Kahanikacarvan

बेइंतहा सफ़र इश्क का – 209

वो पल सबसे असहनीय बन गया जब दीवान साहब ने आकाश को हर तरह से आहत किया| भलेही आकाश सर झुकाए चला गया पर उसके जाने का अहसास देर तक सभी वही महसूस करते रहे|

अगले ही पल जब एक तरफ पुलिस आकाश को लेकर निकली वही दूसरी तरफ डॉक्टर की एक टीम मेंशन में प्रवेश करती है| दीवान साहब कही जाना नही चाहते थे इससे डॉक्टर को वही बुला लिया गया| उस पल वहां का माहौल ऐसा लग रहा था मानों कोई तूफान अभी अभी वहां से गुजरा हो|

भूमि के पास तो कहने को कुछ था ही नही वह मौन ही वहां से क्षितिज के पास चली गई| दीवान साहब का परिक्षण डॉक्टर कर रहे थे तो वही बाहर मेनका टहलती घूमने लगी| अरुण सर पकडे वही बैठ गया| किरन वही उसके पास बैठी थी पर ढाढस बंधाने को एक भी शब्द वह न जुटा पाई|

अभी कुछ पल बीता ही था कि रही सही कसर एक फोन कॉल ने पूरी कर दी| उस पार माधव था जो कह रहा था –

“सर आर्डर डिस्पैच का समय नजदीक है और फैक्ट्री में मजदूरो ने टूल डाउन कर दिया है क्योंकि एक मजदूर ऑन वर्क इन्जरर्ड हो गया है – आप तुरंत आइए – वे सभी हंगामा मचा रहे है|”

कॉल डिसकनेक्ट करते अरुण एक नज़र उस दिशा की ओर देखता है जहाँ दीवान साहब का निरिक्षण करने डॉक्टर गए थे तो दूसरी नज़र किरन को देखता है| मौन जैसे सब समझ लिया गया| अंदर का तूफान सँभालने को खैर वह थी ही पर बाहर का तूफान तो बस अरुण के भरोसे था| किरन आँखों से सांत्वना देती उसे विदा करती है|

***
आकाश की गिरफ़्तारी की खबर उस वक़्त शहर की सबसे बड़ी खबर बन गई| हर तरह के मीडिया में बस यही चल रहा था तो जाहिर सी बात है दीवान मेंशन से लेकर उनके ऑफिस तक खोजी रिपोटर घूमने लगे| सब से बच कर अरुण को निकलना था| इस वक़्त उसे फैक्ट्री के लिए निकलना था पर वहां न जाकर वह अपने ऑफिस के लिए निकल गया|

वह माधव को जरुरी निर्देश देता हुआ कह रहा था –

“मुझे यहाँ एक जरुरी काम है इससे मैं फैक्ट्री नही जा पाउँगा तुम ब्रिज जी के साथ वहां की सिचुवेशन समझकर मुझे उसका अपडेट दो |”

ओके कहता वह ज्योंही जाता है अरुण तुरंत मोबाईल का स्क्रीन देखता है जहाँ अभी का किया सन्देश का उत्तर आया था| अरुण ने योगेश से आदित्य को लेकर अपने ऑफिस बुलाया था और जवाब में उसने हाँ का सिम्बल भेजा था|

इतने समय तक अरुण मीडिया अपडेट लेने लगता है| हर तरफ आकाश को एक अपराधी की तरह प्रदर्शित किया गया था इससे हर जगह बस यही न्यूज चल रही थी| भन्ना कर अरुण उसे बंद कर देता है|

योगेश की तत्परता थी कि वह आदित्य को तुरंत खोज निकालता है| वह इस वक़्त किसी पीवीआर में आराम से पसरा हुआ एवेंजर्स की मूवी देख रहा था और ब्रेक टाइम होते वह एक तरफ बगल में बड़ा सा पॉपकॉर्न का पैक तो दूसरे हाथ में जम्बो बर्गर लिए था| तभी योगेश ने उसे बस धरदबोचा और उसकी कितनी भी नानुकुर करने पर भी उसे लिए हुए अरुण के ऑफिस के लिए निकल पड़ा|

रास्ते भर योगेश कार ड्राइव करते हुए एक बार भी उसकी तरफ नही देखता पर आदित्य बुरी तरह से खार खाया हुआ उसे घूरता हुआ कहता है –

“ये किस तरह का तरीका है – लोगो को ओपोइन्मेन्ट लेते देखा है पर अपने काम के लिए वकील का ही अपहरण कर लिया – केस कर दूंगा आप पर |”

“मेरे भाई जरुरी है – अब तुम्हे जब तक बात समझाता तब तक देखो हम पांच किलोमीटर चले आए |”

“ऐसा भी क्या आफत आ गई और आपने तो बोला था कि वर्तिका भी है आपके साथ |” वह एक भव उठाता हुआ कहता है|

“वो गलती से निकल गया होगा मुंह से |”

“धोखा हो रहा है मेरे साथ |”

“अच्छा चलो जब तक पहुँचता हूँ तब तक अपना बर्गर खा लो – नहीं तो मन ही मन गाली देते रहोगे |”

“गाली नही – मैं आपके नाम पर वारंट जारी करने वाला हूँ कि ये शख्स मेरी कमजोरी का फायदा उठाकर मुझे ब्लैकमेल करता है – वैसे बता हूँ मैं अभी कोई नया केस नहीं ले रहा |”

“नया नहीं है – अरुण के पास चल रहे है |”

“है !! फिर कुछ हो गया क्या ?”

“लगता है मूवी के चक्कर में तुमने न्यूज नही सुनी – अरुण के बड़े भाई आकाश दीवान को गिरफ्तार कर लिया गया है |”

“क्या !! ये चल क्या रहा है – ये कोई खेल चल रहा है क्या पहला छोटा अब बड़ा भाई !!!”

“भाई जिंदगी खेल रही है उनके साथ – देख आदि तुमसे बहुत उम्मीद है – अपना वकील छोड़कर उसने तुम्हे चुना है तो समझो न इस बात को |”

“हाँ सब छोड़ छोड़ कर ही अपनाने है मुझे |”

आदित्य कुछ इस तरह अपनी बात कहता है कि योगेश एक बार को नज़र घुमाकर उसकी ओर देखता है| आदि ने हँसी हँसी में मन ही बात कह दी थी|

जल्दी ही वे ऑफिस में प्रवेश कर रहे थे और अगले ही पल बिना किसी ओपिन्मेंट के वे अरुण के सामने बैठे हुए थे| आदित्य को देखते दो पल को अरुण चौंक जाता है| वह डॉटेड शर्ट के साथ कार्गो पेंट पहने था और उसके हाथ में पोपकोर्न का पैक अभी भी था जिससे वह निकाल निकालकर खा रहा था| दो पलको उसकी शक्सियत किसी भी एंगल से वकील की नहीं लग रही थी|

ये हिचकिचाहट योगेश पकड़ता हुआ कहता है – “अब तूने इतना कम समय दिया तो बेचारा जिस हालत में उसी में लिवा लाया – बाइक तक इसकी पार्किंग में छोड़ रखी है|”

आदित्य अब पॉपकॉर्न किनारे रखता थोड़ा भव चढाए बरी बारी से उन दोनों को देखता है तो अरुण माहौल को थोड़ा सहज करता हुआ कह रहा था –

“थैंक्स आदित्य – सच में इस मुश्किल समय बस एक तुम्हारा ही ख्याल आया |”

अब वह भी खुद को सामान्य दिखाता पानी का गिलास लेता हुआ पूछता है –

“इस्ट्स ओके – इस बार तो कम से कम सांस तो ले पा रहा हूँ पिछली बार तो आपके दोनों दोस्तों ने मुझे सांस भी नहीं लेने दिया – वर्तिका तो सारा समय मेरे साथ रही |”

न वर्तिका सही पर उसका नाम लेकर ही आदित्य खुश हो लेता है|

“वैसे बात क्या है ?”

आदित्य की बात से अरुण समझ गया कि उसने जरुर न्यूज नही सुनी होगी इससे वह पुलिस का आना और आकाश को गिरफ्तार किया जाना सब उसे विस्तार से बताता हुआ कहता है –

“मीडिया तो इस बात को इस तरह उछाल रही है जैसे क़त्ल आकाश दीवान ने ही किया – आदित्य – मैं गलत के साथ नही हूँ पर इस बार सच में उन्हें फसाया जा रहा है – सबको स्टैला का मरना दिख रहा है पर इस पर कोई बात नही करता कि उसने कितना मेंटल टॉर्चर कर रखा था – वह औरत ही गलत थी – मैं सौ प्रतिशत श्योर हूँ कि भाई का किस क़त्ल से कोई ताल्लुक नहीं – क्या उनकी जमानत हो सकती है अभी !!”

“वैसे बिना चार्ज लिस्ट देखे कुछ भी कहना मुश्किल है – फिर वारंट के साथ गिरफ्तार किया है तो मामला पूरी तरह से कोर्ट के आधीन है – अब जो होगा कोर्ट से ही होगा – |”

“अभी के लिए क्या हो सकता है ?”

“अपने वकील के तौर पर उनका अप्रुवर साइन और मुलाकात बस |”

आदित्य की बात पर अब कुछ पल को वहां मौन छा जाता है| फिर मौन तोड़ता हुआ आदित्य पूछता है –

“वैसे आप इतना कैसे श्योर है कि क़त्ल से आपके भाई का कोई सम्बन्ध नहीं ?”

इस प्रश्न पर जहाँ आदित्य अपनी नज़रे अरुण पर जमाए था वही योगेश भी थोड़ा सशंकित नज़र आ रहा था|

अरुण आगे कहता है –

“क्योंकि जिस वक़्त मेरे भाई उस कमरे में आए तब मैं भी वही मौजूद था इससे वे इस क़त्ल से वे पूरी तरह से अनभिग्य थे|”

ये सुनते दोनों अब अरुण को देखने लगे वही आदित्य भौ सिकोड़े कहने लगा –

“ओके मैं चलूँगा – शाम तक बताता हूँ आपको |”

एकदम से उसे इस तरह जाते देख अरुण के साथ साथ योगेश भी सन्न रह गये पर आगे कुछ कहने को था नहीं इससे आदित्य के उस रूम से निकलते योगेश अरुण को आँखों से सांत्वना देते आदित्य के पीछे पीछे चल देता है| आदित्य भरसक तेज तेज कदमो से कोरिडोर पार करते लिफ्ट तक पहुंचा फिर अगले ही पल वे पार्किंग में उतरते है| इस बीच उनके बीच बिलकुल भी बात नही होती|

आदित्य योगेश के साथ आया था इससे वे फिर से साथ में बैठे बाहर निकल गए| योगेश को उसका व्यव्हार कुछ अजीब लग रहा था इससे वह उससे कुछ पूछने ही वाला था पर उससे पहले ही आदित्य बोल उठा –

“पता है आप क्या पूछने वाले हो पर उससे पहले ही मैं आपको बता दूँ कि मैं केस नहीं ले रहा|”

अचानक योगेश ब्रेक पर पैर जमा देता है और दोनों झटके से आगे की ओर झुक जाते है|

“पर क्यों ?”

“क्योंकि मैं क्रिमिनल को सेव नहीं करता – आपका फ्रेंड है अरुण दीवान इसलिए मैंने पिछली बार हेल्प कर दी पर इस बार तो हद है – एक भाई दूसरे भाई को बचा है वो भी ये कहकर कि मैं वहां मौजूद था तो दूसरे भाई ने क़त्ल नही किया – वाह क्या बात है ?”

“तुम अरुण को गलत समझ रहे हो ?”

“मैं तो उन्हें जानता भी नहीं बस वर्तिका के लिए वो सब किया लेकिन मेरे भी कुछ उसूल है – मैं गिल्टी को डिफेंस नही करता|”

अब कार सड़क के किनारे रुकी थी और पलक झपकते आदित्य कार से उतरता हुआ सड़क पर आ जाता है| जब तक योगेश उसे रोकता हुआ कुछ कहता आदित्य टैक्सी में बैठकर जा चुका था|

क्रमशः…….

15 thoughts on “बेइंतहा सफ़र इश्क का – 209

  1. Ab ky karega Arun kaise akash ko bachayega pr ye proof bhi to nhi hua ki akash n he stella ko mara hi fir ab aage ky

  2. Ab aakash ka kya hoga….aaditya ne to case lene se mna kr diya h……ab aaditya ko case ladne ke liye kese manayege……

  3. Agar main is novel ko book ke roop me pad rhi hoti to pakka hai k saari padne ke baad hi uthti ya koi aur kaam karti..
    Aage kya hoga ye Janane ke liye dil bas machal k reh jata hai..
    Ab to aap ko dono taraf agyat bhi aur bhi jaldi Lana padega part..
    Aadi ne Arun ki baat Puri suni bhi nhi aur use guilty ghoshit kar diya..
    Ab kaun karega madad

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