Kahanikacarvan

बेइंतहा सफ़र इश्क का – 217

आकाश की रिमांड बढ़ गई थी तो जाहिर सी बात है कोर्ट के बाद से उसे सीधा पुलिस के साथ जाना था और ये देखते अरुण का मन डूबने लगा| वह ऐसा कुछ होना सोचकर आया ही नही था| कम से कम आकाश को बेल ही मिल जाती चाहे केस चलता रहता पर हुआ कुछ ये|

विवेक भी सारे पेपर्स समेटता बाहर निकलने लगा| उसके पीछे पीछे तेजी से आता अरुण से टोकता हुआ पूछता है –

“विवेक – ये क्या हुआ ? तुमने सही से अपील नही की जिससे बेल भी एप्रूव नही हुई – अब क्या होगा आगे ?मुझे बिलकुल समझ नही आ रहा कि तुम कर क्या रहे हो?”

अरुण की हडबडाहट पर भी विवेक बेहद शांत तरह से कहता है –

“केस लड़ रहा हूँ और क्या?”

“वो तो मैं भी देख रहा हूँ – मुझे तो लगा था आज बेल मिल जाएगी पर तुमने कुछ किया ही नहीं|”

अरुण आक्रोश से कहता हुआ अब ठीक उसके सामने खड़ा उसे स्पष्ट तौर पर घूर रहा था जबकि विवेक पूरी तरह से शांत बना हुआ था|

“तुम सच में कुछ करना चाहते हो या नहीं !!” अरुण संशय से उसे देखता हुआ कह उठा|

अरुण का संशय उसकी आँखों और शब्दों दोनों से झलक रहा था जिस पर विवेक सपाट भाव से कह उठा – “ठीक है जब तुम्हे मुझपर बिलीव ही नही तो तुम अपना वकील बदल सकते हो पर इतना जान लो आकाश तुम्हारी तरह सस्पेक्ट नहीं एक्युस्ड है – इस वक़्त कोई भी वकील उसकी जमानत नही करा सकता – खैर मैं ये सब तुमसे कह क्यों रहा हूँ |”

कहकर विवेक अरुण की नज़रो से हटकर जाने को होता है तो अरुण उसे टोकता हुआ कह उठा –

“बात को समझो विवेक ….|”

विवेक एकदम से उसपर बरस पड़ा – “बात तुम समझो – मैंने अपनी तरह से आकाश की हेल्प ही की – अगर सुबह हुए एसोल्ट का सहारा न मिलता तो अभी आकाश पुलिस रिमांड में होता और जाने क्या क्या पुलिस उससे निकलवा चुकी होती – तुम भूल रहे हो – स्टैला के साथ उसके क्या सम्बन्ध थे |”

विवेक की बात से अरुण सच में सकपका गया|

विवेक कहता रहा – “अभी इस वक़्त मुझे उसे एक्युसड के बजाये विक्टिम साबित करने के लिए वक़्त चाहिए – तो थोडा धैर्य रखना तो बनता है न – अब आकाश ने इतना रायता फैलाया है तो उसे समेटने में समय लगेगा ही – बाकि तुम्हारी मर्जी – तुम्हारे लिए वकीलों की कमी नहीं है |”

कहता हुआ विवेक उसके विपरीत जाने लगा| अरुण विवेक की बात के बाद से वाकई निरुत्तर हो गया था| उसकी कही बात से वह इंकार भी न कर सका| ये वो सच था जिसे उसे हलाहल की तरह अपने कंठ में उतारना ही था| अगर आकाश कातिल नही तो बिलकुल सही भी तो नही था और शायद इसके लिए उसे समय तो चाहिए ही| भलेही इस वक़्त अरुण वकील की फ़ौज खड़ी कर सकता था पर इस समय विवेक ही वक़्त का सही चुनाव था क्योंकि वह सब कुछ जानता तो था ही साथ ही वह भी स्टैला का कही न कही भुक्तभोगी था|  

“विवेक |” आखिर वह उसे आवाज देकर रोकता हुआ उसकी ओर बढ़ जाता है|

“विवेक मैं थोड़ा जज्बाती हो गया था –|”

विवेक उसके प्रतिउत्तर में कुछ नही कहता|

अरुण आगे कहता है – “मैं अब तुमसे नेक्स्ट हियरिंग में मिलता हूँ – अगर उससे पहले तुम्हे मुझसे किसी तरह की मदद चाहिए तो जरुर बताना |”

अरुण की बात पर विवेक कसे हुए हाव भाव के साथ मौन ही हाँ कहता है| अरुण अपनी बात कहकर जाने लगता है फिर कुछ याद करते हुए पूछता है – “अच्छा जिसने हमला किया – उसका क्या ?”

“मैं वो पता कर लूँगा – वैसे मुझे वो कोई पागल लगता है|”

“ठीक है|”

कहकर अरुण चला गया और विवेक अपनी जगह खड़ा उसे जाता हुआ देखता रहा|

***
“सर ये एकदम सही न्यूज है – वो सेल्विन ही है जिसे पुलिस ने पकड़ा है |” ये रंजीत का ख़ास आदमी था|

पल पल की खबरों पर रंजीत भी अपनी नज़र रखे था| अब तक जो हुआ वो सब रंजीत तक पहुँच चुका था बस उसे उसकी वजह तलाशनी थी|

“कई दिनों से सेल्विन जब आपके बुलाने पर भी नही आया तो मैं गया था उसके घर पर वहां भी नही मिला – और तभी मालूम पड़ा कि उसका ज्यादातर वक़्त हॉस्पिटल में कटता था या वह कही भटकता रहता |”

“हॉस्पिटल !!”

“सर वहां रूबी की माँ एड्मिड है – |” रूबी का नाम लेने के साथ ही आगे की बात साफ़ करता हुआ कहने लगा – “रूबी उसकी गर्लफ्रेंड थी – जो आकाश की पर्सनल सेक्रेटी थी – वैसे तो आकाश के सीक्रेट निकालने के लिए वो उसकी लाइफ में शामिल हुआ था फिर शायद उसके प्यार में घिर गया – काफी समय से वो भी लापता है और सेल्विन को लगता है कि इस सबके पीछे आकाश है – उसी ने रूबी संग कोई कांड किया है – क्योंकि वह काफी समय से उसके पीछे पड़ा था – और यही वजह रही होगी कि उसने कोर्ट ने उसपर हमला किया |”

अपनी बात पूरी तरह से कह लेने के बाद वह मौन खड़ा रंजीत के उत्तर का इंतजार करने लगा|

रंजीत कुछ पल मौन रहा जैसे सारा कुछ अपने दिमाग में मथ रहा हो फिर टहलता हुआ कहने लगा –

“सब ठीक है पर नहीं समझ आ रहा कि सेल्विन जैसा आदमी जिसके पास हथियार की इतनी कमी हो गई कि उसने सिर्फ एक छुरी से उसपर वार किया ? क्यों ? क्या ऐसा कोई चाहता था ?”

ये सुनते वह भी अवाक बना सोचता रहा|

“और दूसरी बात ये विवेक इतना कैसे बदल गया ? इसका मुझे शुरू से समझ नही आता था कि ये चाहता क्या है ? और वकील था ये बात इसने पता ही नही लगने दी !! जब आकाश से बदला लेने का सही समय आया तो उसकी मदद करने पहुँच गया ?”

“हाँ सर ये तो है – “

“हाँ में हाँ मत मिलाओ – पता करो – विवेक के पीछे लगो और सच का पता लगाओ – और हाँ सेल्विन की जमानत का पता करो – |”

“जी सर |”

तभी केबिन में आहट करते सुकेस प्रवेश करता है जो कुछ ज्यादा ही हडबडाया हुआ था|

उसके उड़े उड़े हाव भाव देखते रंजीत पूछने लगा –

“ऐसे भागे भागे कहाँ से आ रहे हो ? कई आग लगी है क्या ?”

“नो सर लगी आग पर तो पानी फिर गया |”

“तुम अपनी बात सीधे सीधे क्यों नही कहते – बोलो क्या हुआ ?”

“सर वो जो केस जो दीवान कम्पनी की ओर से यूरोपियन कम्पनी पर किया गया था उसका रिजल्ट तो उल्टा हो गया – मतलब जो आप सोच नही सकते वो हो गया –|”

सुकेस का अंदाज ही रंजीत को हैरान कर गया और आगे का सुनते तो उसकी भव और भी तन गई| उस पल उसे समझ नही आया कि दीवान का समय खराब चल रहा है या उसका फेका जाल ही गलत पड़ा !!

***
पुलिस की हिरासत में सेल्विन था और उसकी हालात इस समय किसी पागल से कमतर नज़र नहीं अ रही थी| रूबी कई बार उस नौकरी को छोड़ना चाहती थी पर आकाश के सीक्रेट निकालने के चक्कर में वह उसे वही रुके रहने को कहता रहा| उस पिछली रात भी वह परेशान थी फिर भी उसने उसके लिए कुछ नही किया और आखिर रूबी पर मुसीबत आ ही गई| और यही आत्मग्लानी से जीने नहीं दे रही थी|

उस मासूम लड़की की क्या गलती थी उसने तो सच्चा प्रेम किया और उसके प्रति समर्पित रही पर उसके बदले में वह लगातार उसे धोखा देता रहा| आज समय ने उसे इतना समय भी नही दिया कि वह उसके आगे अपना सच स्वीकार सकता और यही बात उसे अंतरस हताश किए दे रही थी|

वह जाने कहाँ कहाँ उसे खोजता फिर रहा था लेकिन अभी तक वह उसकी तलाश नही कर पाया| और उसकी माँ जो रोजाना अपनी बेटी के इंतजार में रहती उसकी ओर उम्मीद से देखती पर वह हर बार निरुत्तर हो जाता|

जय ने सेल्विन को पकड़ा था और कोर्ट के बाद से वह उसका इंट्रोगेट करने वाला था| तभी विवेक वहां आता है और अपना परिचय देता हुआ कहता है –

“वैसे मुझे ये पहली नज़र में पागल ही लगता है पर इसने मेरे क्लाइंट पर हमला किया है तो थोड़ी पूछताछ तो बनती ही है |”

जय विवेक को उपर से नीचे देखता हुआ उसे जाने देता है|

विवेक बेहद सधे हुए हाव भाव के साथ सेल्विन की सेल की ओर बढ़ गया| उस वक़्त वह झुका हुआ फर्श पर बैठा था उसकी गर्दन इतनी झुकी थी कि बस फर्श को ही छूने को आई थी| विवेक अपने आस पास किसी का होना न देख सेल्विन को धीरे से पुकारता है|

पुकार पर भी सेल्विन की कोई भंगिमा नहीं बदलती तभी विवेक धीरे से कहता है –

“सेल्विन मुझे पता है तुम मुझे सुन रहे हो – देखो दोस्त इस समय जो हालात है उसे समझो – तुम पुलिस को कुछ मत बताना फिर तुम्हे देखकर पुलिस तुम्हे पागल समझ कर कुछ दिन में छोड़ देगी – देखो अगर रूबी का नाम जरा भी लिया तो हो सकता है वह भी इस केस में सस्पेक्ट बन जाए – आज नही तो कल रूबी मिल ही जाएगी नही तो मैं ढूँढूँगा न उसे – तुम मुझपर विश्वास करो – |”

विवेक ये कहता है और उसी पल सेल्विन चेहरा उठाकर उसकी ओर देखता है| उस वक़्त उसके हाव भाव बेहद बिखरे हुए थे|

“देखना ये जयादा देर तुम्हे जेल में रख नहीं पाएगे बस तुम कुछ मत कहना – चलता हूँ |”

विवेक अपनी बात कहकर चला गया और सेल्विन वैसा ही बुत उसे जाता हुआ देखता रहा|

जो बात कोई नही समझ समझ सका जो सारा कुछ प्लान था| बाहर निकलते निकलते विवेक पिछला हर के चीज याद करने लगा कि जब उसे लगा उसके रास्ते में सेल्विन रोड़ा बन सकता है तो उसी वक़्त उसने उसे भड़काया और बातो बातो में फल काटने वाली छूरी मेज पर से उसकी नज़रो के सामने कर दी और सेल्विन समझ नही पाया कि वह उसके दिमाग से खेल गया|

बाहर निकलते ऑटो में बैठते विवेक के चेहरे पर कुछ अलग ही भाव थे| वह पर्स निकालकर उसमे लगी अपनी बहन की तस्वीर देखते हुए खुद में बुदबुदा उठा –

‘आपके लिए मैं सारी दुनिया से दुश्मनी मोल ले सकता हूँ दी – आप जो चाहती थी वही होगा – अब से आकाश दीवान के जीवन में क्या होगा सब मुझपर निर्भर करेगा |’

क्रमशः……………………..

15 thoughts on “बेइंतहा सफ़र इश्क का – 217

  1. Vivek aakash ko ese maf nhi krne vala.h.

    jha chah shi ho vha rah apne ap bn jati h…lgata h utopian company ne Arun ko sb machine thik krje de di h…Bina pese ke……

  2. आकाश को कुछ सजा तो होना ही चाहिए बहुत लोगो के साथ गलत किया है उसने विवेक क्या करने वाला है पता चलेगा आगे

  3. Vivek kya karna chahta hai.. ranjeet ke sath sath mujhe bhi samajh nhi a rha .. uska iraada abhi tak clear nhi hai.. ya shayad vo akash ko apne haatho ki kathputli bnana chahta hai.. jaisa k vo karta tha .
    Ruby kaha gyi??

  4. Vivek esa ky krega ab ar ha mem ye Rubi achanak se kha gayab ho gi iska jikar khi nhi aaya khi vo gunde to nhi utha le gye fir se Rubi ko akhir kha gi vo esi Jo kisi ko nhi mil rhi

  5. Sab kuch Vivek ne hi karwaya tha.
    Ye sirf aakash ki life apne control me karna chahta hai. Hamare Jay Babu kuch kaamal kab karenge ma’am.
    Waiting for next part.

  6. Vivek bahut minded h or vo apne dimag ka pura use kr rha h….vo chahta hi nhi h ki aaksh ko saza na mile…..aakhir ab uske irade b jahir ho hi gye h

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