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बेइंतहा सफ़र इश्क का – 178

कुछ घन्टे ही बीते थे पर अपने कंफर्ट से बाहर आने की हालत अरुण के हाव भाव में साफ़ साफ़ झलक रही थी| बिखरे बालो और उदास सपाट भाव के साथ वह कुर्सी पर बैठा कमरे की उस एक अदद खिड़की को देख रहा था जो दरवाजे के विपरीत थी इससे उसने दरवाजे से आते हुए वकील और उसके पीछे खड़े आकाश को नही देखा| शायद आहट से उसे पुलिस का दुबारा आना लगा हो इससे उसने पलटकर उस ओर एक बार भी नहीं देखा|

“मिस्टर दीवान |”

वकील धीरे से आवाज देता है पर अरुण उनकी तरफ नही देखता इससे आकाश आगे बढ़कर उसे आवाज देता है|

“अरुण..|”

अबकी वह अपनी तन्द्रा में वापस आते उनकी तरफ देखता है| उस पल उसकी आँखों में बेहद सूनापन था जिसे देखते आकाश भी सहमा सा दो कदम पीछे हो जाता है| उस पल एक गहरा अफ़सोस उनके अस्तित्व में हावी होने लगता है|

अरुण बिन भाव के उनकी तरफ देख रहा था और आकाश अपनी जगह खड़ा रह गया| इन सबके बीच वकील अरुण की तरफ बढ़ता हुआ कहता है –

“मैं आपका वकील हूँ – आप कंसेंट पेपर पर साइन कर दीजिए |” वह अपनी बात कहता हुआ सम्बंधित फ़ाइल मध्य की मेज पर रखकर अरुण के आने का इंतजार करने लगा|

वह अब एक गहरा उच्छ्वास लेता उठकर उनके पास खड़ा उस पेपर को नजर से देखने लगा| वकील आगे कहता है –

“मैं कल आपको कोर्ट में मिलूँगा – डोंट वरी सर मैं कल आपकी बेल की पूरी कोशिश करूँगा |”

वकील की बात सुनते अरुण अब एक नज़र वकील फिर आकाश की ओर देखता है जिनके हाव भाव बेहद पिटे हुए नज़र आ रहे था| उसे जो समझना था वह समझ गया इससे वह चुपचाप साइन करके अपनी जगह जाकर दुबारा बैठ गया|

वकील फ़ाइल लेकर बाहर निकल गया पर आकाश नहीं गया| उसका सारा ध्यान अरुण की ओर था| उस पल उसका चेहरा ग्लानि से भर उठा था| वह अरुण के पास आता हुआ दबे स्वर में कहता है –

“अरुण पता नही ये सब कैसे हो गया – मैंने सोचा भी नही था कि तुम इन सबमे फस जाओगे – ये वकील आज कुछ नही कर पाया – अब कल ही तुम्हे कोर्ट से बेल मिलेगी – मैं कल पूरी जान लगा दूंगा पर तुम्हे बेल दिला कर रहूँगा |” अपना आखिरी शब्द कुछ ज्यादा ही दबे स्वर में कहता है|

अरुण आकाश की बात का जवाब नही देता इससे उनके बीच कुछ पल का मौन छाया रहता है फिर आकाश उनके बीच का मौन तोड़ता हुआ कहता है –

“मुझे पता है कि तुम क्या सोच रहे होंगे पर सच कहता हूँ – तुम इस बात पर यकीन कर सकते हो कि मैंने स्टैला का खून नही किया – लेकिन आज के हालात देखकर तो मन कहता है कि काश कर ही दिया होता तो सीधे जाकर पुलिस के आगे अपना जुर्म तो कबूल कर लेता – कम से कम तुम्हे इस तरह के हालत में देखने की स्थिति तो नहीं आती – मैं अभी भी ये इल्जाम अपने सर लेने को तैयार हूँ – बस तुम्हारे लिए |” उसपर उसके हाव भाव में एक भाई का दर्द गहरे तौर पर झलक आया था|

आकाश नज़रे झुकाए खड़ा था जबकि अरुण बिना उसकी ओर देखे कहने लगा – “काश अपनो का ख्याल आपको पहले आ गया होता तो आज ऐसे हालात ही नही बनते – आप इतना आगे बढ़ने से पहले रुक गए होते |”

अरुण की बात पर आकाश होंठ चबाता खड़ा रहा और अरुण आगे कहने लगा – “खैर जो हो गया अब उसपर बात करने का कोई फायदा नही – अब जो हो सकता है वो मैं कह रहा हूँ और आप उसपर ध्यान दीजिए – अभी कि सिचुएशन जैसी है उसमे आप इस केस से दूर ही रहे यही बेहतर है – नहीं तो पुलिस को आपका स्टैला से लिंक खोजने में समय नही लगेगा और ये मैं आपको बचाने के लिए बिलकुल नहीं कह रहा – मुझे परिवार की इज्जत की परवाह है क्योंकि एक बार स्टैला से आपका लिंक निकलेगा और एक एक करके हमारे परिवार की इज्जत भी धराशाही हो जाएगी जो मैं कतई होने नहीं दूंगा – मेरी ख़ामोशी आपके लिए नही अपने परिवार के लिए है |”

आकाश मौन सामने खड़ा था और अरुण कहता जा रहा था – “मैंने न कुछ किया और न स्टैला से कोई मेरा लिंक था इसलिए पुलिस कुछ भी कर ले वो मेरा इससे सम्बन्ध नही जोड़ पाएगी – हाँ एक दो दिन रिमांड में जा सकते है – अब इतना तो भुगतना पड़ेगा – |”

“अरुण मैं कल पूरी कोशिश करूँगा कि तुम्हारी बेल हो जाए पर वो शर्ट का बटन कैसे उन्हें मिला ? कही ये बात मुसीबत न कर दे |”

“बालकनी का शीशे का डोर लांघते समय कुछ फसा तो था हो सकता है तभी गिरा हो लेकिन सिर्फ इस बात से वे मुझे कातिल नहीं साबित कर पाएँगे – |”

“वो सच में डायन थी मरकर भी पीछा नही छोड़ा पर मेरे भाई मैं तुम्हे कुछ नही होने दूंगा – बिना कसूर के हमे सजा मिल रही है |”

आकाश माथा मसलते हुए कहने लगा तो अरुण उसकी ओर तीक्ष्ण नजर से देखता हुआ कह उठा –

“कसूर तो है – वो भी पूरा आपका |” अबकी कहता हुआ वह आकाश के सामने खड़ा होता उसे तीक्ष्ण नजरो से देखता हुआ कहता है – “भलेही आप कानून की नजरो में दोषी न हो पर भाभी की नजरो में आप हमेशा दोषी रहेंगे –|”

कहते हुए अरुण की आँखों में जैसे कोई आग सी दहक उठी| वे गुस्से से आकाश को घूरता रहा और इस बीच वह एक बार भी अरुण की तरफ नज़र उठाकर नही देख पाता|

मिलने का समय खत्म हुआ और आकाश बुरी तरह से अपने मन में अफ़सोस लिए वापस चला गया| वकील से अब तक दीवान साहब को मालूम पड़ गया कि पुलिस द्वारा केस फ़ाइल कर देने से अब अरुण को कोर्ट से ही बेल मिलनी थी जिसके लिए उन्हें कल तक रुकना ही था पर उनके मन में बार बार स्टैला के बारे में ढेरो प्रश्न सर उठा रहे थे पर उनके जवाब उन्हें अभी तक नहीं मिले थे|

मेंशन भी यूँ खामोश हो गया था जैसे वह भी अरुण का इंतजार करते करते कोने में सहमा दुबक गया हो| भूमि किसी तरह हौसला करते किरन के साथ बनी थी पर उसे दिलासा देने के लिए आज उसके पास शब्दों की भारी कमी थी| किरन भी मौन बिस्तर पर आंख बंद किए लेटी रही ताकि किसी तरह से अपने मन के दर्द को छिपाए रह सके| नींद तो उसकी आँखों से भी कोसो दूर थी|

अरुण की बातो से आकाश का अहम् बुरी तरह से छलनी हो चुका था| जिस परिवार के आगे सर उठाकर वह चलता था आज उन्हीं की नजरो के सामने उसका सारा वो सच आ चुका था जो उसे दोषी होते हुए भी कभी दोषी साबित नहीं होने देता था| अरुण की बेल न होने की आत्मग्लानी से वह वापस मेंशन न जा सका और अपने ऑफिस चला गया|

अपने केबिन में बैठा सारी रात वह शराब पीता रहा ताकि उसका होश गुम होता रहे और बार बार अपनो की उठी हुई नजरो का उसे सामना न करना पड़े| कभी कभी जुर्म की सजा से भारी उसके आभास से गुजरना होता है| आज ठीक यही हो रहा था| आज सबकी नज़रो के सामने आता बार बार उसे लग रहा था कि उसके तन में एक भी कपड़ा नही है और वह बीच बाज़ार पूरा नंगा खड़ा है| इस अनुभूति भर से उसका सारा जिस्म वातानुकूलित कमरे में भी ढेरो पसीना छोड़ दे रहा था| वह लगातार शराब पीता रहा जब तक वाकई उसने अपना होश नही खो दिया|

ये रात सबके लिए भारी थी| अरुण को अभी रिमांड रूम में रखा गया था| पुलिस द्वारा वहां उसे खाना और पानी दिया गया लेकिन उसने पानी के अलावा कुछ भी नहीं लिया| वहां उसके बैठने या लेटने के लिए वही बैंच थी जिस पर बैठे हुए ही वह अभी भी उस खिड़की के बाहर देख रहा था| वह खिड़की पीछे किसी गैलरी की ओर शायद खुलती थी जिससे उसके आधे परिदृश्य में एक टुकड़ा आसमान दिखाई दे रहा था जिसकी गोद से चाँद गायब था| उस पल बिन चाँद के आसमान यूँ सूना लग रहा था जैसे उसका मन हो वह जहाँ उसका मन अपने चाँद के बिना इसी तरह सूना और तनहा था|

वह आंख खोले बैंच पर हाथ टिकाए अभी भी खिड़की की ओर मुंह किए एकटक बैठा था| नींद जैसे दूर दूर तक उनकी आँखों से नदारत थी| पर हर बार पलक झपकाते बस एक ही चेहरा उसकी आँखों के आगे घूम जाता जिसकी मासूम निगाहे उसकी बची कुची नींद भी अपने साथ ले जाती|

‘नींद से क्या शिकवा…जो आती नही रात भर…..कसूर तो उस चेहरे का है…जो मुझे सोने नहीं देता….|’

***
आधी रात रिमांड रूम के विश्राम कक्ष में भी कुछ शांति नहीं थी| कमिश्नर एसीपी देशमुख के सामने खड़ा था और देशमुख के हाव भाव थोड़े खपे हुए नज़र आ रहे थे| कमिश्नर इस समय सिविल कपड़ो में था और इसका साफ साफ़ मतलब था कि वह अपनी ड्यूटी खत्म करके उससे मिलने आया था|

“तुमने बोला था कि तुम बयान ले लोगे – अब क्या हुआ ? मैंने तुम पर विश्वास करके सर्च वारेंट जारी किया था – देखो दीवान भी कोई छोटा नाम नही है – अगर तुम इस केस से उसका सम्बन्ध नही खोज पाए तो मैं तुम्हारे लिए कुछ नही कर पाउँगा -|”

“सर मैं कर रहा हूँ |”

“क्या कर रहे हो – देशमुख अगर तुम बयान भी दर्ज नहीं कर पाए तो रिमांड मिलने की बात तो भूल ही जाओ और एक बार तुम्हारे पहले सस्पेक्ट को बिना रिमांड के बेल मिल गई तो समझो ये केस गया तुम्हारे हाथ से – फिर मीडिया के आगे जवाब देना आकर |”

“सर मै आपको विश्वसा दिलाता हूँ कि कल बिना बयान के मैं कोर्ट में हाजिर नही होऊंगा |”

“ऐसा होना भी चाहिए – कम से कम पांच से छह दिन की रिमांड लेने की कोशिश करो – कल बेल नही होनी चाहिए और तब तक इस केस पर अपनी इन्क्वारी बढ़ा दो – अगर कुछ रिजल्ट जल्दी नहीं मिला तो हम मीडिया को जवाब देते देते थक जाएँगे और ये हमारी बखिया उधेड़ते नहीं थकेंगे |”

कमिश्नर अपनी बात कह कर जा चुका था| उसके जाते देशमुख कुछ सोचने की मुद्रा में अब अपनी कुर्सी में धस गया था|

…….क्या इस केस के पेंच अरुण की जिंदगी को और उलझा देंगे या कोई आएगा मददगार….??

प्यारे पाठको आपका कयास क्या गज़ब का रहता है….अब आएगा तो हमनवां से ही कोई…..पर कोई और भी है जिससे मिलेगे कल के पार्ट में…..आपके कमेन्ट सारे मैंने पढ़े अब उनका जवाब लेकर कल का पार्ट आएगा..

आज कुछ ऐसा बन गया कि लिखा पार्ट एडिटिंग में सारा समय ले गया पर हमने भी ठान ली कि आज पोस्ट करके रहेंगे….तो लीजिए हाजिर है…….

क्रमशः……

19 thoughts on “बेइंतहा सफ़र इश्क का – 178

  1. पुलिस ने भी पूरी ताकत लगा रखी है एक बेगुनाह को गुनहगार साबित करने के लिए l क्या अरुण की बेल हो पाएगी???

  2. Aisa hi hota hai..gunahgaar bahar ghoomte hai aur begunah ko saja milti hai..
    Agar Jai nhi to aur kaun ayega.. Mansi reporter ban k…

  3. Kahi qatil khud hi to nahi aane wala jurm kubulne?Tara ka yu achanak gayab hona usi se to nahi juda, ma’am ab to Arun ko aise nahi dekha ja raha

  4. अरुण के लिए बहुत बुरा लग रहा है आशा है कल सुबह उसकी बेल हो जाए

  5. Police to sach me gajab hi h ….jo begunah pakad me aa gya use hi gunhgaar sabit karne pr tuli huyi h…..ab to jay hi koi maddad kr payega

  6. Interesting part….Jha p Aakash ko aaj pta chl rha h ki usne kitni galtiya ki h..Usk kaaran Pura ghr bikhar gya …..or ab usme itti bhi Himmat nhi bachi ki ghr walo ka samna kr ske….or idhar police ek begunah ko gunhgar sabit krna chahti h ….bt aaj tk Esa nhi hua ki kbhi sacchai ki haar ho…..to hm wait krenge sb Sach khulne ka…..lovely

  7. Nice part ma’am. Arun aur kiran ki zindagi me kitne aur imtehaan likhe hai. Aakash ko uske kiye ki saza milni hi chahiye. Next part ka besabri se intzaar rahega aur aapke surprise guest ka bhi.

  8. Arun bin ksur ke slakho ke piche h is jgh to aakas ko hona chiye tha bese kl kon aa rha h mem jld hi intjar rhega parts ka very nice parts

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