Kahanikacarvan

बेइंतहा सफ़र इश्क का – 216

अरुण कोर्ट में समय से पहले पहुँच गया पर इतनी भीड़ देख वह अपनी कार में बैठकर ही अपना काम कर रहा था| उसकी नज़रो के सामने लैपटॉप खुला था और वह मोबाईल फोन पर अपने पीए के संपर्क में था| चौबीस घंटे होने जा रहे थे और मजदूर अभी तक टूल डाउन पर अड़े थे| उसकी चिंता जितनी अपने काम पर थी उससे कही ज्यादा उसका ध्यान आकाश पर था|

हियरिंग शुरू होने वाली थी और बार बार उसका बस इसी पर ध्यान चला जाता| कुछ देर में पुलिस आकाश को लिए कोर्ट रूम जाने वाले रस्ते पर नज़र आई| उसे पूरी सुरक्षित दायरे में लाया जा रहा था| कोर्ट के आस पास भीड़ की शक्ल बेहद घनी थी| प्रेस रिपोटर से लेकर पुलिस, काले कोट वाले सभी वहां मौजूद थे|

देशमुख ने आकाश के साथ साथ जय और सिन्हा को खास तौर पर रहने की हिदायत दी थी| बाकि उसे कई सिपाही एक घेरे में लिए आ रहे थे क्योंकि कुछ प्रेस रिपोटर बार बार आकाश की तरफ आने की कोशिश कर रहे थे| अरुण ये सारा दृश्य दूर से देखता मन ही मन दुखी हुआ जा रहा था| आखिर कभी वह भी ऐसे हालात से गुजरा था|

तभी एक चीज थी जिसपर किसी का ध्यान नही गया कि कोई साए की तरह उस भीड़ में घुस गया था| उसके गले में आई कार्ड जैसा कुछ लहरहा रहा था जिससे वह पत्रकार की तरह दिख रहा| उसका एक हाथ पॉकेट में था| वह भीड़ में शामिल होता धीरे धीरे आकाश के करीब जा पहुंचा| एक वक़्त ऐसा आया जब सिपाहीयों का ध्यान इधर उधर चला गया| जय भी आगे पहुंचकर कोर्ट के अंदर जाने का रास्ता बनाने लगा|

तभी माहौल में शोर के बीच चीख पुकार ने ले ली| वह सेल्विन था जो भीड़ में शामिल होता आकाश के ज्योंही पास पहुँचा उसने जेब में छिपा कर रखे एक छोटा छूरे से उसपर वार कर दिया| भीड़ की वजह से वह आकाश के बहुत पास नही जा सका इससे उसकी धार सिर्फ उसकी बांह के को काटती निकल गई|

सिन्हा तुरंत आकाश को अपने घेरे में लेने दौड़ा तो वही सेल्विन वार करके भगाने लगा| पल हर तरफ अफरा तफरी का माहौल बन गया| घायल आकाश को पुलिस घेरे थी तो जय तुरंत ही कोर्ट के गलियारे से भागता हुआ बाहर निकलकर सेल्विन की ओर दौड़ा| ये जय की फुर्ती थी या सेल्विन का पस्त होता शरीर कि इतनी मजबूत कद काठी के बावजूद वह आसानी से जय की गिरफ्त में आ जाता है|

वह उसे दबोचता हुआ दूसरी ओर ले जा रहा था| सेल्विन के पुलिस के पकड़ में आते भीड़ थोड़ी शांत पड़ती है| अब तक ये सब देखते अरुण भी वही भागा चला आया पर पुलिस ने उसे आकाश के नजदीक नहीं जाने दिया|

छूरा छोटा था और सिर्फ उसकी बांह को ही भेद पाया था इससे आकाश को वही फर्स्ट एड दे दिया जाता है| अब पुलिस उसे बैंच पर बैठाते उसकी हालटी का जायजा ले रही थी| ये सब कुछ होता दूर से ही विवेक देख रहा था और जाहिर सी बात है जो कुछ हुआ उसका उसे पहले से ही अंदाजा था|

जब सब कुछ शांत पड़ गया तब विवेक वहां आता है| अरुण उसे देखता हुआ तुरंत उसके पास आता हुआ पूछता है –

“विवेक – क्या पुलिस इन्हें हॉस्पिटल नही ले जाएगी ? क्या इससे सबके बावजूद हियरिंग होगी ?”

इसपर विवेक उसे हाथ से रूककर शांत रहने का संकेत करता हुआ कहता है – “अगर इस बात की जरुरत हुई तो – वैसे अगर हियरिंग टलती है तो नुकसान में हम ही होंगे |”

कहता हुआ वह पुलिस के पास जाकर आकाश की स्थिति का ज्याजा लेने लगता है| वह ज्यादा घायल नही था और सुनवाई के लिए तैयार था| क्योंकि वह इस प्रक्रिया से जल्दी से जल्दी निपटना चाहता था|

आखिर वो वक्त आ गया जब अदालत पूरी तरह से तैयार थी क्रिमिनल ट्रायल के लिए| मुलजिम के कठघरे में बलबन खड़ा था तो उसके सामने वाले वाले में आकाश था जिसकी बांह में पट्टी बंधी थी| जज आ चुके थे जो आदित्य के पिता ही थे और सरकारी वकील केस को उनके समक्ष रखता हुआ बता रहा था –

“माय लॉड – केस की अग्रिम रूपरेखा में पुलिस द्वारा जो जांच की गई और उसके आधार पर जो जो गवाह और सबूतों को इकट्ठा किया गया उन सबको चार्ज में संलग्न कर दिया गया है – उस आधार पर इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर ने स्टैला मर्डर केस में अभियुक्त के तौर पर बलबन को नामजद किया है जिसके अनुसार उसे इस काम के लिए पैसे देने वाला और कोई नही बल्कि मिस्टर आकाश दीवान है जो कहने को समाज में एक सम्मानित बिजनेसमैन है – और इसी धन के मद में चूर वे एक पत्रकार के नाम की बस इसलिए सुपारी दे देते है कि वो उनकी कुछ फोटोग्राफ और वीडियो नही दे रही थी – वे अपना बयान भी दर्ज करा चुके है जिसके अनुसार वे बलबन को जानते है और उन्होंने ही उसे पैसे दिए थे इसलिए सम्मानित कोर्ट से मैं इल्तिजा करता हूँ कि मिस्टर आकाश के अपराध को भी इरादतन हत्या में शामिल होने का आरोपी माना जाए और इनकी बेल को निरस्त करके इनके खिलाफ केस को फ़ाइल करने की इजाजत दी जाए – ताकि पुलिस अपनी जाँच आगे बढ़ा सके – थैंक्यू माय लॉड|”

वकील अपनी बात कहकर अपनी जगह बैठ गया और ये सुनते अरुण का रहा सहा हौसला भी खोने लगा| अब उसकी नज़र अब विवेक पर थी| आकाश तो खैर नाउम्मीदी से खड़ा रहा|

अब जज कहते है –

“डिफेन्स कोंसिल इन आरोपों में आपको क्या कहना है ?”

अब विवेक को आगे आकर अपना पक्ष रखना था|

वह सम्बन्धित ड्राफ्ट जज के लिपिक की ओर बढाकर कहना शुरू करता है –

“ओंरेबल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट – इन्वेस्टिगेशन से अब तक जो बाते सामने आई है इन सबमे से ये बिलकुल प्रूफ नही होता कि मेरे क्लाइंट का इस क़त्ल से कोई भी सीधा सम्बन्ध है –– इस आधार पर मैं इस आरोप को खारिज करने की पेशकश करता हूँ साथ ही बेल का ड्राफ्ट आपके समक्ष प्रस्तुत करता हूँ साथ ही मैं आपका ध्यान इस बात पर भी दिलाना चाहूँगा कि कोर्ट आते वक़्त मेरे क्लाइंट पर एक जानलेवा हमला हुआ जिसे संज्ञान में लेते हुए लिए इन्हें मेडिकल सहायता प्रदान किया जाए |”

“आपको पता है ये केस गैर जमानती ओफेंस के अंतर्गत आता है और बेल के लिए नेचर ऑफ़ ओफेंस, सिविरिटी ऑफ़ ओफेंस के साथ एविडेंस के टैम्प पर निर्भर करता है फिर आप किस आधार पर बेल की अप्रूवल चाहते है – आपका ड्राफ्ट भी ये किसी तरह से प्रूफ नही करता कि आपके क्लाइंट का इस ओफेंस से कोई ताल्लुक नही – |” जज कुछ क्षण विवेक को देखते है पर जब जवाब में कुछ नही कहता तो वे आगे कहने लगे – “सारी स्थिति को देखते हुए मिस्टर आकाश दीवान की तीन दिन की पुलिस रिमांड बढाई जाती है और केस की अगली तारीख दो दिन बाद की दी जाती है – साथ ही मिस्टर दीवान की सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए इसके लिए इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर को ताकीद किया जाता है कि वे इन्हें खास तौर पर सरकारी हॉस्पिटल में कड़ी सुरक्षा के बीच रखे |”

ये सुनते जहाँ आकाश का चेहरा शून्य पड़ गया वही अरुण भी हताश हो उठा पर विवेक जिसके छिपे हाव भाव में एक सुकून सा तैर जाता है|

आखिर क्या होगा आकाश के साथ ? और क्या है विवेक के मन में ? बस अगले पार्ट में पता चलेगा…..

क्रमशः……….

15 thoughts on “बेइंतहा सफ़र इश्क का – 216

  1. Aakhir ye Vivek chahta kya hai..
    Kya madad karne ke bahane use aur nuksaan pohnchana chahta hai..
    Plz uske iraade kya ye batayiye ..

  2. विवेक किस बात का इंतजार कर रहा है, क्या ये आकाश के साथ कोई खेल तो नहीं खेल रहा? अगले भाग का बेसब्री से इंतजार रहेगा जी

  3. Ohoo sab gadbad ho gi esa lg raha tha ki Vivek bel karvana nhi chahta ab Arun ky karega ? Shayad wo Vivek pr bhrosa nhi karega? Pata nhi sb ulazh gaya hi . Dekhte hi .

  4. Vivek janta h jail m rhna kaisa hota h isiliy usne selvin ko uksaya or ab aakash teen din hospital m rhega Jo jail se to shayad thek h

  5. Ar ye Vivek kar ky rha h ar selvin kis chij ka bdla le rha h iski ky past h ar Marne ke liye koi choti chhuri Lata h ky gun kyu nhi laya ar ab selvin ranjeet ka sathi nhi rha ky ye sab dekh ranjeet ky krega

  6. क्या विवेक सच में चाहता है आकाश बरी हो जाए या मन में कुछ और है सेलविन बीच में आ गया है क्या होगा अब 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁,,

  7. Aakash ki vjh se Vivek ko bi jail me rhna pda tha…ab Vivek bi isi ka badla le rha h…3 din or jail me aakash ko dekhna chahta h…3, din bad aakash riha ho jayega….Vivek krega..sb …

  8. Mera to sar ghum raha hai Vivek ke bare me soch kar hi. Ye pata nahi sach me diwan pariwar ki madad kar raha hai ya apna badla le raha hai kuch pata nahi chal raha hai yaar. Early waiting for next part.

  9. Vivek to chahta hi nhi h ki aakash ki jamanat ho….ab sayad hospital me vivek aakash ko marne ki koshish kre or iljam selvin pr aaye….vo sayad usse pahle selvin ko b jamanat dilva de…..last me sayad aaditya hi aakash ki help karega…..or jai b lagatar asli mujrim ko dudh hi raha h

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