
बेइंतहा सफ़र इश्क का – 51
दोनों की दुनिया बसी भी नही और उजड़ भी गई| जहाँ किरन आधी रात हॉस्पिटल में बेहोश पड़ी थी वही अरुण को तो अपना होश ही नहीं था| हरिमन काका ही थे जो बार बार उसे देखने चले आते पर न अरुण को अपना खुद का होश था और न किसी के आने का| भूमि भी उसे देखने आई पर दरवाजे के खुलने की आहट से ही अरुण एकदम से चीख पड़ा –
“चले जाओ सब यहाँ से – सब चले जाओ मेरी जिंदगी से – मुझे किसी की भी जरुरत नही है – किसी की भी जरुरत नही है|”
अरुण अपनी बिखरी हालत में नशे में चूर चीख रहा था और देहरी पर खड़ी भूमि और वही खड़े हरिमन काका के पैर कांप गए| अरुण ने एक बार भी उनकी तरफ पलट कर नही देखा| भूमि की आँखों से आँसू बह निकले|
हरिमन काका दुखी मन से कमरे का दरवाजा बंद कर देते है| अब व्यथित मन से वे दोनों दरवाजे के पार खड़े थे| भूमि काका की ओर देखती हुई कहती है –
“काका आप कान्हा को बहुत मानते हो न तो क्या मेरी ओर से एक बात कान्हा से पूछेंगे कि हमेशा अच्छे लोगो के साथ ही बुरा क्यों होता है ?”
भूमि का कहा शब्द किसी तीर सा उनके मन से गुजर गया|
***
अपने केबिन में आकाश कही निकलने को व्यग्र था और एक महिला स्टाफ उसे बिजनेस कोट पहनने में सहायता दे रही थी|
“वेअर इज रूबी ?” आकाश उससे सख्ती से पूछता है|
“शी हैज टेकन लीव टुडे सर |”
उसकी बात पर आकाश एक सख्त नजर उसपर डालता हुआ शर्ट की कफ्लिंग दुरुस्त करने लगता है| तभी आकाश का फोन बजता है जिसे उठाते हुए आकाश अब थोड़े नर्म लहजे में कह रहा था –
“यस डैड वही के लिए निकल रहा हूँ – ओके |” आकाश फोन रखते हुए डोर की तरफ देखता है जहाँ से तेजी से दीपांकर अंदर प्रवेश कर रहा था|
इससे पहले कि आकाश उससे कुछ पूछता वह जल्दी से कह उठा – “सर आज जो मिनिस्टर सर के साथ मीटिंग थी वो कैंसिल हो गई|”
“व्हाट !! किसलिए – मेरी तो बहुत पहले की ओपिन्मेंट थी !”
दीपांकर आकाश के हैरान हाव भाव पर कुछ कहना चाहता था पर उस लड़की की ओर देखता है जो अब टेबल पर की फ़ाइल सहेज रही थी| आकाश बात समझता उस लड़की को बाहर जाने को कहता फिर दीपांकर की ओर देखता हुआ पूछता है –
“अब बोलो !”
दीपांकर आकाश की ओर इस तरह देखता है जैसे बहुत कुछ कहना हो लेकिन बेहद सीमित शब्दों के साथ कहता वॉल के एलसीडी का रिमोट उठाते हुए कहता है – “पहले ये देखिए सर |”
अगले ही पल टीवी ओन होते उसमे न्यूज चलने लगती है| एक रिपोटर अपना गला फाड़ती हुई धाराप्रवाह कहे जा रही थी साथ ही अरुण का रिपोटर पर हाथ उठाने वाला वीडियो क्लिप भी बार बार स्क्रीन पर रिपीट हो रही थी|
“ये है दीवान परिवार का असली चेहरा – कॉन्ट्रैक्ट मैरिज का सच सामने आने पर अरुण दीवान ने पार की अपनी सारी सीमा रेखा और रिपोटर पर किया हमला….|”
“ये क्या बकवास है – ये क्या क्या बोले जा रही है – कौन सी कॉन्ट्रैक्ट मैरिज ?” आकाश बेहद हैरानगी से टीवी की स्क्रीन की ओर देख रहा था|
“बंद करो इस इडियट बॉक्स को |” आकाश चीखता है
दीपांकर रिमोट से टीवी बंद कहता हुआ कहता है –
“सर इसीलिए मिनिस्टर साहब के साथ की मीटिंग कैंसिल हुई है – इस समय हर न्यूज चैनल पर यही न्यूज चल रही है |” दीपांकर हिचकिचाते हुए कहता है|
“ये बासटेड रिपोटर्स बस मौके की तलाश में रहते है |” आकाश दांत भींचते हुए कोट जबरन उतारते उसे फेकता हुआ पुनः अपनी जगह बैठ जाता है|
अब दीपांकर को बाहर जाने का संकेत करता वह सिगरेट जलाते हुए कोई परिचित नंबर मिलाने लगता है|
दूसरी ओर से फोन उठाते ही आकाश उसी तल्खी भरे लहजे में कहता है – “तुम नमकहरामो को मैंने क्या बोटी चबाने रखा है – अब तक उस स्टैला का पता चला या नही ! ठीक है आज रात – मैं पहुँच जाऊंगा और अगर कुछ भी गड़बड़ हुई तो याद रखना तुम दोनों को मैं जान से मार दूंगा – समझे – अब रखो फोन |” चीखता हुआ वह रिसीवर रखता हुआ अधजली सिगरेट एस्ट्रे के हवाले करता कुर्सी की पुश्त से सर टिका कर खुद को शांत करने लगता है|
***
एक कैब आकर सीधी योगेश के नर्सिंग होम के ठीक सामने रूकती है| कैब के रुकते ही उसमे से फुर्ती से योगेश बाहर आते तुरंत अंदर की ओर यूँ भागता है मानो उसके पैरो पर किसी ने पंख बांध दिए हो| पेमेंट शायद हो चुकी थी जिससे नर्सिंग होम का एक लड़का योगेश का सामान निकालने लगता है|
“ओह डिअर नैना – तुमने बुके रेडी रखा – |” योगेश अपनी नर्स नैना की ओर देखता हुआ कहता रहा – “मेरा बस चलता न सीधे एयर पोर्ट से अपने यार के घर पहुँच जाता पर सोचा पहली बार मिलूँगा तो जरा पूरी तैयारी के साथ मिलूं अपनी मिसेज अरुण दीवान से – बताओ कैसा लग रहा है मेरा वेडिंग कोट |” वह अपने ही जोश में था जबकि नर्स शांत भाव से उसके सामने खड़ी थी|
योगेश अपनी दोनों बाहें हवा में फैलाए हुए कहता रहा – “मैंने स्पेशली ये कोट लिया कि जरा सूटेड बूटेड होकर मिलूं आफ्टर ऑल अरुण का बीएफएफ हूँ – बेस्ट फ्रेंड ऑफ़ एवर |” अपनी बात पर ठसककर हँसता हुआ योगेश अब अपनी पॉकेट से कोई दो सुनहरी पैकिंग वाले बॉक्स नैना की नज़रो के सामने करता हुआ कहता है – “ये देखो पेरिस से ये रिस्ट वाच ली है – है न गजब की – सोचा दोनों को घड़ी देता हूँ ताकि उन्हें मुझसे मिलने का समय हमेशा याद रहे नही तो ये अरुण तो भूल ही जाएगा मुझे – |”
नैना अभी भी उसी सपाट भाव के साथ खड़ी थी जिससे अब थोडा हैरान होता हुआ योगेश पूछता है – “बुके कहाँ है नैना – मैंने एअरपोर्ट से ही बोला था न लाने को – तुम तो ऐसे खड़ी हो जैसे कोई बहुत बड़े तूफान की चेतावनी देने वाली हो |”
योगेश अभी भी हंस रहा था|
“तूफान तो आ चुका है डॉक्टर |”
“मतलब !!”
नैना अब कुछ न कहती बस एक अखबार उसकी नज़रो के सामने फैलाती हुई एक हेडलाइन की खबर की ओर उंगली करती है|
योगेश बेहद हैरानगी से अखबार को उठाता हुआ सरसरी नजर से खबर पढ़ लेता है| अब उसके हाव भाव अजीब हो उठे थे| वह परेशानी में अपना माथा मसलते हुए कह उठा – “मेरे पीछे इतना कुछ हो गया – अब तो अरुण के पास जाना ही पड़ेगा – काश कोई मेरे यार के साथ ऐसा न करता !”
पल में उसकी खनकती आवाज दर्द में डूबी हुई हो जाती है|
***
रूबी डॉक्टर के सामने बेहद निराश भाव से बैठी उनकी बात सुन रही थी| वे उसकी माँ की अगली कीमो थेरपी पर बात कर रहे थे|
“देखो रूबी सर्जरी के बाद की ये कीमो थैरेपी सबसे जरुरी है – अब जो सेशन सप्ताह में एक बार होता था उसे सप्ताह में दो बार करना होगा – समझ लो महीने में आठ बार |”
“पर ये तो बहुत ज्यादा है डॉक्टर – क्या मेरी माँ इसे झेल पाएंगी क्योंकि हर बार की कीमो थेरेपी के बाद उनके शरीर में बहुत दर्द होता है – तो क्या इतना करना जरुरी है ?” रूबी परेशान होती हुई पूछती है|
“हाँ जरुरी है तभी तो बता रहा हूँ – तुम्हारी माँ को चौथे स्टेज का कैंसर है – अब इस वक़्त अगर थेरेपी या दवाई में कोई कमी की गई तो भी उनका दर्द रिपीट हो जाएगा -|”
“ओह्ह |” परेशानी में रूबी की आह निकल गई|
इस पर डॉक्टर उसकी ओर ध्यान से देखते हुए कहते है – “रूबी तुम्हारी माँ को ओविरियन कैंसर है जो पेरिटोनियम में बुरी तरह से फ़ैल चुका है और उनकी उम्र और स्वास्थ को देखते हुए हम ज्यादा वेट नही कर सकते अगर जल्दी से जल्दी उनकी थैरेपी नही शुरू की गई तो ये बाकी के शरीर में भी फैलता जाएगा और तब उस स्थिति में हमे फिर से सर्जरी करनी पड़ेगी जो कीमो से कही ज्यादा दर्दनाक गुजरती है – समझो इसे तुम – |”
इस पर रूबी को चुप देख डॉक्टर फिर धीरे से पूछते हो – “क्या पैसो को लेकर कोई प्रॉब्लम है तो हम कुछ दिन वेट कर सकते है|”
“नही नही डॉक्टर |” रूबी तुरंत बोल उठी – “आप उनका इलाज तुरंत शुरू करे – मैं कल ही पैसा डिपोजिट कर दूंगी – वैसे कितना खर्च आएगा |” आखिरी शब्द हिचकिचाती हुई पूछती है|
“आठ थेरेपी, कीमो दवाइयों, इंजेक्शन सब कुछ मिलाकर तीन लाख जाएगा -|”
“तीन लाख !!”
“वैसे मैं कोशिश करूँगा कि हमारे हॉस्पिटल की चैरिटी से तुम्हारी कुछ मदद हो जाए फिर भी बहुत गिरी हालत में तुम्हे दो लाख तक पैसा तो जुटाना ही पड़ेगा – आई होप तुम मेरी बात समझ गई होगी |”
“यस डॉक्टर |” धीरे से सर हिलाती रूबी किसी घायल प्राणी की तरह उठती हुई अब केबिन से बाहर हो जाती है|
***
योगेश तुरंत ही दीवान मेंशन पहुँच गया पर अरुण की हालत देख उसका मन कांप उठा| अरुण बिस्तर पर निस्तेज पड़ा था या गहरी नींद में था या बेहोशी में कहना मुश्किल लग रहा था| योगेश की कल्पना में भी उसके दोस्त की ऐसी हालत नही थी| वह उसे एक दो बार पुकारता है पर कोई होश में होता तो सुनता उसकी !! योगेश क्षुब्ध मन लिए उसके रूम से बाहर निकल आया|
वह भाभी से मिलकर पहले पूरा माजरा जानना चाहता था| अब लिविंग रूम में वह भूमि के सामने बैठा था जो सारा कुछ बताती हुई कह रही थी –
“ये होनी थी जो हो गई योगेश – पर ये मिडिया वाले इसे कुछ ज्यादा ही बढ़ाचढ़ा कर दिखा रहे है – उन्हें तो बस लोगो की जिंदगी की चीड़ फाड़ करने में मजा आता है ये सोचे बगैर कि इसका दूसरो की निजता पर क्या प्रभाव पड़ेगा |”
“फिर भी भाभी – किरन का कुछ तो पता किया होगा आप लोगो ने ?”
“क्या पता करे – हम उसे और उसके परिवार को जानते ही कितना थे – हमने तो एकबार भी उसे देखा तक नही – जब उससे मिली ही नही तो क्या कह सकती हूँ कि क्या उसके मन में था – एक बस दादा जी ही उसे जानते थे और वे भी जाने कहाँ चले गए – उनके जाने से अरुण और भी टूट गया – असल में अब उसे लगने लगा है कि इस सबके पीछे बस किरन ही एक वजह है – तो बताओ मैं क्या कहूँ इस बारे में ?”
योगेश भी अपनी ख़ामोशी में मन ही मन गुनता रहा|
भूमि आगे कह उठी – “यहाँ तो अब उसका कोई नाम भी नही सुनना चाहता तो उसके बारे में क्या ही पता करेंगे और इस मीडिया कांड के बाद तो डैडी जी और भी खफा हो उठे है – मैं व्यक्तिगत तौर पर जो कर सकती थी मैंने किया – मैंने राजवीर को उसके पिता के पास भेज दिया उनका हाल जानने और मैं क्या ही कर सकती हूँ –?”
भूमि एक हताशा भरी सांस छोडती हुई आगे कहती है – “अब तभी कुछ होगा जब तक उसके पिता होश में नही आ जाते !”
“ऐसा कैसे हो गया भाभी – सब कुछ कितना अच्छा जा रहा था फिर अचानक क्या से क्या हो गया और ये अरुण की हालत !! मुझसे तो देखी नही जा रही – सोचा था उसकी जिंदगी को खुशरंग होते देखूंगा पर ये स्थिति तो उसे और भी बेजार कर गई – वह कैसे उबरेगा इससे ?” चिंतित भाव से वह भाभी की ओर देखने लगा जिनके हाव भाव में पहले से ही असीम व्याकुलता समाहित थी|
“अब तो सब कुछ वक़्त के हाथ में है शायद इस आने वाले वक़्त में ही अरुण के लिए कोई मरहम छिपा हो |”
वे उम्मीदी से अन्यत्र देखती रही जबकि उनके सामने बैठा योगेश परेशानी में अपना माथा मसलने लगा था|
क्रमशः………….