Kahanikacarvan

बेइंतहा सफ़र इश्क का – 184

कुछ के लिए ये सुबह उम्मीदों भरी थी तो किसी के लिए भारी अवसर| आदित्य, वर्तिका और योगेश पूरी उम्मीद से कोर्ट जाने को तैयार थे| इधर सेठ घनश्याम ब्रिज के साथ कोर्ट पहुँच रहे थे| उन्होंने आकाश को साथ आने को न पूछा और न उसकी ही आने की हिम्मत हुई| भूमि और किरन को तो खैर वे ले जाने वाले ही न थे|

उन्होंने योगेश की बात मानते हुए जोशभाई से केस लेकर आदित्य को देना मंजूर कर तो लिया था पर उनके मन में कुछ कुछ संदेह भी था| वे अरुण की बेल को लेकर कुछ चांस भी नहीं लेना चाहते थे| इससे वे पूरी तरह से न इंकार कर सके और न स्वीकार कर ही सके|

जोशभाई भी इतनी बड़ी असामी अपने हाथो से जाने नही देना चाहता था इसी कारण उसने अपना असिस्टेंट कोर्ट भेज दिया|

अरुण को आज बेल मिलेगी या नहीं ये खबर पिछले दिन से हेडलाइन बनी हुई थी और ये मीडिया के लिए एक बड़ा अवसर था जिससे वे अपनी टीआरपी बढ़ा सकते  थे| इस कारण कोर्ट के बाहर एक हुजूम सा लगा था| सबको उसके गिरे चेहरे के भावों की तस्वीर से लेकर पुलिस के हर एक तेवर को कवर करना था|

ढेरो क्लिक और शोर के बीच से होता हुआ अरुण आखिर कोर्ट रूम पहुंचा| सेठ घनश्याम तो पहले ही पहुँच चुके थे| वे उससे मिलने को बेहद बेचैन थे| उन्हें देखकर ही लग रहा था कि उन्होंने सारी रात जैसे अंगारों पर लेटकर काटी हो| आखिर कहाँ अपने बेटे को कभी वह इस दशा में देख सकते थे| लेकिन आज के मजबूर हालातो ने उन्हें ऐसा दिन भी दिखा दिया|

अरुण का चेहरा बेहद थका नज़र आ रहा था फिर भी एक कड़ापन उसके हाव भाव में समाया हुआ था| वह वहां किसी गुनाहगार की तरह न लाया गया और न उसने ही खुद को ऐसा दिखाया| पुलिस उसके साथ साथ चलती कोर्ट में अब मौजूद थी| जज अभी आए नहीं थे पर उनके आने की सारी तैयारी हो चुकी थी|

इधर आदित्य और उसके पीछे पीछे वर्तिका योगेश गलियारे में दौड़ लगाते धड़धडाते हुए कोर्ट के गलियारे से उस सम्बंधित कोर्ट रूम में दाखिल होते है और यही ठीक वक़्त था जब कोर्ट रुम में जज साहब बैठ रहे थे|

उनके बैठते ही अर्दली सम्बंधित केस नंबर पढ़कर पुकारता है ताकि उससे सम्बन्धित सभी लोग वहां उपस्थित हो जाए| जज साहब बैठते ही पूरे कोर्ट रूम के चेहरों को एक सरसरी नज़र से देखते हुए पूछते है – “वादी और प्रतिवादी अपना अपना पक्ष रखे |”

उस केस का इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर देशमुख आगे आकर पीआर(पुलिस रिमांड) का आवेदन उनके समक्ष रखता है ये देखते हुए जज साहब अरुण की ओर देखते हुए उसके वकील के बारे में पूछते ही है कि तभी आदित्य वहां हवा के झोके की तरह प्रवेश करता हुआ चिल्लाता है –

“जज साहब मैं हूँ इनका वकील…..|” अपना आखिरी शब्द कहते ही उसका चेहरा जैसे पीला पड़ जाता है| अब दो पल तक जज उसे घूरते रहे और आदित्य वही जमा रहा|

“लग तो नहीं रहे |”

कुछ क्षण तक कोई कुछ समझ नही पाया कि क्या हो रहा है फिर सबने जज साहब की आँखों को जब आदित्य पर टिका देखा और उसके बाद आदित्य को भी समझ आई बात जिससे वह अपने पीछे खड़ी वर्तिका की बांह में झूलते अपने कोट को लेकर पहनता हुआ हलके से मुस्करा कर उस बोझिल पल को हल्का करने लगा|

“क्या आपने अपने केस से सम्बन्धित सारी प्रक्रिया कर ली है ? क्या अपना वकालतनामा जमा करके आपने पिछले वकील से केस की एनओसी ले ली है ?”

“ज जी डै….माय लाड |” कहते हुए वह फ़ाइल में से कोई पन्ना निकालने लगता है इसके चक्कर में उसकी फ़ाइल ही हाथ से फिसल जाती है और पल में उसके पन्ने वहां बिखर जाते है|

ये देखते वह खिसियानी मुस्कान के साथ पन्ने उठाने लगता है उसकी मदद योगेश और वर्तिका भी करते है|

जज ये सब चश्मे की बालकनी के पीछे से देख रहे थे और साथ ही साथ बंद होठो के पीछे दांत भींचते हुए कहने लगे –

“कोर्ट के बाद उम्मीद है आप क्लाइंट की फीस से फ़ाइल बाँधने का टैग जरुर खरीद लेंगे |”

इसपर आदित्य जल्दी से अपने बाहर आए दांत पीछे करता हुआ कुछ पेपर उनके अर्दली की ओर बढ़ा देता है|

जज अब उन पेपर को देखते हुए कहने लगे –

“कारवाही शुरू की जाए |”

ये सुनते आदित्य फिर से अपने हाथ की फ़ाइल से कोई पेपर ढूंढते ढूंढते बुदबुदा उठता है – ‘अरे यही जज मिलने से तुझे ? आज तो बेटा तू गया – यहाँ जी भी गया तो घर में तो पक्का मार दिया जाऊंगा – आज तो अच्छे से कोर्ट मार्शल होगा तेरा |’

आदित्य अभी भी पेपर खोज रहा था और अब सबकी निगाह उसी पर टिकी थी इससे जज साहब थोड़ा खीजते हुए कहने लगे  –

“वकील साहब अगर आज आप तैयार नही है तो हम आपकी सुविधानुसार अगली डेट फ़ाइनल करे !! क्योंकि इस केस के अलावा भी बहुत से केस पेंडिंग है यहाँ !!”

आदित्य जल्दी से बोल उठा – “म मैं – तैयार हूँ –|” खिसियानी हंसी के साथ वह अपने हाथ की अन्यत्र फ़ाइल उनके अर्दली तक बढ़ा देता है|

आदित्य की बदली हालत देख वर्तिका असमंजस में पड़ी हुई योगेश से फुसफुसाती हुई पूछने लगी –

‘ये अचानक से आदि को हो क्या गया ? ये इतना हड़बड़ा क्यों गया ?’

योगेश भी उसी तरह से बुदबुदाते हुए उत्तर देता है – ‘क्योंकि ये है आदि के डैड मजिस्ट्रेड हीरानंद गोविन्द पाठक जी |’

“है !!!” ये सुनते वर्तिका के हाव भाव में ढेर आश्चर्य समा गया| वर्तिका को फिर याद आ गया कि एक बार जब वह आदित्य के घर गई थी तब ऊष्मा ने ही अपने पिता के बारे में बताया था बस उसे तब जरा भी ये नहीं लगा था कि आदि जैसा इन्सान लॉयर भी हो सकता है|

अब वर्तिका अपनी सोच से वापस आई और उसका ध्यान वहां की कारवाही पर चला गया|

आदित्य अब थोड़ा संभलते हुए कह रहा था – “माय लाड मैं एडवोकेट आदित्य कुमार पाठक अपने क्लाइंट मिस्टर अरुण दीवान की ओर से कोर्ट में बेल की अपील दायर करता हूँ |”

जज जो अपना सारा ध्यान उसी पर लगाए थे कहने लगे – “ओके यू प्रोसीड योर अपील बट बिफोर दैट प्रेजेंट द ड्राफ्ट |”

ये सुनते आदित्य एक फ़ाइल खोलते हुए उसमे पेज खंगालने लगता है| उसे फिर पन्नो से उलझते देख सारा कोर्ट फिर उसी को देखने लगा| अरुण भी अब ध्यान से उसी को देख रहा था तो वही जोशभाई का असिस्टेंट दीवान साहब के पास धीरे से बुदबुदाता है –

‘सर ये तो कोई नया वकील है – आपको इसपर भरोसा नही करना चाहिए था – पुलिस ने पिछली बार से ज्यादा पुख्ता तौर पर अपनी अपील रखी है और जब हमारे सर पिछली बार बेल नही करा पाए तो ये नया लड़का क्या करा पाएगा – कम से कम कोई और अच्छा वकील कर लेते आप |’

अब दीवान साहब का चेहरे का रंग भी उड़ने लगा| वर्तिका और योगेश एकदूसरे का चेहरा देखने लगे| आदित्य अभी भी अपनी फाइल से जूझ रहा था|

उसे इस तरह जूझते देख जज अब पुलिस की ओर देखते हुए कहने लगे –

“सम्बंधित केस के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर अपनी ओर से अपील दर्ज कराए |”

ये सुनते देशमुख आगे आता हुआ अपनी ओर से दायर अपील रखने लगा –

“जज साहब – स्टैला मर्डर केस में मिस्टर अरुण दीवान एक सस्पेक्ट है – पिछली बार मिली एक दिन की रिमांड से हम पर्याप्त सबूत नही जुटा पाए है लेकिन हमे इस केस से सम्बंधित बहुत कुछ ऐसा मिला है जिसे हम सस्पेक्ट से जोड़ कर देख सकते है – ये एक सेंस्टिव केस है इसलिए अपने पहले सस्पेक्ट को पूरी तरह से इन्टेरोगेट करने के लिए हमे पर्याप्त समय चाहिए – पुलिस इस मामले की अभी जाँच कर रही है और इससे सम्बंधित सबूतों के लिए ही पांच और दिनों की पुलिस रिमांड की पेशकश रखी गई है |”

देशमुख अपनी बात जिस पुख्ता तरीके से रखता है उससे अगले ही पल कोर्ट में सब सन्न रह जाते है| ये तय था कि पुलिस इस रिमांड को किसी भी तरह से हासिल करना चाहती थी और सीनियर अधिकारी द्वारा केस को इस तरह पेश किया गया था कि जैसे अरुण को छोड़कर कोर्ट गलती कर सकता है| अब सबका ध्यान आदित्य की ओर जाता है| जो पहले ही सबको पुलिस के केस की अपील के आगे हल्का मालूम पड़ रहा था|

अरुण जहाँ सब सपाट भाव से देख रहा था वही बाकियों को आदित्य एक नउम्मीदी की तरह लगने लगा| पुलिस अपनी तरफ से बात रख चुकी थी और अगर आदित्य इस अपील के खिलाफ कुछ नहीं कह पाया तो ये तय था कि अरुण की जमानत एक बार फिर ख़ारिज हो सकती थी और अगर इस बार ये जमानत ख़ारिज होती तो उसपर लगे आरोप और पुख्ता हो जाते और संभव था कि पुलिस उसके खिलाफ आरोप भी साबित कर देती|

जज आदित्य को देखते हुए कहने लगे – “मिस्टर आदित्य आपके पास पांच मिनट है इस बात को साबित करने के लिए आपके पिटीशिनर की बेल अप्रूव हो या नहीं |”

वे जिस सख्त लहजे से आदित्य की ओर देखने लगे उससे बाकियों की धड़कनों को जरुर तेज कर दिया| दीवान साहब आंख बंद किए बैठ गए जैसे वकील बदलना अपनी गलती की तरह ले रहे हो| जोशभाई के असिस्टेंट के चेहरे पर छिपी जीत की मुस्कान हलकी सी झलक आई वही वर्तिका दो कदम पीछे होती अफ़सोस से नीचे देखने लगी|

एक आदित्य था जो सबसे बेखबर अपनी फ़ाइल् में सुनिश्चित पन्ना खोज रहा था| अगले कुछ समय में जैसे सब कुछ पिन ड्राप साइलेंट की तरह हो गया बस आदित्य के पन्ने पलटने की आवाज उस कक्ष में गूंज रही थी|

इसके अगले ही पल जज कहते है –

“मिस्टर आदित्य बिना पुख्ता तथ्यों के मैं पिटिशन की बेल रिजेक्ट कर रहा हूँ |”

ये सुनते जैसे रहा सहा धैर्य भी सबके मन से चुकने लगता है|

तभी आदित्य की आवाज सब सुनते है जो फ़ाइल को किनारे फालतू सामान की तरह रखता हुआ कहने लगा –

“ऑनरेबल माय लाड पुलिस ने बिना आरोप तय हुए मेरे क्लाइंट मिस्टर अरुण दीवान को पुलिस रिमांड में लिया जबकि वे एक सस्पेक्ट भी सही तौर पर नही है – मिस्टर अरुण जो समाज के एक सम्मानित व्यक्ति है और उन पर कोई आरोप तय हुए बिना इस तरह हिरासत में रखना हमारे समाज में गलत सन्देश देता है कि पुलिस अपनी प्रक्रिया से बचने के लिए बेकसूर को अपनी गिरफ्त में ले रही है फिर आम जनता खुद को किस तरह से सुरक्षित मान सकती है – ये मौके वारदात पर मौजूद भी नहीं थे – वे उस मर्डर हुए रूम के बगल में मीटिंग के लिए आए और मीटिंग कैंसिल होने पर वापस चले गए – और ये बात बेहद नार्मल है – साथ ही जिस शर्ट के बटन को सबूत मानकर पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया उसे तीन लोग इस्तेमाल करते है – उनमे से एक व्यक्ति दो दिन पहले ही योरोप से वापस आया लेकिन पुलिस ने बिना सारे तथ्यों की जाँच किए जो सामने आया उसे हिरासत में ले लिया – मर्डर से सम्बंधित न पुलिस के पास सही से कोई एविडेंट है और न साक्ष्य – इस तरह बिना पूरी जाँच किए पुलिस एक निर्दोष शख्स को अपनी हिरासत में रखकर सिर्फ अपनी खाना पूर्ति कर रही है या इस केस पर से सबका ध्यान हटा रही है – मैं इन सारे तथ्यों को सामने रखता हुआ कोर्ट से अपील करता हूँ कि मिस्टर अरुण दीवान को बेल दी जानी चाहिए |”

एक सांस में आदित्य के ये कहते जैसे बाकियों की अगली सांस उनके सीने में ही थमी रह गई| और सभी हकबक उसे देखने लगे|

देशमुख का मुंह तो एकदम सन्न रह गया| वह तुरंत विरोध करते हुए कहने लगा – “जज साहब – अगर इस तरह सस्पेक्ट छोड़ दिए जाएँगे तो केस की जाँच पुलिस कैसे करेगी – और फिर उसके बाद अगर सस्पेक्ट ने पुलिस के साथ कोई भी सहयोग नही किया तो..?”

जज अब इसके प्रतिउत्तर के लिए आदित्य की ओर नज़र करते है जो पूरे जोश में कहने लगा –

“मैं इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर से पूछना चाहूँगा कि एक दिन की रिमांड क्या किसी सस्पेक्ट के लिए काफी नहीं है – और अगर इस तरह पुलिस सस्पेक्ट पर समय जाया करती रही तो कलप्रिट को कैसे पकड पाएगी – फिर तो रिमांड रूम सस्पेक्ट से ही भर जाएगा – और रही बात सहयोग की तो जिस तरह से शांति से मेरे क्लाइंट से अबतक पुलिस से सह्योग किया वे आगे भी इसी तरह से करते रहेगे – वे एक सुलझे हुए सम्मानित व्यक्ति है और इस तरह उनको बिना सबूतों के कस्टीडी में रखने से उनके अमूल्य समय के साथ साथ कोर्ट का अमूल्य समय भी जाता है – वे बार बार बेल के लिए अपील करेंगे इससे बेहतर है कि बेल पर रहकर पुलिस और समाज को बराबर से अपना सहयोग दे सकते है|”

पुलिस अब होंठ चबाती खड़ी रह गई|

आदित्य अपना जादू चला चुका था| जज अब अपने सामने का पेपर पलटते हुए कहने लगे –

“सारी दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर को आदेश देती है कि  वे केस से सम्बंधित सभी तथ्यों को जल्दी जल्दी चार्ज का रूप दे ताकि केस क्लियर हो सके – सिर्फ सस्पेक्ट की बार बार रिमांड से केस के मूल से सबका ध्यान हटता है – साथ ही पुलिस अभी तक मिस्टर अरुण दीवान के खिलाफ एक भी पुख्ता सबूत साबित नही कर पाई – दलीलों को सुनते हुए कोर्ट मिस्टर अरुण दीवान की बेल को मंजूर करती है लेकिन साथ ही ताकीद करती है कि वे जमानत के तौर पर कोर्ट में पंजीकृत कागजात जमा कराए और जमानत के नियमो का पालन करे – अगर वे किसी भी तरह से जमानत के नियमो का उलंघन करते हुए पाए गए तो कोर्ट को पूरा हक़ होगा उनकी जमानत को रद्द करने का..|”

“यस…!” आदित्य एकदम से कहता उछल पड़ा पर अपने पिता से नज़र मिलते वह तुरंत सही से खड़ा हो जाता है|

अब जज उसे कसकर घूरते हुए कहने लगे – “साथ ही कोर्ट एडवोकेट आदित्य कुमार पाठक से उम्मीद करती है कि वे अगली बार कोर्ट का समय बर्बाद न करते हुए अपनी फ़ाइल के लिए टैग लगा कर आएँगे |”

इस पर आदित्य फसी सी हंसी से अब एक अन्य फ़ाइल को दोनों हाथो से पकड़े उनकी ओर बढ़ाते हुए कहता है –

“ये जमानत के तौर पर डॉक्टर योगेश की डॉक्टर की डिग्री के कागजात है|”

सभी सम्बंधित कागजो को देने और साइन होते ही जज कमरे से निकल जाते है| उनके जाते पुलिस भी चली जाती है और ये सब देखते जोशभाई का असिस्टेंट भी चुपचाप निकल जाता है| बस दीवान साहब नम आँखों के साथ अरुण को देखने लगे|

अब अरुण फ्री था जिसकी शायद कुछ समय पहले सभी ने उम्मीद ही खो दी थी| अरुण आगे बढ़कर आदित्य से हाथ मिलाते उसे शुक्रिया अदा करता है इसपर वह हलकी मुस्कान के साथ सर हिलाकर उसका अभिवादन करता है|

आज सिर्फ उसके सच की ही नहीं उसकी दोस्ती की भी जीत हुई थी| योगेश ने अपनी जीवन की सबसे बड़ी पूंजी अपनी डिग्री जमानत में दी थी| वर्तिका होंठ भीचे उस ख़ुशी को आत्मसात कर रही थी| अरुण को इस दोस्ती की कद्र थी जिसमे मुसीबत में आज उसका साथ दिया था|

वह आगे बढ़कर वर्तिका और योगेश दोनों को गले लगा लेता है| उस पल तीन दोस्त एक साथ मुस्करा उठे थे| पर ये आदित्य की नज़र थी जो कुछ और भी भीतर तक महसूस कर रही थी| वह अरुण के साथ अपनी पहली मुलाकात में ही वर्तिका का अरुण के प्रति ख़ास तव्वजो समझ चुका था| ये एक तरफ़ा प्रेम था जो अनचाहे ही कभी कभी दोस्ती की सरहद के बाहर झांक ही लेता|

वह एक गहरा श्वांस खींचे अपना कोट लापरवाही से अपने कंधे पर डालता बाहर निकलता हुआ बुदबुदा उठा – ‘ये कमबख्त इश्क है या सजा है कोई…..चल आदि तूने तो इश्क कर ही लिया अब सजा भुगत |’

क्रमशः…….

25 thoughts on “बेइंतहा सफ़र इश्क का – 184

  1. Zabardast part
    Aadi ki harkato se lga nhi tha kisi ko bhi ki woh bail Kara dega but vartika ka pyaar aadi se sab kuch Kara dega

  2. आदित्य ने अरुण की बेल करवा ही दी l अब देखना है कि पुलिस असली कातिल तक कब पहुंचती है…..

  3. Hey bhagwan ek or jhatka…….judge aadi k father 🤫🤫🤫😏
    Bechare ki kya haalat hogyi…..
    Chalo Arun ko bail to mili

  4. Mja hi aa gya is part me…sbke sath sath meri bi sase gale me atki gyi thi aadi ki hrkto se ….bhut bda dhamaka krvaya apne usse…very good..tbi to me apki story ki gayl hu…me kitni bi busy hu…jese hi post update hoti h…phle pdne Beth jati hu

  5. Aadi ka pahla case or judge uske father….isliye vo nervous ho rha tha…..but usne jamanat karva hi di…..vartika ka payaar kabhi kabhi doati ki sarhad landh hi jati h

  6. Wowww.. mujhe to yakeen tha k Arun ki bail dost hi krwa sakte hai..
    Aaj kal sach hi hai..khoon ke rishte fike pad jaate hai par sachi dosti nhi.. yogesh ne apna sab kuch daav pe lga diya..
    Aadi vartika aur yogesh mil kar ab Arun ko nirdosh bhi sabit kar de ab to..
    Jai ke hath kya clue lga tha vo nhi btaya aapne aur vo kaise help karega Arun ki..

  7. Wow आज मज़ा आ गया आखिर आदि ने बेल कर ही दी बेहतरीन पॉर्ट👌👌👌👌👌👌👌👌👌

  8. Bahut hi jabarjast part hai maam ❤️
    Aakhir AD ne Arun ki bell karwa hi di.
    Un teenon ki dosti ki jeet hui .
    Aage janne me maza aayega ki AD aage kya kamaal karta hai

  9. Arun ki bail to ho gayi. Laga hi tha aadi apna kamal dikhayega… Par itna nervous hoga. Aur comedy ho jayegi itne serious mahol mein ye nahi socha tha. Par hota hai jab pita samne ho.. Ab dekhna ye hai ghar par kya class lagti hai maharaj ki.
    Vartika ka gale lagna uske mann ko hurt kar gya…
    Aur police babu aap kahan hai aapka jalwa dekhna hai ab to

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!