Kahanikacarvan

बेइंतहा सफ़र इश्क का – 176

ये प्रेम का सबसे अनमोल और पवित्र पल था जब नेह पूरे मन से एकदूसरे में उतरने लगा था| जहाँ प्रेम में समर्पण समाहित होते अंतर्भूत होता मन की गिरह खोलता जिस्मो में समाने लगा था|

अरुण किरन के सलोने चेहरे को अपने होंठो से स्पर्श करता उसे अपनी बाहों में भीचे मन ही मन गुनगुना उठा…जैसे अंतरस उस पल को अपने भीतर उतार रहा हो…..

मेरी जिंदगी का अनदेखा ख्वाब हो तुम…..

मेरे जज्बातों का अल्फाज हो तुम…..

जो न कह सका कभी वो आस हो तुम..

मेरा अनकहा हर लम्हा हो तुम..

तुम्हे जी लूँ जी भर के दिल से..

वो जरुरी सांस हो तुम….

किरन का मन भी बेकाबू होता आज प्रेम में अन्तरंग खो जाना चाहता था| अरुण उसे प्यार से अपनी बाहों में लिए बिस्तर पर लेटाते अब उसपर झुकने लगा| उस पल साँसों का मेराथन जैसे शिराओ में तूफान मचाए था जैसे प्यार जिस्म के कोर कोर में उतरने को बेकाबू हुआ जा रहा हो|

वह बड़ी शिद्दत से किरन के अंग अंग को चूमता अंतहीन हो ही रहा था कि पल में विघ्न आ गया| कमरे का दरवाजा अप्रत्याशित तरीके से खट खट की आवाज से गूँज उठा| अरुण ने अनसुना कर दिया पर किरन जो पलके बंद किए थी एकदम से चिहुंक पड़ी|

“सुनिए…कोई है….!!”

“होने दो – खुद चला जाएगा |” कहते वह अपना बंधन उसकी कमर में कस लेता है|

पर किरन उस लगातार की आवाज से परेशान होती अरुण से फिर प्रार्थना कर उठी –

“प्लीज देख लीजिए न –|”

“ओके देख भी लेता हूँ और भगा भी दूंगा |” वह बेमन से उठता हुआ कुछ पल नाराजगी से किरन को देखता है जिसपर वह हलके से शर्माती मुस्करा देती है|

“देखना पड़ेगा कि कहाँ तूफान आया है ?”

वह भी अब छदम नाराजगी से चलता हुआ लापरवाही से शर्ट पहनता दरवाजा खोल देता है पर क्या पता था कि सच में एक सुनामी उसकी जिंदगी में आने को तैयार खड़ी थी|

उसपार जिगना था जो बेहद घबराए स्वर में कह रहा था –

“छोटे मालिक – बाहर पुलिस आई है – आप जल्दी नीचे चलिए – बड़े साहब बुला रहे है |”

ये सुनते जैसे अगले ही पल उसके सारे भाव भाव ही बदल गए| पुलिस के साथ ही उसे स्टैला की मौत की रात याद हो आई| इस बीच सच में वह उस मर्डर के बारे में भूल ही गया था लेकिन अब उस पल सारा कुछ उसकी आँखों के आगे जीवंत हो उठा|

जिगना जहाँ बेसब्र हुआ अभी भी खड़ा था वही किरन अब उठती हुई उधर ही देख रही थी| अरुण पल में खुद को सँभालते हुए किरन की ओर एक उलझी सी नजर डालता हुआ तेजी से बाहर निकल जाता है|

सीढियों से नीचे उतरता वह देखता है कि सच में वहां का माहौल ऐसा बना था जैसे कोई सुनामी आया हो| छड़ी टेके हुए दीवान साहब अपनी भरसक कोशिश में कड़क रहे थे तो हरिमन काका उन्हें संभाले खड़े जैसे काँप गए हो|

एसीपी देखमुख अपने पांच छह पुलिसकर्मियों के साथ खड़ा कह रहा था –

“देखिए दीवान साहब इस तरह हंगामा खड़ा करने की जरुरत नहीं है – मैं सब कुछ कानून के दायरे में रहकर कर रहा हूँ और मैं आपसे भी यही अपेक्षा करूँगा कि आप कानून के साथ सहयोग करे|”

ये सुनते दीवान साहब हरिमन काका का हाथ झिड़कते हुए कहते है –

“आकाश को फोन करो – उससे बोलो वकील को फोन करे |”

देखमुख जितना रुखा और सख्त था वह उससे भी कही ज्यादा खुद को ऐसा प्रदर्शित करता था| वह बेहद रुखाई से कह उठा –

“चिंता मत करिए – मैं आपको आपके वकील से मिलने का पूरा वक़्त दे रहा हूँ बस अभी आप मिस्टर अरुण को बुलाए |”

जैसे ही वह ये कहता सामने देखता है अरुण ठीक उसके सामने चला आ रहा था| उस समय उसके हाव भाव बेहद संशय भरे थे|

उसके सामने आते देखमुख तुरंत उसकी ओर देखता हुआ कहता है –

“आपको अभी हमारे साथ चलना होगा – |”

इससे पहले कि अरुण शब्दों से कुछ आगे पूछता देखमुख आगे कहने लगा –

“स्टैला मर्डर केस – उसमें आप एक सस्पेक्ट पाए गए है और इसी लिए मैं आपको रिमांड में लेने आया हूँ |”

अरुण अवाक् खड़ा रह गया| कुछ पल के लिए उसे समझ नहीं आया कि आखिर कहा क्या गया?

पर दीवान साहब फिर गरज पड़े – “क्या गिरफ़्तारी का वारंट है तुम्हारे पास ?”

उनकी बात पर देखमुख उतने ही सपाट भाव से कहने लगा –

“मैंने अभी आपको कहा कि मैं पूछताछ के लिए मिस्टर अरुण को ले जा रहा हूँ न कि गिरफ्तार करके – वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि कोग्नीज़ेबल ओफेंस के लिए वारंट की जरुरत नही होती लेकिन अगर आपने पुलिस की कारवाही में कोई रुकावट की तो मैं अपनी कानून की हदे बढ़ा दूंगा और फिर वारंट के साथ हथकड़ी पहना कर शायद मुझे ले जाना पड़े |”

इस बात पर अरुण थोडा तीखी नज़र से उसकी ओर देखता हुआ पूछता है –

“वैसे किस तरह से मैं इस केस का सस्पेक्ट हूँ ये मैं जान सकता हूँ !”

“बिलकुल – डेडबॉडी के पास मिले शर्ट के बटन और आपकी उस मर्डर वाले रूम के फ्लोर में जाने वाला वीडियो इस बात से आपको सस्पेक्ट बताता है और रही बात सबूत की तो उसके लिए मेरे पास सर्च वारंट है |”

वह अपने बगल में खड़े एक सिपाही को संकेत करता है जिससे वह एक कागज अरुण की ओर बढ़ा देता है| अरुण उस कागज को पढ़ ही रहा था कि देशमुख अपने साथ के पुलिसकर्मियों को संकेत करता है जिससे वह हामी में सर हिलाते अब उस कमरे की ओर बढ़ जाते है| कोई उन्हें रोक भी नहीं पाता और वे पांच छह पुलिस वाले अब सीढियां चढ़ते अरुण के रूम की ओर चल दिए थे| अब तक सारी आवाजो को सुनते किरन कमरे से बाहर आ गई थी और अवाक् खड़ी उन सारे दृश्यों को देख रही थी|

वे सारे पुलिस कर्मी धड़धडाते हुए कमरे में प्रवेश कर जाते है| कमरे के बाहर खड़ी किरन अंदर का परिदृश्य देखती रही| वे वार्डरोब को एक साथ खंगालने लगे थे| और अगले कुछ मिनटों में ही वे एक शर्ट को अपनी जद में लिए हुए उसी रफ़्तार से वापस नीचे आ जाते है|

अब वो शर्ट देखमुख गौर से देखता हुआ कहता है –

“अब तो सबूत भी है मेरे पास – इस शर्ट का गायब बटन जो इस केस का मेन क्लू है – तो मिस्टर अरुण अब आप हमारे साथ कोप्रेट करे यही बेहतर होगा |”

उस पल सारी स्थिति अजीब बन पड़ी थी| किरन सीढियों के ऊपरी हिस्से में खड़ी थी और शायद भरसक अपने आंसू रोकने की कोशिश कर रही थी| दीवान साहब अपनी मुट्ठी में छड़ी को भींचे बड़ी मुश्किल से अरुण की ओर देख पा रहे थे तो हरिमन काका शायद आकाश से अभी तक कनेक्ट नहीं हो पाए थे जबकि अरुण अब स्थिति के आगे हारता चुपचाप उनके साथ जाने का निर्णय करता है|

अरुण के साथ जाने से पहले एसीपी तुरंत अरेस्ट मेमो बनवा कर उसपर दीवान साहब के साइन ले लेता है| वे भी पूरी तरह से हताश ये सारा मंजर किसी तरह से अपने मन में जब्त करते रहे|

अरुण उन पुलिसवालों के साथ जाता एक बार भी पलटकर न दीवान साहब की ओर देखता है और न किरन की ओर| शायद खुद को टूटने से बचाने वह हौसला करता आगे बढ़ गया|

क्रमशः……..

21 thoughts on “बेइंतहा सफ़र इश्क का – 176

  1. Arun ki girftari is kahani me kon sa Naya mod lane wali hai sabki life me.
    Marne ke baad bhi ye Stella diwan pariwar ka picha nahi chor rahi hai.
    Waiting for next part.

  2. Oh ho… Issi baat ka Darr tha.. bas yahi baaki tha.. abhi to khushiyan ayi hi thi.. ye kya ho gya.. ye akash k gunah ki saja jo Arun ko bhugatni pad rhi hai.. murder Kiya kis ne .. Arun to nhi tha.. to fir us ka button kaise gira waha??

  3. ये क्या हुआ जी? गलती किसी की, मर्डर किसी ने किया और फंस कोई गया…..
    बेचारी किरण ! और कितना इंतजार करेगी अपने प्यार का…….👌👌👌👌👌👌

  4. Abhi to khushiyon ne dastak di thi aur ab itna bda tufan . Arun aur Kiran k jeevan me itna sangharsh kyu hai 🥺🥺🥺🥺🥺🥺🥺🥺🥺🥺🥺🥺🥺🥺

  5. Lag gyi Nazar arun Kiran ke pyaar ko ek baar phir se akash ke karmo ki saza bhugat raha hai arun

  6. Ooh mem ye ky kar diya aapne ar Arun ke sath to koi china jhapti bhi nhi Hui to uski sart ka batan kese gira bha

  7. Is murder k pichhe kahi ranjeet to nhi kyuki pahle b usi ne water sprinkle se saboot mitaye the ya fir tara

  8. Muje laga hi tha k esa hi kuchh hone wala h.. tabi aapne raat me arun ko sula diya tha na … Wo dono itni asani se kese mil sakte h…. Pr ye hua bhut bura ab to jaldi iss murder case ka khulasa kijiye……😔

  9. Hare rama!!! Ye sach mein bura hua. Mujhe laga tha shru mein ki aakash ka hoga. Par jab last Episode mein arun ki ek shirt ka button nahi laga tha tab laga tha ki kahin ye na phans jaye
    Aur vahi hua

  10. Ye kya hua….Arun ko hi murder case me suspect maan liya…..kiran ki life me pal bhar hi khushi aayi or fir se dukh ke badal cha gye

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