Kahanikacarvan

बेइंतहा सफ़र इश्क का – 207

अब तक की सारी इन्क्वारी पांडेय को बताता हुआ जय

जैसे खुद में मंथन कर रहा था|

“पांडेय जितना मैं इसे समझता जा रहा हूँ ये केस उतना ही उलझता जा रहा है – जिससे मिलो वही स्टैला का कातिल लगता है|”

“!!” मुंह खोले पांडेय सुनता रहा|

“अभी एडिटर से मिला तो उसके पास भी क़त्ल का मोटिव है – उसने उसे भी परेशान कर रहा था – जितने भी इन्टरव्यू लेती थी वो सब भी जैसे उसके शिकार होते थे – तो उस तरह से वो सब भी उसे जिन्दा तो देखना नही चाहेंगे – कुल मिलाकर बड़ी कु…..चीज थी|” वह उस शब्द को दांत पीसते हुए बोलता है|

सामने बैठा पांडेय इधर उधर ताकने के बाद कहता है – “बोल लो साहब पूरा शब्द |”

जय भी आँख दबाते बोलता है – “ये उससे भी ज्यादा पहुंची हुई चीज थी -|”

“सही साहब जी !!”

“हाँ वो जाने कितनो को ब्लैकमेल कर रही थी – आकाश दीवान से लेकर एडिटर तक उसका सताया हुआ था और अगर हम हत्या के मोटिव वाली थैयोरी पर सोचे तो उसे मारने का मोटिव कोई पैसा या प्रोपर्टी जैसा तो है नहीं – और जिस तरह से उसे मारा गया है उससे तो यही लगता है कि कोई उसकी शक्ल भी नहीं देखना चाहता था – फिर वो कौन हो सकता है – वो जो उसके जिन्दा रहने से खुश नही था – अब इतने सारे लोगो में सही हत्यारा खोजना मुश्किल हो गया है |” जय अब टहलता हुआ कहने लगा – “उसे मारने का मोटिव तो लगभग सभी के पास था – एडिटर जो उसे नौकरी से निकालना चाहता था पर कर नहीं सका – रंजीत राय बिजनेसमैन का नाम भी आ रहा है – उससे भी वह दुश्मनी मोल ले चुकी थी क्योंकि वह इंटरव्यू देना नहीं चाहता था और वो उसे मजबूर कर रही थी – स्टैला की फैमिली कोई थी नही – अब बचता है ये दीवान – शक की धुरी दीवान पर ज्यादा है क्योकि वो क्राइम सीन में मौजूद था |”

इस पर पांडेय तुरंत ताली बजाते हुए कहता है – “लो सर जी आप तो बड़े साहब जी की तरह ही सोचने लगे – वो भी उसे ही कातिल मानते है – |”

“हाँ अब कुछ कुछ यही लग रहा है – उसका पीए भी यही बता रहा था कि वह इस बात की कोशिश भी कर चुका था तो क्या इस बार भी उसने इसकी कोशिश की या किसी से करवाई – कही ऐसा तो नहीं कि वह यही देखने वहां आया हो कि उसका काम हुआ या नहीं – |”

“लो सर जी ढूंढ लिया कातिल आपने – अब इस तरह से आप तो बड़े साहब की टीम के ही निकले – वो तो कब से दीवान पर ही शिकंजा कसे है – सुना तो ये भी है कि कमिश्नर साहब ने पहले ही कह दिया था कि दीवान को पकड़ो – हाँ पर पहले छोटा भाई पकड़ में आया था अबकी उनकी नज़र बड़ी मछली पर है |”

पांडेय अपना बोले जा रहा था और वही जय अपनी ही सोच में गुम एकदम से कह उठा – “कातिल वो भी तो हो सकता है इसका इंटरव्यू कभी लाइम लाइट में आया ही न हो !! हो सकता है उसने इसी कारण उसे मारा हो ताकि वह कभी किसी की नज़र में आए ही न !!”

“है सर जी ? आप को दिमाग घुमाए दे रहे है – जब सब क्लियर होने लगता है आप नया सस्पेंस खोल देते है – जब दीवान को सब कातिल मान रहे है फिर आपको किस बात की दिक्कत – कातिल पकड़ा गया वही समझो केस सोल्व – बस फिर यहाँ हमारा महीना भर पूरा हुआ और हम अपनी दिल्ली में चले जाएँगे |”

“जाना तो है पर इस केस कप सोल्व करके – |”

“अब तो सोल्व ही हो गया न सर जी |”

“सोल्व नही हुआ बल्कि ऐसा लगता है जैसे हमारा ध्यान भटकाया गया है – मतलब जो खुद इतनी टेढ़ी खीर है उसका केस कैसे इतना क्लियर हो सकता है – हत्यारा आता है और कोई सुराग नही – और फायर सेफ्टी ऑन होता है जिससे बचे क्लू भी खत्म हो जाते है – और उसका ऐसे होटल में जाना जहाँ सीसीटीवी की नज़र है ही नही – मतलब एक साथ इतने सारे क्लू – पांडेय – कुछ तो बीच में मिसिंग है – हत्या और हत्यारे के बीच में कुछ तो है – उसे ही खोजना है -|”

“आप खोजते रहिए सर जी और यहाँ केस खत्म भी होने जा रहा है |”

“क्या मतलब ?”

“आपको पता नही – बड़े साहब तो आज पूरे लाव लश्कर के साथ निकले है दीवान मेंशन |”

“क्या !!!”

“हाँ सर जी |” पांडेय अब जय के उड़े हाव भाव देखता आराम से बैठता हुआ हामी में सर हिला देता है|

***
उस वक़्त दीवान मेंशन का तूफान जैसे हलकी नींद में था जिसे एक हलके झटके में ही जगा कर चौंका दिया गया था| सबकी नज़रे उस दरवाजे की ओर थी जिसके कांच के परे से वे साफ़ साफ़ देशमुख को आता हुआ देख पा रहे थे जबकि बाहर वाला अंदर का हाल नही ले सकता था|

उस वक़्त उसका वहां आना सबपर दहशत की तरह गुजरा था| किरन के तो हाथ पैर ठन्डे पड़ गए| अरुण पर क्या दुबारा गिरफ़्तारी की तलवार लटकने वाली है ये सोचते उसके होश फाकता हुए जा रहे थे| चिंता तो खैर सबके चेहरे पर थी| आकाश भी अपनी जगह वही ठहरा रह गया|

जब तक सभी कुछ प्रतिक्रिया कर पाते वो पुलिसवाला अंदर प्रवेश कर गया था| वह सबसे आगे था और उसने इशारे से बाकि पुलिसवालों को पीछे कर रखा था| उसे देखते दीवान साहब वहां बैठे न रहे और उठकर उस दिशा में चल दिए| अरुण भी उनके साथ ही था|

देशमुख क्या करने आया है ये जानना तो जरुरी ही था| दीवान साहब कुछ पूछते उससे पहले ही वह उन्हें तंज भरी मुस्कान से देखता हुआ कहने लगा –

“आप खुद ही स्वागत के लिए चले आए – अच्छा है |”

“यहाँ क्यों आए हो ?”

“अब नाशता करने तो आया नही होंगा – |”

देशमुख की बात पर सभी उसे चिढ़कर देखने लगे|

फिर वह अपनी पॉकेट से एक कागज बाहर निकालते हुए कहता है –

“आज पूरी तैयारी से आया हूँ – ये रहा वारंट |”

वह कागज को ठीक उनकी निगाह के सामने खोल देता है और उसके ऐसा कहते सबके चेहरे का तनाव जैसे चार गुना बढ़ जाता है| किरन जो अरुण के पीछे ही थी एकदम से उसके बगल में आती उसकी बांह डर कर थाम लेती है|

सहमे हुए हाव भाव तो सबके चेहरे पर थे| दीवान साहब तुरंत अपना मोबाईल उठाते हुए कहने लगे –

“मुझे अपना वकील बुलाना पड़ेगा |”

देशमुख आगे आता हुआ कहता है – “बिलकुल – आप आराम से बुलाते रहिए पर उससे पहले मुझे अपनी कारवाही पूरी करने दीजिए – ये वारंट है और इससे सम्बंधित अबकी सबूत भी है मेरे पास – वो तो खैर उससे परिचित होने के लिए कोर्ट भी आपको मौका देगी -|”

“तुम कुछ भी फर्जी सबूत पेश करोगे और हम मान जाएँगे – मेरा बेटा जब उस स्टैला को जानता ही नहीं तो उसके खिलाफ सबूत कैसा ?”

कहते हुए दीवान साहब थोडा आगे होते हुए अरुण को अपने पीछे आड़ में ले लेते है| इस वक़्त उनके चेहरे पर गहरा तनाव नज़र आ रहा था| वे इस तरह से तने हुए खड़े थे जैसे आज वे हाथो से ही उसे रोक लेंगे|

सभी बारी बारी से एकदूसरे को यूँ दहशत से देखने लगे जैसे अगली सांस का सफ़र उनके लिए मुश्किल हो रहा हो|

आकाश के हाव भाव तो सपाट बने हुए थे जबकि अरुण कुछ न कह पाने के तनाव से गुजर रहा था|

दीवान साहब जो कुछ सोच रहे थे अचानक से उसमे करंट सा दौड़ गया| देशमुख आगे आता हुआ अब अरुण की ओर देखता हुआ कहने लगा –

“आज आपको थोड़ी राहत दे रहा हूँ |” कहते हुए वह आकाश की ओर मुड़ता हुआ जल्दी से कह उठा – “ये वारंट आपकी गिरफ़्तारी है |”

ये सुनते आकाश के हवास ही गुम होने लगे| वह अभी अभी तो अपने जीवन के तूफान से लड़ता खड़ा ही हो पाया था और इस दूसरे तूफान ने उसके पैर ही एकदम से उखाड़ दिए|

“मेरे पास गिरफ़्तारी का वारंट है इसलिए बिना कोई सीन क्रिएट किए मिस्टर आकाश दीवान आप चलिए मेरे साथ |”

क्रमशः………

18 thoughts on “बेइंतहा सफ़र इश्क का – 207

  1. Ohoo mtlb Akash ab salakho k piche pr ye proof to hua nhi ki Akash ne he marder Kiya ho waise bhi stela k bahut dushman the pr dekhte hi sachhai kb kis tarah samne ati hi

  2. Very nice part ma’am. Stella ka suspense to khatam hi nahi ho raha hai yaar. Lagta hai koi naya dhamaka
    Karne wali hai aap.waiting for next part.

  3. Nice part। Ab akaash ke khilaf kya saboot dhoondh liye Deshmukh ne Jo itna khush ho rhi hai or diwan’s pe apna hukum jhaad rha hai

  4. Nice part। Ab akaash ke khilaf kya saboot dhoondh liye Deshmukh ne Jo itna khush ho rhi hai or diwan’s pe apna hukum jhaad rha hai

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