
बेइंतहा सफ़र इश्क का – 53
बहुत कम ऐसा मौका होता जब आकाश खुद कार ड्राइव करता| इस समय अपने दोनों पाले हुए गुंडों के पास वह कार रोकता जो उसे कही ले जाने को कहते पीछे कार में बैठ जाते है| रास्ते भर उन्हें हड़काते आकाश हाइवे के रास्ते खड़ा था| वह शहर से हाइवे को जाता दोराहा था जहाँ इस समय बहुत ही कम आवागमन था|
“बस आकाश सर यही रुक जाए |” उनमे से एक बोलता है|
आकाश कार को सूने स्थान में रोकता हुआ पीछे पलटकर देखता है जिससे दोनों फट से कार से उतरकर इधर उधर देखने लगते है|
“अब ये बंदरो की तरह इधर उधर क्या देख रहे हो – बोलो कहाँ है स्टैला ?”
आकाश ने अभी कहा ही था कि एक दूसरी कार के आने की आवाज पर उन सबका ध्यान तेजी से अपने विपरीत चला जाता है| एक चटक लाल रंग की शानदार कार ठीक आकाश के विपरीत रास्ते के किनारे रूकती है| आकाश अभी भी बैठे बैठे गौर से उधर देखता रहा| वह कार अपने काले बंद शीशे के साथ वहां खड़ी थी पर अभी तक उसमे से कोई उतरा नही था|
लेकिन दोनों आकाश की ओर देखते हुए धीरे से फुसफुसाते है – “सर आ गई स्टैला |”
अब उस कार की ओर देखते आकाश का चेहरा और भी तन जाता है| कुछ पल तक उस लाल कार में कोई हरकत न होते देख आकाश खुद उतरकर उधर बढ़ता है| उस जगह ट्रैफिक न के बराबर था जिससे वह जगह काफी सूनी बनी हुई थी| आकाश रास्ता क्रोस करके उस कार की ओर बढने ही वाला था कि उस कार का ड्राइविंग सीट का दरवाजा खुला और उसमे से एक बेहद स्टाइलिश महिला बाहर निकलती है|
वह एक तीस बत्तीस साल की स्टाइलिश महिला थी जिसने इस वक़्त एक कट वाली स्लिट ड्रेस पहनी थी जिससे चलते समय बार बार उसकी गोरी गोरी टाँगे झलक जाती| आकाश रास्ता क्रोस भी नही कर पाया और वह महिला अब ठीक उसके सामने खड़ी थी| वह मादक मुस्कान से मुस्कराती अब रुके हुए आकाश के बेहद करीब आती अपनी बांहे उसके गले में डालती हुई कह उठी –
“इतने समय बाद फिर से तुम्हे अपने करीब देख अपने पुराने दिन याद आ गए – है न !” कहती हुई वह बेहद नाटकीयता से ठहाका मार के हँस देती है|
पर इसके विपरीत आकाश बेहद तने हुए हाव भाव के साथ कहता है – “काम की बात बोलो – मुझे वो पेन ड्राइव कब दे रही हो ?”
स्टैला अपनी बांहे उसके गले से घुमाती हुई अब उसके पीछे से घुमती हुई कह रही थी – “मुझसे पीछा छुडाना चाहते हो !”
अबकी आकाश उसकी इस हरकत से ऊबता हुआ उसकी बांहे अपने गले से हटाता हुआ थोड़ी सख्ती से कहता है – “बकवास बंद करो – तुमने पिछली बार मुझे वो पेन ड्राइव देने का वादा किया था – उसकी मैं कीमत भी अदा कर चुका हूँ फिर तुम मुझे वो क्यों नही दे देती ?”
आकाश जितना गुस्से में दांत भीचे बोल रहा था स्टैला उतने ही हलके हाव भाव देती अपनी बात कह रही थी –
“ओह डार्लिंग – मुझे लगा था कि हम इतने दिन बाद मिल रहे है तो कुछ प्यार भरी बाते होगी – कुछ नया होगा पर तुम तो वही पुराने टेप रिकॉर्डर की तरह एक ही बात पर अटके हो |”
“देखो स्टैला – तुम अपना ये नाटक अब बंद करो – तुम्हे मैं याद दिला दूँ कि तुम्हारी हर रात की कही ज्यादा कीमत अदा कर चुका हूँ मैं और ये जो तुम लग्जरी कार में घूमती हो और ये सब तुम्हारा ठाठ बाट सब किसकी वजह से है ये भी तुम्हे याद दिलाने की जरुरत नही है |” आकाश अब उसकी ओर घूमता हुआ तीखे लफ्जो से अपनी बात कहता रहा – “तुम थी क्या आखिर – एक साधारण प्रेस रिपोर्टर – जिससे तुम्हारी एक साइकिल लेने भर की औकात होती – तब मैंने तुम्हे क्या क्या नही दिया – ये जिस पैसे पर तुम ऐश कर रही हो – सब मेरा – मेरा दिया हुआ है – क्या भूल गई तुम अपनी औकात ?”
अब स्टैला के हाव भाव में हल्का सा अंतर आ जाता है जिससे वह आकाश की ओर नज़र उठाती सपाट भाव से कहने लगती है – “इसीलिए तो तुमसे मिलने आई ताकि तुम मेरी औकात मुझे याद दिला सको और मैं भी तुम्हे तुम्हारी औकात बता सकूँ |” कहती हुई वह तुरंत उछलकर आकाश के बेहद पास आती उसकी आँखों को घूरती हुई कह उठी – “मेरी औकात तुम्हारी जबान में है तो तुम्हारी औकात मेरी मुट्ठी में है – एक बार अगर मैंने अपनी मुट्ठी खोल दी और दुनिया के सामने तुम्हारी तस्वीरे जारी कर दी तो तुम्हे मुंह छिपाने की जगह नही मिलेगी – समझे मिस्टर आकाश दीवान |”
स्टैला की बात से आकाश अब कुछ हडबडा गया| वह अपनी हडबडाहट छिपाने अपनी नज़रे इधर उधर करता अपनी जेबे टटोलने लगता है| पर बार बार अपने कोट पेंट की जेबे टटोलते उसे सिगरेट नही मिलती तो उसके सामने खड़ी स्टैला अपने कंधे से लटके पाउच से सिरगेट का पैकेट निकालती उसे आकाश की ओर बढ़ाती हुई खुद भी उसमे से एक सिगरेट निकालती उसे सुलगाने लगती है|
अब कुछ पल के नीरव एकांत में बस लाइटर की क्लिक की आवाज गूंजती है| अगले ही पल जहाँ आकाश गहरे गहरे कश भीतर से खींचता बाहर फेक रहा था वही स्टैला एक गहरा धुँआ आकाश के चेहरे की ओर डालती मादक अंदाज में कहती है –
“आज भी तुम्हारा मेरा ब्राण्ड एक है |” कहती हुई हलके से वह हँस देती है|
लगभग आधी सिगरेट पीने के बाद आकाश कुछ पल संभलता हुआ फिर स्टैला की ओर देखता हुआ पूछता है –
“बोलो अब तुम्हे क्या चाहिए – मुझे वो पेन ड्राइव हर हाल में चाहिए बस |”
“ये…|” तुरंत ही अपने दूसरे हाथ में पकड़े मोबाईल का स्क्रीन उसकी नज़रो के सामने करती हुई कहती है|
आकाश अब इस मोबाईल की स्क्रीन को घूरते हुए कहता है – “ये …!! आर यू मैड – दुबई में फ़्लैट !”
“मैड तुम मुझे मत समझो – मेरी एटीएम मशीन हो तुम तो इतनी आसानी से तुम्हे नही छोड़ने वाली मैं |”
गुस्से में सिगरेट फेकता हुआ आकाश दूसरी ओर देखता हुआ कहता है – “पागल मत बनो – अभी कंपनी के शेअर डाउन है और इतनी बड़ी कीमत मैं कंपनी से नही निकाल सकता |”
इस पर स्टैला फिर हलके से हंसती हुई कहती है – “ओह प्लीज प्लीज अब ये भाभी जी वाला रोना मत रोने लगना मेरे सामने कि कंपनी के शेअर डाउन है या मेरा इस बार ज्यादा खर्च हो गया – स्टॉप टॉकिंग लाइक दिस – तुम आकाश दीवान हो जिसके कंधे पर टिका है ये पूरा दीवान इंटरप्राईजेज़ और जिस पर आँख मूंदकर विश्वास करते है दीवान साहब – तुम्हारे लिए तो ये बस सागर से एक लोटा भर है – इसलिए ये सब ड्रामा मेरे साथ तो मत ही करो|”
“तुम समझ नही रही – ये अभी पोसिबल नही है – मैं डैड को क्या बताऊंगा ?”
“तो ठीक है तुम्हारे डैड से मैं ही मिल लेती हूँ – शायद वही इस पेन ड्राइव की कीमत अदा कर दे |”
“यू बि…..|” गुस्से में दांत भीचते गाली उसके होंठो पर आकर दम तोड़ देती है| वह भरसक कोशिश से खुद को जब्त किए हुए उसे अब घूरने लगता है|
वह उसके पास आती उसके चेहरे पर अपनी उंगली फेरती हुई कहने लगी – “वैसे भी तुम मेरा बहुत समय बर्बाद कर चुके हो – डील फ़ाइनल समझते है – बस तुमपर आज भी मेरा वही क्रश है तो इसके लिए बस थोड़ी मोहलत दे देती हूँ – अगली दस तारीख को मुझे इसके पेपर्स अपने हाथ में चाहिए नही तो दुनिया के हाथ में तुम्हारा लेखा जोख होगा – समझे |” कहती कहती वह आगे बढती हुई फिर पीछे पलटती हुई कहती है – “और हाँ चलते चलते एक खबर दे देती हूँ – विवेक जेल से बाहर आ गया है और इस समय उसकी हालत किसी घायल शेर जैसी है – सो प्लीज टेक केयर डार्लिंग |”
वह कुछ पल रूककर अपनी खबर का असर आकाश के चेहरे पर देखना चाहती थी|
“तुम उसकी फ़िक्र छोड़ो – वह मेरे सामने एक चूहे के समान है – जब चाहूँगा तब मसल दूंगा उसे |”
“बाय |” वह उसी मादकता से लहकती हुई वापस अपनी कार की ओर चल देती है|
तब से उन दोनों को बात करने का एकांत देने आकाश के दोनों गुंडे उनसे कुछ दूर खड़े थे| वे अब आकाश की ओर आने लगते है| स्टैला अब कार में बैठ चुकी थी| वह अपने तरफ का दरवाजा बंद करती करती उन गुंडों को आकाश की ओर भागते आते देखती हुई फिर कहती है –
“और हाँ अपने इन जोकरों को न मेरे पीछे मत लगाया करो – मेरा सर्कस देखने का बिलकुल मन नही रहता|” एक आखिरी ठसक भरी हंसी छोडती हुई वह दरवाजा बंद कर तुरंत ही कार को बैक में लेती वापस चल देती है|
ये देख आकाश अब उन गुंडों को एक तीक्ष्ण नजर से देखता तुरंत ही अपनी कार की ओर बढ़ता ड्राइविंग सीट पर बैठता कार स्टार्ट कर लेता है| वे आकाश तक पहुँच भी नही पाते आकाश कार को शहर की ओर मोड़ता आगे बढ़ा देता है| ये देख वे दोनों अब भागते हुए आकाश की ओर आते है पर तब तक आकाश वहां से निकल चुका था|
दोनों अब एकदूसरे का चेहरा देखने लगते है|
“पंटर लगता है आकाश सर गलती से हमे भूल गए ?”
“पर बॉस – अब हम यहाँ से कैसे जाएँगे ?”
“कैसे !!” सोचता हुआ उसका बॉस जग्गा इधर उधर देखने लगता है| उस समय रात का अँधेरा था सब जगह| तभी उसकी नज़र अपने से कुछ दूर एक आदमी पर जाती है जो कोई ठेला गाड़ी सड़क के किनारे खड़ा कर रहा था| जग्गा पंटर को उधर की ओर इशारा करता हुआ कहता है –
“जा लेकर आ – आज अपन मस्ती से जाएँगे|”
पंटर भी खुश होता तुरंत उस आदमी की ओर भागता है| पल में उसके पास पहुँचता अपनी गुंडई से उसे हड़का कर उसे चुप करता उसका ठेला लिए दौड़ता हुआ अपने बॉस की ओर आता है|
ठेला पहिए पर तेजी से चलाता हुआ वह अपने बॉस की ओर आता है जिससे उसका बॉस उसमे उछलकर बैठ जाता है| दोनों ढलान पर उस ठेले को छोड़ते एक साथ उसमे बैठ जाते है| अगले ही पल अचानक ठेला का एक पहिया निकल जाता है जिससे वे जब तक समझते या संभलते दोनों तुरंत ही जमीन पर बुरी तरह पटक दिए जाते है|
अब दोनों टूटे पहिए और अपनी गिरी हालत पर एकदूसरे को देख रहे थे तभी एक आवाज उन्हें सुनाई देती है –
“अरे मैं यही तो बता रहा था कि मैं उस ठेले को कूड़े में फेकने जा रहा हूँ पर सुना ही नही मेरी बात |”
ये वही आदमी सा जिसे हड़काकर पंटर ठेला छीनकर लाया था| दोनों अपना अपना सर पकड़े अपनी हालत देखते रहे|
***
किरन अपनी आंख खोले अपने आस पास का जायजा लेती है| वह इस समय किसी कमरे में थी| देखने से वह कोई सामान्य सा घर लग रहा था| अब उसकी नज़र अपने ठीक सामने की ओर जाती है जहाँ कोई लड़की बैठी उसे देखती मुस्करा रही थी|
“आप ठीक है – !” वह अपनी प्यारी सी मुस्कान के साथ पूछ रही थी|
किरन अभी भी असमंजस में पड़ी अपनी वक्र नज़रे से कमरे को खंगालने लगी|
“आपको मेरे भईया लाए थे – आप सड़क पर बेहोश हो गई थी – अब आपको कैसा लग रहा है ?”
किरन के मुंह से अब भी कोई बोल नही फूटते वह बस ख़ामोशी से उसे देख रही थी जो ठीक उसके सामने बैठी अपनी प्यारी सी मुस्कान से उसे ही देख रही थी| उस लड़की को देखकर कोई भी कह सकता था कि वह कोई नव विवाहिता है| तभी उसे बाहर से कोई आवाज सुनाई पड़ती है जिसे सुनती वह जवाब में कहती है –
“आती हूँ भईया |”
वह अब किरन की ओर देखती हुई कहती खड़ी हो जाती है – “आप आराम करिए – आप यहाँ बिलकुल सुरक्षित है – मैं अभी आती हूँ |”
वह तुरंत ही बाहर निकल जाती है| किरन अभी भी असमंजस में पड़ी सोचती रही कि उसकी जिंदगी अब उसे किस दोराहे पर ले आई|
क्रमशः…………………..