
बेइंतहा सफ़र इश्क का – 56
जिस समय रूबी होटल में आकाश के स्वीट रूम में आई तब आकाश बाथ रोब पहने बेहद सुकून से आराम कुर्सी पर अर्ध लेटा था और उसके पीछे खड़ी एक लड़की उसके बालो पर हौले हौले उंगलियां फेरती मसाज दे रही थी जबकि सामने की मेज पर झुकी अन्य लड़की उसके लिए कॉकटेल बना रही थी।
उस वक्त माहौल के हिसाब से उन लड़कियों ने कुछ ज्यादा ही चुस्त कपड़े पहने थे जिससे उनकी देह का उभार जरूरत से ज्यादा ही स्पष्ट हो रहा था।
ये देख रूबी संकोच से ऑंखें झुकाए उससे काफी दूर खड़ी थी।
आकाश उसे भरपूर नजर से देखता होंठो को विस्तार देता हुआ कहता है –
“कम रूबी – ज्वाइन मी |”
“सर ये फाइल – जो दीपांकर सर ने आपके लिए भेजी है|”
वह अभी भी नजरे झुकाए कह रही थी|
“पुट इट साइड –|”
आकाश के कहते वह उसी मेज के कोने में उस फाइल को रख देती है|
और कोई वक्त होता तो वह तुरंत ही वहां से चली जाती पर अपने हालात के हाथो मजबूर उसके कदम जबरन उसे वही रोक रहे। उसे किसी भी कीमत पर आज एक लाख जुटाने ही थे।
अचानक दरवाजे के बंद होने की आहट से रूबी झट से अपनी चेतना में वापस आती आकाश की ओर फिर कमरे को वक्र दृष्टि से देखती है अब आकाश और उसके अलावा कोई नही था कमरे में शायद वे लड़कियां ही कमरे से बाहर चली गई होंगी|
डर रूबी पर हावी होने लगा फिर भी कोई उम्मीद का कतरा था जो उसे वहां खड़े रखे था वह धीरे से फिर नजरे नीची किए कहती है –
“सर आई डिस्पेटली नीड अ वन लेख |”
किसी तरह हिम्मत करती हुई रूबी कहती कुछ पल तक खामोश रहकर आकाश की प्रतिक्रिया का इंतजार करती है पर जब आकाश कुछ नही कहता तो रूबी फिर उसी डरे लहजे में आगे कहती है –
“माय मदर नीड्स अर्जेंट कीमो थैरेपी -|”
वह फिर सर झुकाए झुकाए उसकी प्रतिक्रिया का इंतजार करती रही पर अगले ही पल आकाश की चुप्पी पर बिना उसकी ओर देखे वह फिर आगे कहती है –
“सर मै ये पैसे लोन पर ले लूंगी और जल्दी ही चुका दूंगी |”
अचानक एक आहट उसका ध्यान सीधे आकाश की ओर ले जाता है जो कैश नोट मेज पर रखते हुए कह रहा था –
“लो और इन्हे लौटाने की भी कोई जरूरत नही है|”
अचानक से उन रूपयो को पाते उसे समझ नही आ रहा था कि वह खुश हो या डर जाए|
आकाश आगे कहता है –
“तुम्हारी जरूरतों का ख्याल मैं रख रहा हूं तो तुम्हे भी मेरी जरूरत समझनी चाहिए |” कहता हुआ आकाश रूबी के पास आ चुका था उसके एक हाथ में अभी भी कॉकटेल का गिलास था तो दूसरे हाथ की उंगलियों को रूबी के कंधे पर रखे था| रूबी तो जैसे जड़ हो चुकी थी उस पल उसके दिमाग ने जैसे कोई भी प्रतिक्रिया करना बंद कर दिया|
आकाश उसके कंधे से घुमाता अपनी उंगलियां उसके दूसरे कंधे फिर पीठ पर फेरता हुआ कह रहा था –
“तुम क्या सोचती हो ये नौकरी तुम्हे तुम्हारी काबिलियत पर मिली !!” वह एक ठसक भरी हँसी के साथ आगे कहता रहा – “तुमसे कही ज्यादा कोलिफिकेशन के साथ एंट्रीज आई थी सोचो उन सबमे सिर्फ तुम्हारा चुनाव हुआ, क्यों !! क्योंकि ये है तुम्हारी काबिलियत |”
अब उसकी उंगलियां रूबी के जिस्म में वहां बहुत गई जहां छूते वह जैसे होश में वापस आ गई और तुरंत उछलती उससे कई कदम दूर जाकर खड़ी हो गई वह घबराहट में बुरी तरह गहरी गहरी सांसे ले रही थी जबकि आकाश अब गिलास खत्म करके उसकी ओर देखता हुआ थोड़ा सख्ती से कहता है –
“देखो मुझे जबरदस्ती पसंद नही तुम समर्पण कर दोगी तो मेरा प्रोमिस है मै तुम्हारी सारी आर्थिक मदद कर दूंगा |”
“तो क्या मै इन रुपयों के लिए अपने जिस्म का सौदा करूं !!”
रूबी के अंदर से जैसे उसकी रूह पूछ उठी।
“तो क्या बुराई है इसमें ! दुनिया में हर चीज बिकाऊ है और उसकी कीमत होती है तो मैं भी उसकी कीमत दे रहा हूं न |”
“आप इतने बड़े आदमी है – आपके पास अतहा पैसा है जिससे आप दुनिया का हर सुख अपने लिए खरीद सकते है पर आप भूल रहे है कि दुनिया की कुछ चीज ऐसी भी है जो बिकाऊ नही होती |” रूबी बिफरती हुई कह उठी|
इस पर अचानक से आकाश तेज अट्टहास करता हुआ कहता है –
“दुनिया की हर एक चीज की अपनी कीमत होती है बस उसे खरीदने वाला होना चाहिए – तुम बस अपनी कीमत बोलो पांच लाख दस लाख ! मैं तुम्हारी कीमत पर खरीदने को तैयार हूं क्योंकि तुम मुझे पहले दिन से पसंद आ गई थी और मुझे जो चीज पसंद आती है उसे मै किसी भी कीमत पर हासिल करके रहता हूं|” कहता हुआ आकाश एकदम से उसका जबड़ा अपनी पकड़ में ले लेता है जिससे रूबी बुरी तरह से छटपटा उठती है फिर भरसक कोशिश में उसकी छटपटाहट से आकाश उसे पीछे की ओर धक्का देता छोड़ देता है जिससे रूबी लड़खड़ाते हुए बड़ी मुश्किल से खुद को संभाल पाती है|
आकाश आक्रोश से उसकी ओर देख रहा था जबकि रूबी संभलती हुई सीधी खड़ी होती उसकी घूरती आंखो को पूरे गुस्से से देखती हुई चीखी –
“शरीर की तो कीमत लगा लेते है पर उस शरीर की आत्मा की क्या कीमत लगाते है – बोलिए आकाश सर क्या उसकी भी कोई कीमत लगा रखी है आपने!!”
“तुम इतना भी मेरे सामने खड़ी होकर बोल पा रही हो क्योंकि मैने तुम्हे अपने सामने खड़े होने का अवसर दिया – वरना तुम जैसी हजारों मेरे सामने बिछने को तैयार बैठी है बस ये मेरे दिल की बात है कि तुम पर आ गया जिसपर तुम इतना नखरा दिखा रही हो |” आकाश दांत पीसते हुए चीखा|
“दिल होता आपके पास तो किसी की मजबूरी का फायदा न उठाते |”
“शटअप यू स्टूपिड गर्ल |”
“हां सर बेवकूफ ही समझिए – नही करना अपने शरीर का सौदा , नही चाहिए आपसे कोई मदद , नही चाहिए आपसे कोई मदद |”
रूबी बुरी तरह बिलख उठी थी लेकिन आकाश के तेवर और भी आग हो उठे थे|
“तुम ऐसा इसलिए बोल पा रही हो कि हो सकता है अभी भी कोई उम्मीद का कतरा होगा तुम्हारे पास पर जैसे जैसे समय बीतेगा तुम खुद अपने को इस बाज़ार में बेचने आओगी – मेरी बात अच्छे से जान लो इस नंगी दुनिया में सब सौदा चलता है कुछ भी मुफ्त में नही मिलता – तुम जहां जाओगी तुम्हारी कीमत और खरीददार बदल जाएंगे पर लोगों की नजरे नही -|”
आकाश बेहद आक्रोश में उसकी ओर देख रहा था जबकि रूबी का हाव भाव बेहद थका हुआ हो गया था| वह अब कुछ न कहती बस चुपचाप उस कमरे से बाहर निकल जाती है| वह नही देख पाई कि उसे बाहर जाते देख आकाश की ऑंखें गुस्से से लाल हो उठी थी| रूबी अपनी दर्दीली आंखो को पोछती रूम से बाहर निकली तभी आकाश फोन करके किसी को बुलाता है और उसके चंद समय में भी एनी सपाट भाव लिए उस कमरे में दाखिल होती है जहां घायल शेर की तरह पीठ पर हाथ बांधे आकाश टहल रहा था|
“मे आई कमिंग सर ?”
एनी हिचकिचाती हुई पूछ रही थी तभी आकाश उसकी ओर मुड़ता हुआ तेज आवाज चीखा –
“तुम क्या समझती हो कि दो दिन नया सीईओ आ गया तो तुम्हे मनमानी करने की आजादी मिल गई पर ये मत भूलो मै हूं आकाश दीवान जिसकी मर्जी के बिना यहां सुई भी नही हिलती और तुमने सोच लिया कि तुम एक साइन से यहां का ड्रेस कोड बदल सकोगी |”
एनी आकाश के सामने खड़ी थी मौन और बेबस जबकि वह अपनी दिलचस्प नजरे उसके जिस्म पर टहलाता हुआ लगातार कह रहा था –
“तुम्हे अच्छे से पता है न मुझे अपनी पसंद के खिलाफ जाने वाले लोग कतई नापसंद है|”
कहते कहते आकाश अब एनी के पास आ गया था जो अभी भी चुपचाप खड़ी थी “वैसे भी ये खूबसूरती भी कोई छिपाने की चीज है क्या !!”
कहता हुआ आकाश एनी की खुली बांह पर अपनी उंगली फेरता दूसरे हाथ से खुले दरवाजे को बंद कर देता है।
***
वहां दिन में भी रात जैसा अंधेरा था वैसे भी गैरकानूनी काम के लिए ऐसे अंधेरों की जरूरत होती है| केकड़ा भाई अपने साथी के साथ कुछ पेटियों को सुनिश्चित व्यक्ति को सौंपकर और उसके बदले में कई नोटों की गड्डी को पाते उसे एक छोटे सूटकेस में रखते वहां से निकल रहा था|
वह कोई गंदी अँधेरी गली थी जिसमे वह सौदा तय हुआ था| केकड़ा भाई गैरकानूनी हथियारों की डिलवरी करके अपने साथी कल्लन के साथ मजे में चलता वहां से निकल रहा था|
“आज ये मस्त डील हुआ – चल आज रात का जश्न चांदनी जानेमन के पास करेंगे |” कहता हुआ अपनी खुली जीप के पीछे सूटकेस रखता हुआ कल्लन को देखता है जो ड्राइविंग सीट पर बैठ रहा था|
कल्लन के बैठते ज्योंही केकड़ा घूमकर उसकी बगल की सीट पर बैठने जा रहा था तभी उसकी नजर पीछे की सीट पर गई| वह अचानक चौंकता हुआ पीछे की सीट की ओर झुकता हुआ चीखा –
“अबे ये सूटकेस कहाँ गया – यही तो रखा था|”
कल्लन भी ड्राइविंग सीट से उछलकर पीछे झांकता है| दोनों अब बारी बारी से एकदूसरे का चेहरा देखते हैरान थे आखिर पल भर में वह सूटकेस कहाँ जाएगा|
हवा में ही ढेरो गालियां बकता केकड़ा फिर उस गली की ओर बढ़ ही रहा था कि कोई रौशनी देख वही रुक गया| वह ध्यान से देखता हुआ पाता है कि वह रौशनी किसी वहान की है पर अब उन दोनों के सिवा कौन हो सकता है| वह सोचता हा उधर बढ़ ही रहा था कि एकाएक तेज रौशनी हो गई और स्पष्ट हो गया कि वह कोई बाइक थी|
अब केकड़ा गुस्से में जबड़ा भीचे गाली देता उस अज्ञात को आवाज देता ही है कि बाइक स्टार्ट होते हवा की गति से ठीक उसके बगल में रूकती है| बाइक इतनी तेज थी कि केकड़ा उससे बचने के चक्कर में गिरता गिरता बचा|
“नोट सँभालने से पहले खुद को संभालना तो सीख केकड़ा और हाँ अपने चिंगारी को कह देना मैं बाकी का पचास भी जल्दी लेने आऊंगा |”
अगले ही पल नजर मिलते स्पष्ट हो गया कि वह सेल्विन था और इस समय उसी के पास केकड़ा का सूटकेस था| ये देख वह बुरी तरह चिढ़ता हुआ बोला –
“तू अपन को जानता नही – अपन मुंह से बोटी छिनने वाले को कुत्ते की मौत मारता है|”
“खुद को ही तू बोटी खाने वाला कुत्ता बोल रहा है तो मेरे जैसे चीते का क्या सामना करेगा – मैंने पहले ही कहा था – काम नही किया तो दुगना वसुलूँगा पर तेरी सड़ी शक्ल पर रहम खाते चल मूल पर ही मंडावली कर लेते है – अबकी जल्दी ही मिलूँगा बाकि का पचास पेटी लेने – याद रखना |” कहता हुआ सेल्विन झटके से बाइक का अगला पहिया उठाते हुए पीछे के पहिये से तेजी से वहां से निकल जाता है और केकड़ा अपना सा मुंह लिए खड़ा रह जाता है|
पर उसके पीछे खड़ा कल्लन बोल उठता है – “भाई तुम कोई तबला हो क्या जो चाहता है तुम्हारी बजाकर चला जाता है |”
इस पर खार खाया केकड़ा बुरी तरह फुंकार उठता है – “छोडेगा अपन किसी को नही – न उस रईसजादे को और न इस सेल्विन के बच्चे को |”
वह कीटकिटाता हुआ उस अँधेरे रास्ते को देखता रहा जहाँ से अभी अभी सेल्विन गया था|
क्रमशः…