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बेइंतहा सफ़र इश्क का – 169

मेनका के मौत से वापस आते जैसे दीवान परिवार की खुशियाँ वापस आ गयी| उनके होंठो की रूठी हँसी अब उनके होंठो पर नज़र आ रही थी| मेनका के सिरहाने भूमि और अरुण बैठे थे| मेनका थोड़ी रूठी रूठी सी अरुण के विपरीत देख रही थी जबकि वह मेनका को बेहद स्नेह से देख रहा था|

“इतनी नाराज़ हो अपने भाई से कि मेरी तरफ देखोगी भी नहीं – पर तुम्हे क्या पता तुम्हे इस तरह बुरी हालत में देखना ही मेरे लिए कितनी बड़ी सजा थी |”

मेनका नज़रे फेरे कुछ बूंदों को अपने गालो से लुढकने से नही रोक पाती| अब अरुण उसके हाथ पर हाथ रखे कहने लगा –

“तुम्हे लेकर कोई बात हो तो किसी और बात पर ध्यान गया ही नहीं और शायद इसीलिए जज्बाती होते मुझसे इतनी बड़ी गलती हो गई – सोचता हूँ अगर तुम्हे कुछ हो जाता तो पता नही मैं खुद को क्या सजा देता शायद मौत से भी बदत्तर |”

“भईया…!!” मेनका भरे नयन से अरुण की ओर देखती है|

अरुण के सारे शब्द जैसे चुक गए थे वह मेनका को अपने पहलू में समेटता हुआ कह रहा था – “क्या अब भी माफ़ नही करोगी |”

भूमि जो तब से भाई बहन का स्नेह देखती खुद भावुक हुई जा रही थी उन दोनों के सर पर हाथ फेरती हुई कहने लगी –

“क्या मेनका समझती नही कि उसका भाई उसके लिए क्या नहीं कर सकता है – जितना वह दर्द में थी क्या उससे कम दर्द में तुम थे अरुण !!”

मेनका का हाथ पकड़े पकडे अब अरुण कहने लगा –

“तुम यही चाहती थी न कि मैं विवेक से बात करूँ – तो मैं उससे जरुर बात करूँगा |

“क्या सच में भईया !!”

“हाँ – वैसे भी अभी बहुत कुछ ठीक करना शेष है – फ़िलहाल तुम आराम करो – अब मैं चैन से ऑफिस जाऊंगा |”

“अरुण चैन से ऑफिस जाने से जरुरी है तुम्हारा चैन से आराम करना – पिछली रात से तुम सोए नही हो – बस ऑफिस से होस्पिटल ही चक्कर काट रहे हो |”

भूमि की हलकी झिड़की पर अरुण हौले से हँसता हुआ कहता है – “बस कुछ मामले ठीक कर लूँ तो चैन से आराम ही करूँगा |”

कहता हुआ अरुण जल्दी से बाहर चला जाता है| उसके जाते भूमि की गोद में सर रखे मेनका कहती है –

“भाभी मुझे यहाँ हॉस्पिटल में नही रहना – मुझे अपने कमरे में जाना है |”

“ठीक है मैं वहां सारा अरेंजमेंट करा दूंगी बस एक बार डॉक्टर से लास्ट ओपिनियन ले लूँ – तुम्हारे बिना तो मेंशन भी सूना है और क्षितिज भी कितनी बार तुम्हे पूछ चुका है |” मेनका भूमि का हाथ कसकर पकड़े थी तो वह मेनका के सर को सहलाती हुई कह रही थी – “मैं तो खुद यही चाहती हूँ कि सब कुछ ठीक हो जाए – किरन मेंशन में वापस आ जाए और विवेक इन सब बातो को किसी तरह से भूल सके – बस |”

भूमि जो अनदेखा ख्वाब देख रही थी कुछ पल के लिए उसे सोचते मेनका के होठ हलके से खिल आते है|

***
अरुण जैसे ही ऑफिस के लिए निकल रहा था उसी समय ब्रिज का कॉल आ गया जो उसे जल्दी ऑफिस आने को बोल रहे थे| और सच में समस्या उसके सामने मुंह खोले खड़ी थी|

मेराज अली अपने कुछ आदमियों संग गेट पर ही लाल झंडा लिए हंगामा मचा रहा था| उसके साथ कुबेर भी खड़ा था| वह उसकी और बाकी के दो और मजदूरो की बहाली की मांग पर अड़ा था|

अरुण की कार को दूर से आते देख वह अपने उन कुछ आदमियों संग और जोर जोर से नारे लगाने लगा ये देखते गेट मैन उसे किनारे करता हुआ कार के लिए रास्ता बनाने लगा| जब मेराज अली को लगा की उसकी बात अनसुनी करके कार आगे बढ़ी जा रही है तो वह जोर से कह उठा –

“बेईमान है नया सीइओ – बेईमान है |”

कार गेट के अंदर आते ही एक झटके में रुक गई और ये देखते उन सबकी  आवाज भी जैसे वही थमी रह गई|

ड्राइविंग सीट से निकलता अरुण अब उनकी तरफ बढ़ने लगा ये देखते ब्रिज और माधव जल्दी से उसकी तरफ दौड़े आते है और ठीक यही वक़्त था जब इस हंगामे की खबर मिलते आकाश तुरंत अरुण को कॉल लगा लेता है| अरुण का मोबाईल लिए माधव जल्दी से कॉल ऑन करके उसे देता है|

उस पार से आकाश तेज स्वर में कह रहा था – “इन सबके हंगामे को सीरियस लेने की कोई जरुरत नहीं है – इस समय वैसे भी कुछ वर्कर्स को निकालने का समय आ गया है ऊपर से इन सबको रखकर और प्रोबलम नहीं बढ़ानी |”

“आई कैन हैंडिल एवरीथिंग |” उसके ये कहते जहाँ आकाश का मुंह धुँआ हो उठा वही मोबाईल पकड़े माधव पीछे ही रुका रहा गया|

अरुण को देखते मेराज अली व्यंग भरी मुस्कान के साथ कहता है –

“क्या हुआ सेठ – हवा टाईट हो गई – सोच लो अगर इन तीनो की बहाली नहीं हुई तो हम इसे बड़ी हड़ताल का रूप देने से भी नहीं रुकेंगे – बोलो सेठ क्या सोच रहे हो – अब अपनी फैक्टरी की गिरती जीडीपी का रोना मत रोने लगना |”

हंसी उड़ाने के अंदाज में वह कह रहा था| उसे उम्मीद थी कि इस समय जब उनकी हालत दिन प्रतिदिन खराब हो रही है तब एक मजदूर का भार भी उनकी स्थिति पर फर्क डाल सकता था| बस उसे इसी तरह के बहाने की जरुरत थी कि मौका मिले और वह इस बात को कसकर भुनाए जबकि कुबेर की आँखों में कुछ उम्मीद सी बंधने लगी थी|

ब्रिज अरुण को रोकते हुए कहते है –

“अभी इन सबसे उलझने की जरुरत नही है – आप चलिए मैं इनसे निपटता हूँ |”

अरुण उन्हें हाथ से रुकने को संकेत करते मेराज की ओर सख्त नजर से देखता हुआ कहता है –

“खुद ही सवाल उठाकर खुद ही जवाब दे रहे हो – अभी मैंने अपना जवाब नहीं दिया |”

“तो दे दो न सेठ |”

“आई अप्रूव द रीस्टेटमेंट ऑफ़ दीज थ्री लेबर्स |” कहता हुआ अरुण वापस अपनी कार की ओर मुड़ जाता है|

कुबेर अनबूझा सा मेराज से पूछता है – “ये क्या बोल कर चले गए ?”

उसकी सुनते जहाँ मेराज का चेहरा उतर गया वही माधव आगे आता हुआ कहता है – “मतलब तुम्हारी बहाली मंजूर कर ली गई है |”

“क्या सच में !!” कुबेर खुश होता मेराज की तरफ देखता है जो भरसक अपने हाव भाव में इस बात की खलिश छिपा लेना चाहता था|

माधव जहाँ मजदूरो की ओर देख रहा था वही फोन के दूसरी ओर से उसका निर्णय सुनते आकाश कॉल डिस्कनेक्ट कर चुका था| कार की तरफ आते ब्रिज आगे बढ़कर उसके लिए डोर खोलकर खड़ा रहता है|

जब अरुण कार में बैठ रहा था तो ब्रिज धीरे से  कहते है –

“इस वक़्त ऐसा करना हमे मुश्किल में डाल सकता है |”

“नहीं करता तो और भी बड़ी मुश्किल हो सकती थी – अगर अभी कोई एक मजदूर भी असंतुष्ट रह गया तो बाकियों को संभालना मुश्किल हो जाएगा – ये सब बस हमे रोकने की कोशिश भर है – सोचिए कुबेर तो काफी समय से बहाली का इंतज़ार कर रहा था फिर अभी क्यों उसका लीडर जाग गया !!”

कहता हुआ अरुण वापस कार में बैठ जाता है और उसके बैठते डोर बंद करते ब्रिज भी सोच में पड़ जाते है कि इस बात पर उनका ध्यान गया ही नहीं कि ये सब किसी साजिश की तरह भी हो सकता है| वो अरुण के तेज दिमाग का लोहा तो पहले भी मानते थे और अब इस बात से उसके मुरीद हो गए|

अरुण अपने केबिन में आते जरुरी फाइलों को देखता कुछ याद करते माधव से कहता है –

“ये रूबी कहाँ है ? उसे बुलाओ इसी वक़त |”

“सर वो आई थी कल पर आधे समय से ही चली गई और आज तो आई भी नहीं |”

“उससे मुझे मिलना है – अब चाहे उसके घर जाकर उसे बुलाना पड़े या कॉल करके – उसे तुरंत बुलाओ |”

“ओके सर |”

माधव तुरंत बाहर निकल गया| उसके जाते अरुण एक कॉल करके होटल ब्लू मून में अपने लिए एक रूम बुक करने लगता है|

***
अपने केबिन में आरामदायक स्थिति में रहने पर भी आकाश के चेहरे पर पसीने की बूंदे साफ़ नज़र आ रही थी| आज रात ही उसे स्टैला से मिलने जाना था और इस अवसर को वह अपनी जिंदगी का आखिरी अवसर मानता कुछ घबराया हुआ था|

वही ये खबर रूबी के जरिए सेल्विन को और उसके जरिए विवेक को लग गई थी और वह भी आज रात स्टैला से मिलने को उतना ही व्यग्र था|

***
रात का समा जैसे तमाम असमंजस को अपने अंदर समेटे हुए थी| जहाँ आकाश आखिरी बार स्टैला से मिलकर अपने बीच के सारे झंझट अब खत्म करने पर उतारू था वही विवेक को कुछ ऐसे की तलाश थी जिससे वह अपनी अगली चाल चल सके और वही अरुण भी आज इस राज़ की गहरी परत को उघार लेना चाहता था लेकिन उन सबको ही नही पता था कि इस रात के बाद से उनकी जिंदगी में बहुत कुछ बदल जाने वाला है|

अरुण से स्टैला के रूम तक पहुँचने के लिए नेट से ही इस होटल का सर्वे कर लिया और इससे उसने ठीक उसके बगल वाला रूम अनजान नाम से ले लिया| स्टैला अपनी मदहोशी में गुम एक हाथ में शराब का गिलास तो दूसरे हाथ में जलती सिगरेट का कश लेती लेती रूम में टहल रही थी|

तभी दरवाजे पर नॉक होते वह डोर ओपन करने पहुंची| वह दरवाजा खोल भी नही पाई कि कोई उसे पीछे धकेलता हुआ उसके ठीक सामने खड़ा था| पहले को स्टैला अचकचा उठी फिर सामने उस शख्स को देखते उसके चेहरे पर एक मादक हंसी तैर गई|

उसकी नज़रो के ठीक सामने विवेक खड़ा था जो अब अपनी कलाई की घडी उतारता अपनी पॉकेट में रख रहा था| असल में कमरे में जबरन घुसने में उसकी वाच का शीशा चिटक गया था| कुछ पल के लिए उसका ध्यान वाच पर था जबकि स्टैला का पूरा का पूरा ध्यान विवेक पर था| वह अब अपने हाथ में एक तेज छूरा लिए उसे घूरता हुआ देख रहा था जबकि स्टैला बिलकुल रिलैक्स थी|

वह विवेक की मौजूदगी को नजरंदाज करती हुई सोफे पर धंसती हुई कह रही थी –

“मुझे पता था कि एक न एक दिन तुम मेरे पास जरुर आओगे और देखो वो दिन आज आ ही गया – और हाँ ये छुरी कांटा मुझे दिखाने की जरुरत नही है – तुम्हे जो चाहिए वो मैं खुद तुम्हे दे दूंगी |”

विवेक अब आश्चर्य से उसे देखता थोडा उलझा हुआ था कि वह आगे क्या कहेगी या करेगी ?

स्टैला अपने अंदाज में कहती रही –

“तुम्हारा दुश्मन आकाश दीवान है और मुझसे बेहतर कौन इसमें तुम्हारी मदद करेगा – उसने तुम्हारी बहन के साथ बहुत बुरा किया – च्च च्च – बड़ी भोली और बहुत बेवकूफ थी वो – जब वो आकाश से बहुत कुछ ले सकती थी तब बस वह उससे बच्चा लेने के पीछे पागल बनी रही – |”

स्टैला हंसी उड़ाने वाले अंदाज में कह रही थी जबकि ये सब सुनते विवेक का खून खौला जा रहा था पर सच की गहराई को जानने के उद्वेग में वह किसी तरह से अपने गुस्से में काबू किए चुपचाप खड़ा उसे सुन रहा था|

वह अब गहरा कश लेकर बाहर उझेलती हुई कहने लगी –

“मुझे आकाश दीवान से जो चाहिए था मैंने वो उससे ज्यादा ही ले लिया – और अब वो मेरे किसी काम का नहीं तो तुम ये पैन ड्राइव ले जा सकते हो – पर हाँ इसे देखने से पहले जरा समझ लेना – क्योंकि शायद अपनी बहन तारा को आकाश के साथ तुम इस तरह से न देख पाओ – बड़े गहरे रिश्ते थे उनके |”

कहती हुई वह एक बार और कसकर हँस पड़ती है जबकि विवेक एक बार फिर खून का कड़वा घूँट पीकर रह गया|

विवेक उसकी नजरो के सामने रखी एक ड्राइव उठाते हुए उसे देख रहा था और उसे इस तरह देखते स्टैला कहने लगी –

“अरे सही ड्राइव है – मैं बेईमानी का काम बड़ी ईमानदारी से करती हूँ – अब तुम इस सबूत के जरिए आकाश को कठपुतली की तरह नचा सकते हो जैसे आज तक मैं करती आ रही थी – अपनी परिवार की इज्जत के लिए हर बार मेरे आगे झुकता चला गया – इमोशनल फूल |”

“अगर ये झूठ निकला तो तुम्हारा खून होने से मुझे कोई नहीं रोक सकेगा ये बात अच्छे से याद रखना |” कहता हुआ विवेक तुरंत उसे उठाकर बाहर निकलने लगता है|

उन दोनों को ही खबर नही थी कि सटी बालकनी से अरुण स्टैला और विवेक की छिपी बात सुन रहा था| अभी उसे सामने आना सही नही लगा क्योंकि उसे तो आकाश का इंतजार था|

वह कुछ देर वापस अपने रूम में चला गया और जैसे ही आकाश के आने का समय हुआ अरुण फिर उस बालकनी से स्टैला के कमरे मे झांकने लगा| पर इस बार कमरा पूरी तरह से अँधेरे में डूबा हुआ था| वहां इतना अँधेरा था कि कमरा कहाँ शुरू और कहाँ खत्म हो रहा था कुछ समझ नही पा रहा था|

तभी उसे कमरे का दरवाजा खुलने की आवाज सुनाई देती है जैसे कमरे में अभी अभी कोई आया हो|

अरुण बस आवाज सुन रहा था पर इस वक़्त वह कुछ ज्यादा ही मौन था| तभी लाइटर की हलकी रौशनी हुई और उसे कमरे के बीचो बीच खड़ा आकाश दिखता है|

ये सब देखते अरुण कुछ प्रतिक्रिया भी नही करता पर उसी वक़्त आकाश लडखडाते हुए गिरते एकदम से चिल्ला पड़ा| आकाश की चीख सुनते अरुण खुद को उसके पास जाने से नहीं रोक सका|

अब कमरे के बीचो बीच दोनों साथ में खड़े एकदूसरे को नहीं बल्कि अपने सामने मुंह के बल पड़ी खून से लथपथ किसी लाश को देख रहे थे|

क्रमशः…….

19 thoughts on “बेइंतहा सफ़र इश्क का – 169

  1. Arre nhi .. ye to wahi mod a gya jis ka jikar aap ne humnava me Kiya tha.. ab aage kya hoga.. Arun hi hai jo sab thik kar sakta hai.. par agar ye khoon us se hua to kya hoga..

  2. Stella ko kisne mar diya wo bhut logo ko blackmail krti thi ho skta h un me se kisi ne mar diya ho

  3. Ohho ye kya hua….ab ek or opn dushman aagya jisne Stella ko mara….bcoz Vivek to pendrive lek chla gya or Aakash abhi hi aaya h tb fir kon aagya….khi Ranjeet ne to nhi Kiya ye sb Taki Aakash ko fasa ske

  4. Akhir bhut lambe samay ke bad wo part aa hi gya jiske bare me aapne humnaban me kaha tha…. Let’s see Stella ka murder kiya kisne or arun kyn fasa isme??🤔🤔

  5. Koi or bi tha jise pta tha Stella ke room ka….or usi ne menka pr goli bi chlayi h Arun ne nhi….ye jrur rajveer ya nya sespect hoga….

  6. Ohhh ye kya hua? Kamre me kiski lash hai aur kisne use mara hai.
    Kahani ab aur bhi intresting hoti ja rahi hai. Haar part me ek naya twist.
    Agle part ka besabri se intzaar rahega.

  7. Arun jahan tak sochta hai wahan tak kisi ki soch bhi nhi ja sakti. Kya hero hai apna. Wah . Nice part. Ab ye kya jhol hai? Stella ki hatya 😥😥😥😱😱😱😱. Jaroor ranjeet uski hatya krke aakash ko fasana chahta hoga. Waiting for the next part

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