Kahanikacarvan

बेइंतहा सफ़र इश्क का – 177

स्टैला मर्डर केस से जितना हंगामा नही मचा उससे कही ज्यादा अरुण के पुलिस रिमांड पर जाने पर मच गया| सब तरफ न्यूज ऐसी उड़ गई जैसे कातिल ही पकड लिया गया हो| आकाश जब तक वापस आया तब तक अरुण जा चुका था| भूमि भी ये खबर पाते तुरंत मेंशन वापस लौट आई पर क्षितिज को फार्म हाउस में मेनका के साथ रहने को छोड़ आई ताकि क्षितिज इन सब चीजो से दूर रहे|

इन सबके बीच जो सबसे अकेली और आकुल रह गई वो किरन थी जो समझ ही नहीं पाई कि अचानक से उसकी जिंदगी से कौन सा तूफान होकर गुजर गया| भूमि समझती थी इसलिए वह किरन को सँभालने चली आई|

अब सबका ध्यान अरुण की बेल पर था| आकाश अपने वकील जोशभाई को कॉल पर कॉल लगा रहा था| लेकिन इन सब चीजो के अलावा दीवान साहब का ध्यान स्टैला पर भी था| वे अभी तक इस नाम से जुड़े सच से पूरी तरह से नावाकिफ थे| वे मुख्य हॉल में थे और हलकान हुए वही टहलते अरुण के साथ इस लिंक को खंगाल ही रहे थे कि किसी आवाज पर उनका ध्यान गया| एक वकील अब उनकी नज़रो से सामने था जिसे नौकर उसे वहां छोड़कर जा चुका था|

आकाश एकदम से उसे सामने देख बुरी तरह से उखड़ते हुए बोल उठा –

“मैं कब से जोश भाई को कॉल कर रहा हूँ – वो है कहाँ |”

सामने खड़ा वकील बेहद शांत भाव से कहने लगा – “सर वे देश से बाहर है – उन्होंने मुझे भेजा है आपसे मिलना |”

आकाश इसपर उसे कसकर घूरता है क्योंकि जोश भाई खुद न आकर अपनी फर्म के एक वकील को भेजकर छुट्टी पा लिए था|

“तुम्हे पता भी है कि ये केस कितना कोम्प्लिकेटड है – क्या बेल करा सकोगे ?”

“सर आई विल ट्राय माय बेस्ट |”

“ट्राय नही मस्ट करानी ही है क्योंकि उसका इस केस से कोई ताल्लुक नहीं है|”

उसके एकदम से चीखने पर सारा हॉल जैसे गूँज उठा और सबकी निगाह उस पर टिक सी गई| सबको अपनी ओर इस तरह घूरते देख आकाश जल्दी से संभलते हुए अब उस वकील से कहता है –

“कुछ भी करो – हर हाल में बेल कराओ |”

“ओके सर मैं आधे घंटे में सारी प्रक्रिया करा कर मिलता हूँ आपसे |” कहता हुआ वकील तुरंत वापस चला जाता है|

ये देख आकाश भी अब वहां से जाने लगा| उसे लगा सब बात खत्म हो गई पर उसे नहीं पता था कि ये तो तूफान का आगाज है| दीवान साहब उसे टोकते हुए कहते है –

“तो किसका ताल्लुक है इस केस से ?”

“जी..!!” आकाश एकदम से हैरान उनकी ओर देखता है और वे छड़ी की मूंठ पर मुट्ठी कसे हुए उसे तीक्ष्ण आँखों से देखते हुए आगे कहते है –

“क्या कुछ ऐसा है जो तुम मुझे बताना चाहोगे ? ये स्टैला मर्डर केस से पहले मुझे ये जानना है कि अरुण का स्टैला से क्या सम्बन्ध है ? बोलो बोलते क्यों नहीं ?”

आकाश इस प्रश्न से बुरी तरह से सकपका गया था, आखिर जिस बात को वह आजतक राज रखता आ रहा था वो इस तरह से सामने आने को व्यग्र दिखेगी उसने सोचा ही नहीं था| वह बगले झांकता हुआ धीरे से कहता है –

“डैड अभी हमे अरुण की बेल पर अपना फोकस करना चाहिए |”

“शायद इस केस से उसका सम्बन्ध झूठा साबित कर सको पर उस नाम से जो सम्बन्ध है – उसका क्या ? क्या मेरे पीठ पीछे कुछ ऐसा है जो मुझे नही पता ? आज मेरा विश्वास डगमगा रहा है – कभी सोचा नही था कि इस तरह का दिन मुझे देखना होगा |”

आकाश खामोश बना रहा उसकी अपने पिता की गलतफहमी दूर करने की हिम्मत नही हुई| वे कसे हुए हाव भाव के साथ वहां से चले जाते है|

***
उस बंद कमरे में एक अदद मेज दो कुर्सियों के अलावा एक बैंच थी जो दीवार से सटी हुई थी| उस बैंच का आकार ऐसा था कि एक मध्यम शरीर का आदमी भी बड़ी मुश्किल से उसपर पसर सके|

अरुण उसी बैंच पर बहुत देर से बैठा था| तक़रीबन दो घंटे बीत चुके थे और कुछ सिपाहियों के आवागमन के अलावा कोई उस रूम में नहीं आया था| अरुण उस एकांत में बैठा जैसे खुद में ही गुमड कर रह गया था| इस वक़्त बहुत कुछ उसके अंतर्मन में चल रहा था| तभी कोई आहट हुई और देशमुख वहां एक सिपाही के साथ प्रवेश करता अरुण के ठीक सामने खड़ा होता है|

अरुण नज़रे उठाकर उसकी ओर देखता है तो देशमुख उसे कुर्सी पर बैठने का संकेत करता है| अब मेज के विपरीत दोनों कुर्सी पर बैठे थे जबकि देशमुख के पीछे खड़ा सिपाही एक फ़ाइल खोले एक पेन के साथ तैयार था|

“देखिए मिस्टर अरुण ये पूछताछ की महज एक प्रक्रिया है तो आई थिंक आप इसमें पुलिस का सहयोग करेंगे – मैं आपसे कुछ सवाल करूँगा बस आप उन कुछ सवाल के जवाब दे दीजिए |”

“पूछिए – |”

“ओके थैंक |” वह उस फ़ाइल को सिपाही से लेता अपने सामने रखता हुआ कहता है – “आप उस होटल ब्लू में क्यों गए थे ?”

“क्यों वहां जाना कोई क्राइम था क्या ?”

अपने पहले सवाल पर ही धराशाही होता देशमुख एक पल को चौंक गया फिर जल्दी ही खुद को सँभालते हुए आगे कहता है –

“ओके मैं अब आपसे सीधा सीधा पूछता हूँ – आपकी शर्ट का बटन उस क्राइम सीन में कैसे मिला ?”

“आप ये कैसे साबित कर सकते है कि वो मेरी ही शर्ट का होगा ?”

अपने प्रश्न पर ही प्रश्न सुनते वह फिर चौका और अब थोड़े सख्त लहजे में बोल उठा –

“क्योंकि ठीक वही बटन आपकी शर्ट से गायब था और वो ब्रांडेड शर्ट है न कि सड़क पर बिकती कोई मामूली शर्ट जिसका बटन हर बटन की दुकान पर मिल जाए सो प्लीज आप बात को घुमाए न और सही से बताए कि क्या आपकी कोई झड़प हुई थी स्टैला से ?”

इसपर अरुण उसे कसकर घूरता है पर कुछ कहता नहीं तो देशमुख आगे कहने लगा –

“जिस फ्लोर में मर्डर होता है उससे आपके सीढियों से नीचे उतरने का फुटेज और आपकी शर्ट का बटन अपने आप में बहुत कुछ कह रहा है – अब आप अपनी तरफ से कुछ बयान दर्ज कराए या मैं इसे ही आपकी हाँ मान लूँ |”

अरुण कुछ पल उसे यूँ देखता सोचता है फिर धीरे से कहना शुरू करता है – “मैं वहां अपनी किसी बिजनेस मीटिंग के लिए गया था और वापस आ गया इस बीच वहां कोई मर्डर हो जाता है तो इसका जिम्मेदार मैं नही – और रही शर्ट की बात तो वह ब्रांडेड है न कि कस्टमाइज – इसका साफ़ अर्थ है कि उस ब्रांड की शर्ट और भी कोई इस्तमाल करता होगा फिर मैं ही क्यों सस्पेक्ट – थिस इज माय फर्स्ट एंड लास्ट इस्टेटमेंट |”

अरुण अब उसे सपाट भाव से देख रहा था जबकि देशमुख के चेहरे पर पिटे हुए हाव भाव थे| वह तुरंत ही उठकर बाहर निकल जाता है|

***
अब देशमुख कस्टडी रूम में अरुण का बयान लेने गया था तब बाहर उसकी वही टीम जो मेंशन गई थी एक तरफ को बैठी सम्बंधित रिकोर्ड को फ़ाइल में लगा रही थी| उसमे कुछ जूनियर इन्स्पेक्टर पर सिपाही थी|

अब दो सिपाही अपना कम निपटाकर पहला देने वाले स्थान पर डेट आपस में बकैती करने लगे –

“तुम्हे क्या लगता है भाया ये केस सोल्व हो गया – हमे तो लगता है साहब ने कातिल को पकड लिया – देखो साफ़ साफ़ केस है – इन अमीरों की जिंदगी में ऐसी तमाम औरते होती है – बस वही कुछ लफड़ा हुआ होगा – और क़त्ल कर दिया – देखना यही हुआ होगा |” वह सिपाही जल्दी जल्दी अपनी बात को प्रश्न और फिर खुद ही उसका उत्तर बताता हुआ कहने लगा|

सामने खड़ा सिपाही कुछ ज्यादा ही ऊँघता हुआ इधर उधर देखे बिना एक लम्बी अंगड़ाई लेता हुआ कहता है –

“अरे भाई – मजा नही आया इस केस में – अगर ये सोल्व हो गया तो साहब दूसरे केस में लगा देंगे – अरे धत तेरे की – हम तो सोचे थे एक महीने की ट्रेनिंग है तो मजे मजे में एक केस में कट जाएगा – अब दूसरा केस और दूसरी चार्ज शीट |”

उसकी बात पर वह याद करने वाले लहजे से बोलता है –

“अच्छा ये बताओ तुम दिल्ली से कोर्स के लिए आए थे और तुम्हारे साथ इन्स्पेक्टर साहब भी तो आए थे वो कहाँ है – सुबह भी नहीं दिखे – हमारे साहब पूछ रहे थे |”

“अरे हमारे वो इन्स्पेक्टर साहब एकदम दबंग स्टाइल साहब है – यूँही एंट्री थोड़े मारेंगे !”

“तो कैसे मारेंगे ?”

“एकदम हीरो टाइप – पता है न दिल्ली से स्पेशल रिकमेंडेशन पर आए है -|”

अभी वे दोनों बकैती कर ही रहे थे कि देशमुख खपा हुआ बाहर आया| उसे एकदम से अपने पास से गुजरते देख दोनों सिपाही बुरी तरह से सकपका जाते है|

देशमुख को बाहर आते देख एक अन्य इन्स्पेक्टर उसके पास आता हुआ जल्दी से कहता है –

“सर मिस्टर दीवान के वकील आए है|”

“कहाँ है ?”

“मैंने बड़ी मुश्किल से बाहर रोका हुआ है – क्या सर बयान दर्ज हो गया ?”

उसकी इस बात से देर से कल्पा हुआ देशमुख हाथ मसलते हुए कहने लगा –

“मुझे लगा था बात शांति से निपट जाएगी पर बहुत उड़ रहा है –|”

“क्या मतलब सर ?”

“मेरे किसी सवाल का सही से जवाब नही दिया इससे मैं कोई बयान दर्ज नहीं करा पाया और अगर मैं इससे उस मर्डर का लिंक नहीं जोड़ पाया तो जो मैं रिमांड बढवाने की सोच रहा हूँ वो बिलकुल पोसिबल नही हो पाएगा और उलटा मीडिया फिर से हमारे पीछे हाथ धोकर पड़ जाएगी – मुझे कुछ सोचना पड़ेगा जिससे मैं कम से कम पांच से छह दिन की रिमांड बढ़वा सकूँ इससे मीडिया को शांत रखना आसान हो जाएगा |”

“फिर सर क्या करना है अब ?”

“फ़िलहाल तो वकील से मिलने से नहीं रोक सकते बाकी मैं सोचता हूँ |”

कहता हुआ वह अपने केबिन में समा जाता है| वह जूनियर अपना अगला काम समझ चुका था इससे वह वकील की तरफ चल देता है|

क्रमशः…..

सोचती हूँ किसी पुराने किरदार की एंट्री करा दूँ…..तो कौन होगा वो ??

18 thoughts on “बेइंतहा सफ़र इश्क का – 177

    1. Arun ke sath bahut bura ho raha hai vo abhi tak dhang se Kiran se mil bhi nahi saka aur ye musibat aa gai ab Arun kya karega

  1. Jai ayega …. Vo hi hoga.. kya vo Arun ki help karega…
    Bohut bura ho rha hai .. Arun ki life kabhi bhi sidhe nhi chali…
    Akash ko pta hai ye sab us ki vjah se ho rha hai.. par vo apne pita ke sahmane kabool nhi karega

  2. Ab lgne lga tha Arun or Kiran ki life m mushkile km ho ge pr lgta h un dono ko sath aane k liy bhut kuch jhelna pdega

  3. Archna Ji humnava mein jo hamare inspector sahab( naam bhul rahi hoon) hain vo hi… Arun se phali mulakat bhi to vahi hui thi. Last time arun ne help ki ab lagta hai unki baari hai

  4. Hamare inspector sahab Jay from humnava ki entry karwa dijiye ma’am Arun ki help karne ke liye please 🙏.
    Waiting for next part.

  5. Kya ye naya inspector jay hai… Sayad whi h purana character..?.?
    Isme crime reporter shaili b to thi…🤔

  6. Kisi ki bhi entry Kara dijiye but hamare hero ko free Kara dijiye Kiran ka dukh dekha nhi jaata

  7. Hamara payara inspecter jay aayega…..or uski dhamakedaar entry hogi…..vhi Arun ko bachayega…..aakash abhi b apna sach deewan saab ko nhi bta rha h baad me to sabko pta chal hi jayega

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