
बेइंतहा सफ़र इश्क का – 215
अरुण और विवेक साथ में बाहर निकल रहे थे| उस वक़्त अरुण के हाव भाव में गहरी चिंता समाहित थी जिससे वह विवेक को टोकता हुआ पूछता है –
“भईया ने पुलिस को अपना बयान भी दे दिया तो अब क्या हो सकता है ?”
चलते चलते विवेक हलके स्वर में कहता है –
“पुलिस के पास दिए बयान को कोर्ट कोई तर्जियत नही देता – असल बात है कि कोर्ट में क्या साबित होता है?”
“तो अब क्या करोगे ? क्या उस गुंडे से बात करोगे ?”
अरुण का स्वर कुछ ज्यादा ही परेशान था| वे लगभग बाहर आ गए थे| अब कुछ देर में कोर्ट में आकाश की पेशी थी| अरुण को ये भी लगा कि शायद विवेक उसके साथ चले इससे वह रूककर कार की ओर देखता है, राजवीर भी कार का पिछला गेट खोलकर खड़ा था| विवेक अब उसकी ओर मुड़ता हुआ कहने लगा –
“अब जो होगा सब कोर्ट में होगा और मैं समय से कोर्ट पहुँच जाऊंगा |” कहकर विवेक झट से एक ऑटो रोककर उसमे बैठते उसकी आँखों से तुरंत ही ओझल हो जाता है|
उस वक़्त विवेक का व्यवहार अरुण को अचकचा गया था| वह तय ही नहीं कर पा रहा था कि विवेक के साथ इस केस की क्या भूमिका होगी पर समय ने उसे कुछ और चुनने का मौका ही नहीं दिया था कक्योंकि इतने कम समय में इस वक़्त विवेक ही था जो सब कुछ जानता था पर आगे इस केस को क्या मोड देने वाला है ये उसे देखना था|
विवेक के जाते अरुण भी अब वहां से निकल गया| उसने कार कोर्ट की ओर मुडवा ली|
***
विवेक कोर्ट जाने से पहले अपने घर वापस आता है क्योंकि वह ट्रेन से सीधा अरुण के पास गया था| कमरे का लॉक खोलकर वह जैसे ही कमरे में घुसा उसे पीछे से धक्का लगता है और वह तुरंत ही पलटकर देखता है|
“सेल्विन तुम ?” विवेक एक तीखी नज़र से उसे देखता है|
सेल्विन की हालात उस समय बिखरी हुई थी वह किसी विक्षिप्त की तरह उसके सामने आता उसे फिर से धक्का देता हुआ कहता है –
“तुम कर क्या रहे हो ? ये क्या नया खेल है तुम्हारा ? अगर तुम उस कमीने की सजा को पक्का करने के लिए ऐसा कर रहे हो तो ठीक है लेकिन अगर तुम्हारा इरादा कुछ और है तो..|”
“आराम से बात करो |” वह सेल्विन को खुद से दूर करता हुआ अब एक कुर्सी पर बैठता हुआ उसे ऊपर से नीचे देखता हुआ कहने लगा – “तुमने अपनी ये क्या हालात बना रखी है ?”
“मेरी हालात छोड़ो – मुझपर इस समय क्या बीत रहा है ये सिर्फ मैं ही जानता हूँ पर तुम अपना बताओ – ये क्या कर रहे हो – तुम जिसे बर्बाद करने निकले थे उसे बचाने में कब से लग गए – अपना बदला – अपनी बहन की हालात – सब कुछ भूल गए – या इन सबकी वजह कोई निजी है |” वह जहरीली आँखों से उसे घूरता हुआ कहने लगा|
“मैं पहले ही बता चुका हूँ कि मुझे क्या करना है ये मैं तय कर लूँगा – |”
“हाँ – क्या तय करोगे – मैं देख रहा हूँ – तुम बदल गए हो – तुम वो विवेक हो ही नहीं जो कल तक अपनी बहन का बदला लेना चाहता था – आज क्या हो गया – क्या मेनका के साथ की एक रात की कीमत अदा कर रहे हो |”
“अपनी जबान को लगाम दो सेल्विन – तुम्हारा अहसान है इसलिए इतना सुन लिया –|”
“अबे जा – तू तो चिकना घडा निकला – फट से पैसा पार्टी दिखी और सब भूल गया – वो तू ही है न जो कल तक उसे बर्बाद करना चाहता था और आज क्या हो गया – किस बात ने सब कुछ बदल दिया ?”
“सेल्विन तुम अभी होश में नहीं हो – रूबी की गुमशुदगी ने तुम्हे पागल कर दिया है – |”
“पागल मैं नही तुम मुझे बना रहे हो – इतना बड़ा सबूत पाने का रास्ता मैंने तुम्हे दिखाया और जब वो मिल गया तब क्यों बदल गए ? उस कमीने आकाश के गुनाह एकदम से तुम्हारी नज़रो में कैसे छोटे हो गए ?”
“समय नीति और नियति दोनों तय करता है |”
“अपनी बड़ी बड़ी बातो का जाल तुम ओरो पर चलाना – मुझपर अपनी बातो का जाल मत फेकना – मैंने – मैंने तुम्हे इस आग में जलते और बदले के लिए कुछ भी कर गुजरने वाले हालात में देखा है – फिर अब उस सबका क्या हुआ – एकदम से क्यों बदल गए तुम ? तुम्हे बदला चाहिए था न ?”
“मैं पेशे से वकील हूँ तो बदले से ऊपर इंसाफ को पसंद करूँगा |”
“कैसा इंसाफ – जो पैसो वालो की झोली में हमेशा गिरता है – तू चाहे जो कर ले पर मैं उस कमीने को माफ़ नही करने वाला – उसकी वजह से आज मेरी रूबी मेरे पास नही है – जरुर उसने उसके साथ कुछ बुरा किया होगा – मैं उसे हरगिज छोड़ने वाला नही हूँ – चाहे उसका खून ही क्यों न करना पड़े – मैं उसे नही छोड़ने वाला |” सेक्विन विक्षिप्त की तरह बोले जा रहा था – “मैं उसे मार दूंगा – हाँ उसकी मौत से ही मुझे सुकून मिलेगा |”
“सेल्विन पागल मत बनो – उसपर वैसे भी केस चल ही रहा है और वह इस वक़्त पुलिस हिरासत है – तुम चाहकर भी उसके पास तक नही जा सकते – और अगर कोर्ट जाते वक़्त उसपर हमला करने ही सोच रहे हो तो बस सोचते रह जाओगे |”
“सोचता नहीं रह जाऊंगा बल्कि यही करूँगा – हाँ मैं उसे अब नही छोड़ने वाला –मार दूंगा उस कमीने को – तभी मेरी रूह को चैन मिलेगा |”
सेक्विन पागलो की तरह बड़बड़ाते उसी तेजी से बाहर निकल जाता है जिस तेजी से वह आया था| उसे निकलते देख विवेक अब इत्मिनान से उसके जाने वाले रास्ते को देखता हुआ मेज पर रखे जग से गिलास में पानी डालने लगता है| उस वक़त उसके हाव भाव में गहरा सुकून था|
क्या विवेक सच में बदल गया या कुछ और है इस सबके पीछे…..!! अगला पार्ट होगा सबसे ख़ास……
क्रमशः……..
😱😱😱😱😱😱ab kya hone wala h ji
Ye Vivek kya karne wala hai.. usne to selvin ko aur bhadka diya ke vo akash pe hamla kare.. aur Ruby kaha hai.. uski to koi khabar hi nhi..
अब ये salvin क्या करने वाला है? क्या विवेक बचा पाएगा आकाश को???
OMG ab ky kahani m twist ane wala hi Vivek ka kuch samajh nhi aa raha ki wo Akash ko bachane wala hi ya usko saja dilane wala hi dekhte hi kahani or konsa Naya mod lati hi . Nice part
Vivek ne selvin ko bhadka diya or ab selvin aakash p attack krega to y bat bhi Vivek ko court m aakash ko riha krvane m help kre shayad
Nice 👍👍👍👍
👌👌👌👌👌👌
Very very interesting🤔🤔🤔🙄🙄🙄🙄🤔🙄🙄🙄
Aakhir Vivek ke dil mein hai kya
Ek aur dhamaka kr diya mam…
Mujhe to lagta hai ki salvin ne hi Stella ko mara hai aur Vivek selvin ko pakadwane ke liye yeh kar raha hai abb ye ek guess hi tha baki next part me dekhte hain kya hota hai….
Ye vivek ke irade kuch thik nahi lag rahe hain. Vivek ne use ray to nahi di indirectly ki tu ja aakash ko aise maar de… Jis sakoon se usne pani piya…
Ya diwan ki nazaron mein achcha banne ke liye arun ko bol de..
Doubt ho raha hai is vivek par
Phir ek naya twist kahani me. Aakhir Vivek ka plan kya hai kuch samajh nahi aa raha hai. Ye karna kya chahta hai. Aakash ka kya hoga.
Mujhe b selvin ki tarah hi lg rha h vivek ke dimag me kuch or hi chal raha h…..vo itni aasani se apni bahan ka badla lena bhulne wala nhi h