Kahanikacarvan

बेइंतहा सफ़र इश्क का – 4

ये वो कोठी थी जो अंदर से ढेरो कमरों में तब्दील हो जाती थी| मानो वे कमरे न होकर ढेरों रास्ते हो जिस पर चलते हर शक्स की अलग अलग राहें थी फिर भी कुछ अहसास शेष थे यहाँ अरुण के लिए जिसके कारण उसकी बगावत कभी वह अपना ज्यादा सर नही उठाती थी और अपने पिता के बनाए नियमो के ढर्रे पर चुपचाप वह चलता जाता था|
अरुण अपने कमरे में आते तुरंत सिगरेट जलाते उसके जल्दी जल्दी गहरे गहरे कश लेने लगता है| अभी पहली सिगरेट खत्म करते दूसरी होठ से लगाई ही थी कि कमरे के दरवाजे के खुलने की आवाज के साथ अपनी भाभी की आवाज सुनते झट से सिगरेट अपने पीछे फेंक कर जल्दी से जूते से उसे मसलते हुए हवा में हाथ हिलाते हुए सिगरेट का धुँआ हटाने लगता है|
“अरुण – ये क्या – अभी तक ऐसे ही खड़े हो और ये महक…!!” अन्दर आते ही भूमि हवा को सूंघती हुई अंदर आती है और उसके पीछे पीछे एक नौकर ट्रे में नाश्ता लिए आता वही टेबल पर उसे करीने से सजाने लगता है|
अरुण भाभी की बात पर तुरंत नौकर की ओर बढ़ता हुआ पानी का गिलास लेता हुआ बिस्तर पर बैठकर उसे एक सांस में हलक में उतारते हुए कहता है – “ओह थैंक्स – तब से इसी की तलब थी मुझे |”
भूमि चलती हुई अब अरुण के बगल में बैठती हुई उसके सर पर हाथ फेरती हुई धीरे से कहती है – “जो तलब सेहत पर भारी पड़ जाए वो ठीक नही अरुण |”
इस पर अरुण फसी सी हंसी के साथ उनकी ओर देखता हुआ झट से उनकी गोद में सर रखे लेटता हुआ कहता है – “तलब तो आपके प्यार की है – नही तो कबका मन की करता ये घर छोड़ चुका होता |”
“फिर वही बात !! कोई अपना घर छोड़ने की बात करता है क्या !! अब देखना तुम इतने समय बाद वापस आए हो तो डैडी जी तुम्हे जरुर तुम्हारे हिसाब से चलने देंगे – आखिर मेनेजमेंट की डिग्री हासिल की है तुमने – अब तुम्हारा अनुभव भी कोई कम नही होगा – इसलिए अब से इस तरह की बात बिलकुल नही – समझा न |” वे प्यार से उसके सर के बाल हौले से खींचती हुई कहती मुस्कराती है|
“लेट्स सी |”
नौकर अपना काम खत्म करके जा रहा था तभी कोई छरहरी युवती धड्धडाती हुई अंदर प्रवेश करती ठीक उनकी नज़रो के सामने खड़ी होती हुई अपनी भरपूर मुस्कान से उन्हें देखती है| अब भूमि और अरुण की निगाह भी उसी पर थी| इससे पहले की भूमि कुछ कहती अरुण जल्दी से कहता है –
“ये कौन है – मैं पहचान नही पा रहा !”
अरुण के ऐसा कहते जहाँ भूमि के होंठो पर मुस्कान थिरक आती है वही वह युवती पैर पटकती उसके बीच जबरन घुसकर भूमि की गोद में अपना सर भी रखकर लेटती हुई कहती है – “खुद चार साल बाद आए है और मुझे नही पहचानते |”
“हाँ अब कुछ कुछ पहचान पा रहा हूँ – कुछ आवाज आ गई इस गूंगी गुडिया में – थोड़ा थोड़ा अक्ष बन रही है मेरा – सुना है बगावत की शुरुवात तुमने भी कर दी |”
अरुण की बात पर भूमि के हाव भाव अब गंभीर हो जाते है| वह जल्दी से कहती है – “अरुण अब से ये शब्द कहना बंद कर दे – जब जब इसे तुम्हारे मुंह से सुनती हूँ तो पता नही कैसा अनजाना सा डर सताने लगता है मुझे |”
“आप क्यों डरती हो भाभी – आपसे दूर थोड़े कही जाऊंगा – बस डैड के नियमो वाली दीवारों से निकलकर बाहर का सूरज देखना चाहता हूँ बस – क्यों मेनका कैसा लगा पहला नियम तोड़ कर |”
अरुण की बात सुनती भूमि सोचती सोचती अब दोनो हाथ से उन दोनों के सर सहलाती हुई कहती है – “पंचगनी से मैंने इसे वापस बुलाया – ये खुद नही आई|”
“क्या सच में मेनका ?”
अबकी अरुण अपनी गर्दन घुमाकर उस युवती को देखता हुआ पूछता है जिससे वह हिचकिचाती हुई कहने लगती है –
“हाँ भईया – मेरा मन नही लग रहा था वहां इसलिए भाभी को बोला तब डैडी ने आने दिया वापस |”
“चलो इसी तरह ही सही |” अरुण फीकी हंसी के साथ कहता है|
“सच में मेरा मन ही नही लग रहा था भाभी के बिना और मैं अपनी पढाई यहाँ भी तो कर सकती हूँ फिर पता नही क्यों डैडी को लगता है कि घर से दूर रहकर ही हम पढ़ सकते है|” मेनका अपनी बात थोड़ा उदासी से कहती है|
“उनके लगने पर लगाम ही कहाँ है – वे तो बस हुकुम सुनाते है – चलो अच्छा ही है – यही रहो |”
अरुण की बात पर अब वह झट से चहकती हुई कहने लगी – “थैंक्स भैया – चलिए एक आप तो मेरी बात समझ गए नही तो तब से बड़े भईया अलग मुझसे खफा है मेरे वापस आने पर – शुक्र है आप उनके जैसा नही हो – वरना कौन घर में दो दो डैडी के बाद तीसरे डैडी को झेल पाता |”
इस एक बात पर तीनो कसकर ठहाका मारकर हँस पड़ते है|
“अरे क्षितिज कहाँ है भाभी ?”
अरुण अब उठते हुए पूछता है|
“वो ! अरे तभी तो लौटने में देर हो गई – अपनी स्पेशल वाली जगह पर ही जनाब को आइस्क्रीम खानी है और फिर एक आइस्क्रीम बडी के लिए भी लाया है – बस उसी को खिलाने गया है –|”
“हाँ ठीक है – नही तो भईया के आते उस बेचारे बडी पर भी पहरे लग जाते है -|”अरुण फिर तंज भरी हंसी के साथ अपनी बात कहता है|
वे जानते थे कि आकाश को कुत्ते कितने नापसंद थे पर अरुण और क्षितिज की जिद्द के कारण ही बडी इस मेंशन में था और जब तक आकाश मेंशन में रहता तब तक बडी को भी जंजीर में जकड़े रहना पड़ता था|
ऐसी ही दुनिया का राजकुमार था अरुण जहाँ उसकी चाहते और नज़रे सबसे बिलकुल अलग थी पर कुछ वजह थी जिनके कारण से उसके लिए ये मेंशन थोड़ा घर बना हुआ था|
अब वे तीनो साथ में मुस्करा रहे थे|
***
दीवान लिमेटेड का सीईओ और दीवान परिवार का बड़ा बेटा आकाश दीवान अपने ऑफिस से निकलकर फौरेन डेलिकेसी संग मीटिंग के लिए अपने आलीशान ऑफिस की बिल्डिंग से निकलकर पोर्च में ज्योंही खड़ा हुआ तुरंत ही एक शानदार कार उसके आगे लग गई और उसके साथ खड़ा उसका पीए दीपांकर तुरंत पीछे का गेट खोलकर उसके बैठते तुरंत ही आगे की सीट पर बैठ जाता है|
कार अभी वही खड़ी थी और दीपांकर आकाश की ओर करीने से झुका हुआ उसे मीटिंग का एजंडा समझा रहा था पर आकाश की नज़र अब कार के शीशे के पार बिल्डिंग के फ्रंट की ओर लगी थी| जहाँ एक फेस्नेबल युवती अभी अभी अपनी जल्दबाजी में गिर गई थी पर जल्दी ही खुद को संभालती हुई वह अपनी मिनी स्कर्ट ठीक करती हुई अपनी फाइल सँभालने लगती है| आकाश की निगाह बस उसे ही घूर रही थी|
दीपांकर अपनी बात कहता कहता अब चुप होकर आकाश की ओर देखने लगा जो अपने सपाट भाव से उससे पूछ रहा था – “कौन है ये लड़की ?”
आकाश के इशारे पर दीपांकर अब मुड़कर उस लड़की को नजरो से तलाशता हुआ देखता है फिर आकाश की ओर देखता हुआ धीरे से कहता है – “सर वो हमारे नए प्रोजेक्ट वाले होटल के रिसेप्सनिस्ट का इंटरव्यू है आज – शायद उसी के लिए आई होगी |”
“मुझे शायद नही कम्फर्म बात पसंद है |” बिना भाव के आकाश कहता है|
जिससे दीपांकर सकपकाता हुआ तुरंत अपने मोबाईल से कही कॉल लगाता है और उसके अगले ही पल आकाश को धीरे से कहता है – “यस सर कंफर्म है – ये इंटरव्यू के लिए ही आई है|”
दीपांकर की बात पर आकाश एक गहरा शवांस चुपचाप भीतर खींचता हुआ फिर एक बार बाहर उसे नज़रो से तलाशता है जो अब सिक्योरटी वाले से कुछ बहस कर रही थी और बीच बीच में अपनी कसी हुई स्कर्ट धीरे से ठीक कर लेती| देखकर लग रहा था जैसे उसने पहली बार इस तरह के कपड़े पहने है पर कपड़े उसके तन से चिपके उसकी काया अच्छे से दर्शा रहे थे|
दीपांकर रुकी कार में बैठा आकाश के अगले निर्देश का इंतजार करता अब सामने देख रहा था|
“इसे नौकरी पर रख लो|”
आकाश के इतना कहते दीपांकर तुरंत यस कहता मोबाईल पर दूसरी ओर किसी को निर्देश देता है|
“लेट्स गो – वी आर लेट फॉर द मीटिंग |”
आकाश के निर्देश पर कार अब सड़क पर अपनी रफ़्तार से भागने लगती है|
जुड़े रहे इस सफर से…
क्रमशः……………….

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