
बेइंतहा सफ़र इश्क का – 175
एसीपी देशमुख कमिश्नर के सामने खड़ा था और बेहद कल्पे हुए भाव में अपनी बात कह रहा था –
“सर मिडिया ने तो हंगामा कर रखा है – वो सब ऐसे सर पर सवार है जैसे मैं अभी का अभी कातिल उनके सामने हाजिर कर दूंगा – आपने उस रिपोटर शैली की रिपोर्ट देखी – अब पुलिस का काम भी यही करेगे |”
देखमुख एक कर्मठ पुलिसवाला था और स्पेशल केस हमेशा उसके हाथो ही सुलझते, यही कारण था कि स्टैला मर्डर के केस को कमिश्नर ने खास तौर पर उसे सौंपा था लेकिन मीडिया की फालतू की दखलंदाजी से वह बुरी तरह उखड़ा हुआ नज़र आ रहा था| अपने काम की वजह से जहाँ वह कई बार पुरस्कृत हो चुका था वही इसी रूखे व्यव्हार की वजह से कई बार उसका डिपार्टमेंट ही बदला भी गया था|
इस बार वह कमिश्नर ऑफिस में था और कमिश्नर उसे ये केस सीधे तौर पर सौंप चुके थे| वे उसे शांत कराते हुए कहते है –
“शांत रहो देशमुख – मीडिया की टांग कितनी लम्बी है पता तो है और इस बार तो हत्या ही एक मीडिया कर्मी की हुई है तो ऐसा हंगामा मचना लाज़मी है – और वैसे भी अभी मैंने अपनी रिपोर्ट को होल्ड कर रखा है – तो तुम्हारे पास छानबीन का मौका है – खैर अभी तक कहाँ तक इन्क्वायरी पहुंची ये बताओ |”
“सर ऑटोप्सी रिपोर्ट आ गयी – जिसके अनुसार हत्या सात से आठ के बीच हुई – चाकू से उसके जिस्म और चेहरे पर अठाहरा बार वार किए गए लेकिन पहला घाव सबसे गहरा है और मुमकिन है उसकी मौत तभी हो गई – और हो सकता है इसी कारण किसी ने उसकी चीख नही सुनी और न ही कोई संघर्ष के सबूत ही मिले |”
“कुछ संदिग्ध सामान वहां मिला और कोई सस्पेक्ट ?”
“नो सर उसका तो सवाल ही नहीं उठता – वहां सुलगती सिगरेट के कालीन में गिरने और उससे कालीन के जलने से वाटर स्प्लिंकर स्टार्ट हो गया जिससे कमरे में फैले पानी से मौजूदा सारे निशान धुल गए – और मुख्य डोर को वेटर के द्वारा खोले जाने से वहां का निशान भी हमे नही मिल पाया – कुल मिलाकर कमरे में ऐसा कुछ नहीं मिला जो हमे हत्यारे तक पहुंचा सके |”
अब कमिश्नर कुछ सोचते हुए कहता है –
“तुम आज एक बार और छानबीन करो – मे बी रूम में कुछ तो मिलेगा जो हमे हत्यारे तक पहुंचा सके |”
“सर एक शर्ट का बटन मिला है – बस वही एक चीज है जो उस डेडबॉडी की नहीं हो सकती – मैं उसका पता करने में लगा हूँ क्योंकि वह ब्रांडेड शर्ट का लगता है और संभव है किसी रिच पर्सन का होगा तो सर आगे उस तक पहुँचने में मुझे मुश्किल आ सकती है |”
“कोई मुश्किल नहीं होगी – इस केस के लिए हमारे ऊपर जितना दवाब है उससे हम उठने ही फ्री हैण्ड है – तुम पहले सस्पेक्ट तक पहुँचो मैं उसके आर्डर तुम्हे तुरन्त ही रेडी करवा दूंगा|”
“ओके – थैंक्यू सर|”
वह सैलूट करके जाने को हुआ वैसे ही कमिश्नर फिर उसे टोकता हुआ कहता है –
“अच्छा वो दिल्ली से स्पेशल टीम कोर्स के लिए आने वाली थी उसका क्या हुआ ?”
“स्पेशल टीम के नाम पर एक नया भरती इन्स्पेक्टर और एक कोंस्टेबल को भेजा गया है |”
“ठीक है तुम उन्हें भी अपने साथ इसी केस में रख लो |”
“क्यों सर ? वो नया नया पुलिसवाला कही मेरा केस न खराब कर दे !”
“शामिल कर लो क्योंकि मैं कह रहा हूँ – दिल्ली से उसका रिकमेंडेशन आया है और फिर जब भी कोई गलती हो उसी के सर पर थोप देना |”
अबकी कमिश्नर पुलिसिया अंदाज से अलग मजाकिया तौर पर बोला जिसपर देशमुख पहले तो चौंका फिर हलके से सर हिलाकर सैलूट करके बाहर निकल गया|
***
बहुत कुछ दीवान हॉउस में बदल गया| इतने दुःख के बाद जैसे सबको कसकर मुस्कराने की वजह मिली थी| भूमि सारे इंतजाम करती फूली नहीं समा रही थी| फार्म हाउस जाने से पहले वह बहुत सारे मिठाई के डिब्बे जीएस कोलोनी भिजवा रही थी| और साथ ही अपनी संस्था में भी सबको आज जी भर कर मिठाई खिलाने का इंतजाम करने को कह रही थी| वह यूँ खुश थी मानो अब ये ख़ुशी इस घर से कही जाएंगी ही नहीं|
दादाजी भी सुबह से अपने आश्रम गए हुए थे| वे तो कब से इस ख़ुशी के इंतजार में थे| उन्होंने अपनी प्रार्थना पूरी होने पर मंदिर दीपों से भर दिया था जैसे दर्द में रहते वह जितने दिन मंदिर में दीया नही जला पाए वे उन सबकी पूर्ति आज ही कर लेना चाहते थे| वे तो कहकर गए थे कि वे अपने आश्रम के गुरु मंडली के साथ ही चार धाम को निकल जाएँगे| और किसी ने उन्हें रोका भी नहीं| सब जानते थे वे कब से इस दिन के इंतजार में थे की अरुण का घर बसे और वह मन शांत किए अपने चार धाम की यात्रा को पूरा कर सके|
किरन दो पल तक सीढियों में खड़ी ये सारा दृश्य देखती रही| घर के सारे नौकर चाकर ख़ुशी से इधर उधर काम करते व्यस्त थे| सब कुछ उमंग से भरा हुआ था| पर इतना सब होते देखती किरन का मन जाने क्यों किसी अनजाने डर से सहमा था| बार बार वह दिल पर हाथ रखे अपने वक़्त से दुआ करती कि इन खुशियों को किसी की नज़र न लगे|
किरन बहुत देर से सीढ़ियों पर ही खड़ी थी जिससे उसकी नामौजूदगी से अरुण भी अब वही आ गया| वह उसका कन्धा छूते हुए पूछता है –
“यहाँ क्यों खड़ी हो ?”
अरुण का स्पर्श पाते वह झट से पीछे पलटती है| उसपल उसका मन कुछ उदास था उसका भाव वह चेहरा पर नहीं लाना चाहती थी कि उसकी उदासी पढ़ ली जाए| वह हलकी बनावटी नाराजगी से कहती है –
“क्यों किया आपने ऐसा ?”
“मैंने !! क्या किया मैंने ?”
“आपने ही क्षितिज को भेजा – अब देखिए सब चले गए – पता नही क्या सोचते होंगे मेरे बारे में ?”
“हम्म – तब तो मुझे जरुर रुकना चाहिए – अब अकेले कही तुम्हे डर लगा तो !!”
“बिलकुल नही – अब आप भी ऑफिस जाइए – नहीं तो सच में सबको लगेगा कि मैं ही ऐसा चाहती थी |”
किरन के भोलेपन पर अरुण को हलकी हंसी आ गई जिससे उसका मन और ज्यादा ही शरारत से भर उठा पर किरन से यूँही नाराजगी से कहने लगी –
“आप अब ऑफिस जाइए – चलिए |” कहती हुई वह अरुण का हाथ पकड़े सच में उसके साथ सीढियां उतरने लगी|
वे साथ में बाहर थे और अरुण बेचारगी से उसे देखता हुआ पूछता है – “सच में मैं जाऊं ?”
उस पर उसके चेहरे की कशिश ही ऐसी थी कि मुहब्बत यूँही फिसल कर सिमट आए पर किरन जानकर खुद को काबू किए हामी में सर हिला देती है|
अरुण को बाहर आते देख राजवीर तुरंत कार पोर्च में लगा देता है| अब एक बार फिर दोनों निगाहे आपस में मिली और इस बार किरन का दिल हूक उठा| यूँ तो वह भी कहाँ अरुण से दो पल को भी दूर होना चाहती थी लेकिन अब जो कह दिया उसपर से पीछे कैसे हट जाए|
दोनों को खामोश खड़ा देख राजवीर मौन उन दोनों को देखता रहा पर उन्हें टोक न सका|
तभी अरुण राजवीर के पीछे की ओर इशारा करता हुआ कहता है –
“वो क्या है राजवीर ?”
राजवीर भी हडबडाता हुआ झट से मुड़ता हुआ पूछ उठा – “कहाँ ?”
राजवीर अपने पीछे मुड़ा था और किरन भी अब उसी दिशा में अचंभित देखने लगी पर उसे कहाँ पता था असल अचम्भा तो उसके ठीक बगल में था| राजवीर के मुड़ते अरुण शरारत से पल में किरन के गाल चूम लेता है जिससे किरन बड़ी बड़ी आँखों से उसे देखती रही तो राजवीर वापस उसकी ओर मुड़ता हुआ कह रहा था –
“वहां तो कुछ भी नहीं है सर |”
“हाँ वो याद आया मैं कोई जरुरी फ़ाइल् कमरे में भूल गया – मैं आता हूँ अभी -|”
कहते हुए वह तुरंत वापस चल दिया| अब किरन उसे आँखों से घूरती रही जैसे मौन ही कह रही थी कि वह सब समझ रही है|
***
जब कमरे में किरन आई तो देखा अरुण कुछ ढूँढने का उपक्रम करता बार बार दरवाजे की ओर देख रहा था जैसे किरन के आने का इंतजार कर रहा हो|
“लगता तो नहीं आप का ऑफिस जाने का मन भी है |”
“ठीक है मेरी हेल्प कर दो तो ऑफिस भी चला जाऊंगा |” उसके शब्द बड़े बेचारगी भरे थे जिसपर किरन किसी तरह से अपने होंठो के भीतर हंसी दबाए रही|
उसपर अरुण की निगाह बस किरन पर थी और किरन हलके से पलके झुकाए ठीक उसके सामने खड़ी थी| वे बस आधे फुट की दूरी पर थे और उस शांत माहौल में एकदूसरे की धड़कती धडकनों को साफ साफ़ सुन पा रहे थे| पर कोई संकोच का दायरा था जो अभी उन्होंने लांघा ही नहीं था| पर प्रेम उस पल बारिश की उफनती नदी होना चाहता था, वह जैसे हर दायरा लांघता इश्क का उमड़ता समंदर होना चाहता था|
किरन होंठो के किनारे दाबे एक एक सांस अपने सीने में साफ़ साफ़ महसूस कर रही थी| तभी अचानक सामने अरुण को देखते उसका कपोल और लाल हो उठा| अरुण अपने जिस्म से शर्ट उतार रहा था| अब वह और बुरी तरह हिचक जाती है| इसपर अरुण जल्दी से वार्डरोब की ओर बढ़ता हुआ कहता है –
“मुझे दूसरी शर्ट चाहिए – किरन जरा निकाल दोगी !”
“जी..|” हलके से हामी भरती वह दबे हाव भाव से वार्डरोब के पास आती उसमे से शर्ट खोजने लगती है|
वह एक एक करके शर्ट पर हाथ रखती पूछती है –
“ये …ये …!”
और अरुण न कह देता| किरन शर्ट की कतार पर हाथ फेरती पूछती रही और न न कहता वह उसके बहुत पास खड़ा रहा| वह किरन के ठीक पीछे था| इतना कि वह हर एक गहरी साँस के साथ उसके होने की अनुभूति कर लेती|
वातानुकूलित कमरे में भी तेज तपिश उनकी शिरा में दौड़ रही थी जिससे हलकी पसीने की बुँदे उसके माथे पर नज़र आने लगी| अरुण के खुले जिस्म की मछलियाँ जैसे उसके जिस्म में उतरने लगी|
किरन की पीठ अरुण की ओर थी पर सांसे जैसे बेरोक आपस में घुलीमिली जा रही थी| वह अभी भी एक एक शर्ट पर उंगली रखती रही पर उफनती साँसों की रफ़्तार से उसके मुंह से कोई शब्द न निकल सके| प्रेम की बेचैनी अब उन्हें और करीब लाती गई और तभी पीछे से वह उसे अपनी बाँहों में जकड लेता है|
वह अपने चेहरे से उसके चेहरे को चूमते हुए दिलकशी से कह उठा –
“आज मेरा प्यार तुम्हारे प्यार को ओढ़ना चाहता है – तुम्हारे प्रेम को अपने जिस्म के हर कोरे में जी भर कर उतारना चाहता है – किरन…..क्या इजाज़त दोगी -!”
किरन भी जैसे उस पल उसकी बांहों में पिघलती रही| ये प्रेम का सबसे पवित्र अहसास था जहाँ हक़ होते हुए भी इजाज़त का इंतजार था| वह तुरंत पलटकर उसकी ओर मुडती हुई अपनी पलके उठाकर झुका लेती है| ये मौन स्वीकृति थी कि वह भी कहाँ उससे विलग होना चाहती है| वह कसकर उसके खुले सीने से लिपट जाती है| प्रेम बारिश सा उसके रोम रोम में अपने स्पर्श से उतरने लगा|
क्रमशः…..
कहानी में अभी बहुत कुछ शेष है..कहते है न फैलाव बहुत मचा लिया अब समेटो…तो रंजीत का सच, उसका प्यार, दीवान साहब और आकाश के कर्म, तारा, भूमि, रूबी और विवेक को इंसाफ पाए बगैर कहानी का अंत नहीं होगा….वैसे ये मेरी पहली सबसे लम्बी कहानी है जिसे उसे संतुष्ट हाल तक लाकर ही मैं दम लुंगी….एक छोटी से छोटी चीज को भी नहीं छोड़ने वाली..चाहे जितना लिखना पड़े…क्या आप तैयार है इस लम्बी यात्रा के लिए…….
आपके लिए एक और ख़ास खबर…हमनवां के आगे के पार्ट आ रहे थे और अब उसके पार्ट आने बंद हो गए…असल में दो बार उसमे ब्रेक आ गया..और कहानी में ब्रेक आने से जितना आपको पढने में समस्या आती है उतनी मुझे लिखने भी आती है…पर अब नही होगा..मैं उसे लिख रही हूँ…जब कम्प्लीट हो जाएगी तो उसके भाग साथ में ही पोस्ट होने लगेगे…साथ ही सुगंधा एक मौन के भी कुछ नए पार्ट एड होते उसे भी सम्पूर्ण पोस्ट कर दूंगी…..फिर उसके बाद कबीर की story लाने का प्रयास रहेगा…फिर बद्री और पन्ना को वापस भी तो लाना है और ये सब आपको यही वेबसाईट में मिलेगा और कही नहीं…..इसलिए समझिए ये यात्रा लम्बी रहने वाली है…..तो आप कही न जाए और क्रोम में इस साईट को हमेशा के लिए सेव कर ले….
Ahhhh… Pyar hi pyar.. bas is pyar ko kisi ki Nazar na Lage…. 💕💕
Aur Aaj to aap ne boht achi khabar sunai ki Kabir ki kahani bhi.a rhi hai… Waiting eagerly for Kabir💓
Yes off course mam….hm to hmesha hi sath h…..
Khi Jo Baton inspector ko mila h wo Aakash ya Arun ka to nhi….ya fir us katil ka
Bhut badhiya par inhe aakas ke karmo ki aach na lge
Very nice
Bahut hi badhiya part hai maam.
Hame intazar hai sare Raaz bahar aane ka. Chahe jitna bhi time Lage .
Bahut sundar
Yara to kahani puri hone per hi khatm hogi chahe lambi hi kyon na ho😊🙏
Wo to save ho hi gyi h… Mere chrome me to iska ek icon b ban gya jaha se asani se sight khul jati h….
Aapke sath lambi yatra to hum kar hi rhe hain or aage b chalti rahegi…
Muje eek strong feeling aa rhi k sayad Stella ko tara ne mara kynki 18 bar bo b mar jane k bad… Ye to badle ki aag hi h jo sahayad tara ne liya… Wo av v lapata hi to h…🤔🤔
Hame b intjaar h ek lambi story padne ka…..aap likhti rahe or hm padte rahe……arun or kiran aakhir mil hi gaye…..ab stella ko kya Ranjit ne mara h ya kisi or ne
♥️♥️♥️♥️♥️♥️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
Lovely part
Aaj shabd nhi hai tareef ke liye kaash arun Kiran ka pyar ka Mausam aise hi chalta rahe kisi ki Nazar nhi Lage
Nice 👍👍👍
Behtareen part beautiful ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕
Lovely part so nice beautiful 😍
जी बिलकुल हम तो किरण के बच्चों की शादी भी देखना चाहते हैं…..👌👌👌👌🙏🙏💔💔💔💔💔💔💔
जी लंबा हो जाये कोई नही विस्तार से पढ़ना अच्छा लगता है आपकी लेखनी के कायल है हम तो
Very very nice😊😊👏👏👍👍👏😊😊😊😊👏👍