
बेइंतहा सफ़र इश्क का – 79
रंजीत को अब इस बात का तो सुकून हो गया कि अरुण नाम का जूनून वर्तिका के दिमाग से निकल चुका है इससे उसने उसके आने जाने पर अपनी सख्ती थोड़ी कम दी लेकिन अभी भी वह उसे अकेला कही नही जाने देता था|
वर्तिका अभी भूमि के पास जाने के बारे में सोच ही रही थी कि कोई फोन आता है जिसे लिए रानी उसके पास आती है|
“हेलो..!” वह मोबाईल कान से लगाए थी|
“थैंक गॉड चलो फोन तो उठाया नही तो लग रहा था कि तुम्हारी गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवानी पड़ेगी |” वह योगेश था जो अपने चिरपरिचित अंदाज में था|
उसकी बात से ही वर्तिका के होंठो पर हँसी थिरक आई|
“अच्छा बोलो |”
“बोलना वोलना कुछ नही बस आज शाम घर आ जाओ पार्टी है |”
“पार्टी !! किस बात की ?”
“अच्छा कारण नही होगा तो नही आओगी – तो ठीक है मेरे जन्मदिन की पार्टी है तो जलूल जलूल आना समझी |”
योगेश के आखिरी शब्द पर वर्तिका ठहाका मार कर हँस दी| योगेश भी धीरे से मुस्करा रहा था| उसे पता था कि अपने दोस्तों को कैसे हँसाना है|
***
कांफ्रेंस रूम में मिस्टर दीवान, आकाश, अरुण, मेनका के अलावा दो और मेनेजिंग टीम में लोग बैठे थे और किसी बात पर मंथन कर रहे थे|
मिस्टर ब्रिज जो दीवान साहब का पर्सनल असिस्टेंट था वह कह रहा था – “सर लीस्ट रिव्यू यही है कि हर बार हम इस सरकारी टेंडर के लिए कोशिश करते है और हर बार ये रिजेक्ट हो जाता है और इस बार तो ये गवंमेंट का काफी बड़ा प्रोजेक्ट है अगर इस बार हमने ये टेंडर भरा और इसकी अर्नेस्ट मनी जब्त हो गई तो कम्पनी को काफी नुक्सान हो सकता है और साथ ही कंपनी की इमेज भी कमतर हो जाएगी |”
उसकी बात सुनने के बाद वे आकाश की ओर देखते है जो कहने लगा – “ठीक ही है डैड – अभी हमे इतना बड़ा रिस्क नही लेना चाहिए – ये काफी बड़ा अमाउंट है|”
“वेल आई अग्री – इस टेंडर को छोड़ देते है -|”
दीवान साहब सबकी ओर एक सरसरी निगाह डालते हुए कह ही रहे थे कि अरुण बीच में टोकता हुआ कहने लगा –
“मेरा एक सजेशन है डैड -|”
अरुण के टोकते अब सबकी निगाह उसी की ओर उठ जाती है|
अरुण कहने लगा – “अगर हम टेंडर नही भर सकते तो कम से कम कोटेशन के जरिये हमे कोशिश तो करनी ही चाहिए और इससे हमे कोई फानेंशिली लॉस भी भी नही होगा |”
अरुण की बात सुनते आकाश तुरंत बोल उठा – “लेकिन इमेज का लॉस तो हो सकता है न !”
“अगर कोटेशन सलेक्ट हो गई तो इमेज का प्रॉफिट भी तो मिल सकता है |”
“और इसके फिफ्टी फिफ्टी चांसेज है |”
“अगर फिफ्टी लॉस का तो फिफ्टी प्रॉफिट का भी तो चांस है और फिर बिजनेस में तो रिस्क लेना ही होता है|”
“अरुण बिजनेज किताबी ज्ञान से नही प्रैटीकिलटी से चलता है |”
आकाश और अरुण को एकदूसरे से उलझते देख दीवान साहब उनके बीच में बोल उठते है – “आई थिकं अरुण को एक मौका मिलना चाहिए |”
“लेकिन डैड |” आकाश विरोध करना चाहता था पर दीवान साहब का रुख देख वह फिर चुप हो गया|
“अरुण – मैं चाहता हूँ कि ये कोटेशन तुम हैंडल करो |”
“थैंक्स डैड |”
अरुण के सहज भाव पर वह बेहद कसे भाव से आगे कहते है – “लेकिन मेरी एक बात याद रखना – ये सिर्फ कोटेशन के लिए ही नही बल्कि तुम्हारे लिए भी खुद को साबित करने का पहला और आखिरी मौका होगा |”
“ओके डैड – आई विल टेक केयर ऑफ़ दैट |”
अरुण की बात पर वे मौन हामी भरते कहते है – “ओके जेंटलमैन डिसमिस द मीटिंग |”
मिस्टर दीवान के कहते सभी उठने लगते है तो वे कहते है – “आकाश, अरुण और मेनका तुम लोग रुको |”
उन चारो के अलावा अब सभी उस रूम से बाहर हो जाते है| अब उस रूम में उन चारो के अलावा कोई नहीं था| सभी के हाव भाव में प्रश्न तैर रहे थे क्योंकि वे जानते थे कुछ व्यक्तिगत बात कहने ही उन्होंने उन तीनो को रोका होगा|
“मेनका !”
“यस डैडी |” मेनका को कतई उम्मीद नही थी कि बात उसकी ओर से शुरू होगी| वह हैरानी से उनकी ओर देख रही थी|
“तुमने फाइव हैडरेड मिलियन कहाँ इन्वेस्ट किए मुझे जानना है |” मिस्टर दीवान मेनका को देखते हुए पूछते है|
“नही तो डैडी – मैंने ऐसा कोई इन्वेस्टमेंट नही किया |”
तुम्हारे लॉग इन से फाइव हैडरेड मिलियन का इन्वेस्टमेंट शो कर रहा है और डाटा कभी झूठ नही बोलता |”
अपने पिता की बात पर मेनका हैरानी से उन्हें देखती रही जबकि वे कहते रहे – “तुम्हे पता होगा कि ये लॉग इन सिर्फ मेनेजमेंट के पास है इसलिए जो इन्वेस्टमेंट हुआ है वही शो कर रहा है तो तुम बताओ कहाँ हुआ है ये इन्वेस्टमेंट और इससे सम्बंधित डिटेल इसमें एड क्यों नही है ?”
वे अपनी सख्त नज़र से मेनका को देख रहे थे तो वही अरुण हैरान बना हुआ था| तभी आकाश जल्दी से बीच में बोल उठता है – “मेनका जो हुआ है वही शो करता है |”
आकाश की बात सुन मेनका कुछ कहने वाली थी पर आकाश तुरंत उसकी बात अनसुनी करता आगे कहने लगा – “डैड डोंट वरी इसे मैं देखता हूँ – मेनका के लिए ये सब अभी नया है तो मे बी कोई भूल हो गई होगी उससे – मैं उसकी ओर से आपलोजाइज करता हूँ -|”
इसपर वे हामी में सर हिलाते उन सबको जाने को कह देते है| वे तीनो अब उस रूम से बाहर निकल रहे थे| लेकिन मेनका इस बात पर हैरान से कही ज्यादा परेशान थी तो आकाश रूम से बाहर निकलते उसके कंधे पर हाथ फैलाता हुआ कहता है –
“डोंट वरी मेनका – तुम इस बात को भूल जाओ – मैं सब देख लूँगा |”
इस पर मेनका बस हलके से सर हिलाकर हामी भरती आकाश के विपरीत चल देती है| आकाश और मेनका का केबिन बिलकुल विपरीत दिशा में था|
मेनका उसी मूड के साथ अपने केबिन में वापस आ जाती है| विवेक उसे आते हुए देख रहा था| मेनका के पीछे पीछे वह भी उसके केबिन में आ जाता है| मेनका अपनी जगह पर नज़रे झुकाए बैठी थी| विवेक उसके पास आता उसका चेहरा गौर से देखता हुआ पूछ उठता है –
“क्या हुआ ?”
मेनका नज़रे उठाकर विवेक की ओर देखती है| नज़रे मिलते विवेक उन आँखों में उदासी की बुँदे देख उसे दोनों हाथो से थामता हुआ कहता है – “क्या हुआ मेनका बताओ ?”
“मैं शायद कुछ ठीक से नही कर सकती – वैसे भी डैडी चाहते थे कि मैं काम सीखूं लेकिन अगर मैं ऐसी मिस्टेक करुँगी तो वे कभी मुझपर फेथ नही करेंगे ?”
“लेकिन हुआ क्या ये तो बताओ ?”
मेनका अपना मोबाईल उठाकर उसे अनलॉक करने के लिए उसे अपने चेहरे के सामने लाती है पर बिगड़े चेहरे पर वह एक भाव नही ला पाती और मोबाईल का लॉक नही खुलता ये देख विवेक अपनी उंगली उसके गालो पर फिरते हुए कहता है – “मोबाईल भी तुम्हारा उदास चेहरा नही देखना चाहता |”
इसपर मेनका अब हलके से मुस्कराकर चेहरा ठीक करती मोबाईल का स्क्रीन फिर से अपने चेहरे के सामने लाती है और अबकी मोबाईल अनलॉक हो जाता है|
ओपन मोबाईल का स्क्रीन विवेक को दिखाती हुई कहने लगी – “ये देखो – ये कंपनी का सारा पर्सनल डाटा है जिसे सिर्फ बोर्ड ऑफ़ मेम्बर्स ही लॉग इन कर सकते है फिर कैसे मेरे बिना लॉग इन किए मेरा अकाउंट किसने अप्रोच किया ? मैंने कोई इन्वेस्ट नही किया फिर भी इसका डाटा यही शो कर रहा है – बताओ मैं खुद को कैसे सही साबित करूँ – देखा !! तुम्हारे पास भी कोई जवाब नही इसका |”
मेनका मोबाईल टेबल पर रखती अपने एक हाथ पर सर टिकाए बैठी रही| विवेक अब मोबाईल को लिए अलग चेअर पर बैठा कुछ पल उसमे स्क्रोल करता रहा फिर कुछ क्षण बाद उसे मेनका के सामने रखते हुए कहता है –
“ये देखो – ये किसी अननोन आईडी से लॉग इन हुआ है – देखो – अब तुम इसे दिखा सकती हो |”
विवेक की बात सुन मेनका मोबाईल उठाते हैरान उसका स्क्रीन देखती हुई कह उठी – “ये कैसे पता किया तुमने – ?”
“बस तुम्हारे लिए ?”
“ओह विवेक तुमने तो मेरी मुश्किल झट से दूर कर दी |” मेनका खुद पर नियंत्रण खोती एकदम से उसके गले लग जाती है|
“अब तो कोई तुम्हे गलत नही समझेगा न ?” वह भी उसकी कमर को अपने में कसता हुआ कहता है|
“और कहते हो मुझसे दूर रह लोगे तो आज से तुम्हारा ये न वाला इश्क भी मंजूर है मुझे |” मेनका अब विवेक के चेहरे पर उंगली फेरती हुई कहती है|
इस पर विवेक उसे खुद से अलग करता वापसी को जाने लगता है तो मेनका उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लेती है| इसपर विवेक मुस्कराकर उसकी ओर देखता हुआ कहता है –
“कोई आ जाएगा मेनका तो अच्छा नही लगेगा |”
“तो आखिर कहाँ मैं तुमसे खुल कर मिलूंगी ?”
इस पल दोनों की ऑंखें एकदूसरे में डूब सी गई थी|
***
आकाश भुनभुनाते हुए मोबाईल रखते हुए अपने सामने बैठे दीपांकर को बुरी तरह घूरता हुआ कहता है –
“तुमसे एक काम ठीक से नही हुआ – जाने कहाँ से उस हिजड़े को पकड़ लाए – उसकी वजह से मेरा काम और खराब हो गया -|”
“सर मेरी रिपोर्ट के अनुसार वह मंझा हुआ गुंडा था पर मुझे क्या पता था कि उससे ये काम नही होगा |”
“बकवास करते रहते हो तुम – तुमसे कुछ नही होता – तब से तुम उस रूबी को ही शीशे में नही उतार पाए और वो स्टैला – उस गुंडे की बेवकूफी के कारण और मुझपर चढ़ी बैठी है – दिन पर दिन बढ़ती उसकी डिमांड से तंग आ गया हूँ मैं – ऐसा लगता है जितना मैं उसे दे रहा हूँ उसकी डिमांड उतनी ही बढ़ती जा रही है|” आकाश गुस्से में फुंकारते हुए उंगली में फसी सिगरेट को एस्ट्रे में बुरी तरह कुचलते हुए दीपांकर को घूरता है|
“सर आप देखिए अबकी इस रूबी को….|”
दीपांकर आगे कुछ कहने वाला था कि तभी एक नॉक के साथ उसके केबिन का दरवाजा खुलता है और उसके पार से उन्हें मेनका आती हुई दिखाई देती है|
“भईया मुझे आपसे बहुत जरुरी बात करनी है |”
कहती हुई वह एक उड़ी हुई नज़र दीपांकर की ओर डालती है जिसका मतलब समझते आकाश कहता है –
“कह सकती हो – बोलो |”
मेनका तुरंत अपना मोबाईल का स्क्रीन आकाश की नज़रो के सामने करती हुई कहती है –
“ये देखिए ये लॉग इन इस नए अकाउंट से हुआ और इसका टाइमिंग भी ठीक वही है जब मेरे मोबाईल में ये सिस्टम अपलोड भी नही हुआ था – इसका मतलब मेरी ओर से कोई मिस्टेक हुई ही नही |”
मेनका के मोबाईल को देखते आकाश के चेहरे का रंग ही उड़ जाता है| उसे बिलकुल उम्मीद नही थी कि जिस फोल्ट को उसने मेनका के पाले में उझेलना चाहा था वो वापस उसकी ओर ही आ जाएगी !!
“तुम्हे किसने बताया ये सब ?”
“वो सब छोड़ीए भईया – आप पहले ये पता करिए कि ये काम किसका है ?”
“अच्छा ये बात तुमने किसी और को नही बताई न ?”
“मैंने सबसे पहले डैडी को बताई ये बात – वे भी बस आपके केबिन में आने की वाले होंगे !”
ये सुनते आकाश का रहा सहा रंग भी उड़ गया| वह अपने पिता की नज़रो में किसी भी हालत में बुरा नही दिखना चाहता था| उसने सोचा था स्टैला पर किया गया खर्च वह मेनका के जरिए सबकी नज़रो से छिपा ले जाएगा पर यहाँ बाजी उलटी पड़ गई थी|
मेनका की नज़र आकाश पर थी और आकाश की नज़र केबिन के डोर पर गई| वह तुरंत ही तेजी से उठता हुआ दीपांकर के पास आता उसका गिरेबान अपनी पकड़ में लेता हुआ जोर से चीखा –
“तुम पर मैंने इसलिए विश्वास किया कि तुम मेरी नाक के नीचे कुछ भी गड़बड़ करते रहो |” आकाश दीपांकर का गिरेबान पकड़े उसे अपनी ओर खींचते हुए चीख रहा था| अचानक हुए इस व्यवहार से जहाँ मेनका हैरान थी वही दीपांकर भी कुछ नही समझ पाया|
“मुझे नही पता कि तुम इसे कैसे करोगे पर इसे जल्दी से जल्दी ठीक करो – सिस्टम में गलती है तब भी तुम इसे जल्दी से जल्दी ठीक करो और कुछ भी बकवास अपनी मुझे मत सुनाना समझे |”
आकाश उसपर गरजते हुए उसे पीछे की ओर धकेल देता है जिससे वह कुर्सी पर जाकर गिरता है| जब तक ये सब हो रहा था उसी वक़्त केबिन का दरवाजा खुलता है और उसके पार मिस्टर दीवान खड़े दिखते है| वे भी ये सब हंगामा देखते हुए वही थमे रह गए जबकि आकाश की पीठ दरवाजे की ओर थी जिससे वह उनका आना नही देख पाया लेकिन ये कोई नही जानता था कि वह आहट से उनका आना समझ चुका था और इसी से उसने ये सब नाटक रचा|
अब तक अपनी टाई को अपने हलक पर ठीक करता दीपांकर भी सब समझ चुका था और मन ही मन आकाश पर भन्ना उठा था पर आकाश के साथ काम करते वह उसे अच्छे से जान चुका था इससे वह जबरन अपने हाव भाव में अफ़सोस लाता हुआ कहता है – “सॉरी सर – जल्दी ही ठीक करता हूँ |”
“जल्दी ही और जब तक ठीक नही होता तब तक मेरे सामने मत आना – समझे – यू मे गो नाव |”
आकाश बुरी तरह से गर्म तेवर के साथ खड़ा था जबकि मेनका हैरानी से सब देख रही थी|
क्रमशः………………….