Kahanikacarvan

बेइंतहा सफ़र इश्क का – 186

उनके कपडे पूरी तरह से भीगकर उनके जिस्म से चिपक गए थे| किरन के भीगे बालो को पीछे करता अरुण उसमे चुम्बनों की बारिश कर दे रहा था| ये प्रेम का सबसे मोहक पल था जब दो देह पूर्ण समपर्ण के साथ एकदूसरे में समाने को बेकरार थे|

लेकिन अधूरा प्रेम जैसे उनकी किस्मत बन गया था| वे दो जिस्म शावर के नीचे बेहद पास थे और अपनी उफनती साँसों से एकदूसरे में सिमटे अभी शिद्दत से एकदूसरे में समाए भी नही थे कि अगले आए तूफान ने उन्हें फिर मिलने से रोक दिया|

***

फॉर्म हाउस में सारा परिवार पहुँच चुका था साथ ही पुलिस भी| पुलिस स्थिति की छानबीन कर रही थी| कमरों से लेकर बाहर के हिस्सों को खंगालने में लगी थी| आकाश जो अब तक के हालातो के कारण अपना बहुत सारा समय ऑफिस में बिता रहा था वो क्षितिज के किडनैप होने की बात सुनता वहां भागा चला आया|

क्षितिज उस घर की जान था और आज उसके एकदम से गायब होने से सब कुछ बेजान सा नज़र आने लगा|

भूमि की ओर खैर स्थिति इतनी बुरी हो गई कि उसका ब्लडप्रेशर ही एकदम से गिर गया| वह बेहोशी की हालत में बिस्तर पर पड़ी थी और उसके आस पास किरन और अरुण मौजूद थे| डॉक्टर भी वहां मौजूद उसका निरिक्षण कर रही थी|

वही मेनका की तो ऐसी सदमे वाली हालत हो गई कि वह कोना पकड़े जाने कब से बुत बनी बैठी थी|

दीवान साहब भी वहां आने से खुद को रोक न सके| उस नन्हे बच्चे की गुमशुदगी हर किसी के लिए आघात की तरह थी| आकाश तो इतना बौखलाया हुआ था कि फार्म हाउस के सिक्योरिटी गार्ड को थप्पड़ ही जड़ दिया| वह हर नौकर की बुरी तरह से टूट पड़ रहा था|

“तुम लोगो में से किसी ने कुछ किया है तो अभी बता तो अगर मुझे इसकी जरा भी भनक लगी तो मैं उसे जिन्दा नही छोडूंगा – कहाँ है मेरा बेटा….!!”

वह एक नौकर का गिरेबान पकड़े बुरी तरह से उसपर बिगड़ रहा था कि तभी इन्स्पेक्टर जो वहां की जाँच कर रहा था| सभी को आवाज लगाकर एक निश्चित दिशा की ओर बुलाता है|

“आप सभी यहाँ आइए |” इन्स्पेक्टर लॉन की ओर खड़ा था जो कमरे की दीवार के ठीक बगल में था| आकाश, अरुण, दीवान साहब भी वही आ गए थे और उस दिशा की ओर देखने लगे जहाँ इन्स्पेक्टर खड़ा बोल रहा था –

“कल रात बारिश हुई थी इससे मिटटी में बने निशान यहाँ आने वाले की निशानी छोड़ गए – यहाँ बने जूते के निशान ऊपर बने कमरे तक जा रहे है – जो भी आया था वो दिवार लांघकर आया और आते सीधे इस लॉन से होता ऊपर के कमरे तक गया – काफी निशान बारिश के पानी से धुल गए पर पूरी तरह से भी नहीं – अब आप बताए ये पहली मंजिल का कमरा किसका है – क्योंकि कोई यूँही तो बालकनी लांघकर आएगा नहीं |”

अरुण और आकाश एकदूसरे का चेहरा देखने लगे पर कुछ बोले नहीं वही दीवान साहब पूछ उठे –

“लेकिन क्षितिज का कमरा तो दूसरी तरफ है और वो वहां से गायब हुआ फिर  यहाँ निशान ढूँढने से क्या मतलब ?”

इंस्पेक्टर अब बात समझाते हुए कहता है – “देखिए यहाँ सिर्फ दो बाते हो सकती है – या तो कोई गेट से आराम से अंदर आया और सीधे क्षितिज के कमरे में गया और उसे उठा कर गेट से ही आराम से निकल गया – अब ये कैसे पोसिबल है कि इतना सब हुआ और यहाँ की सिक्योरिटी को कुछ पता ही नहीं चला – अगर ऐसा है तो ये बहुत सोचा समझा किडनैपिंग का प्लान है – हो सकता है फिरौती के लिए आपे पास कॉल आए – अभी तक की मेरी थ्योरी यही कहती है बाकी मेरा कोन्स्टेबल सीसीटीवी फुटेज खंगाल रहा है |”

“फिर ये निशान !!!” आकाश जल्दी से पूछता है|

“वही मैं भी समझ रहा हूँ – अगर ये थ्योरी नहीं है तो इसका मतलब है कि जो यहाँ लॉन से होता हुआ आया है वही ऊपर के कमरे से होता हुआ क्षितिज के कमरे तक गया और उसे अपने साथ वैसे ही ले गया जैसे वह आया – संभव है वो मजबूत कदकाठी का रहा होगा – आखिर सात आठ साल के बच्चा कोई कागज का फूल तो नहीं होता |”

अब सबकी निगाह वहां से ऊपर के कमरे की ओर गई फिर सब साथ में ऊपर के उसी कमरे की ओर चल दिए|

कमरे में सबको जाने से रोककर इन्स्पेक्टर अब एक सिपाही के साथ उस कमरे की जाँच करने लगा| बालकनी से लगा कांच का बड़ा सा डोर अभी भी आधा खुला हुआ था और निशान कमरे तक आकर वही गम हो जा रहे थे| संभव था जूते वही उतार दिए गए थे|

तितर बितर बिस्तर और भीगा हुई चादर गवाह थी कि जो भी यहाँ आया था वो आराम से बिस्तर पर बैठा था| इन्स्पेक्टर हर एक चीज का बारीकी से मुआयना करता हुआ बताता रहा फिर उन सबके सामने आता हुआ पूछता है –

“अब तक कि जांच से यही स्पष्ट हुआ है कि जो भी यहाँ आया वो इस कमरे में रुका भी था – अब तो इस कमरे में रहने वाला बता सकता है कि रात में कौन आया था क्योंकि वह उसे अच्छे से जानता है तभी तो वह उसके साथ इस कमरे में रुका |”

अब तक ये सब सुनते उन तीनो को सारा कुछ स्पष्ट हो चुका था| आकाश का चेहरा तो बुरी तरह से तमतमाया हुआ हो रहा था| उन्हें समझते देर नहीं लगी कि कमरा मेनका का था और आने वाला विवेक के अलावा कोई नही हो सकता और उसका मकसद भी उनसे छिपा नहीं था|

इन्स्पेक्टर अभी भी कह रहा था – “ये सोचे समझे प्लान के तहत किया गया है – जो भी आया उसके कमरे से बाहर निकलने का कोई चिन्ह नहीं है – हो सकता है उसने अपने जूते यही उतार दिए हो और उसके बाद वह क्षितिज के कमरे तक गया हो क्योंकि जितने साफ़ निशान यहाँ मौजूद है वहां के कमरे में ऐसा कोई निशान नही मौजूद है – बस उसने कमरा खोला और उसे उठाया और बड़ी आसानी से चला गया – अब आप बताए कि आपको किसपर शक है ?”

इन्स्पेक्टर उन सबका चेहरा बारी बारी से देखने लगा वही वे सभी अपने अपने होंठ भींचे जैसे उस बात को कड़वे घूँट की तरह अपने हलक से उतार रहे थे|

उनकी चुप्पी देख इन्स्पेक्टर आगे कहता है –

“हो सकता है ये फिरौती या कोई दुश्मनी के लिए हुआ हो इसलिए मैं अभी कुछ देर यही रुकता हूँ – हो सकता है आपके पास इससे सम्बंधित कोई कॉल आए|”

इन्स्पेक्टर वही इंतजार करने लगा| दीवान साहब भी परेशान हालत में वही टहलने लगे| उन दोनों को अब कॉल का इंतजार था|

इसके विपरीत आकाश गुस्से में उस कमरे की ओर बढ़ गया जहाँ मेनका अभी भी बुत बनी बैठी थी|

“मेनका …उठो चलो अभी मेरे साथ |”

आकाश जिस तरह गुस्से में चीखा उससे मेनका एकदम से सहम उठी|

अब तक अरुण भी वहां आ गया जो क्रमवत दोनों को देख रहा था| आकाश अब मेनका के पास आता उसे उसी तेवर में कह उठा –

“मुझे उस विवेक का पता चाहिए – उसे मुझसे प्रोबलम है तो उस मासूम का किडनैप क्यों किया – उसने किसका क्या बिगाड़ा है ? मैं सब बर्दाश्त कर सकता हूँ पर अपने बेटे पर एक कतरा भी आंच आई तो मैं भूल जाऊंगा कि कौन मेरे सामने है – तुम अभी चलो मेरे साथ |”

मेनका के पास भी कहने कुछ नही था वह नज़रे झुकाए जैसे सब पर अपनी सहमती दे देती है|

विवेक पर जिस बात का इल्जाम था उससे सभी की नज़रो में उसके लिए अपार गुस्सा था| अरुण भी बेहद तीखी नज़रो से मेनका को देख रहा था| आज विवेक के साथ साथ वह भी सब की नजरो में अपराधी बन गई थी|

अभी वह तीनो वहां से निकल ही रहे थे कि एक सिपाही वहां तेजी से आता है| वह इस तरह से हडबडी में आया कि सबकी निगाह तुरंत ही उसकी ओर उठ गई| उससे भी बड़ा आश्चर्य तो उसके हाथ में था जिसे देखकर सबकी आंखे फटी की फटी रह गई|

सिपाही के हाथों के बीच बच्चे के कपडे थे जिसे उन सबकी निगाह के सामने रखकर सिपाही हट भी नहीं पाया था कि मेनका उन कपड़ो की ओर बढती हुई कह उठी –

“ये तो क्षितिज के वो कपडे है जो उसने कल रात को पहने थे|”

आवाज सुनते भूमि अपनी बिखरी हालत में भी वही चली आई| उन कपड़ो पर खून का धब्बा लगा था| जिसे देखते सबके होश बुरी तरह से फाक्ता हो गए| जहाँ भूमि चीत्कार मारती मुर्छित हो गई तो वही दीवान साहब सीना पकड़े लडखडा गए जिन्हें अरुण तेजी से आकर थम लिया नहीं तो वे शर्तिया गिर पड़ते|

पल में उस जगह का माहौल मातम में बदल चुका था|

क्रमशः…….

कहानी का जिस तरह आप इंतज़ार करते है….और शिद्दत से अपना स्नेह प्रदर्शित करते है उसका शुक्रिया कहना तो बनता ही है……अगला धमाका अगले पार्ट में……

20 thoughts on “बेइंतहा सफ़र इश्क का – 186

    1. Etna bura bhi mat kijiye please 🥺 ye jarur kisi ki sajish hai jisme Vivek aur menka buri tarah fas gaye hai.

  1. धमाका नहीं ये तो पूरा एटम बम फोड़ दिया जी आपने…
    वैसे बच्चे को कुछ नहीं होना चाहिए जी 🙏🙏

  2. Din par din kahani me jis tarah se nay nay mod a rhe h…unhe pad kar itna interest a rha h…ki Intjar rehta h besabri se agle part ka (muje comments karna nhi ata…ya yeh keh lo kin sabdo me tarif karu apke likhne
    ki …moral of the story..kahani ke part ka besabri se intzar rehta h)
    🌹🙏🏻

  3. Vivek ne kshitij ka kidnap to nhi kiya hoga wo jese aya tha uska irada ye to nhi lag rha tha…… Intresting part … Waiting for next….

  4. Bahut hi khatarnak mod par hai story.
    Us nanhe bachche ko kuch nahi hona chahiye. Ye sab darane ke liye kiya gaya ho sirf. Next part ka besabri se intzaar rahega.

  5. Nhi.. shitij ko kuch mat hone dena plz.. pehle buddy aur ab … Nhi.. aur Vivek to bilkul bhi aise nhi kar sakta.. ya to vo sirf akash ko draana chahta hai.. ya ye kisi aur ka kaam hai.. stella ka murder kis ne Kiya vo bhi to abhi nhi pta.. aur na hi ranjeet aisa kar sakta hai

  6. Mujhe to lg raha hai jo menka ke pass aaya wo Vivek tha hi nhi . Uske chakkar main menka bhool kr baithi or sab kuch bigad gya

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