Kahanikacarvan

बेइंतहा सफ़र इश्क का – 80

ये योगेश का घर का लॉन था जहाँ पार्टी की पूरी व्यवस्था थी| डिनर से लेकर डांसिंग फ्लोर तक की व्यवस्था थी| काफी लोग आ चुके थे और काफी आने बाकी थे| योगेश सबसे अपने चिरपरिचित अंदाज में मिल रहा था|
वर्तिका भी योगेश की पार्टी मिस नही करना चाहती थी ये बात दीगर थी कि इसकी वजह वह खुद को कुछ और ही बता रही थी| रंजीतको भी यही कहकर उसने मनाया कि वह सिर्फ योगेश के लिए जा रही है इससे कम से कम अपने दोस्तों संग दुबारा अपनी जिंदगी की शुरुवात कर सकेगी|
वर्तिका की बात पर रंजीतको यकीन तो मुश्किल हो रहा था लेकिन वह वर्तिका को एक मौका खुद को साबित करने का भी देना चाहता था| वह भी यही चाहता था कि वर्तिका अरुण के सामने आए तब भी वह अपने जीवन में ठहरे न बल्कि आगे निकल जाए और इसके लिए कभी न कभी उसे ऐसे पल का सामना करना ही पड़ेगा| उसने वर्तिका को मंजूरी दे दी लेकिन आज भी उसे अकेले जाने की इजाजत नही दी|
वर्तिका इसी से खुश थी| वह समय से योगेश के यहाँ पहुँच गई|
“आप आए हमारे झोपड़े में इस नज़रे इनायत का तहेदिल से शुक्रिया |” वह एक हाथ दिल पर रखे हलके से झुककर वर्तिका की ओर तिरछी नजर से देखता है जो उसकी इस हरकत पर अपने साथ लाए बुके को उसके सर पर हलके से मारती हुई कहती है –
“तुम कभी नही बदलोगे !”
“अरे यार लोग बदल जाए तब लोग कहते है कि कितने बदल गए हो और न बदले तब भी सुनते है तो बताओ आखिर मासूम इन्सान क्या करे ?”
“मासूम इन्सान ये बुके पकड़े बस |” कहती हुई वह बुके उसके हाथो के बीच रखती हुई कसकर मुस्करा देती है|
तभी योगेश का मोबाईल बज उठता है जिसे कानो से लगाते ही वह भमक पड़ता है – “कहाँ है तू – कोई बहाना नही चुपचाप जल्दी से आ – मैं तेरा इंतजार कर रहा हूँ और तू नहीं आया तो देखना मैं केक भी नहीं काटूँगा – समझा न – अब जल्दी से आजा |”
योगेश की बातो से वर्तिका को जिसके होने का अहसास हुआ उससे वह वही रुकी रही| योगेश अब मोबाईल हाथ में पकड़े पकड़े वर्तिका की ओर मुड़ा ही था कि दुबारा मोबाईल बज उठा| अबकी मोबाईल का स्क्रीन देखे बिना ही वह वर्तिका से कहने लगा –
“ये अरुण भी न – देखना फिर कॉल करके कोई नया बहाना मारेगा पर मैं भी न इसे आज छोड़ने वाला नही हूँ |” कहता हुआ मोबाईल कान से सटाए वह तुरंत ही कहता है – “जल्दी आ नही तो…ओह ऊष्मा तुम हो – क्या !! रुको मैं गाड़ी भेजता हूँ तुम अपनी लोकेशन भेजो |”
मोबाईल का स्क्रीन देखता वह परेशान होता अपने बालो पर हाथ फेरते हुए वर्तिका से कहने लगा – “अरे यार – अब मैं कैसे जाऊ ?”
“क्यों क्या हुआ ?”
“मेरी कोर्स मेट है जिसकी आधे रास्ते पर गाड़ी खराब हो गई और मैंने उसे कह तो दिया कि मैं आ रहा हूँ पर जाऊं कैसे ? मेरी कार तो केक लाने गई है |”
“तो तुम मेरी कार ले जाओ |”
“हाँ ये ठीक है – तुम भी चलो साथ वरना तुम्हारा ड्राईवर रास्ते भर मुझे आतंकी समझकर घूरता रहेगा |”
योगेश की बात पर वर्तिका फिर हँस पड़ी| फिर वे दोनों साथ में वर्तिका की गाड़ी से बाहर निकल गए|
***
योगेश दूर से ही सड़क किनारे खड़ी अपनी दोस्त को पहचान लेता है और कार रुकवाकर तुरंत ही उसके सामने आता हुआ कहता है – “क्या हो गया तुम्हारी कार को |” फिर उसके पीछे खड़ी कार के उठे बोनट पर झुके किसी के होने को देखता हुआ वह कहता है – “ड्राईवर तो है न वो ले आएगा कार – तुम चलो मेरे साथ |”
इससे पहले कि ऊष्मा कुछ कहती उसके पीछे खड़ा व्यक्ति बोनट झटके से बंद करता हुआ उनके बीच आ जाता है|
“वेरी गुड – पहले तो अपनी खटारा मुझसे चलवाई और अब ड्राईवर भी बना दिया |”
आवाज सुनकर योगेश उसकी ओर देखता हुआ कहता है – “ये तुम हो – हाउ आर यू आदि ?”
योगेश अपने सामने खड़े उस लड़के को देख रहा था जो अब ठीक ऊष्मा के बगल में खड़ा था| ऊँचे कद का वह खुशमिजाज दिलकश लड़का दिख रहा था| वह अपने जेल से सेट हुए बालो पर बड़े सलीके से उंगली फिराते थोड़ा नखरे से बोलता है – “फाइन था पर अब नही हूँ – मैंने सुबह ही बोला था दी को कि अपनी केटीएम से छोड़ दूंगा पर नही दी को तो अपनी इसी खटारा से जाना था और ऊपर से मुझे इसकी सर्वसिंग कराने को भी बोल रही थी – दी इसे अब जंक प्लेस भेजो – बहुत हुआ |”
इस पर बगल में खड़ी ऊष्मा उतने ही शांत स्वर में कहने लगी – “बस इसी रवैया के कारण दुनिया भर में जंक बढ़ता जा रहा है – अरे चीजो को ज्यादा यूज करने से कोई आउट डेटेड नही हो जाता |”
इस पर योगेश धीरे से उस लड़के की ओर झुकता हुआ कहता है – “ये तुम्हारी दी न कॉलेज में भी फोटो कॉपी पेज के पीछे भी लिख लेती थी फिर ये तो कार है इसकी |”
इस बात पर दोनों साथ में ताली मारते हँस पड़ते है|
तब से उन्हें बातो में मशगूल देख अब वर्तिका भी उनकी तरफ चली आती है|
“हेलो |” वह सबकी ओर एक सरसरी निगाह डालती है|
वर्तिका को देखते योगेश उससे मिलवाता हुआ कहता है – “ये मेरी फ्रेंड वर्तिका |”
ऊष्मा जहाँ उसके हेलो का बड़ी प्यारी मुस्कान से जवाब देती है वही उस लड़के की वर्तिका मे कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी होने लगी जिससे वह उन सबको पीछे छोड़ता हुआ वर्तिका की ओर अपना हाथ बढ़ाते हुए कहता है –
“हाय ब्यूटीफुल – आई एम एडी |”
वर्तिका उसकी ओर एक हिचकिचाहट भरी नजर डालती हुई देख रही थी तो ऊष्मा जल्दी से आगे आती हुई कहती है – “ये मेरा छोटा भाई आदित्य है |”
“ओह दी – क्या छोटा भाई – आप तो न सबसे ऐसे मिलवाती हो जैसे मैं सारी दुनिया का छोटा भाई हूँ |”
आदित्य के इस बचपने पर सभी एक साथ हँस पड़ते है|
“ओके ओके – अब चले – नहीं तो आज मेरा जन्मदिन यही सड़क में मन जाएगा – ऐसा करो मैं इस वक़्त वर्तिका की कार से आया हूँ तो हम सभी उसी से चलते है और ऊष्मा उसका ड्राईवर तुम्हारी कार ठीक करा कर ले आएगा |”
योगेश की बात पर सभी हामी भरते अब वार्तिका की कार की ओर बढ़ जाते है|
***
ये समन्दर का एक सुनसान किनारा था जहाँ किसी भी तरह से लोगों का आना जाना नही था वहां सिर्फ दो साए एकदूसरे पर झुके हुए बैठे थे| वे रेत के सबसे अँधेरे हिस्से में थे जबकि आसमान की बुझती हलकी रौशनी पर उनकी सीधी नज़र थी| सामने आसमान की अंतिम रौशनी भी समंदर के छोर पर अपना दम तोड़ती जा रही थी| जिसे एकटक निहारते वे दोनों काफी देर से खामोश थे पर दोनों के हाथ एकदूसरे से बिंधे हुए थे|
“अब बहुत देर हो गई है – हमे चलना चाहिए !”
“विवेक थोड़ी देर और रुको न |”
“उससे क्या – थोड़ी देर बाद वो लम्हा भी खत्म हो जाएगा तब फिर जाना ही होगा न !’ विवेक अब अपने स्थान पर खड़ा हो गया था जबकि मेनका उसका हाथ पकड़े उसे रोक रही थी|
“क्या कोई ऐसा लम्हा नही हो सकता कि हम सदा साथ रहे !”
इस पर वह ठसक भरी हँसी से कह उठा – “तो कही तुम मुझसे शादी के बारे में तो नही सोच रही?”
“हाँ क्यों नही |”
“अच्छा और वो कैसे ?”
“हम कर लेंगे न शादी – मैं किसी तरह से अपनी फेमिली को मना लुंगी |”
“तुम ऐसा ख्वाब देख रही हो मेनका जो हकीकत में पोसिबल ही नही – ऐसी शादी को झुठलाना दुनिया के लिए बहुत आसान है |”
“ऐसे मेरा दिल मत तोड़ो – मैं सच में तुमसे शादी करना चाहती हूँ वो भी ऐसी कि कोई उसे झुठलाना न सके |”
“तो क्या तुम कोर्ट मेरिज का सोच रही हो ?”
“हाँ ये भी ठीक है – तब तो कोई इसे झुठला न सकेगा न !”
अब तब विवेक दुबारा मेनका के पास बैठा उसका हाथ अपनी हथेली के बीच थामे था|
“सब कुछ इतना आसान नही होता मेनका – कोर्ट मेरिज के लिए एक महीना पहले अर्जी देनी होती है |”
“तो दे दो न |”
“और फिर उसके बाद क्या होगा – |” वह उसकी आँखों में सीधा देखता हुआ कहता रहा – “मेनका जिंदगी चलाने के लिए भी तो कुछ चाहिए होता है न – नॉर्मली अगर मेरे पास जो भी एसर्ट होते शादी के बाद वो सब तुम्हारे हो जाते पर लड़के के मामले में ऐसा नही होता मेनका – |”
“क्यों नही होता ? शादी बाद जैसे तुम्हारी हर एक चीज मेरी हो जाएगी तो मेरी हर चीज भी तुम्हारी हो जाएगी न – इसमें तो कुछ भी गलत नही है न !”
अबकी वह उसके मासूम चेहरे को अपनी हथेलियों के बीच लेता हुआ कहता है – “तुम बहुत भोली हो मेनका – हम जिस दुनिया में रहते है उसमे ऐसा बिलकुल नही होता – मैं तुम्हारा कुछ भी लेने का अधिकारी नही बन सकता |”
“क्यों नही बन सकते – मैं दूंगी तुम्हे ये अधिकार |”
कहती हुई वह झट से उसके चेहरे को अपने पास लाती उसके सामने मोबाईल की स्क्रीन नचाती हुई मोबाईल में सेटिग करने लगती है – “ये देखो अब मेरे मोबाईल में हम दोनों सेव हो गए – ऐसे ही हर एक चीज में हम साथ में होगे – तब तो ठीक है न !”
विवेक उस पल कुछ नही कहता बस मौन होता अब आसमान की क्षणिक बची रौशनी की ओर देखने लगता है|
***
योगेश सबके साथ वापस आ जाता है| सबके उतरते आदित्य की ओर देखती हुई ऊष्मा कहती है –
“आदि तुम कार के ठीक होते चले जाना |”
योगेश भी जल्दी से बोलता हुआ कहता है – “कार के ठीक होने तक ही क्यों – आदि तुम पार्टी में रुको – तुम लोगो से पार्टी जानदार रहेगी नहीं तो कुछ बोर लोग तो इसे आश्रम ही बना डालेंगे |”
योगेश हँसता हुआ बारी बारी से वर्तिका और ऊष्मा को देख डालता है जिससे वह धीरे से मुस्करा देती है|
योगेश जल्दी से कहता है – “बोर इंसान से याद आया – ऐसा करो तुम सब पार्टी ज्वाइन करो तब तक मेरा एक और बोर इंसान आने वाला है मैं उसे लिवाता हुआ आता हूँ |”
आदित्य झट से बोल उठा – “क्या योगेश जी – पार्टी है कहाँ यहाँ तो सब साइलेंट मोड में लग रहा है|”
“अंदर तो पहुचो – पूरा अरेंजमेंट है |”
योगेश की बात सुन ऊष्मा और आदित्य जहाँ अंदर जाने लगते है वही वर्तिका वही रुकना चाहती थी जिससे वह जल्दी से योगेश के पास आती हुई कहती है –
“मैं यही रूकती हूँ तुम्हारे साथ |”
“क्यों !! अरे यार तुम चलो न – मैं अरुण को लेकर आता हूँ |”
“लेकिन..!”
योगेश उसे जिद्द कर आखिर अंदर भेज देता है| उनके जाते कुछ देर में आखिर अरुण की कार ठीक पोर्च पर आकर रूकती है जिसकी ड्राइविंग सीट पर से अरुण उतरता हुआ अब ठीक उसके सामने आकर खड़ा था| उसे ऊपर से नीचे देखता हुआ योगेश चिहुन्कता हुआ कह उठा –
“ये क्या तुम सीधे ऑफिस से आ गए – यार तुम्हे देखकर तो लग है जैसे पार्टी नही मीटिंग अटेनड करने आए हो |”
“देख तेरे बोलने पर आ गया ये कम है क्या !”
“जी प्रभु आपके चरण कहाँ है ?”
“वही है जहाँ रहते है |”
इस बात पर दोनों साथ में हँस पड़ते है|
“अब चल अंदर – बहुत देर कर दी आने में – जिसे सबसे पहले आना था वो सबसे लास्ट में आ रहा है|”
दोनों साथ में अंदर चल दिए थे|
“वैसे आज किस बात की पार्टी है ?”
“बताया था न मेरा बर्थडे है यार |”
“अच्छा !!” अबकी अरुण रूककर उसकी तरफ मुड़ता हुआ कहता है – “तू किश्तों किश्तों में पैदा हुआ था क्या !! ये साल में तीसरी बार तू जन्मदिन मना रहा है |”
“अबे चुप कर – तुझे प्रोब्लम क्या है – मैं साल में चार बार जन्मदिन मनाऊंगा – सब भी चले आए – एक तुझे पार्टी में आने से प्रॉब्लम है |”
पार्टी योगेश के घर के बैक एरिया के लॉन में हो रही थी जबकि अभी तक वे मुख्य कमरे तक ही पहुंचे थे| अरुण वही बैठता हुआ कहता है –
“तुझे पार्टी के लिए कोई बहाना नही मिलता है क्या !!”
“कसम से ये सच्ची वाली बर्थडे पार्टी है |” योगेश ठीक उसके सामने खड़ा बच्चो की तरह मुंह बनाने हुए कह रहा था|
“ये तूने पिछली बार भी कहा था – जब रियल बर्थडे होगा तभी आऊंगा वैसे भी मुझे जल्दी जाना है |”
“अच्छा ठीक है – पहले ये बता तू मेरे लिए गिफ्ट क्या लाया ?”
“नही लाया |”
“नही लाए !!!!” छोटे बच्चो की तरह मुंह फुलाते हुए कहता है|
उसकी शक्ल देख आखिर अरुण की हँसी छूट जाती है| फिर वह अपने कोट की अंदुरनी पॉकेट से एक पैकेट निकालकर उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहता है – “ले – तेरे लिए स्पेशली लाया हूँ |”
“सच्ची !!!” योगेश भी जल्दी से उसे अपने हाथ में लेता पहले उस पतले पैकेट को अलट पलट कर देखने लगता है| फिर उसे झट पट खोलने लगता है| उस वक़्त उसके हाव भाव में कोई नन्हा बच्चा समा गया था जबकि अरुण तिरछी मुस्कान से उसकी तरफ देख रहा था|
“ये क्या है ?” वो कोई किताब थी जो उस पैकेट से अब उसके हाथ में थी|
अरुण अब खड़ा होता हुआ कह रहा था – “ख़ास उपहार तुम्हारे लिए – अब मैं चलता हूँ – कल मिलूँगा |” कहता हुआ अरुण बाहर निकलने लगता है| उसे शाम की आरती के लिए जल्दी थी|
वही योगेश एक नज़र अरुण को तो दूसरी नजर उस किताब में डालता है जिसके फ्रंट पर ‘ब्रम्हचर्य का पालन कैसे करे : झटपट जाने’ लिखा था|
वही वर्तिका बार बार मुड़कर आगंतुक मार्ग की ओर देख लेती| उसे तब से अरुण का इंतज़ार था|
वही ऊष्मा बाकी के डॉक्टर्स के साथ व्यस्त थी तो एक तरफ खाने का इंतजाम था और बीचो बीच डांसिंग फ्लोर पर कुछ लोग थिरक रहे थे| उपरी तौर से देखने पर सब कुछ बहुत ही शांत लग रहा था|
ये योगेश का खास इंतजाम था उसे पता था कि वह जिस पौश इलाके में रहता था वहां आस पास ज्यादातर डॉक्टर्स रहते थे और पार्टी में भी वही ज्यादा आए थे ऐसे में वह बहुत तेज शोर नही कर सकता था इसलिए उसने साइलेंट डिस्को का अरेंजमेंट किया था जहाँ जिन्हें डांस पसंद था वे सभी हेड फोन लगाए आराम से अपने मनपसंद गाने में थिरक रहे थे वो भी किसी और को बिना डिस्टर्ब किए|
वर्तिका को नही पता था कि आदित्य की नजर उसी पर टिकी थी| वर्तिका को अकेला खड़ा देख आदित्य उसके पास आता हुआ कहता है –
“हाय वर्तिका जी – आप मेरी एक हेल्प कर सकती है ?”
आवाज सुनते उसका ध्यान अपने पीछे की ओर जाता है जहाँ आदित्य खड़ा उसकी तरफ हेडफोन बढ़ाते हुए कह रहा था –
“ये हेडफोन मैं जैसे ही लगाता हूँ बंद हो जाता है – |”
“तो आप वहां जाकर बोलिए |” वर्तिका म्यूजिक सिस्टम के पीछे खड़े शख्स की ओर इशारा करती है|
“बोला था – वो कहता है ये ठीक है तो फिर मेरे लगाते क्यों नही चलता – आप एक बार देखिए न !”
“लेकिन मैं ही क्यों ?”
“क्योंकि मैं दी और योगेश जी के अलावा किसी को नही जानता – दी अपने फ्रेड्स के साथ है तो योगेश जी नज़र नही आ रहे तो बची आप – प्लीज़ कर दीजिए न हेल्प |”
इस बात पर एक थकी सी सांस हवा में छोड़ती हुई आखिर वह उस हेडफोन को अपने कान से लगा लेती है |
“हाँ कुछ कुछ सुनाई नही दे रहा |”
वर्तिका उसे उतारना चाहती थी पर आदित्य उसे रोकता हुआ कहता है – ‘रुकिए आपको उस डिस्को लाईट की रेंज तक आना होना |”
ये बात भी मानती हुई वर्तिका बोझिल कदमो से डांसिंग फ्लोर तक आ जाती है| हेडफोन अभी भी लगा था|
“इसमें अभी भी कुछ सुनाई नही दे रहा – आई थिंक ये वाकई ठीक नही है |” इतना कहकर वर्तिका उसे उतारने लगती है तो आदित्य फिर उसे टोकता हुआ कहता है –
“रुकिए रुकिए – आप थोड़ा घूम जाइए तो |”
वर्तिका आदित्य को रोकना चाहती थी पर आदित्य ने न उसे हेडफोन उतारने दिया और न उसे डांसिंग फ्लोर से उतरने दिया बल्कि उसकी कितनी नानुकुर के बाद भी उसे कभी दाए घुमा देता तो कभी बाए घुमा देता| एक पल ऐसा आया जब आदित्य झट से उसकी कमर पर बाहे डाले उसे नचा ही देता है और हेडफोन को भी एक टच से स्टार्ट कर देता है|
पल में वर्तिका को तेज म्यूजिक बीट्स सुनाई देने लगती है| वह हैरान उसे देखती रह जाती है|
………….माना कि हम यार नही….लो तय है कि प्यार नही….फिर भी तुम नज़रे मत मिलाना….जिसमे कोई इकरार नही….पर नज़रो से न वो कहना जिसमे इंकार नही..
क्रमशः………………..

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