनका का लाइफ सपोर्ट सिस्टम लगाने को बोलता है| मॉनिटर की लाइन लगातार समतल होती जा रही थी|
उस पल इतनी इमरजेंसी हो गई कि मिनटों का समय सेकंडो में बीता जा रहा था| मेनका की हथेली थामे विवेक की नज़र मोनिटर पर और फिर मेनका की उखड़ती साँसों पर थी| नर्स दौड़ती हुई बाहर निकली पर अभी तक डॉक्टर नही आया था और यहाँ मेनका की साँसे लगातार मध्यम पड़ती जा रही थी|
डॉक्टर स्ट्रोक माइल्ड करने दूसरी डॉक्टर को आवाज देता है –
“कम फ़ास्ट – गिव मी वेलिक्स |” उसके बोलते अन्य डॉक्टर बिजली की फुर्ती से ट्रे से इंजेक्शन निकालने लगता है|
कमरे में मौजूद दो डॉक्टर अपनी हद से कोशिश में मेनका को ट्रीटमेंट पहुँचाने की कोशिश कर रहे थे पर बीतता हुआ वक़्त उससे भी तेजी से भाग रहा था| जैसे उस पल मौत की रफ़्तार जिंदगी के आगे तेज होती जा रही हो और उसी रफ़्तार से मेनका की सांसे उखड़ती जा रही थी|
उस पल जब सेकंडो में निर्णय लिया जाना था जो विवेक ने मेनका का हाथ थामे ले लिया और उसके फेस से मास्क हटाकर उसे तुरंत सीपीआर देने लगा|
एक डॉक्टर हाथ में इंजेक्शन तो दूसरा लाइफ सिस्टम सपोर्ट की वायर कनेक्ट करता रह गया और विवेक मेनका में जीवन साँसे भरने लगा| डॉक्टरों की नज़र में वो सीपीआर लग सकता था जब मुंह से मुंह के भीतर साँसे भरकर सांस दी जाती है पर विवेक तो अपनी आत्मा अपनी जिंदगी के भीतर उड़ेल रहा था जैसे अपना समस्त उस प्रेम में न्यौछावर किए दे रहा हो| वह अभी भी एक हाथ से मेनका की हथेली थामे था दो दूसरे हाथ से उसके होंठो को पकड़े उसमे साँसे भर रहा था|
इसी वक़्त आवाज सुनते अरुण और भूमि वहां प्रव्रेश करते दरवाजे पर ही ठिठके रह जाते है और ठीक उनके पीछे पीछे डॉक्टर की टीम अंदर प्रवेश करती है| चन्द सेंकड में अपनी अंतरस साँसे मेनका के भीतर डालते सच में वह पुनर्जीवित हो उठी| वह तेज तेज साँसे भरने लगी अब विवेक हट जाता है| उसकी नज़र मोनिटर पर गई जहाँ अच्छा खासा कर्व अब शो करने लगा था| ये उस अंतरात्मा की जीत थी जिसमे उसका समस्त दिल बसता था, आज सत्यवान अपनी सावित्री को वापस ले आया था|
सारे डॉक्टर तुरंत सारे मेडिकल इक्पुमेंट लिए मेनका के शरीर में लगाने लगते है पर उस सबके चेहरे की घबराहट अब कम हो गई थी जबकि दरवाजे पर रुके अरुण और भूमि औचक ये सारा दृश्य देखते धीरे धीरे मेनका की ओर बढ़ रहे थे| उन्हें देखते कार्डियक एक्सपर्ट जल्दी से बोलता है –
“शी इज आउट ऑफ़ डेंजर |”
ये सुनते भूमि और अरुण नम आँखों से एकदूसरे को देखने लगे| मेनका की साँसों के साथ साथ उसकी ह्रदय की गति भी सामान्य हो चली थी| अब मेनका पर से ध्यान हटाकर भूमि का ध्यान विवेक की ओर जाता है, जो डॉक्टर की बात सुनते ही बाहर निकल गया था|
भूमि विवेक को पुकारती तुरंत बाहर निकलती है| वह बाहर खड़ी आस पास देखती है पर विवेक उसे कही नज़र नहीं आता शायद वह जा चुका था| अब उसकी निगाह उस गलियारे तक गई जहाँ से दीवान साहब और आकाश वही चले आ रहे थे| अब भूमि उनके इंतजार में वही खड़ी रहती है|
***
किरन के मन की विवशता तो बस उसका मन जानता था| न अपने बाबू जी को कुछ कह सकती थी और न अपने मन को ही समझा पा रही थी| उसका मौन उसके मन की गहरी खाई बनता जा रहा था| मेनका की हालत सुनने के बाद बस एक भगवान् की शरण थी जहाँ उसका समस्त मन लगा हुआ था|
राजवीर जो कह कर गया था कि हॉस्पिटल की पल पल की खबर वह देता रहेगा| मेनका के खतरे से बाहर आने की खबर लिए एक बार फिर वह सुवली में किरन के सामने खड़ा था| ये सुनते किरन भगवान के नमस्तक होती रह गई|
***
कितना कुछ एक ही दिन में हो गया लगा जैसे पल घंटो में तब्दील हो गया जो काटे नही कट रहा था| मेनका खतरे से बाहर आ गई, उसने आंख खोलकर सबको देखा, अपने पिता, दोनों भाई और भाभी को फिर उतनी ही उदासीनता से उसने आंखे बंद कर ली| डॉक्टर सारा चेकअप करके बगल के सेक्शन में थे|
दीवान साहब पहली बार मेनका की शादी के बाद उसके आमने सामने आए थे| वे मौन कुछ पल तक उसके पास बैठे रहे फिर भूमि उन्हें अपने साथ वापस मेंशन ले गई| हालाँकि वे इस वक़्त जाना नहीं चाहते थे पर अरुण और आकाश दोनों इस वक़्त मेनका के पास रुक रहे थे इससे वे वापस लौट गए पर आज अपनी बेटी के दर्द ने बहुत कुछ उनके अंतरस जगा दिया था| उनका मन बहुत सारे प्रश्नों में उलझ सा गया था अब उन्हें इंतजार था उन प्रश्नों के उत्तर का..
***
वो सारी शाम से रात तक भी दोनों भाई मेनका के अगल बगल बैठे थे| इस वक़्त दोनों के हाव भाव में गहरा अपराधबोध छाया था| एक जिसे अपराध करके शर्मिंदगी थी और दूसरा जिससे अनजाने गलती हुई थी पर दोनों ही हालातो में उनकी निर्दोष बहन उसका भुगतान भुगत रही थी| मेनका होश में थी फिर भी उसने आंख खोलकर एक बार भी उनकी तरफ नही देखा था, ये सजा ही उन दोनों भाईयों के लिए काफी थी| वे देर तक यूँही नज़रे झुकाए बैठे रहे|
***
दीवान साहब को उनके कमरे में पहुंचाकर भूमि उन्हें दवा देती उन्हें आराम करने को कह रही थी –
“अब आप कुछ भी मत सोचिए – मेनका बिलकुल ठीक है – धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा |”
“हाँ – सोचता तो यही हूँ कि सब ठीक हो जाए – मेनका घर वापस आ जाए तो मनोहर से मिलने जाऊं|”
“जी – लगता है आपके मिलने के बाद ही वह मानेगे – वैसे कभी कभी कितना गलत निर्णय होता है – जब शादी में मुंझे जाना चाहिए था तब आपकी मेरे न जाने की बात मैंने मान ली और जब आपको जाना चाहिए था तब मैं चली गई पर अब नही – अब बस आपके जाने पर ही बिगड़ी बात बनेगी |”
भूमि की बात पर दीवान साहब सहमत होते बस कहने वाले थे कि डोर पर नॉक होता है और हरिमन काका आते बोलते है –
“वो राजवीर आपसे मिलने को बोले है – क्या कह दूँ बहु जी ?”
ये सुनते भूमि जल्दी से कहती है –
“हाँ भेज दीजिए उसे |”
भूमि अब बाहर निकल ही रही थी कि राजवीर उसके सामने आकर खड़ा हो गया|
“तुम यहाँ क्यों वापस आ गए ? मैंने कहा था न कि वही रहना |”
“वो मुझे मालकिन के बाबू जी ने जाने को बोल दिया और..और कहा..|”
“क्या कहा ?”
“कि और कोई यहाँ से वहां न आए नहीं तो उन्हें घर बदलना पड़ेगा..|” नज़रे नीची किए राजवीर खड़ा था तो उसकी बात सुनते भूमि का चेहरा सन्न रह गया|
वे अभी भी दरवाजे की देहरी पर खड़े थे और संभव था कि उनकी बाते दीवान साहब भी सुन चुके थे|
आखिर कैसे मंजूर होगा अरुण और किरन का रिश्ता ? क्या मेनका की नजरो का सामना कर सकेंगे उसी के अपने भाई ? क्या किरन कभी तोड़ेगी अपनी चुप्पी ? स्टैला किस तरह प्रभाव डालेगी दीवान की जिंदगी में ? जानने के लिए जुड़े रहे कहानी से..
क्रमशः….
Very emotional part ❤️
Thank God menka thek ho ge
Sawal bahut sare h jinke jababa ke liye intjaar to karna hi padeg
Kahani thik chal rahi hi dekhte hi or kitna intazar hi Kiran or Arun ki jindagi me kb dono pas ate hi . Thanks for story
Superb
विवेक ने मेनका को बचा लिया, राजवीर वापस आ गया, किरण के दिल पर क्या बीत रही होगी जो मजबूरी में किसी की तरफ से नहीं बोल सकती,,,,,,,बहुत ही मार्मिक भाग 👌👌👌👌🙏
Very nice parts
Thank god menka shi ho gyi
Sawal to bahut hain or hume pata hai aap jawab bhi dengi wo bhi apne samay par . Aage bahut kuchh dekhna baki hai. Sare parts padh kar Roz Naya part padhne ki iccha or teevra ho jati hai aapki kahani sach me pathakon ko bandhe rakhti hai.
Menka ka jeevan Vivek ne safe kar Diya hai ab dekho uske dono bhai kya karte hai
Emotional part…
Vivek ke pyar ne chamatkar kar diya aur menka Bach gyi..
Akash ki galti aur Arun ki nasamjhi se ye sab hua…
Ye kiran ke pita kya chahte hai.. kyu kar rhe hai aisa..
Bhut hi acha part…
Ab jab deewan sahab kiran ko lane ki taiyar huye to ye ek alag hi babal….
Nice 👍👍👍
Very Nice & Emotional Part.
Arun Aur KIRAN Ka Millna Jaldi Ho Jaye To Maza Aa Jayega. Lekin Abhi Bhi Stela, Vivek, Aakash, Ranjit, Vartika.. in Logo Ki Bhi Story Saath Saath Me Hi Chalti Rahe To Bahut Achha Hoga.
Archana Mam itne sare sawal hai par jawab kab milenge hume . Please thoda jaldi dijiyega jawab 🙏🙏
Thank you menka ki thik karne ke liye 🥰🥰🙏🏻🙏🏻
Very👍👍👍👍🤔🤔🤔🤔🤔
Nice part ❣️💕❣️💕❣️💕