Kahanikacarvan

बेइंतहा सफ़र इश्क का – 170

उस वक़्त दोनों की स्थिति बेहद असमंजस वाली थी| उन्हें नहीं पता था कि वे अगली किस मुश्किल में फसने वाले है| आकाश हाथ में अभी भी लाइटर जलाए हतप्रभ खड़ा था| उसकी नज़रो का दृश्य उसके लिए अकल्पनीय था|

“ये स्टैला है ?”

अरुण की आवाज पर आकाश की तन्द्रा टूटी जिससे वह उसकी ओर देखता हुआ बुरी तरह से हडबडाता बोल उठा –

“मैंने कुछ नहीं किया – मैं जब आया तो ये पहले ही मर चुकी थी – मैंने सच में कुछ नहीं किया |”

आकाश पैनिक हुआ जा रहा था जबकि अरुण की नज़र उस लाश पर थी| उस पल इतनी जल्दी जल्दी सब कुछ हो गया कि वह समझ नहीं पा रहा था कि कैसे इन सबके प्रति रियक्ट करे|

“मुझे यहाँ आना ही नहीं चाहिए था – अब मुझे यहाँ से निकल जाना चाहिए |” हडबडाता हुआ आकाश निकलने को व्यग्र हुआ जा रहा था |

ये देखते अरुण जल्दी से उसे टोकता है –

“रुकिए – इस तरह से नही – इस रूम से निकलते कोई देख सकता है |”

“फिर !!”

अरुण अब जल्दी से आकाश को अपनी बात समझाता हुआ उसे बगल के रूम में ले आता है जो उसी ने बुक कर रखा था| उस वक़्त दोनों की हवाइयां उडी हुई थी पर अरुण उस हालत में भी सब सोच समझकर कर रहा था| वह तुरंत ही रूम आर्डर पर अपनी मीटिंग कैंसिल होने की बात को कहता रूम वेकेंड करने को कह देता है|

अब दोनों उस रूम से एक एक करके निकलने लगते है| पहले आकाश बाहर निकलता है फिर उसके कुछ देर बाद अरुण भी उस कमरे से निकल जाता है|

***
कमरे में खून से लतफत लाश देखने के बाद से ही आकाश की हालत खराब थी| वह बुरी तरह से घबरा गया था जिससे मेंशन वापस आते वह सीधे बार में पहुंचकर अपने लिए एक लार्ज पैग बना कर उसे पानी की तरह अपने हलक में गटक जाता है| वह अगला पैग बना ही रहा था कि तभी अरुण वहां आता है|

अब उसे आता देख आकाश उस गिलास को भी झटके में खत्म करके अगला पैग बनाने लगता है| ये देखते अरुण त्वरित उसके पास आता उसके हाथ से गिलास छीनता हुआ कहता है –

“बस इससे पहले कि आप अपना होश खो दे – उससे पहले मुझे अपने सवालों के जवाब चाहिए |”

“कौन से सवाल ? और उससे पहले तो तुम मुझे इस बात का जवाब दो कि तुम वहां क्या कर रहे थे ? क्या स्टैला ने तुम्हे बुलाया ? क्या तुम्हारा भी उससे कोई रिश्ता है ?”

“अब इतना पीने के बाद और क्या ख्याल में आएगा |” व्यंग भरी ठसक के साथ अरुण अब उसके ठीक सामने खड़ा था और आकाश नशे में डूबी आँखों के साथ उसे घूर रहा था|

“कही तुम मुझे ट्रैक तो नही कर रहे ?”

आकाश के प्रश्न पर वह तुरंत उतर देता हुआ कहता है – “हाँ – ट्रैक करते करते पता चला कि मेरा भाई कितनी दूर निकल गया जहाँ उसके लिए कोई मर्यादा कोई रिश्ता कुछ भी मायने नहीं रखता – वैसे तारा और स्टैला के अलावा भी कोई और नाम है जो शायद मैं मिस कर गया ?”

“तु – तुम..क्या – कह रहे हो ?”

“साफ़ शब्दों में पूछ रहा हूँ कि क्यों स्टैला आपको ब्लैकमेल कर रही थी ? क्यों मिलने गए थे उससे और मेरे ख्याल से उसके बुलाने पर हर बार यूँही मिलने पहुँच जाते होंगे न ! और तारा से क्या रिश्ता था ? वो विवेक की बहन है न ! क्या हुआ था उसके साथ ? क्यों विवेक हमारे घर से या फिर सिर्फ आपसे इतनी नफरत करता है ? क्या उसकी भी ऐसी ही मौत हुई ? कही स्टैला को आपने ही तो नही …!!”

अबकी अरुण जानकर अपनी बात अधूरी छोड़ता हुआ आकाश को तीक्ष्ण नजरो से घूर रहा था जबकि इतना सारा सच अरुण के मुंह से सुनते आकाश के होश उड़े जा रहे थे|

“मैंने न तारा को मारा न स्टैला को – सच कहता हूँ मैं इतना बुरा भी नहीं कि क़त्ल जैसी चीज करके चैन से रह पाऊं -|”

अरुण अभी भी आकाश को सीधा नजर से देख रहा था और आकाश अपनी टूटी हालत को सँभालते किसी तरह से हौसला करता कहने लगा –

“तुम अब सारा कुछ जान चुके हो तो उसके पीछे का सच भी जान लो – हाँ ये सच है कि तारा से मेरा रिश्ता था – हम साथ में लिविंग में रहते थे – वो मेरे प्यार में डूबी मेरा सारा कुछ संभालती थी और उसकी इस आदत से मैं भी उसपर निर्भर होता गया लेकिन इस रिश्ते को आगे ले जाने की हिम्मत नही थी मुझमे – वो शादी चाहती थी जबकि उसी बीच भूमि से मेरी शादी हो गई – मैं किसी भी हाल में डैड के खिलाफ नही जाना चाहता था – वो मुझपर ट्रस्ट करते थे जिसे मैं किसी भी कीमत में खोना नहीं चाहता था |”

“और उस पल आपको उस लड़की के ट्रस्ट का जरा भी ख्याल नही आया जिसमे वह अपना सब आप पर न्योछावर करती गई – जिसके बदले में पता नहीं आपने क्या किया उसके साथ ?”

अरुण की संदेह भरी नज़र पर आकाश जल्दी से कहने लगा – “मैंने कुछ नही किया उसके साथ – उस वक़्त जो कुछ भी हुआ सब स्टैला की मर्जी से हुआ – हाँ मैंने कुछ भी होने से रोका नही – ये मेरी गलती थी – स्टैला ने ही जग्गा से मिलवाया और उसी ने तारा के साथ वो किया जो स्टैला चाहती थी – मैं तो बस मौन खड़ा सारा तमाशा देखता रहा – कभी कभी लगता है जैसे इस अपराध को मुझपर थोपा गया पर मैं तारा के साथ ऐसा कुछ भी नही करना चाहता था – अगर ऐसा होता तो उसके पहले एबोरशन पर ही मैं उससे छुटकारा पा लेता….तब दुबारा की नौबत ही नहीं आती |”

आकाश उद्वेग में जो कहा गया उसे कहने के बाद अपने कहे को अरुण की आँखों में देखते ही शर्मिंदगी से भर उठा|

अब दोनों के बीच दो पल का मौन छा गया| आकाश न नज़रे उठा कर अरुण की ओर देख सका और न अरुण अपनी तीक्ष्ण नजरो को कमतर कर सका|

आखिर मौन तोड़ते हुए अरुण कहता है – “पता है एक स्त्री जिससे शादी करती है उससे क्या चाहती है ?”

आकाश मौन ही उसकी ओर हलकी नजर से देखता है मानो उसके सवाल का जवाब पूछ रहा हो|

अरुण आगे कहता है – “वही जो एक पुरुष स्त्री से चाहता है – विश्वास – जो आपने अपने ही रिश्ते में कभी नही दिया भाभी को – ये उनका हक़ था जो बड़ी बेरहमी से आपने उनसे छीन लिया – |”

आकाश अब नज़रे झुकाए बैठा था जबकि अरुण कहे जा रहा था – “पता है आपकी दस साल की शादी पर भाभी का आपके साथ रुखा व्यव्हार कभी मेरी समझ नही आया – पर उनसे पूछने की हिम्मत भी नहीं हुई – तब मुझे लगा कि शायद समय बीतने के साथ ऐसा होता होगा – पर अब जब मेरी शादी हुई तो समझ आया कि किसी भी शादी के उसकी बुनियाद होती है विश्वास जो एक पत्नी अपने पति से अपेक्षा करती है और एक पति अपनी पत्नी से – क्या मिला ऐसा धोखा देकर जिसके परिणाम में बस दुःख और दुःख ही है – और स्टैला से कैसा सम्बन्ध था – क्यों उसकी हर नाजायज बात मानते थे ?”

“उसकी तो बात ही मत करो – बिच थी वो |” अपनी बात कहते कहते अब आकाश की आँखों में तेज नफरत झलक आई|

“उसे जिसने भी मारा – अच्छा किया – कभी कभी तो उससे इतना तंग आ जाता था कि मेरा मन करता कि उसे मार कर फ़ासी पर ही चढ़ जाऊं – वो बिच मुझे पिछले तीन सालो से लगातार मेंटली और फिजिकली एसोर्ट कर रही थी – तंग आ गया था उससे – जब जो चाहती वो बात मुझसे मनवा लेती – पता नहीं वो कौन सा मनहूस दिन था जब एक इंटरव्यू के चक्कर में वो मुझसे मिली और बस एक बार मैं उससे इंटिमेट हुआ – उसके बाद से तो वही मेरा यूज करती थी – तुम कल्पना भी नहीं कर सकते कि वो मेरा किस हद तक शोषण करती थी – तब खुद से नफरत होने लगती – वो बहुत ही वाहियात औरत थी – अच्छा हुआ मर गई – अब कुछ सुकून सा लगता है |”

“और ये सुकून तब तक रहेगा जब तक कोई और नही आ जाती आपकी जिंदगी में ?”

“अरुण तुम..!!”

“ये रूबी कहाँ है ?”

“रूबी !!!”

“दो दिन से उसका कोई अता पता नही है – और आपकी कॉल रिकोर्डिंग बताती है कि आपने ही जग्गा नाम के अपने गुंडे को उसके पीछे लगाया था |”

“त – तुम – मेरी कॉल रिकार्डिंग कराते थे ?”

“क्योंकि जब इतने सारे सच आप अपने परिवार से छिपा ले जा रहे है तो कुछ तो जरिया मुझे निकालना ही था क्योंकि आपके किए का भुगतान अब हम सब भुगत रहे है –|”

आकाश हैरानी से उसे देखता रहा| अरुण उसी आक्रोश से अपनी बात कहता रहा –

“न तारा को आपने चीट किया होता न विवेक इस बात का बदला लेते विदाई के समय किरन का किडनैप करता – न मेनका को धोखा ही देता – आखिर कौन है इन सबका जिम्म्रेदार – इतनी तबाही के बाद अब और क्या करना चाहते है ?”

“कुछ भी नहीं चाहता – मैं थक गया हूँ इस तरह से उलझते उलझते |” अब आकाश खुद पर खीजता हुआ अपने दोनों हाथों से अपने बाल खींचते हुए कहता रहा – “मुझे लगा रूबी भी मुझे दीपांकर की तरह धोखा दे रही है – उस पर जासूसी का डर था क्योंकि मेरी कॉल रिकॉर्ड हो रही है मुझे पता चल गया था पर कौन कर रहा है नही पता था इससे मैंने सिर्फ उसको धमकाने के लिए जग्गा को बोला था पर उसके बाद उसका क्या हुआ मुझे सच में नहीं पता मेरे भाई – सच कहता हूँ – बोलो तो क्षितिज के सर की कसम खा सकता हूँ –|”

“बस प्लीज़ उस मासूम को इन सबके बीच मत लाइए – आप पहले ही अपने रिश्तो की मर्यादा लाँघ चुके है –|”

शायद आकाश की जिंदगी का ये पहला अवसर था जब वह खुद को साफगोई से किसी के सामने रख पा रहा था| भलेही अपने सच को स्वीकारने की शर्मिंदगी उसके हाव भाव में नजर आ रही थी|

कुछ पल तक दोनों के बीच शांति छाई रही जैसे दोनों ही अपने अंदर ही अंदर आत्ममंथन कर रहे हो|

फिर ख़ामोशी को तोड़ते हुए अरुण आगे कहता है – “अब बीता हुआ तो बदला नही जा सकता पर अब इस बात की उम्मीद जरुर करता हूँ कि आगे आप खुद को संभाल सकेंगे – कम से कम क्षितिज का ख्याल तो किया होता – एक पिता अपने बेटे का आइडियल होता है – क्या इस तरह बनेंगे उसके आइडियल – झूठ, फरेब और धोखे की दोहरी दुनिया जीते हुए !!”

अरुण कहता जा रहा था और आकाश मौन ही शर्मिंदगी से नज़रे झुकाए था |

“उस स्टैला की मौत से ये किस्सा अब यही खत्म करते है – अब न आप उसे जानते है और न उस क़त्ल को – वैसे हमे किसी ने देखा तो नही होगा – खैर अब कल की न्यूज ही आगे की स्ट्रेजिटी तय करेगी – तब तक यहाँ पर भी किसी से कुछ कहने की जरुरत नहीं है – बाकी विवेक को कैसे हैंडिल करना है इसपर बाद में सोचेंगे – अभी बस मुझे इस बात की फ़िक्र है कि मेनका अपनी लाइफ में कूप अप कर सके |”

अरुण की बात पर मौन ही सहमती देता आकाश अब उठकर जाने लगता है| उसके जाते अरुण भी अपने कमरे की ओर बढ़ गया|

क्रमशः…………………..

15 thoughts on “बेइंतहा सफ़र इश्क का – 170

  1. Ohh to finally Arun ko Aakash ne such bta hi diya….bdhiya bt ab pachtane se kya hoga….wese is Stella ko kon mar sakta h…..ya fir khi y kisi ki sajish to nhi

  2. ये सच्चाई अगर आकाश पहले ही अरुण को बता देता तो, आज किसी को भी ये दिन नहीं देखने पड़ते,,,,👌👌👌👌👌🙏🙏

  3. Ye akash ab pachta rha hai ya fir sirf stella k liye hi pachta rha hai.. Tara k sath jo bhi hua us ka afsos to lag hi nhi rha…
    Ab aage kya hoga.. kya Arun sab sambhal lega ya kuch boht bura hoga.. par stella ko akash ne nhi mara to kis ne mara..

  4. Aakhir aakash ne aapna sach Arun ko bata hi Diya lekin use apne kiye ka kitna pachtawa hai ye to aage ke part me pata chalega. Stella ko kisne mara ye janna hai ab to . Bahut hi badhiya part hai maam. 😊🙏

  5. Pata nhi ab age kya hona baki h
    Muje lagta h kisi ne aakash ko fasane k liye Stella ka murder kiya kynki aakash hi to aane wala tha us wqt Stella se milne…. Magar fasega bechara arun 😟😟

  6. अरुण ने आकाश का सारा कच्चा चिठा खोल डाला आकाश ने बहुत अति कर दी थी पर भूमि उसे न अपना पायेगी आकाश को दंड मिलना ही चाहिए 👌👌👌👌👌👌👌👌👌

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