
बेइंतहा सफ़र इश्क का – 84
बेहद अजीब सी स्थिति में दोनों फसे एकबार एकदूसरे को देखते है फिर क्षितिज की ओर नज़र दौड़ा देते है जो आज बेहद जोश में था और हवा में दोनों हाथ हिला हिलाकर अपनी ख़ुशी प्रकट कर रहा था|
“आप सभी पारिसिपेंट पेरेंट्स से मेरा अनुरोध है कि वह अपनी अपनी जगह ग्रहण करे और आज हमे आपको लीड करने का प्यारा सा मौका दे – शुक्रिया |” ये नलिनी थी जो लगातार एनाउंस करती हुई अपनी वक्र नज़र दौड़ा लेती है|
जहाँ बाकी के पेरेंट्स बैठे थे अरुण और उजला को भी वही बैठना पड़ा| अरुण चाहकर भी कुछ न कह सका, वह बार बार अपराधबोध से उजला की ओर देखने की कोशिश करता पर उसकी नज़र तो क्षितिज पर टिकी थी जो हाथ हिलाकर उसकी उपस्थिति पर आज कुछ ज्यादा ही उत्साहित था|
“वेल – बच्चो को सबसे ज्यादा जानने वाली होती है मम्मी तो हम देखते है आज मम्मी कितना जानती है अपने किड्स को – पहला टास्क है टिफिन अरेंजमेंट – आपके सामने कुछ फ़ूड आइटम है और साथ में रखे है टिफिन तो मम्मी को क्या करना है – बस अपने अपने किड्स के लिए टिफिन अरेंजमेंट करने है – लेकिन लेकिन रुकिए ये सब आपको करना है टाइम लिमिट में तो प्लीज मैम आप सभी आ जाए और बजर साउंड तक अपने अपने किड्स के लिए लंच पैक करे |”
एनाउंस होते सारे पेरेंट्स में से लेडिज उठकर उस स्टाल तक चली गई जहाँ इससे सम्बंधित सारे अरेंजमेंट थे| लेकिन उन सबमे सबसे हैरान कर देने वाली बात तो अरुण के लिए रही जिसे उम्मीद भी नही थी कि ये सुनते उजला तुरंत उधर चली जाएगी| वह तो हैरान नज़रो से उसे देखता रहा लेकिन उजला की निगाह तो क्षितिज की खिली हुई मुस्कान पर थी| अरुण को क्या पता था आज मिसेज अरुण होकर जीने को वह भरपूर जी लेना चाहती थी| वह भी क्षितिज के प्रतिउत्तर में मुस्करा उठी थी|
स्टाल में सलाद से लेकर पके हुए आइटम से टेबल सजी थी साथ ही रखे थे कुछ टिफिन जिन्हें विसिल बजते उन सभी मम्मियो को उठाना था| विसिल बजी और सबने टिफिन लेकर उन्हें अरेंज करना शुरू कर दिया| सभी अपने अपने हिसाब से टिफिन में भोजन सजा रहे थे| वही खड़े कुछ सीनियर टीचर्स चुपचाप उन्हें वाच करते कुछ नोट करते जा रहे थे|
बजर बजा और सबके हाथ स्टॉप हो गए और साथ ही उनके अरेंज टिफिन भी अन्य टेबल पर सजा दिए गए| अब तक उपस्थित टीचर अपना नोट नलिनी तक पहुंचा चुके थे|
“वेल वेल – वेल्डन मम्मीज – आपने तो आज टिफिन के साथ जादू कर दिया – इतने कम समय में इतना बेहतरीन टिफिन अरेंजमेंट किया कि हम हैरान रह गए |”
ये सुनते अरुण एक हलकी नज़र उजला की ओर डालता है और उसके अगले ही पल वह चौंक जाता है ये देखकर नही कि चुनी हुई मम्मीज में उजला भी थी बल्कि इससे कि क्षितिज जहाँ ख़ुशी से उछल रहा था वही उजला भी ख़ुशी से उछल पड़ी थी|
“तो ये था थोड़ा सिंपल टास्क अब इसे बनाते है थोड़ा काम्प्लेक्स -|” नलिनी चहकती हुई कहे जा रही थी – “अबकी मम्मी की डबल परीक्षा होगी – सोचे अगर किड्स को स्कूल के लिए देर हो रही है और उसी वक़्त पापा को भी तैयार होकर ऑफिस पहुँच ना है तो हमारी सुपर मम्मीज आखिर इसे कैसे हैंडिल करेगी – तो देर किस बात की है अभी देख लेते है|”
सभी फादर जहाँ इस बात पर मुस्करा रहे थे वही मम्मीज के हाव भाव में थोड़ी चिंता मिला डर दिखने लगा था|
“नलिनी फिर कह उठी – “उपस्थित सर आपसे एक छोटी सी रिकुएस्ट है – आप सभी प्लीज अपने अपने ब्लेजर और टाई निकाल ले – प्लीज़ टीचर्स आप उनकी थोड़ी हेल्प करे |”
नलिनी के कहते कुछ टीचर्स उन सभी सूटेड बूटेड लोगो के पास जाकर उनका ब्लेजर और टाई लेकर उनके बगल के स्टैंड पर सजा देते है| अरुण भी उनके बीच फसा हुआ चुपचाप वही करने लगा| इस बीच उजला ने एक बार भी अरुण की ओर सीधा नही देखा|
नलिनी आगे कहने लगी – “सॉरी फॉर इन्कंविनेस पर क्या करे मम्मीज की परीक्षा के लिए हमे आपसे ये कराना पड़ा – अब तक बजर टाइम में आपने टिफिन बनाया था अब आपको उसी टाइम में अपने हसबेंड की तैयार होने में मदद भी करनी है – यस आपने सही समझा – एक तरफ अपने किड्स के टिफिन अरेंज करना तो दूसरी तरफ अपने हसबैंड की तैयार होने में मदद करना और प्लीज़ डैडीज आप इसमें मम्मीज की बिलकुल हेल्प नही करेंगे – सो लेट्स स्टार्ट |”
कुछ अजब सा माहौल बन गया था| क्षितिज के साथ साथ बाकी के बच्चे भी अपने अपने माता पिता के लिए चियर्स कर रहे थे|
उन सबके बीच एक ऐसा जोड़ा भी था जो साथ तो खड़ा था पर जाने पहचाने अनजानो की तरह|
वे एकदूसरे के सामने थे| बजर बजा और उजला के साथ बाकी की लेडिज भी अपने अपने हसबैंड की ओर आ गई थी और उन्हें ब्लेजर पहनाने और उनकी टाई बाँधने लगी|
उजला एक नज़र उनकी ओर दौड़ाती परेशान हो उठी दूसरी ओर क्षितिज भी अब चुपचाप उनकी ओर देख रहा था| इस एक पल उन दोनों ने अब किसी को नहीं देखा बस नज़र उठाकर एकदूसरे की ओर देखा और जैसे सारा अनकहा उन्होंने समझ लिया| उजला को टाई बांधनी नही आती थी वह होंठ का कोना दाबे खड़ी थी| अरुण ने ये मौन ही समझ लिया|
फिर उसके अगले ही पल बिन शब्दों के जैसे वे दोनों एकदूसरे से बात करने लगे| अरुण आँखों के इशारे से उसे टाई बांधना बता रहा था और वह भी बिन शब्दों के सब समझ ले रही थी| यूँ गले के डाला यूँ पहले घुमाकर गांठ लगाई और टाई झट से तैयार| ये देख उजला झट से अरुण को ब्लेजर पहनाने लगती है और उसके तुरंत बाद ही वह टिफिन अरेंजमेंट की ओर चली गई| जल्दी से टिफिन अरेंज करके वह खड़ी ही हुई कि तब बजर बजा और उसी के साथ बस तीन और लेडिज ही अपना टास्क पूरा कर पाई थी|
उजला ज्यो ही समझ गई कि वह जीत गई वैसे ही वह बच्चो की तरह उछल पड़ी| अरुण हैरान अपनी जगह खड़ा उन निश्छल ख़ुशी की उमंग को देखता रह गया|
“वेल्डन सुपर मॉम्स – वाकई आज आप तो सुपर मॉम्स बन ही गई – रुकिए रुकिए अभी तो कहानी बाकी है -|” एक सरसरी निगाह डालती नलिनी मुस्कराती हुई कह रही थी – “मम्मीज तो हमारी सुपर मम्मीज निकली और पापा !! वो तो किड्स के सुपर डैड होते है – जो एक हाथ से मम्मी को तो दूसरे हाथ से अपने किड्स को संभाल लेते है |”
सभी पेरेंट्स हैरान नलिनी की ओर देखने लगे| वह चहकती हुई कहे जा रही थी – “अबकी टास्क को पूरा करना है हमारे इन्ही सुपर डैडीज को – करना क्या है ? बड़ा आसान है – मम्मीज को बस आज पैर जमी में नही रखना है – उसके लिए डैडीज को दो कुशन दिए जाएँगे जिन्हें एक लाइन में उठा उठाकर उन्हें मम्मीज के आगे रखना है और मम्मीज को बस उसी में पैर रखना है – और सबसे खास बात आप एकदूसरे का बस हाथ पकड़े रहेंगे और कोई सहारा नही ले सकते – सो लेट्स स्टार्ट |”
उसके कहते सभी मम्मी पापा और अरुण उजला भी वही आ गए| अरुण को अब ये सब बहुत अजीब लगने लगा इसका संकोच उसके हाव भाव में दिखने लगा पर वह इस तरह फस गया था कि वहां से निकल भी नही सकता था| आखिर क्षितिज की उम्मीद भरी नज़रे कैसे वह पार करके निकल जाए|
कतार से सभी मम्मीज और डैडीज खड़े हो गए और सबने अपनी अपनी पत्नी का हाथ पकड़ लिया अब अरुण और भी हिचकिचा उठा| सभी उसकी ओर यूँ देखने लगे जैसे कह रहे हो शुरू करे !! उसने जिस हिचकिचाहट के साथ उजला का हाथ थामा उसे उजला ने बड़े विश्वास से कसकर पकड़ लिया| कुछ अलग सा उसके मन में से गुजरने लगा| वह सोचने लगा कि आखिर क्यों ये हाथ उसे अनजान नही लग रहे !! वह उसकी हथेली थामे उसकी ओर देख रहा था पर उजला तो कुछ और ही हुई जा रही थी| वह उस प्रतियोगिता के लिए जैसे कमर कस चुकी थी|
जहाँ और मम्मीज जींस और स्पोट्सी लुक में थी वही उजला साडी में थी पर उसी पल वह साडी की प्लेटो वाला कोना उठाकर अपनी कमर में कसती हुई अरुण का हाथ कसकर पकड़ लेती है जैसे बिन शब्दों के कह रही थी बस अब हम साथ में इस बाधा को पार कर लेंगे|
वह भी उस पल सब भूलकर एक हाथ से उसकी हथेली थामे दूसरे हाथ से झुककर कुशन पकड़े था और विसिल बजते वे बस खिलाडी बन गए| अरुण जल्दी जल्दी दोनों कुशन क्रमशः उसके कदमो के आगे रखता जाता और उजला भी उसी फुर्ती से उन कुशन से रास्ता पार करती रहती| सभी को ऐसा करना था पर कोई कुशन और कदमो का सही तालमेल नही बिठा पाया तो कोई अपनी पत्नी का हाथ नही पकड़े रह सका|
एक एक करके सभी छठते गए और सभी की नज़रे एक ऐसे कपल पर ठहरी रह गई जिन्होंने न एकदूसरे का हाथ छोड़ा था बल्कि साथ ही कुशन और कदमो का सही सही ताल मेल भी बिठा ले रहे थे| उस पर कुछ अलग ही समा बन गया|
बजर बजा बाद में और वे उससे पहले ही समाप्ति लाइन को पार कर चुके थे| उस पर लगा वे दोनों मारे ख़ुशी के गले ही लग जाएँगे पर उसी क्षण एक संकोच के साथ वे हलके से मुस्कराकर एकदूसरे की ओर देखते हुए क्षितिज की ओर नजर दौड़ा देते है जो उन्हें जीतता हुआ देखे अपनी जगह खड़ा ख़ुशी से नाच ही उठा था|
“मार्वलेस – अब आगे…|” इससे पहले कि नलिनी आगे कुछ कहती एक अन्य टीचर प्रिंसपल का सन्देश उसके कानो में कह सुनाता है| नलिनी नज़र घुमाकर प्रिंसपल की ओर देखती समझ जाती है कि मौजूदा पेरेंट्स अब और नही रुकना चाहते थे| ये बड़े बड़े धनपतियो के बच्चो का स्कूल था तो जाहिर सी बात है सभी बिजनेस टाइकून थे इससे उनके लिए इतना समय भी निकाल पाना बहुत ज्यादा ही था|
वे सभी जाने को व्यग्र हो उठे| इससे नलिनी को सब समाप्त करने का संकेत दे दिया गया|
“क्या करे पल कितना भी खूबसूरत हो आखिर बीत ही जाता है – आई होप आज आप सबको अपने अपने किड्स के लिए यहाँ होना बहुत अच्छा लगा होगा – हमने भी आपके साथ बहुत एन्जॉय किया – सभी को लोटस ऑफ़ थैंक्स – अब कम्पटीशन है तो विनर भी होगा – यूँ तो सबने हमे बहुत हैरान किया – वेरी मच थैंक्स तो आल ऑफ़ यू – |”
इतना कहते वहां उपस्थित टीचर्स और बच्चे तालियाँ बजाने लगते है|
“इसके लिए माफ़ी चाहेंगे क्योंकि हमने कुछ काईटीरिया रखे थे जैसे किसका टिफिन हेल्दी होने के साथ वैराइटी रखता है – कौन सुपर मॉम और कौन सुपर डैड है और कितनी अच्छी बोन्डिंग है पेरेंट्स में क्योंकि ये सब कुछ गुड पेरेंटिंग में हेल्प फुल होती है – पर अपना विनर चुनने से पहले हम एक लास्ट रिकुएस्ट आपसे चाहेंगे – ये हुई आपकी अपने किड्स के लिए फ़िक्र और गुड पेरेंटिंग अब हम जानना चाहेंगे कि आप सभी अपने किड्स को कितना जानते है – इसके लिए हमने बस एक छोटी सी प्रक्रिया रखी है – आप सभी उस टेबल को देख रहे है जहाँ कुछ गिफ्ट और कार्ड्स रखे है – वे सभी गिफ्ट हमारे उन विनर्स बच्चो के है जिन्होंने बीते समय किसी न किसी काम्पिटिशन में उन्हें जीता था और उन कार्ड्स में लिखे है उन कम्पटीशन के नाम – तो बस आपको सबसे पहले चुनकर सही कार्ड्स और उसमे जीता जाने वाला गिफ्ट लाना है – आई होप ये आपके लिए आसान होगा क्योंकि ये वही गिफ्ट्स है जो बच्चो को पहले दिए गए फिर हमने इस कम्पटीशन के लिए उनसे मंगा लिए – सो लेट्स स्टार्ट..|”
अगला विसिल बजते सारे पेरेंट्स उस टेबल के पास पहुँच गए और उसमे अपने बच्चो के गिफ्ट्स और उसका सही कार्ड्स तलाशने लगे|
ये लगभग पेरेट्स के लिए सबसे मुश्किल टास्क था| वे सभी बड़े बड़े उद्यमी थे और बहुत ही कम समय वे अपने बच्चो के संग बिता पाते| काफी पेरेंट्स तो हकबका गए तो कुछ गलत सामान ले आए लेकिन उन सबके बीच बस उजला और अरुण के लिए ये सबसे आसान टास्क था और उन्होंने झट से वो पोयम कम्पटीशन का कार्ड और जीता हुआ कप साथ में पहचान लिया|
नलिनी मुस्करा कर उनकी ओर देखने लगी क्योंकि उसे अपने विनर मिल चुके थे|
“वेल्डन पेरेंट्स – आई थिंक हमे अपने विनर मॉम और डैड मिल गए – मिस्टर एंड मिसेज दीवान…|”
नलिनी अपनी बात पूरी भी नही कर पाई कि एक साथी टीचर उसके पास भागती हुई आती उसके कानो में कुछ फुसफुसाई और उसके अगले ही पल माइक ऑफ़ करके वह उस टीचर की ओर हैरान देखने लगी जो दबे स्वर में कह रही थी –
‘व्हाट आर यू डूइंग नलिनी – ये मिस्टर आकाश दीवान नही है और न ये उनकी पत्नी – ये उनके छोटे भाई है मिस्टर अरुण और इनके साथ में कौन है हम नही जानते – यहाँ बस पेरेंट्स विनर हो सकते है – मुझे लगा था इन्होने वोलेंटीयर पार्टिसिपेंट करा है|’
नलिनी हैरान एक पल उस टीचर को तो दूसरे पल उन पेयर को देखने लगी| आखिर रूल के खिलाफ कैसे जाती और उसे मन मारे किसी अन्य पेरेंट्स को विनर चुनना पड़ा|
आखिर ये सारा तामझाम खत्म हुआ और सभी इधर उधर हो गए| सारे किड्स भी अपने अपने पेरेंट्स के पास आ गए| क्षितिज भी अरुण की ओर दौड़ता हुआ चला आया|
“चाचू – आंटी आप दोनों तो बेस्ट है |” क्षितिज अपनी बात कहता अत्यधिक ख़ुशी से नाच उठा था|
इस पर वे दोनों हलके से मुस्करा लेते है|
“और मेरी ओर से आप दोनों सबसे बेस्ट कपल है – मन करता है आप दोनों को मनभर देखती रहूँ – क्या मैं आपकी एक फोटो क्लिक कर सकती हूँ ?” ये नलिनी थी जो उनके पास आती कह रही थी – “आप दोनों में क्या गजब की अनकाउंटटेबल अंडरस्टैंडिंग है – रियली इम्प्रेस्ड – किसी ने क्या देखा नही पता पर मैं तो आप दोनों के आँखों का मौन की समझ देखती रह गई – जस्ट वाओ |”
उस पल वे दोनों जैसे अपने स्थान पर जम गए आखिर क्या कहते !! खुलकर मुस्करा भी न सके बस संकुचाते रह गए|
नलिनी ने वाकई उनकी साथ में तस्वीर उतार ली और चली गई वे मना भी न कर सके|
इन सबमे सबसे खुश तो क्षितिज था उसे पता लग गया कि विनर्स पेरेंट्स ही बन सकते है पर सबकी नज़रो में उसके चाचू और आंटी सबको पीछे छोड़कर जीत चुके थे|
अब सभी को स्कूल की ओर से दी जाने वाली टी पार्टी में शामिल होना था जिसमे कुछ पेरेंट्स जा भी रहे थे तो कुछ नहीं भी| अरुण वापस जाना चाहता था पर क्षितिज के कहने पर थोड़ी और देर रुक गया| वह आगे बढ़ गया पीछे उजला तो क्षितिज चल रहा था| तभी एक बच्चा जो अपने पेरेंट्स से थोड़ा पीछे था क्षितिज को हलके से पुश करता है|
वह एक तरह से क्षितिज को धमका रहा था क्योंकि उसके पेरेंट्स विनर नही बने थे बल्कि पहले ही एलिमिनेट हो गए| बच्चे आपसी हेकड़ी में थे| क्षितिज एक इनोसेंट बच्चा था वह उससे सहम गया इसपर वह बच्चा थोडा और कसकर उसे आँखों से घूरते चिढाने लगा इससे क्षितिज नजर झुकाकर उदास हो गया|
तभी जो वे दोनों बच्चे नही देख पाए कि अचानक से उजला उनके बीच आ धमकी और उस बच्चे के कान के पास आती दबे स्वर में कहने लगी – ‘मैंने सुना है जो बैड बॉयज होते है रात को उनसे मिलने बुरी वाली परी आती है – अरे परी नही भूतनी आती है उलटे पैर और लाल लाल आँखों वाली – क्यों क्षितिज आज रात उस भूतनी को इसके घर भेज दे – मैं भेज दूंगी – मुझे जादू आता है – बोलो फिर वो तुमको ले जाएगी अपने साथ |’
उजला ने जिस तरह डराते हुए अपनी बात कही वह बच्चा एकदम से डर गया और मरी मरी हालत में क्षितिज की ओर देखने लगा|
उजला फिर कहने लगी –‘मैंने बोल दिया जो क्षितिज को परेशान करे उसे उसी अँधेरे वाले कमरे में बंद कर देना जिसमे बड़ी सी मयाऊ रहती है |’ कहती हुई वह अपनी बड़ी बड़ी ऑंखें और फैला लेती है जिससे वह बच्चा डर जाता है और माफ़ी के अंदाज में क्षितिज की ओर देखने लगता है|
तभी उस बच्चे के पेरेंट्स का ध्यान अपने से पीछे छूटे बच्चे की ओर जाता है और उसकी मम्मी जल्दी से अपने बच्चे के पास आती है उजला उन्हें आता देख तुरंत ही अपना स्वर बदलती उस बच्चे को प्यार से पुचकारती हुई थोड़ा तेज स्वर में बोल उठी – “अरे वाह तुम कितने प्यारे बच्चे हो – अब से ऐसे ही क्षितिज के बेस्ट फ्रेंड बनकर रहना – परी को भी यही बात बतानी पड़ेगी न |”
पल में उजला मुस्कराकर अपना धमकी भरा चेहरा उसकी माँ से छिपा लेती है और बच्चा भी सहमा सा अपनी माँ की तरफ भाग जाता है| उजला ने उस बच्चे को धमका भी दिया और पता भी नही लगने दिया| ये देख क्षितिज मुंह पर दोनों हाथ रखे हँसी रोक रहा था|
पर ये सब कोई और नज़र भी देख रही थी जो बार बार पलके झपकाती हुई खुद को यकीन दिला रही थी| एक ही दिन में वह उजला के दो बिलकुल अलग रूप देख चुका था और वाकई बहुत हैरान था|
उजला अब खुद को संभालती मुस्कराती हुई आगे बढ़ने लगी|
क्रमशः……..