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बेइंतहा सफ़र इश्क का – 180

केस पूरी तरह से उलझा हुआ था और पुलिस अभी तक उसे सुलझाने का छोर भी नहीं ढूंढ पाई थी इससे मीडिया में उसकी अच्छी खासी किरकिरी मची थी| पहला सस्पेक्ट सामने आने से मीडिया का अब सारा का सारा ध्यान उसी पर लग गया था| सब अरुण का हिस्ट्री ज्योग्राफी खंगालने में लगे थे और दुर्भाग्य से उनके हाथ कुछ ऐसा नही लगा जिसे वे सनसनी की तरह अपने रीडर्स के समक्ष प्रस्तुत कर सके|

देशमुख अरुण का बयान दर्ज कर के अब उसे कोर्ट में पेश करने की तैयारी कर रहा था| उसके थाने से लेकर कोर्ट तक मीडिया जैसे बिछ सी गई थी और सभी का सारा का सारा ध्यान इस खबर पर ही था|

आकाश मेंशन न जाकर वही से अपने वकील के पास पहुँच गया था| वे सारी कागजी कारवाही करके कोर्ट जाने को तैयार थे|

बस इन सबके बीच जिसे कोई भी तैयारी नहीं करनी थी वो था अरुण| वह इस वक़्त उन सारे हालातो के बीच सबसे बेबस था, जो हो रहा है न उसके प्रति वह कुछ कर सकता था और न उसे पता था कि आने वाले समय में क्या होने वाला है? बस अब उसे उसके हालात से कोई चमत्कार या कोई मददगार ही बाहर निकाल सकता था जिसके प्रति वह नाउम्मीद ही था|

कोर्ट में मजिस्ट्रेट के सामने पुलिस उसके रिमांड में लेने की अपनी अर्जी पेश कर चुकी थी और चार से पांच दिनों की पुलिस कस्टीडी चाहती थी जबकि बचाव पक्ष के वकील जोशभाई अपने मुव्वकिल की बेल की अर्जी दे चुके थे अब दोनों ही इस मामले में मजिस्ट्रेट के फैसले का इंतजार कर रहे थे|

इस बीच कोर्ट में संगीन मामले को देखते अन्य लोगो की भीड़ को जमा होने से वहां रोक दिया गया था, बस मामले से सम्बंधित लोग ही वहां मौजूद थे| मजिस्ट्रेट सारे मामले को पढ़ते समझते हुए एक नजर कोर्ट में मौजूद लोगो और अरुण पर दौडाते है जो बेहद बिखरी हुई हालत में वहां खड़ा था|

सम्बंधित केस का इंचार्ज देशमुख था और वह अपनी ओर से दलील दे चुका था कि उसे और जाँच बढ़ाने और सबूतों लिए अरुण की पुलिस रिमांड की जरुरत है, क्योंकि वह एक बड़ा नाम है और संभव है कि बेल के बाद वे जाँच में सहयोग न करे इसलिए पुलिस रिमांड जरुरी हो जाती है|

जबकि इसके विपरीत अरुण का बचाव पक्ष का वकील अपनी ओर से कहता है की सम्बंधित केस में उनके पास कोई पुख्ता सबूत नहीं जिससे पुलिस रिमांड उन्हें नहीं दी जानी चाहिए|

अब दोनों पक्ष सुनने के बाद फैसला कोर्ट को लेना था| आकाश दम साधे इस फैसले का इंतजार कर रहा था| इस फैसले का इंतजार जहाँ मेंशन में था तो  वर्तिका और योगेश को भी था जो योगेश के ही नर्सिंग होम में बैठे थे| कोर्ट में उन्हें जाने का मौका नही मिला था बस एक फोन कॉल पर उनका सारा का सारा ध्यान अटका हुआ था|

वक़्त और हालात जैसे उस पल अरुण के खिलाफ हो उठे और इतनी कोशिशो के बाद भी आकाश का चेहरा मुरझाया हुआ हो गया| कोर्ट ने बेल निरस्त करके पुलिस रिमांड एक दिन की दे दी और पल में बचाव पक्ष का चेहरा पिटा हुआ हो गया| जबकि देशमुख जिसे दो से तीन दिन की रिमांड मिलने की उम्मीद थी पर एक दिन मिलना भी उसके लिए एक जीत की तरह था|

अरुण सबसे नज़रे फेरे यूँ विरक्त खड़ा था जैसे मानो उन सब हालातो के प्रति वह सरेंडर कर चुका है| उसकी बुझी हालत देखते आकाश इस बात से बुरी तरह बौखला उठा और जोशभाई पर नाराज हो उठा पर इसका क्या फायदा था| कोर्ट अपना फैसला सुना चुकी थी अब आकाश को अपने इस हारे हुए चेहरे के साथ मेंशन में सबका सामना करना था|

पुलिस अरुण को वापस रिमांड रूम में अपने साथ ले गई और आकाश हारा हुआ सा खड़ा था और अरुण को पुलिस गाडी में बैठते हुए देख रहा था| जोश भाई इस हालात पर सांत्वना देता हुआ कह रहा था –

“सर हम कल फिर कोशिश करेंगे – अब आप समझिए केस बहुत ही कोम्प्लिकेटेड है और फिर एक दिन के रिमांड की बात है – कल फिर से बेल की कोशिश करेंगे – |”

आकाश उसे खा जाने वाली नज़र से देखता है और जैसे मौन ही कह देता है कि जब आज कुछ नही कर पाए तो कल क्या कर पाओगे? इस नाउम्मीदी के साथ वह अपनी कार की तरफ बढ़ जाता है|

अरुण की एक और दिन की पुलिस रिमांड का सुनते जैसे दीवान साहब पर वज्र ही गिर पड़ा वे सीना थामे खामोश से हो गए वही भूमि किरन को संभाल रही थी पर उस वक़्त दिलासा देने उसके पास कोई शब्द नही थे| इस घडी दीवान मेंशन में जैसे मौत का सा सन्नाटा पसर गया| एक ही पल में खुशियों को बहुत बुरी नज़र लग चुकी थी|

आकाश न चाहते हुए भी बुझा बुझा सा मेंशन लौट आया और बमुश्किल अपने पिता की नज़रो का सामना कर रहा था|

“डैड – मैं कल फिर कोशिश करूँगा -|”

आकाश इस बात पर जितना आश्वस्त दिखने की कोशिश कर रहा था उसके पिता उठने ही निराशाजनक भाव से कहने लगे –

“आखिर ये मामला ऐसा क्या है ? और अरुण किस तरह से इससे जुड़ गया ? कुछ बताओगे मुझे ?”

इस पर आकाश खामोश खड़ा रहा | उसकी चुप्पी अपने आप में जाने क्या दीवान साहब को समझा गई और वे दर्द से गहरा शवांस भीतर खींचते हुए कहते है –

“ठीक है जाओ – अब जो हो रहा है उसपर शायद हमारा बस न रहा –|”

आकाश के अंदर का सच बुरी तरह से कुलबुला रहा था पर उस सच को स्वीकारने की न उसमे कल हिम्मत थी और न आज…..

वह पूरी ख़ामोशी से कमरे से बाहर निकल गया और अपने कमरे में न जाकर बार में चला गया| उसके लिए इस वक़्त खुद की नजरो का सामना करना भी भारी गुजर रहा था| वह एक लम्बा पैग बनाकर उसे हलक में एक सांस में गटकते अभी दूसरा बना ही रहा था कि किसी आवाज पर उसका ध्यान गया|

वो ताली पीटने की आवाज थी, आकाश देखता है कि भूमि बार में आती अब ठीक उसके सामने खड़ी ताली बजा रही थी जबकि आकाश बड़ी मुश्किल से नज़रे उठाकर उसकी ओर देख सका था|

“वाह – ये जरुर ख़ुशी का जश्न मना रहे होगे न !!”  

आकाश बिन शब्दों के उसे तीखी नजरो से देखता है|

“क्यों ये सच नही है क्या कि अरुण तुम्हारे गुनाहों का भुगतान भुगत रहा है – अरुण ही क्यों मेनका तक तुम्हारे गुनाहों की आंच से झुलसी है और अभी भी तुम ख़ामोशी से सब तमाशबीन होकर देख रहे हो |”

आकाश जो हर बार भूमि से हर बात का प्रतिकार करता पर आज उसकी हिम्मत ऐसे चूक गई थी कि वह नज़रे झुकाए बैठा रहा|

ये देखती भूमि जैसे अंतरस और सुलगती कह उठी –

“किस बात का इंतजार है ? और कितना बुरा होते देखना चाहते हो ? तुम्हारी वजह से किरन ने भुगता, मेनका और विवेक का रिश्ता बिगड़ा, अरुण जेल तक पहुँच गया अब और क्या देखना चाहते हो – मुझे तो डर लगने लगा है कि कही क्षितिज तक भी तुम्हारे कर्मो की छाया न पहुँच जाए |”

“नहीं….!” आकाश के मन से जैसे चीत्कार उभर उठी|

भूमि रुआंसी होती कहे जा रही थी –

“एक नाकामयाब रिश्ते को मैं इसलिए ढोह रही थी कि लगा था शायद इस परिवार को इसकी आंच से बचा सकूँ पर आज तो तुम्हारी वजह से सब कुछ तबाह हो गया – अरुण बेगुनाह होते हुए भी इन सब में फसा है|”

इस पर बड़ी मुश्किल से वह उसकी ओर नज़र उठा कर कहता है – “पता है मुझे और इसलिए कर तो रहा हूँ कोशिश कि अरुण बाहर आ जाए |”

“हाँ तुम अरुण को बाहर लाने की कोशिश कर रहे हो और सब देख भी रहे है कि एक बड़ा भाई कैसे भी अपने छोटे भाई को बचा लेना चाहता है पर जो सबको नही दिख रहा वो ये है कि खुद को इस गिल्ट से बाहर लाने भर की ये कोशिश भर है – बाहर आने के बाद भी सबकी नज़रो के सामने अरुण ही कसूरवार रहेगा – क्या तब तुम्हारी हिम्मत होगी अपने सच को स्वीकारने की ? क्या बता सकोगे सबको कि स्टैला से तुम्हारे सम्बन्ध थे और अरुण तुम्हारी वजह से इन सबमे फसा ? क्या स्वीकार कर सकोगे ..!!”

भूमि बिफरती हुई चीख रही थी और आकाश आज चुपचाप सब सुन रहा था| वह नज़रे फेर कर उसे नज़रन्दाज करना चाहता था कि उसकी नजरो में सहसा जो परिदृश्य आया उससे वह अपने स्थान से चिहुक पड़ा| उसे कतई अंदाजा नही था कि उस वक़्त वहां उसके पिता आ जाएँगे|

उस वक़्त उनका सन्न हुआ चेहरा भी बता रहा था कि वे कुछ कहने आए भर थे पर वो सुन लिया उनके कानो ने जिसपर उन्हें सहज ही विश्वास नही आया| आकाश के प्रति उनके भरोसे की दीवार जैसे भरभराती हुई एकदम से ढह गई और उसके नीचे उसका सबसे फर्माबरदार बेटा दब कर रह गया|

आकाश भूमि के पीछे खड़े अपने पिता को देखते अवाक् रह गया तो उससे कही ज्यादा वे हतप्रभता से उसे देख रहे थे| उनके आने के आभास से अब भूमि उनकी और देखती कहने लगी| आज वह इतनी बिफरी हुई थी कि उसी लहजे में वह उनसे कह उठी –

“अच्छा है जो आज आपने वो सच सुन लिया जो शायद परिवार की मान मर्यादा के लिए अपने सीने में छिपाते छिपाते मैं नासूर बना बैठी थी – आप स्टैला से जुड़ा सच जानना चाहते थे न – बस सही व्यक्ति से सवाल आपने गलत किया – नहीं तो इसका उत्तर आपको बहुत पहले मिल गया होता |”

कहती हुई वह तुरंत ही वहां से बाहर निकल गई|

***

अरुण की पुलिस रिमांड की खबर सभी तक पहुँच चुकी थी| विवेक भी हर एक खबर पर अपनी नज़र बनाए था| पर उसे अरुण की खबर में कोई दिलचस्पी नहीं थी वह तो आकाश से अपना बदला लेने के इंतजार में था| उसके पास वो पेन ड्राइव भी था जिसमे आकाश और उसकी बहन का सारा सच था| वह यही तो सच चाहता था कि किसी तरह से आकाश का कोई सच उसकी जद में आए और वह उसे काबू में करे और आज जब ऐसा हो भी गया तब वह तय ही नहीं कर पा रहा था कि आगे क्या करे? न तारा का कुछ अता पता था और काफी दिन से उसे सेल्विन भी नहीं मिला था|

उसकी लड़ाई जैसे उसके हलक में भी आकर दम तोड़ दी थी| उसे पता था कि आकाश और तारा के रिश्ते का सच सामने आने से बदनामी उसकी बहन की ही होगी| वह बेहद कशमश से गुजरता कुछ तय करने में लगा था|

***
खबर जहाँ जहाँ जा रही थी वो अपनी अपनी तरह से उसका असर छोड़ रही थी| वर्तिका और योगेश अपना सर पकड़े रह गए| केस इस कदर उलझता हुआ मोड़ ले लेगा इसका उन्होंने अंदाजा भी नहीं लगाया था पर एक बात पर वे दोनों ही सुनिश्चित थे कि अरुण कसूरवार तो कतई नही है|

उस वक़्त वे दोनों नर्सिंग होम में थे पर जिसे बाहर से बंद कर दिया गया था| योगेश का मन अभी कही नहीं लग रहा था| वर्तिका परेशान होती कह उठी – “योगेश अब क्या होगा ?”

इस पर वह भी उतनी ही बेचारगी से उसे देखता है जैसे कह रहा हो कि उसे भी यही पूछना है|

“उनका वकील अरुण को बेल क्यों नहीं दिला पाया – क्या उन्होंने कोई बड़ा वकील नहीं किया ?”

“जोश भाई शहर का जाना माना नाम है पर पता क्यों वह अरुण को बेल नहीं दिला पाया ?” योगेश जैसे खुद से ही पूछ उठा|

कुछ पल तक दोनों एकदूसरे को परेशानी से देखने लगे| इस वक़्त उनके पास प्रश्न ही प्रश्न थे जिनके उत्तर वे तलाश नही पा रहे थे|

वर्तिका अब उठती हुई उलझन में कहने लगी –

“चलती हूँ योगेश – इस वक़्त बहुत बुरा लग रहा है कि चाहकर भी मैं कुछ नहीं कर पा रही – काश कोई ऐसा वकील होता जो अरुण के केस को सही से समझ पाता….!!”

एक हताशा भरा श्वास छोडती हुई वह बाहर निकलने लगी तभी योगेश उसे टोकता हुआ कहता है –

“वर्तिका !! तुम्हारी बात से मुझे एक उम्मीद नज़र आई है – अगर कोई ऐसा वकील मिल जाए जो सच में पर्सनली इस केस को ले ले तो शायद कुछ बात बन सकती है |”

वर्तिका अब हैरानगी से मुडती हुई योगेश को देखती पूछ उठी –

“क्या ऐसे किसी वकील को तुम जानते हो ?”

वर्तिका प्रश्नात्मक भाव से योगेश की ओर देख रही थी जबकि वह बड़ी उम्मीदी से उसे देख रहा था जैसे कह रहा हो कि हाँ है तो एक ऐसा वकील….

क्रमशः…….

कौन है वो वकील साहब….?? अब आप जान गए होंगे कि वे दो मददगार वर्तिका और जय है….जो मेरे पुराने पाठक है वे जय से वाकिफ है पर जो नए जुड़े है उन्हें बता दूँ कि मेरे पब्लिश पहले उपन्यास हमनवां का एक किरदार है जो चार दोस्तों की कहानी है…..उस उपन्यास में लिखते हुए भी मैंने बताया था कि कभी ये उपन्यास (अरुण की कहानी) आपके सामने लाऊंगी…वैसे ये मेरे द्वारा लिखा पहला उपन्यास है….

20 thoughts on “बेइंतहा सफ़र इश्क का – 180

  1. अब तो दीवान को भी सच्चाई का पता चल गया, अब क्या इज्जत रह गई आकाश की…….बहुत ही उम्दा भाग 👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌🙏🙏

  2. Achcha hua Aakash ka sach Deewan sahab ko bhi PTA chal gaya. Vartika aur Jay dono milkar Arun ko bacha le bas.bahut badiya part .

  3. Akash ka sach ek din to sab ke sahmane ana hi tha .. par in halato me… Kya vartika vakil hai?? Wait hai k kaise jai aur vartika Arun ki help karte hai..

  4. Wao bahut hi sundar parts h aakhir diwan sahb ko pta CHL hi gya khi ye bkil Dr sahiba ka bhi Jai to nhi ha yhi hoga vartika to nhi h

  5. Very good part. Aakhir aakash ka sach diwan sahab ke samne aa hi gaya. Please Arun ki help ke liye kisi ko bhejiye na please 🙏. Bekashoor hokar bhi Arun ko bahut jhelna padh raha hai.

  6. Bhut hi badiya part….
    Aakhir deewan sahab ko sach pata chal hi gya……
    Kahi ye bakeel dr. Ushma ka bhai Aaditya to nhi..? Ho b sakta h, uska profession kab btaya tha aapne kabhi… May be🤔🤔

  7. Bahut hi badhiya part…..finally Aakash ka such Usk papa ko pta chl hi gya…..ab dekhna y h ki wo kya react krte h….or wo wakeel vartika hi hogi

  8. आखिर बाप को भी आकाश का सच पता चल ही गया शायद अब आकाश का ज़मीर जग जाए या फिर विवेक ही बताए जय वकील भी कुछ करेंगे बहुत बढ़िया चल रही है

  9. Kya gujregi deevan sahab par jab pata chala ki in sab ke piche aakash hai. Kya sambhal payege vo khud ko. Jise aapna sabse honhar beta bolte na थकते थे उसकी वजह से ही ये सब हो रहा है। जिस पर न के बराबर विश्वाश था वही इस समय डट कर खडा है और मुश्किलों से निकल रहा है।

    वर्तिका वकील है उसका जरा भी विचार नही आया दिमाग में। आप ने कभी बताया हो पर हो सकता है छूट गया हो। लगता है दोनो मिल कर करेगे अपना काम पर राह आसान नही होगी।
    कहीं तारा या फिर संपादक ने तो नही मारा इसे। संपादक तो वैसे भी दुखी था इससे।

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