Kahanikacarvan

बेइंतहा सफ़र इश्क का – 81

शाम से ही अरुण और मेनका ऑफिस से जा चुके थे पर आकाश होटल से सीधे ऑफिस पहुँच गया और देर शाम तक भी वह अपने केबिन में मौजूद था| ऑफिस टाइम ऑफ़ होने के बाद भी उसके ऑफिस का कुछ स्टाफ भी इसी कारण रुका हुआ था उसमे रूबी भी थी| उसे जो काम दिया गया था उसकी वजह से उसे ऑफिस में ही देर हो रही थी इसलिए वह अपना काम जल्दी जल्दी निपटा रही थी|
दीपांकर उसकी सीट पर आकर उसे पुकारता हुआ कह रहा था – “रूबी ये सारी डॉक् फाइल अभी तैयार कर के सर का साइन ले लो मे बी कल वे यहाँ अवलेबल न हो |”
“पर सर इसमें एक घंटा और लग जाएगा जबकि मैं अभी भी ऑफ़ टाइम में काम कर रही हूँ |”
“सो व्हाट रूबी – डजन मैटर कि टाइम क्या हो रहा है ये काम ज्यादा जरुरी है -|”
कहता हुआ दीपांकर जाने लगता है तो रूबी उसे टोकना चाहती थी पर उसकी बात पर ध्यान न देते हुए वह उसकी ओर मुड़ते हुए आगे कहता है – “जितनी जल्दी तैयार होता है उतनी जल्दी लेकर पहुँचो |”
रूबी मन मारे दीपांकर को जाता हुआ देखती रही फिर दीवार घड़ी पर एक कड़क नज़र डालती हुई अपनी डेस्क पर बैठ जाती है|
धीरे धीरे बचा स्टाफ भी जाता जा रहा था पर रूबी का काम अभी भी बाकि तथा जिससे वह जल्दी जल्दी अपना काम निपटा रही थी| एक नज़र उसकी डेस्क स्क्रीन पर तो दूसरी नज़र दीवार घड़ी पर चली जाती जिसमे अब नौ बजने वाला था|
आकाश अपने केबिन में आराम से बैठा शराब का गिलास थामे बैठा था| उसके हाव भाव काफी रिलेक्स बने हुए थे वही उसके सामने की कुर्सी पर बैठा दीपांकर उसका गिलास खत्म होने से पहले ही एक नया पेग बनाने तुरंत बार की ओर उठ जाता है| तभी नॉक करके रूबी उस केबिन में प्रवेश करती है|
वह तुरंत आकाश की नज़रो के ठीक सामने आती उसका ध्यान फाइल की ओर लाती हुई कह रही थी – “सर आई प्रिटी मच फिनिस्ड माय वर्क -|”
उस वक़्त रूबी के हाव भाव में कुछ कुछ घबराहट समा गई थी जबकी आकाश की दिलचस्प भरी नज़र अब उसी पर टिक गई थी| अब तक दीपांकर आकाश के लिए नया गिलास रखता हुआ दूसरा गिलास उठाते हुए एक तिरछी नज़र रूबी पर डालता हुआ गिलास अन्यत्र डेस्क पर रखता हुआ केबिन से बाहर निकलने लगता है|
रूबी आकाश की नज़रो में बिना सीधा देखे कह रही थी – “सर आई विल डू द रेस्ट टूमारो |”
“रिलैक्स रूबी आई विल ड्राप यू होम |” वह हुकुम देता हुआ कहता बाक़ी बात उसे इशारे से कहता उसे एस्ट्रे उठाने का संकेत करता है|
इससे रूबी बार के पास वाली डेस्क पर रखी एस्ट्रे उठाने उस ओर चल देती है|
तभी केबिन में दो प्रतिक्रिया एकसाथ होती है| दीपांकर का केबिन से बाहर जाना और उसी पल केबिन में किसी और का आना जिसपर आकाश का ध्यान नही जाता| वह झुककर सिगरेट सुलगा रहा था|
केबिन के डोर के बंद होने की आवाज पर भी जब आकाश उस आगंतुक की ओर नही देखता तो वह उसकी ओर तेजी से आती आकाश की उंगलियों के बीच से सुलगी सिगरेट लेती हुई कहती है –
“ओह थैंक्स सच में इसी आग की जरुरत थी|”
“स्टैला..!!” आवाज सुनते आकाश बुरी तरह से चौंकता हुआ अपनी कुर्सी पर लगभग उछल ही जाता है|
जहाँ आकाश के हाव भाव हैरान बने हुए थे वही स्टैला नजाकत से उस सिरगेट का कश भीतर तक से लेकर बाहर छोड़ती हुई एक गहरी नज़र आकाश पर डालती हुई कह रही थी –
“तुम मुझे देखकर अब चौंकते बहुत ज्यादा हो जबकि मुझे तुमसे कुछ अलग ही अहसास की उम्मीद रहती है |”
कहती हुई सिगरेट को दुबारा आकाश के खुले होंठो के बीच रखने लगती है पर इस व्यवहार पर बुरी तरह उखड़ते हुए आकाश सिरगेट को एक ओर फेंकता हुआ बोल उठा –
“तुम यहाँ ??”
“आखिर मुझे ही तो ढूंढते रहते है तुम्हारे आदमी तो सोचा आज खुद ही तुम्हारे पास चला जाए |” कहती हुई दिलकशी से वह हँस देती है|
तभी एक बात पर दोनों का ध्यान एकसाथ गया| वहां उनके अलावा रूबी भी मौजूद थी इस बात पर उनका ध्यान देर से गया जिससे आकाश जहाँ हडबडा जाता है तो वही स्टैला उसे तिरछी नज़र से देखने लगी थी|
रूबी संकुचाई हुई एस्ट्रे मेज पर रखती हुई दो पल ठहरती है तो आकाश उसे देखता हुआ जल्दी से कहता है – “यू कैन गो नाव |”
रूबी को बस इसी बात का इंतजार था ये सुनते वह तुरंत ही केबिन से बाहर हो जाती है|
केबिन का डोर बन्द होते आकाश तेजी से स्टैला की ओर झुकता हुआ तेजी से चीखा – “अब क्या चाहिए तुम्हे – तुम्हारी सारी नाजायज डिमांड पूरी कर रहा हूँ न – बस तुम अपनी बात से पीछे हट जाती हो |”
आकाश जितना उखड़ा हुआ बोल रहा था स्टैला उतनी ही शांत भाव से कह रही थी – “ओह डार्लिंग नाजायज रिश्ते के लिए नाजायज डिमांड तो होगी ही न |”
वह अदा से उसकी ओर देखने लगी तो आकाश हिकारत भाव से उसकी ओर से मुंह फेर लेता है| इससे स्टैला आकाश के पास आती उसके कंधो पर उंगली फेरती हुई कहने लगी –
“क्या बार बार तुम उन फोटोस की बात करते हो – तुम ये समझो कि वो तो हमारी यादें है उस वक़्त की जब मैं तुम्हारी जरुरत हुआ करती थी पर अब तुम मुझे वैसे देखते ही नही |” वह कहती कहती उसकी कुर्सी के हत्थे पर खुद को हलके से टीकाकर उसकी ओर झुकती हुई उसकी शर्ट के ऊपरी बटन को खोलती हुई कहती है – “और यादों को संभाला जाता है किसी को दिया थोड़े जाता है – मैं तो सच में चाहती हूँ कि सब कुछ वैसा ही चलता रहना चाहिए मतलब कि तुम्हारी मुझपर नज़रे इनायत और हमारा रिश्ता भी -|” धीरे धीरे स्टैला उसकी शर्ट का अगला बटन खोलने लगी जिससे आकाश उसका हाथ अपनी ओर से झिडकना चाहता था पर स्टैला हलके से उसे घूरती हुई उस बटन को खोलकर अगले बटन को खोलने का उपक्रम करती हुई कहने लगी – “तुम समझते क्यों नही – उन तस्वीरो का मेरे पास होना तुम्हे ज्यादा सुरक्षित करता है – देखो कितनी फ़िक्र रहती है मुझे तुम्हारी – चाहती तो वे तस्वीरे किसी ओर को बेचकर भी कमा सकती थी आखिर कितने लोग है जो आकाश दीवान के निजी जीवन को जानना चाहते है|”
इस बात पर आकाश बुरी तरह से उसे घूरता हुआ देखता है जबकि स्टैला अभी भी मादक नज़र से उसे देखती हुई कह रही थी – “पर नही किया न मैंने – बिकॉज आई लव यू – तुममे वाकई कुछ अलग बात है जिससे मैं तुम्हे छोड़ना ही नही चाहती |” कहती हुई उसके खुले सीने को चूमती हुई आकाश के चेहरे की ओर देखती है जो सख्त भाव से अन्यत्र देख रहा था|
इससे वह नही देख पाया कि अब स्टैला के हाव भाव में हलकी नाराजगी के पुट नज़र आने लगे थे| वह झट से उसके सीने का एक बाल खींचकर तोड़ देती है जिससे आकाश एकदम से तिलमिला जाता है और स्टैला को अपने आप से दूर करता हुआ चीख उठा –
“ये क्या बेहूदगी है ?”
“ये बताने के लिए कि मुझे अपनी इन्सल्ट कतई पसंद नही – समझे |”
अब आकाश के साथ साथ स्टैला भी खड़ी हो गई थी| अब दोनों आमने सामने खड़े एकदूसरे को घूर रहे थे|
अगले कुछ पल तक वहां साइलेंट रहता है फिर उसके अगले पल स्टैला अपने पर्स से एक सिगरेट निकालती अन्यत्र कुर्सी पर बैठकर उसे सुलगाती हुई कहती है – “बस इसीलिए मैं तुमसे मिलने आई थी|”
आकाश संशय में पड़ा उसकी ओर देखता अपनी कुर्सी पर दुबारा बैठ गया था|
“मिस्टर रंजीत!! रंजीतइंटरप्राइजेज के मालिक रंजीतने भी यही हिमाकत की है – और अब मैं उसकी रुखाई का जवाब उसे अपने तरीके से देना चाहती हूँ |”
अब आकाश उसकी बात पर गहरी दिलचस्पी लेता हुआ अपना गिलास उठाकर उसे धीरे धीरे सिप करता हुआ उसकी ओर नज़रे जमाए रहा जो अपनी बात कहे जा रही|
“मैं तो बस उसका इंटरव्यू लेना चाहती थी – एक घंटे की बात थी जिसके लिए मैंने अपने कितने दिन बर्बाद किए पर उस बन्दे ने इस बात को कंसीडर करने के बजाये मुझसे मिलना तो दूर फोन पर भी मुझसे बात नही की – सोचो मुझसे – इंटरव्यू शोज में मिडिया में आज स्टैला का सामने दूसरा कोई नाम नही उसने उसे मना कर दिया – तुम्हे पता है मैंने उसके इंटरव्यू के लिए अपने कितने शो कैंसिल कर दिए – उसका स्लॉट तक बुक था फिर भी वह नही आया और ये छोड़ो इसके लिए कोई ओप्लाईज तक नही किया – पता है इससे मेरी इमेज को कितना नुक्सान उठाना पड़ा – मेरा एडिटर तक मुझपर हँस रहा था जो हर इंटरव्यू के लिए मेरे सामने हाथ जोड़े खड़ा रहता था |” कहती हुई वह बची सिगरेट के कुछ गहरे गहरे कश लेने लगती है|
अब आकाश के चेहरे के भाव कुछ हलके हो उठे थे| वह अगले घूंट में सारा ग्लास खत्म करके बार की ओर उठकर चल देता है|
“डार्लिंग फॉर मी टू |” स्टैला तर्जनी उठाकर आकाश को संकेत करती है|
स्टैला आगे कहती रही – “पता नही किस बात का ईगो है उसे – सुना है किसी को कभी कोई इंटरव्यू या तस्वीर तक नही देता – मुझे भी याद नही कि पिछली बार कब उसकी तस्वीर मैंने स्क्रीन में देखी थी इसलिए मैं चाहती थी कि मैं उस बिलेनियर को सबके सामने लाऊं पर इसने तो मेरे सारे किए कराए पर पानी फेर दिया |” वह गुस्से में हथेलियाँ आपस में मलती रही|
अगले ही पल आकाश दो गिलास लाता हुआ एक को स्टैला के सामने रखता हुआ कहता है –
“मुझसे क्यों मिलने आई ये बताओ |”
“अगर मैं गलत नही हूँ तो तुम रंजीतको जानते हो न ?”
“सभी बिलेनियर एकदूसरे को जानते है इसमें कौन सी सीक्रेट बात है |”
“मेरा मतलब था कि तुम दस साल के पहले के रंजीतको भी जानते हो – एम अ राईट ?”
इस बात पर आकाश मौन उसकी ओर देखता रहा|
“जब एब्रोड से वह अपनी पढ़ाई खत्म करके वापस आया था तब का रंजीतकैसा था और अब ऐसा क्यों है – मैं सब जानना चाहती हूँ – क्योंकि उसे ये पता नही कि जो छिपा है उसे ही सबके सामने लाने में मेरी गहरी दिलचस्पी है|”
“हाँ वही तो करती रहती हो तुम |”
दांत भीचे हुए आकाश कहता है तो इस पर स्टैला हलके से हँसती हुई कहती है –
“और इस बार मुझे इसमें तुम्हारी मदद चाहिए – समझो ये भी हमारे सौदे में शामिल हो गया आज से |”
“नोंसेंस – इसमें मैं क्या कर सकता हूँ ?”
“क्योंकि मुझे उसे समझने उसका इतिहास खंगालने की जरुरत है और दस साल पहले वह कैसा था ये बताने वाला अभी मुझे तुम्हारे अलावा कोई नही मिला – तुम दोनों ने शायद साथ में अब्रोड में कोर्स किया था |”
“हाँ तो – वहां मैनजमेंट पर पढाई करने वाले हमारे जैसे कई भारतीय थे तो जाओ उन सबको ढूँढो |”
“तुम हो तो मैं किसी और को क्यों ढूंढू – तुम मुझे बताओगे उसका इतिहास |”
“लिसेन स्टैला तुम्हे जो फालतू काम करना हो करो – आई डोंट केयर – बस तुम मुझे वो ड्राइव कैसे दोगी ये मुझे बताओ |”
“ओके ये तुम्हारा मेरा लास्ट सौदा तय रहा – तुम मुझे रंजीतके बारे में बताओगे और मैं तुम्हे वो ड्राइव दे दूंगी – आई प्रोमिस |”
इस बात पर आकाश एक तेज नज़र उस पर डालता है तो इस पर स्टैला उसकी ओर हाथ बढाती हुई कहती है – “बिलीव मी – तुम मेरा काम करो और मैं तुम्हारा करुँगी |”
आकाश न चाहते हुए भी उसकी ओर अपना हाथ बढ़ा देता है|
स्टैला अपना गिलास खत्म करती अब उठने का उपक्रम करती हुई कहती है – “तो मिलते है डार्लिंग परसों अपनी उसी पुरानी जगह पर – एक आखिरी बार पास से तुम्हे महसूस तो कर लूँ |”
अपनी बात खत्म करती वह एक ठसक भरी हँसी छोड़ती अपनी हाई हील से ठक ठक करती हुई उस केबिन से बाहर निकल जाती है| उसके जाते आकाश उसे घूरता हुआ एक घूंट में सारा गिलास खत्म कर लेता है|
……………..क्रमशः………..

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