
बेइंतहा सफ़र इश्क का – 173
बेटी की विदाई किसी पिता के लिए जहाँ एक सपना होती है तो दूसरी तरफ उसके दिल के लिए सबसे भारी वक़्त जिसे वह नम आँखों से मौन सह जाता है| किरन अपने पिता की ही नहीं सुवली गाँव की बेटी थी| आज उसकी विदाई वहां मौजूद सबकी आंखे भिगो रही थी|
काकियो जिन्होंने माँ का स्नेह दिया, सारंगी जिसने बहन की तरह कभी उसका साथ नही छोड़ा सबको कैसे वह एकदम से छोड़कर चल दे| कैसा निर्मम वक़्त था कि एक ही समय में मन दो हिस्सों में बंटा जा रहा था| जहाँ नए रिश्ते उसका बांह फैलाए स्वागत कर रहे थे वही छूटे हुए रिश्तो को छोड़ना इतना भी आसान नही था|
गुलाब सा चेहरा रो रोकर बेहाल हो उठा| किरन अपने बाबू जी के गले लगकर देर तक सुबकती रही जब तक भूमि और मेनका आगे आकर उसे अपने साथ ले नहीं गई|
काकी झट से कांसे के बर्तन में पानी लेकर दौड़ी कि बेटी जाते जाते एकबार मुंह झुठार तो कर दे ताकि कुछ छूटा हिस्सा उसका यहाँ रह जाए| सुवली गाँव की जमीन भीगे मन से अपनी बेटी को विदा कर रहा था|
बाबुल का घर छोड़कर बेटी पिया के घर चली…
ये कैसी घडी आई है…..
मिलन है जुदाई है….
बाबुल का घर छोड़कर बेटी पिया के घर चली….
राजवीर कार का पिछला दरवाजा खोले खड़ा था| बिफरती किरन को भूमि हाथ थामे उसे कार में बैठा देती है| पिता भरसक अपने आंसू रोके बेटी का जाना देखते रहे जैसे इस वक़्त के बीतते वे टूट कर बिलख ही पड़ेंगे पर उस पल में खुद को किसी तरह से संभाले थे| अब अरुण मनोहर जी के पास आते उनके पैर छू कर विदा लेता है तब वे झट से उसका हाथ थामे भरी आँखों से उसे देखने लगे| अरुण उन्हें सांत्वना से यूँ देखता है जैसे मौन विश्वास दे रहा हो कि अब से आपकी अमानत मेरी लिए भी सबसे अनमोल रहेगी|
वे दोनों हाथ हवा में उठाते उन दोनों को आशीर्वाद देते है| अब दीवान साहब भी हाथ जोड़कर उनसे विदा लेते चल देते है| अरुण के अपनी कार में बैठते सभी अपनी अपनी कार में बैठ जाते है| उस समय वहां कतार से चमचमाती कारो का मजमा सा नज़र आ रहा था| उसमे कुछ कारे सिक्योरिटी की भी थी क्योंकि पूरा परिवार बाहर एकसाथ निकला था|
पल भर में जो रौनक थी अब वहां सब सूना सूना हो गया| सारी कार धूल का गुबार उडाती चली गई और पीछे छोड़ गई नम आँखों को…
अरुण की कार में आगे राजवीर था और पीछे दोनों बैठे थे| किरन अभी भी सुबकती हिल्की ले रही थी| ये कैसा पल था जब मन विपरीत राह की ओर एक ही समय में भागा जा रहा था……
अरुण किरन के मन की थाह समझता उसकी हथेली पकड़ कर उसे अपनी बांह में समेट लेता है| उस पल वह उसके मन के दर्द को सँभालने की कोशिश कर रहा है| यही प्रेम का सानिध्य था जब बिखरा मन अब कुछ कुछ सुकून महसूस करने लगा|
एक घंटे का समय पार होते आखिर वे सारी कारे एकसाथ दीवान मेंशन में प्रवेश कर जाती है| सब कार से उतरकर अब पोर्च पर खड़े थे| आखिर में अरुण की कार पोर्च पर आई |
वहां रुकी कार के शीशे से किरन नजर उठाकर मेंशन की ओर नहीं देखती लेकिन उसपल उसे वो दिन याद हो आया जब पहली बार अपने बिखरे मन के साथ वह यहाँ आई थी तभी भलेही मेंशन ने चुपचाप उसका स्वागत किया और आज उसका परिवार सच में अपनी स्वागत नजरे उसके आगे बिछाए था|
अरुण अपने सांत्वना भरे हाथ से किरन की हथेली पकड़े कार से उतरता है| अब वे दोनों साथ में वहां खड़े थे| भूमि और बाकि परिवार अब उनकी नजरो के सामने खड़ा अपनी अपनी मुस्कान से उनका स्वागत कर रहा था|
तभी मेंशन के मुख्य हॉल का दरवाजा खुला और उसके अगले ही पल सब उस पार का दृश्य देखने लगे, मुख्य दरवाजे से ही वहां फूलो से पटा हुआ रास्ता दिख रहा था|
ये देखते अरुण भूमि की ओर मुस्करा कर देखता है पर आश्चर्य उसकी आँखों में भी था कि तभी अगला दृश्य तो उन्हें और भी आश्चर्य में डाल देता है| सामने से सजी थाली लिए वर्तिका खड़ी थी|
“वर्तिका तुम !!!” एकसाथ सबके चेहरे पर आश्चर्य तैर गया|
वही वर्तिका आगे आती हुई भूमि से कहने लगी –
“क्या भाभी सब चले गए तो किसी को तो यहाँ स्वागत के लिए रहना था – लीजिए ये आपका हक़ है |” कहती हुई वह थाली भूमि को पकडाती है|
भूमि भी झट से थाली लिए मुस्करा देती है|
वर्तिका अब मेनका की ओर देखती कहने लगी –
“मेनका इस सबमे अपना हक़ मत भूल जाना – आज अच्छे से नेग वसूलना – उफ़ देखो मैं तो ख़ुशी में बस बोले जा रही हूँ – भाभी पहले इस खूबसूरत जोड़े की नज़र तो उतारिए |”
संकुचाई किरन अरुण के साथ खड़ी थी और भूमि थाली में रखे नारियल को उन दोनों के तीन बार वारती उसे द्वार के कोने में फोड़ देती है| अब आरती करती उन्हें साथ में अंदर आने का अपने हाथ से उन्हें आगे करती है| नीचे फूलो की चादर के आगे आलता की थाली थी जिसपर से होते किरन को जाना था|
ये तय था कि जिस हड़बड़ी में दिवान परिवार यहाँ से निकला था तो कुछ तैयारी नहीं कर पाया पर उन्हें क्या पता था कि वर्तिका यूँ आकर उन्हें चौंका देगी| उनका द्वार में स्वागत होता देख दीवान साहब और आकाश दूसरे रास्ते से मेंशन के अंदर चले गए|
अब वहां फूलो के स्वागत के साथ साथ नौकरों की कतार भी हाथ जोड़े उनका स्वागत कर रही थी| किरन हौले से नजर उठाकर हरिमन काका को देखती है तो वे अंश्रु पूर्ण आँखों से हाथ जोड़े उसे आशीष देते है|
वे अभी सारी रस्मे करके अंदर आए ही थे कि अगला आश्चर्य और उनके सामने लगभग कूद ही पड़ा|
“अरे अरे ऐसे कैसे – मुझे भी कुछ राईट है |” सभी को योगेश से कुछ ऐसी ही उम्मीद थी| वह अपनी भरपूर मुस्कान के साथ उनके सामने खड़ा था|
“क्यों नही योगेश – तुम दोनों के सरप्राइज ने तो हमे हैरान ही कर दिया – मैं तो खुद सोच में पड़ गई कि अचानक सारा कुछ का कैसे इंतजाम करुँगी |”
भूमि की बात पर योगेश जल्दी से कहता है –
“स्वागत की आप फ़िक्र मत करिए – इंतजाम तो पूरा हो गया -|”
इस पर सब एकसाथ मुस्करा दिए| अब वे जोड़ा साथ में मेंशन के अंदर था और नजर उठाकर देख रहा था कि कैसे मुख्य दरवाजे से लेकर सीढियों के आगे तक फूलो से पूरा रास्ता अटा पड़ा था|
अब अरुण किरन का हाथ थामे आगे बढ़ने लगा तो योगेश जल्दी से आगे आता हुआ कह उठा –
“देख रहा है – तब से कितनी मेहनत कराई तूने – झटपट काम के लिए पंद्रह आदमी लगाए पर जब तक मैं उनके साथ नहीं लगा काम पूरा नही हुआ – बस यही दुआ है कि तुम दोनों के साथ चलते ये फूलो भरे रास्ते कभी खत्म न हो|”
अरुण आगे बढ़कर दोस्त के गले लग जाता है| ये अबाध्य रिश्ते है जो बस प्रेम और विश्वास की डोर से बंधे होते है|
“भाभी आज जल्दबाजी में आपके लिए कोई गिफ्ट तो नही ला पाया पर फ़िक्र नॉट मैं रोजाना तंग करने आता रहूँगा – |”
योगेश की फुलझड़ी पर सब हँस पड़े|
“अच्छा अब इन्हें अपने कमरे में तो आराम करने जाने दो |”
भूमि बीच में टोकती है तो योगेश जल्दी से कहता है –
“अभी कहाँ – चल मुझे कुछ जरुरी बात करनी है |” अरुण जब किरन की ओर बढ़ने लगा तो योगेश उसकी गर्दन पकड़े उसे अपनी तरफ खींचते हुए थोडा दबे स्वर में बोलता है – “चल तू अभी मेरे साथ – तुझे कुछ टिप्स देती है – बिना गुरु के ज्ञान के तुझे आशीर्वाद नही मिलने वाला |”
अरुण अरे करता रह गया पर योगेश कहाँ उसकी सुनने वाला था| वह झट से उसकी गर्दन पकड़े उसे एक ओर जबरन अपने साथ ले गया|
वही अकेली खड़ी किरन को देखते अब मेनका उसका हाथ थामने आगे आई तो वर्तिका कहने लगी –
“क्या मैं ले जाऊं किरन को उसके कमरे तक ?”
भूमि सहज मुस्कान से स्वीकृति दे देती है, आज वाकई इन दोस्तों का दिन था जिन्होंने इस स्वागत को अपने स्नेह से परिपूर्ण कर दिया था| अब वर्तिका किरन का हाथ थामे उसे सीढियों की ओर ले जाने लगी, ये देखते भूमि और मेनका आपस में एकदूसरे को देखती मुस्करा उठी|
पूरा रास्ता जो अरुण के कमरे तक जाता था उसे फूलो से पाट दिया गया था उसे पार करते किरन संकुचाती हुई वर्तिका के साथ अब उस कमरे के बाहर खड़ी थी जहाँ रोजाना वह बेहिचक चली जाती पर आज हक़ से वहां प्रवेश कर रही थी|
कमरे की चौखट पर खड़े होती किरन शरमाई हलकी नजर से कमरे को देखती है| पूरा कमरा फूलो की खुशबू से महक रहा था| बिस्तर पर सजी लड़ियाँ उस कमरे में शिद्दत से सजाने की मेहनत दिखा रही थी|
वर्तिका किरन का हाथ पकड़े कहने लगी –
“आज का दिन तुम्हारे लिए ख़ास बना सकूँ इसकी बस अदनी सी कोशिश है – |”
कहती हुई वह किरन को बिस्तर के बीच में बैठा कर उसका चेहरा ध्यान से देखती कहने लगी –
“तुम्हे क्या दूँ – आज तो दुनिया से सबसे अनमोल चीज खुद तुम्हारे पास है – बस दुआ के अलावा मेरे पास कुछ नहीं – |” वर्तिका कहती जा रही थी – “बस तुम्हे ये पहना कर अपना मन संतुष्ट कर रही हूँ |” कहती कहती वर्तिका एक बड़ा ज्वेलरी बॉक्स खोलकर उसमे से ज्वेलरी निकालने लगी|
बड़े बड़े झुमके और उसी की मैचिंग का चोकर फिर कलाई में बड़े बड़े कड़े उसे पहना रही थी|
“वैसे तुम्हारी खूबसूरती के आगे इनकी कोई बिसात नहीं – बस इसे मेरी ओर से अदना सा स्नेह समझकर रख लो – क्योंकि इसके सिवा मेरे पास अब कुछ नही है तुम्हे देने को |”
वर्तिका एक एक जेवर को यूँ पहना रही थी मानो अपना अहसास चुपचाप उसके तन में छोडती जा रही हो| उस पल उसकी आंखे और हाव भाव यूँ सपाट बने थे कि कहना मुश्किल था कि क्या कुछ चल रहा होगा उसके मन में !!!
***
योगेश की मस्ती से किसी तरह से छूटते हुए अरुण अपने कमरे में वापस आया और पल भर को वह भी कमरे की सजावट देखता मुस्करा उठा| वर्तिका जा चुकी थी पर फूलो की सेज के बीच किरन बैठी थी| उसे देखते देखते वह उसके पास आगया|
गुजरे वक़्त की मुश्किलों को देखते वह कभी सोच भी नहीं पा रहा था कि ऐसा कोई दिन भी आएगा कि उसका प्यार उसके इतना करीब होगा !! वह उसके पास बैठ कर उसका चेहरा निहारने लगा, जो लाज से झुका हुआ था, उसे उठाते हुए वह बढ़कर उसकी झुकी पलकों को चूम लेता है| उसपल के स्पर्श से किरन की धडकने धौकनी की तरह बज उठी| पहले नेह स्पर्श से उसका मन तन के कोने में जा छुप बैठा|
“तुम्हे प्यार कहू या दीवानगी – बस यूँही आँखों के सामने बने रहना कि फिर ये सांसे तुम्हे सामने न पाकर जाने कब रुक जाए |”
“न |” अचानक किरन घबराकर अरुण के होठो पर हथेली रखे उसे कहने से रोक देती है|
पर क्या पता था आज प्रेम बरसने को बेताब हुआ जा रहा था| वह बड़ी शिद्दत से उसकी हथेली चूम लेता है| किरन फिर संकुचाकर खुद में सिमट जाती है|
“सच में अब तो मेरा लालच बढ़ गया है – अब एक पल भर को भी मैं तुम्हे खुद से दूर नहीं होने दूंगा – तुम यूँही मेरी आँखों के सामने रहो और मैं यूँही तुम्हे निहारता तुम्हे प्यार करता रहूँ |” प्रेम में डूबी आवाज जैसे किरन के तन मन में बिजली सी दौड़ा गई| अरुण उसके पास, बहुत पास था कि वह उसकी सांसे महसूस कर पा रही थी| उसके दिल की एक एक धड़कन साफ़ साफ़ सुन पा रही थी| अरुण बड़ी शिद्दत से उसके कानो के पास आता उसके झुमके चूमता उन्हें उसके कानो से आजाद कर देता है|
उसपल के स्पर्श से किरन के तन में जैसे कोई बिजली सी दौड़ गई जिससे चिहुकती हुई वह मुट्ठी में चादर भींच लेती है|
“मुझमे समाकर मुझे प्यार कर दो….कि बहुत तड़पा है ये मन तुम्हे पाने को – आज इसे मन भर बारिश से भीग जाने दो…|” लहकती आवाज में वह कहता कहता उसकी गर्दन चूमता उस भारी चोकर को उससे अलग कर देता है|
धीरे धीरे अरुण का स्पर्श उसके तन से गुजरते उसके मन में लगातार समाता जा रहा था| वह उसे अपनी बाहों में समेटे था| तभी अरुण की कलाई घड़ी में किरन के बाल फस गए जिससे उसकी आह निकल गई, ये देखते अरुण तुरंत घड़ी खोलता उसे बेतरतीबी से फेकता उसके बालो को प्यार से अपनी हथेली में लेता उसकी गर्दन के पीछे धकेल देता है|
किरन अब पूरी तरह से अरुण की बाहों के बीच थी और वह बड़ी बेचैनी से अपना स्पर्श उसके अंग अंग में छोड़ता जा रहा था| ये बस प्यार का पल था जहाँ हर सांस बस प्रेम की तड़प में ही सुकून ढूढ़ने लगी थी| अरुण उसकी गर्दन से नीचे चूमता अब उसकी हथेली को अपने गर्म होंठो से स्पर्श कर रहा था| उसकी गर्म होती साँसे जैसे किरन की शिराओ में भी अग्नि सी दौड़ा रही थी|
उसकी कलाई को चूमते अब उन भारी कड़े को उससे अलग करता उसे धीरे से पीछे की ओर लेटाता बस उसकी ओर झुका आ ही रहा था कि सहसा उसकी नजर किरन की कलाई पर पड़ी जहाँ कोई नीला गहरा निशान था| उसे देखते अरुण चौंकता हुआ पूछता है –
“ये क्या हुआ – बहुत गहरा निशान है – कब चोट लगी तुम्हे ?”
वह चिंतित स्वर में पूछता है तो इस पर किरन ख़ामोशी से पलके झुकाती कह उठी –
“वो मंदिर में आपने कलाई पकड़ी थी – तब…|”
ये सुनते उसे याद हो आता है कि मंदिर के बाहर कुछ ज्यादा ही जोश में उसने उसकी कलाई पकड ली थी|
“क्या !! मुझे सच में नही पता था कि तुम्हे ऐसा हर्ट होगा|” कहते हुए वह उसकी कलाई के उस निशान को प्यार से चूम लेता है|
अब वह उसका चेहरा अपनी हथेली में थामे कुछ पल तक प्यार से उसे निहारता रहा| आखिर यही तो बसती है उसकी सारी दुनिया जहाँ बस प्यार और प्यार ही है…..फिर किस बात की जल्दबाजी….पहले मन के भीतर तो उसे उतार ले…अब उसे थामे हुए अरुण कहता है –
“तुम कमसिन हो….नादाँ हो….नाजुक हो…भोली हो….सोचता हूँ मैं कि तुम्हे प्यार न करूँ…..|” कुछ गुनगुनाते हुए उसे अपनी बाहों में समेटे वह लेटकर आँखे बंद कर लेता है मानो उसे अंतरस मन के भीतर उतार रहा हो|
तन में डूबने को तो सारी जिंदगी पड़ी है आज वह उसके मन के भीतर तक अपनी पहुँच बनाना चाहता था| उसे ये भी अहसास था कि पहली बार अपने घर को छोड़कर आई लड़की उस पल कितना डरी सहमी होती है…तब उसे उसके मन को संभलने देने का मौका तो मिलना ही चाहिए….
सोचते सोचते उसे अपनी बाहों में लिए अब वह नींद में धीरे धीरे गुम होने लगा था….पिछली बार की आप सबकी उपस्थिति ने मुझे दंग ही कर दिया…बस यही चाहिए…..फुल कमेन्ट…..
क्रमशः………
Bahut he pyara aur khubsurat part, ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Sach a fabulous part
Bahut he pyara aur khubsurat part.
लाजवाब, जबरदस्त बहुत ही मनमोहक भाग 👌👌👌👌👌👌💔💔💔💔💔🙏🙏
Bhut hi pyara
Very Very Lovely Part.
Maza Aa Gaya
Finally kiran aur arun sath hain..kitna acha ahsaas hai..aj sach me bada manmohak part tha
Bhut mast part… Kya swagat kiya vartika or yogesh ne…
Par apne ye nhi bataya ki arun kiran ko milane ki yah planning ki kisne thi….
Very good Vartika good
शानदार भाग
👌👌👌👌👌
👏👏👏👏👏
Superb part ❣️💕❣️💕❣️💕❣️💕❣️💕
Aaj ka part ❤️ se ❤️ tak….
Superrrbbbbb
Awesome; prem ki aisi abhivyakti ki padhne wala khud use mahsus karne lge…. Speechless
Bahut sundar
Hay re …..kya part h majedar……lovely…..1000%
Bhut he pyar bhara part
Shandar part
Kya zordaar welcome hua hai Kiran ka mension mein woh bhi vartika ne kiya jaise ab sab sahi ho jayega yahi lgta hai
Nice 👍👍👍
Beautiful very nice 👌👌👌👌👌👌
Nice a very lovely parts very nice 💞
Bahut hi sundar part hai. Aakhir Arun aur kiran ka intezar khatam hua.
Vartika ko waha la kar to aapne hume surprise kar diya bilkul hi .
Bas Stella ka suspense aur khul jaye .❤️❤️😊
Kiran ke sath hmare adr bi bijli chl gyi ….muje bi mere pyar ka phla ehsas yad aa gya …apki gr ek bar feeling ki touch krti h
Wowww.. pyar bhara part… Kitna pyara kitna emotional…jaha ek taraf vidai ka dukh to Milan ki utsukta ek saath hai.. vartika ka apne pyar ko kisi ke haath pyar se sompna aur yogesh ka apne dost ke liye swagat ki tyari.. bas maine shitij ko miss Kiya.. Arun ka ye sochna ke pehle Dil mein utrna.. woww.. behtreen…. Kitna jgah aankhen namm hui.. aapki kalam ki jitni bhi tarif Karu kamm hai..
Finally dono mil gye🌹💓💓💕💕
Superb excellent 👏👏👏👏
Beintaha khoobsurat part 💕
Lovely part💕💕💕💕💕💕💕💃💃💃💃💃💃dil khus ho gaya ji ye part पढ़कर
❤️❤️❤️❤️
❤️❤️❤️❤️❤️
Payar se bhara hua bhahuk karta hua part❤❤❤
Amazing😍😍😍👍👍😍🤩🤩🤩