Kahanikacarvan

बेइंतहा सफ़र इश्क का – 190

दर्द में भीगा पल था जब खून से लतफत अरुण अपनी गोद में क्षितिज को लिए हुए हॉस्पिटल पहुंचा| मेनका ने विवेक से जो एड्रेस सुना और उसके बाद उसकी चुप्पी के बाद तुरंत ही अरुण को फोन करके वहां का पता बता दिया| उस वक़्त वो वहां समय पर नही पहुँचता तो बहुत कुछ हो सकता था पर वक़्त ने उन्हें कुछ राहत दे दी|

सारा परिवार जब तक हॉस्पिटल पहुंचा तब तक क्षितिज के साथ साथ विवेक भी हॉस्पिटल में भरती था और कल्याण जो होश में आ गया था पर पुलिस को देखते उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई और डरते डरते खुद ही अपना गुनाह कबूल बैठा| उसकी हलकी मरहम पट्टी करके उसे पुलिस अपनी गिरफ्त में ले लेती है| तब पता चलता है कि मैजिक शो के टाइम ही वह जादूगर की टीम के साथ उस फॉर्म हाउस में घुस गया था और जब सब सो गए तब आधी रात वह क्षितिज को बेहोश करके अपने साथ वहां से चुपचाप ले गया| तेज बारिश होने की वजह से जब  वाचमैन कुछ देर को इधर उधर हुआ तब उसका वहां से निकलना आसान हो गया|

वह गेट से आया और गेट से ही बाहर गया इसके कारण उसका आना और जाना कोई नोटिस नही कर पाया| सेल्विन का नाम कल्याण ने नहीं लिया क्योंकि योजना बनने का काम भलेही उसका था पर सारा कुछ किया तो कल्याण ने ही था| फिर उसके बुरे वक़्त में सेल्विन ने ही उसका साथ दिया इससे उसने सारा इल्जाम खुद पर ही ले लिया| अब सबका शक विवेक पर से हट गया था| फिर कल्याण ऐसा कर सकता है इसकी पुष्टि भूमि भी कर देती है| पर ये सब देखते उसे बहुत दुःख हुआ कि कोई दुश्मनी में इतना नीचे भी गिर सकता है !! एक मासूम बच्चे को अपना हथियार बनाते उनका कलेजा जरा भी न कल्पा !! अब यही पल था जब पहली बार विवेक की ओर से उन सबके मन में कोई सॉफ्ट कोना अंकुरित हुआ था|

अब सबका ध्यान क्षितिज की ओर था अतिरिक्त रक्तस्राव से वह अभी तक बेहोश था लेकिन बेस्ट डॉक्टर की टीम उसका इलाज कर रही थी| क्षितिज की हालत देख इस बार आकाश भी खुद को रोने से रोक नहीं पाया| सबका चेहरा जैसे दर्द का सैलाब बना हुआ था| डॉक्टर आकर उन्हें बताता है –

“खून ज्यादा बह गया है और स्ट्रेस से बच्चा ट्रोमा में चला गया है – हम अपनी पूरी कोशिश कर रहे है – उम्मीद है सुबह तक होश में आ जाए – |”

अब सब कुछ बस ईश्वर के हाथो में था पर सब यही सोचकर मन में सब्र किए थे कि कम से कम उसकी जान का खतरा तो नही था|

विवेक भी घायल था लेकिन उसकी हालत खतरे से बाहर थी| वह वहां से जाना चाहता था लेकिन डॉक्टर उसे इस हालत में भेजने को राजी नही थे| मेनका बस उसे दूर से देखने आई थी तभी उनकी बहस सुनकर वह भी वही चली आई|

उस पल विवेक की आँखों में जहाँ ढेर नाराजगी थी तो वही मेनका शर्मिंदा सी वही खड़ी रही पर कुछ कह न सकी| फिर जैसे मौन ही सब तय हो गया| विवेक मन मारे एक रात रुकने को राजी हो जाता है| वे बाते जो बिन शब्दों के ही उन्होंने एकदूसरे से कही और स्वता ही समझ ली|

ये रात सबके लिए पहाड़ सी हो रही थी|

***
एक तरफ जहाँ दीवान की जिंदगी फिर से एक बार झंझावात में घिर गई थी वही दूसरी ओर आदित्य इधर उधर तफरी करके रात के नौ बजे अपने घर पहुंचा पर फिर भी अंदर नहीं गया| वह मुख्य फाटक से कभी मेन डोर तक आता फिर उसी तरह वापस चल देता| उसे देखकर लग रहा था कि उसे अच्छे से अंदाजा था कि उसके साथ अंदर क्या होने वाला है|

तभी एक हॉर्न के साथ उसकी नज़र मुख्य गेट तक गई और अगले ही पल उसके चेहरे पर बड़ी वाली मुस्कान आ गई| सामने से अब ऊष्मा आ रही थी जिसकी चाल के साथ उसकी कलाई में टंगा उसका सफ़ेद कोट ही लहरहा रहा था|

आदित्य उसकी तरफ उछलकर आता हुआ कहता है – “लाओ दी – तुम्हारा कोट पकड़ लूँ !! आज बहुत देर कर दी – कब से वेट कर रहा था |”

“तो क्यों कर रहे थे वेट ? कुछ बात है क्या आदि ?” ऊष्मा रुककर भौं उचकाए उसे देखती है|

“अरे कुछ नही दी – तुम भी न बात वकील की तरह करती हो – डॉक्टर हो तो दिमाग ठंडा रखो और चलो मेरे साथ – आज मैं अपनी दी के साथ डिनर करना चाहता हूँ |”

मस्ती से कहता हुआ आदित्य ऊष्मा के कंधे पर हाथ फैलाए उसके साथ साथ अंदर जाने लगा|

“वैसे आज देर क्यों हुई ?”

“ओपरेशन था – वैसे आज कुछ ज्यादा ही अपनापन दिखा रहे हो – कुछ तो गड़बड़ है |”

“क्या दीदू – मुझ भोले प्राणी पर शक करती हो ?”

“तुम और भोले !!”

“बिलकुल भोला गोला हूँ |”

आदित्य बच्चो का मुंह बनाते बातो के लच्छे उड़ाते हुए अंदर आ जाता है| उसने सोचा था अब तक उसके पिता का डिनर हो गया होगा और उनके जाते वह ऊष्मा के साथ डिनर करेगा फिर माँ को लगेगा वह ऊष्मा के साथ ही रहा होगा लेकिन सब कुछ सोचा हुआ होता ऐसा भी कहाँ संभव था|

जैसे ही आदित्य ने घर के अंदर कदम रखा उसे उसके पिता की निगाह ठीक उसका स्वागत सामने से करती मिली और आदित्य वही जम गया| ऊष्मा उसे इस तरह रुका देख हलके से धकेलती हुई पूछती है –

“यही दरवाजे पर क्यों रुक गए – चलो |”

आदित्य जल्दी से अपनी खिसियानी हालत पर नियंत्रण करता हुआ अंदर आ ही रहा था कि उसके पिता की आवाज उसे सुनाई पड़ी –

“मिसेज पाठक कहाँ है आप – अपना बेटा आ गया है – स्वागत नही करेंगी ?”

अपने पिता के स्वर और आदित्य की हालत देखती ऊष्मा आदित्य की ओर झुकती हुई पूछती है – ‘तुमने कुछ कांड किया है क्या आदि ?’

उसकी माँ भी वही आती हैरानगी से उसे देखने लगी| अब दोनों की नज़रे बारी बारी से कभी जज साहब को देखती तो कभी आदित्य को|

“अरे ज्यादा आश्चर्य करने की जरुरत नहीं है बस यही समझ लो – आज वकील साहब की जो कोर्ट में गजब की एंट्री हुई थी – वो देखने लायक थी -|” जज साहब अपनी नज़रे आदित्य पर धसाते हुए कहते रहे – “ये आगे आगे और इनका कोर्ट पीछे पीछे |”

आदित्य समझ गया कि कोर्ट रूम में आते उसका कोर्ट उसके पीछे आती वर्तिका के पास था|

ऊष्मा अब उत्साहित होती अपने पिता के पास बैठती हुई पूछती है – “क्या सच में पापा !! आदित्य की कोर्ट में एंट्री जबरजस्त थी?”

“वाह बेटा |” माँ भी बल्ल्याँ लेती मुस्करा उठी|

वही आदित्य मन ही मन बुदबुदा उठा – ‘लो घर पर आखिर निकल ही गया जुलुस |”

जज साहब कहते है – “हाँ देखने लायक थी – बस गनीमत समझो केस मेरी कोर्ट का था नहीं तो यही तारीफ दूसरो से सुनने को मिलती कि आपके सुपुत्र को जो लन्दन से डिग्री लेकर लौटे है इन्हें ये नहीं पता कि कोर्ट में आते कैसे है ?”

अब सब कुछ कुछ माजरा समझ चुके थे जिससे आदित्य जानकर अपनी नज़रे इधर उधर किए मन ही मन बुदबुदा रहा था – ‘आज तो मेरी पूरी बारात निकलने के मूड में बैठे है |’

ऊष्मा जल्दी से पूछती है – “लेकीन आदि तुमने कोर्ट कब ज्वाइन किया ? मुझे बताया ही नही – मैं भी तुम्हारी पहली एंट्री देखती |”

आदि फिर मन ही मन बुदबुदाया – ‘हाँ पता नही था नहीं तो सारे शहर को बुला लेता |’

जज साहब आज उसे पूरी तरह से आड़े हाथ लेते हुए बोलते है – “वैसे ये चमत्कार कैसे हुआ मुझे भी जानना है क्योंकि कुछ समय पहले यही वो आदित्य कुमार पाठक थे जो भरे ताव में कह गए थे कि चाहे शहर में कितनी आवारागर्दी करनी पड़े पर ये यहाँ कोर्ट नहीं ज्वाइन करेंगे – और करे भी क्यों – यहाँ रखा ही क्या है ? कहाँ लन्दन और कहाँ सूरत….! फिर ऐसा दिखा इस केस में ?”

“वो डैड – फ्रेंड शिप में करना पड़ा |” आखिर आदित्य जल्दी से कह उठा|

अभी तीनो भौं उचकाए उसे देखते हुए मौन ही पूछते है कि कौन सा फ्रेंड ? क्योंकि लन्दन से आने के बाद तो उसका कोई फ्रेंड नही था|

आदित्य भी धीरे से सर पर हाथ फिराते अपनी मुस्कान दबा लेता है|

“आप भी न – घर पर कोर्ट रूम खोलकर बैठ गए – आखिर बेटे ने ज्वाइन कर लिया यही तो आप चाहते थे – बेकार में बेटे की खिचाई करने में लगे है|” माँ तो आखिर माँ ही होती है|

उनका सपोर्ट पाते आदित्य तुरंत उनके पास चल दिया|

“चलो खाना लगाती हूँ – जाने दिनभर क्या खाया होगा – और कितनी मेहनत लगी होगी आज पहले दिन कोर्ट में |” माँ के लिए उनका बच्चा हमेशा बच्चा ही रहता है|   

माँ दुलारती हुई आदित्य को अपने साथ ले जाने लगी तो आदित्य भी उनके साथ छोटे बच्चे की तरह पीछे पीछे चल दिया| उन दोनों को इस तरह देख पिता पुत्री की हंसी छूट गई|  

आदित्य को जाते देख उसके पिता पीछे से उसे आवाज लगाते हुए कहते है – “आदि अब जो केस लिया है उसे बिना कम्प्लीट करे छोड़ना मत – क्योंकि तुम्हारा क्लाइंट बेल पर रिहा हुआ है केस से मुक्त नही – समझे |”

“यस डैड |” आदित्य भी पूरे उत्साह से हामी भरता है|

अब माँ ऊष्मा को खाने के लिए बुलाने आती है| ऊष्मा भी मुस्कराती हुई खाने की मेज तक चली जाती है| दोनों पति पत्नी देखते है कि खाने की मेज पर दोनों बच्चों की तरह एक दूसरे से उलझ रहे थे ये देखते दोनों साथ में मुस्करा देते है|

अब जज साहब अपनी पत्नी को टोकते हुए कहते है – “मिसेज पाठक – अब तो आप खुश हो ही जाइए – क्योंकि आपको जो पहले डर था कि बेटा लन्दन चला जाएगा और फिर वही की लड़की से शादी करके वही बस जाएगा तो अब आप सुकून से रहिए – आपके दोनों डर अब दूर हो गए है|”

अपने पति की बात पर वे थोड़ा आश्चर्य से उन्हें देखने लगी| पर ये तो जज साहब की अनुभवी आँखे थी जो वर्तिका को देखते बहुत कुछ समझ गई थी|

क्रमशः…….

कहानी के साथ साथ आपके लगाए कयास कितने सही हुए आप समझ गए….कुछ सही पहुंचे तो कुछ करीब थे…इसी तरह आगे भी तैयार रहे….एक नए विस्फोट के साथ आएगा अगला पार्ट…..

20 thoughts on “बेइंतहा सफ़र इश्क का – 190

  1. Wow dhansu part tha y to…..shitij bhi Bach gya or Vivek bhi…..but to 12 aadity k bje ghr p wo dhekhne Layak tha mja aagya

    1. Relaxing part….
      Aadi ka kirdar bda majedar laga… Vartika lucky h jo arun na shi pr aadi mila use….. Ab vartika or aadi ko b mila hi dijiye……

  2. Bahut achcha hua chitij thik h.ab lagt h vivek b menka ke payaar me apna badla bhulkar life me aage bad jayega…..aadi ki masti dekhakar maza aa gya…..ab to aadi or vartika ki b jodi bn hi jayegi

  3. Bahut hi badhiya part hai maam ❤️.
    Ab kon sa Naya bomb fodne wali hai aap? Daar lag raha hai soch kar. Waiting for next part.

  4. Shitij to thik hai ab.. ab kya Naya dhamaka karne Wale ho aap. . Aadi ki badiya class lagi..
    Menka ne Vivek ko galt samjha.. ab Vivek kya use maaf kar dega…

  5. बहुत ही मनमोहक भाग, तो क्या दीवान परिवार विवेक को माफ करके अपनाएगा??

  6. क्या विवेक को दीवान फैमिली से माफी मिलेगी और आदित्य वर्तिका का साथ हो पाएगा

    1. 💜💜💜💜💜💜💜💜💜💜💜💜💜💜💜💜🧡💛💚💚💚💚❤️🤎💚💛🧡♥️🤎💜💙💙💙💙💙💚💛💛💛💚💚🧡

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