Kahanikacarvan

बेइंतहा सफ़र इश्क का – 87

सभी ऑफिस के लिए निकल चुके थे| अरुण भी निकलना चाहता था पर भूमि ने उसे किसी काम से रोक लिया था| अब डाइनिंग टेबल पर अरुण, क्षितिज ही मौजूद थे| अगले ही पल भूमि आते एक स्वेटर अरुण की ओर बढाती हुई कहती है – “पहनो तो जरा इसे |”
अरुण तुरंत ब्लेजर उतारकर उसे पहनता हुआ कहता है – “बिलकुल फिट है भाभी – क्या कमाल का स्वेटर बुना है आपने !”
वह स्वेटर पर हाथ फिराते हुए कह रहा था जबकि भूमि उसके पास आती स्वेटर की फिटिंग को चेक करती हुई कहने लगी थी –
“हाँ सच में – क्या कमाल की फिटिंग दी है |”
“मतलब आप खरीद कर लायी है और मुझे लगा आपने बुना है |” अरुण कहता है|
यही वक़्त था जब उजला वहां आती है जिसकी ओर देखती हुई भूमि कहने लगी –
“इधर आओ उजला – ये है इसकी मास्टर – |”
भूमि के इस तरह कहती वह बुरी तरह से सकपका गई थी| अरुण भी तिरछी नज़र से उसकी ओर देख रहा था जबकि भूमि अभी भी कहे जा रही थी –
“मैं तो पिछले दो साल से इसे बुन रही थी – यूँही शौकिया शुरू किया था और लग नहीं रहा था कि इस सीजन भी इसे पूरा कर पाऊँगी और उजला जाने कब तुमने इसे पूरा भी कर दिया – |”
उजला बुरी तरह से हकबका गई थी न वह नज़र उठाकर उनकी ओर देख पा रही थी और न उससे कुछ जवाब ही देते बन रहा था|
भूमि कहती रही – “उजला तुम कोई जादूगर हो क्या – जाने कैसे इतनी सारे काम एकसाथ कर लेती हो – तुम्हारे आने से क्षितिज की तरफ से भी मैं कितनी निश्चिन्त हो गई हूँ – अच्छा गाती हो , अच्छा खाना बनाती हो और अब ये स्वेटर – लगता है रोज ही किसी नई उजला से मिल रही हूँ |”
भूमि अपनी जो बात हँसती हुई कह रही थी उस बात पर अरुण तीक्ष्ण नजर से उजला की ओर देख रहा था जबकि उजला जबरन टेबल की क्रोकरी ठीक करने में लगी थी|
“मम्मा मुझे भी ऐसा स्वेटर चाहिए |” तभी क्षितिज की आवाज पर सबका ध्यान उसकी ओर चला गया|
इस पर भूमि के कहने से पहले ही उजला धीरे से कहने लगी – “आप ऊन ला दीजिए मैं बना दूंगी |”
भूमि भी उसी तरह ख़ुशी से प्रतिउत्तर देती है – “ठीक है ला दूंगी लेकिन ज्यादा परेशान मत होना – जब समय मिले बना देना |”
उजला हाँ में सर हिलाती जाने लगती है, सबको लगता है बात खत्म हो गई लेकिन तभी अरुण कुछ ऐसा कहता है जिससे उजला के कदम वही ठिठक के रह जाते है|
“इतनी काबिलियत है उजला के हाथ में तो भाभी मुझे लगता है उजला को इससे कुछ बेहतर करना चाहिए – आई मीन टू से आपकी संस्था में इतनी सारी उद्यमी महिलाओ की चेन है तो आप क्यों नहीं उजला को उससे जोड़ देती – उसके कमाने का रास्ता भी हो जाएगा फिर उसे मेंशन के आश्रय की जरुरत भी नहीं रहेगी |” अपनी बात कहते हुए अरुण की सीधी नज़र उजला के हाव भाव पर थी|
उजला वाकई इस बात से बेहद परेशान नज़र आने लगी थी| भूमि भी अरुण की बात पर आगे कहने लगी –
“मैंने तो उजला को कहा भी था कि उसके पास अपना रोजगार और अपने पैसे होंगे – आखिर कब तक ऐसे गुमनामी का जीवन जीती रहेगी – क्यों उजला बोलो तो.. !”
“मैं सोचूंगी |” कहती हुई वह तुरंत उनकी नज़रो के परिदृश्य से हट जाती है| उसके अजीब व्यवहार पर वे उसे देखते रह जाते है|
तभी अरुण का मोबाईल बज उठा|
उस पार आकाश था और जल्दी जल्दी अपनी बात कह रहा था – “कहाँ हो ? तुम्हे अभी ऑफिस में होना चाहिए था – तुरंत कांफ्रेंस रूम में मिलो |”
अपनी बात कहकर आकाश तुरंत कॉल डिस्कनेक्ट कर देता है| अब अरुण तुरंत ऑफिस के लिए निकल पड़ता है| चलते वक़्त वह अभी भी वही स्वेटर पहने था जबकि ब्लेज़र उसकी बांह में झूल रहा था|
***
कांफ्रेंस रूम में दीवान साहब, आकाश और मेनका मौजूद थे और खामोश बैठे सामने प्रोजेक्टर में देख रहे थे| जहाँ मिस्टर ब्रिज उन्हें हालिया माहौल से अवगत कराता हुआ दिखा रहा था –
“ये है दीवान प्रोजेक्ट की वो जमीन जिसका काम लगभग तैयार है जिसके लिए सारी सरकारी और गैरसरकारी प्रक्रियाओं को पूरा कर लिया गया है लेकिन इससे इतर आप इस फैक्ट्री के इंट्रेंस पर बनी इस जमीन को देखिए – ये है सबसे बड़ी समस्या – जहाँ शाम से कुछ अराजकत तत्वों का आना जाना शुरू हो जाता है फिर उसके बाद से फैक्ट्री के मजदूरों का निकलना मुश्किल हो जाता है – मतलब आप जहाँ तक गलत समझ सकते है वो यहाँ काम होता है और उसका प्रभाव पड़ता है फैक्ट्री पर |”
इसी वक़्त अरुण वहां प्रवेश करता है और चुपचाप अपनी सीट पर बैठ जाता है| अरुण के आने पर ब्रिज कुछ क्षण को मौन होता है तो दीवान साहब उसे टोकते हुए कहते है –
“कंटिन्यु |”
“ओके सर – तो सर इक्जेक्ली प्रॉब्लम ये है कि इससे मजदूर परेशान हो रहे है – काम लास्ट तक पहुँच चुका है लेकिन खत्म नहीं हो पा रहा |”
आकाश तुरंत बोल उठता है – “तो कौन सी बड़ी बात है – पुलिस को रिपोट कर सकते है |”
“सुपरवाईजर ने सब किया सर – यहाँ तक कि कमिश्नर ऑफिस तक भी रिपोर्ट की लेकिन लोकल पुलिस के मिले होने से जब वहां कोई बड़ी जांच की टीम पहुँचती है तो सब बंद हो जाता है |”
“है कौन वो लोग ?” अरुण पूछता है|
अरुण के प्रश्न का उत्तर देने से पहले वह मेनका की ओर देखता है और अपने शब्दों को और नाप तौल लेता है – “सर गलत लोग है वे सब और उस जमीन पर शाम से रात तक जो गलत कर सकते है वो करते है जिस वजह से कोई महिला मजदूर वहां नहीं आती और भी बहुत तरह की प्रोब्लम हो रही है|”
“खरीद लो उस जमीन को |” अब सभी मिस्टर दीवान की ओर देखने लगे थे जो आगे कह रहे थे – “हमे फालतू की समस्या में नहीं पड़ना – वो लोकल गुंडे है – किसी भी कीमत पर खरीद लो उस जमीन को – समस्या जड़ से ही खत्म हो जाएगी |”
“ओके सर |”
“वेल लीव नॉव |” दीवान साहब के कहते ब्रिज तुरंत रूम से बाहर निकल जाता है|
अब दीवान साहब के अलावा आकाश, अरुण और मेनका की रूम में रह गए थे|
“अरुण |”
आवाज पर अरुण अपने पिता की ओर देखने लगा था जो आगे कह रहे थे –“उस गवर्नमेंट कॉन्ट्रैक्ट का क्या हुआ – एनी अपडेट !”
अरुण जल्दी से कहता है – “यस डैड मेरी भेजी कोटेशन अप्रूव हो गई है |”
“कोटेशन के एप्रूवल से क्या होगा इससे कॉन्ट्रैक्ट तो नहीं मिलेगा |” पीछे से आकाश जल्दी से कहता है|
“लेकिन मिलने का पर्सनटेज बढ़ जाएगा |” जवाब में अरुण कहता है|
“अरुण तुम्हे पता नहीं है पिछले पांच छह सालो से ये हमे नहीं मिला है तो तुम्हे क्या लगता है हमने कोशिश नहीं की होगी ?” आकाश तल्खी से जवाब देता है|
“तब तक कोटेशन भी अप्रूव नहीं हुई थी जबकि आज कम से कम ये तो अप्रूव हुई है तो मुझे उम्मीद है कि टेंडर भी पास हो जाएगा |”
“तुम..|”
आकाश अरुण की बात सुनते कुछ और कहने वाला था पर उससे पहले ही दीवान साहब उन्हें बीच में टोकते हुए कहते है – “आकाश अरुण – क्या तुम दोनों अपनी अपनी एनर्जी एकदूसरे से भिड़ने में ही यूज कर लोगे या इसके अलावा भी तुम दोनों का कोई प्लान है !”
दीवान साहब के टोकते अरुण तुरंत सर झुकाते कहता है – “सॉरी |”
जबकि आकाश अरुण की ओर तीखी नज़र से देखने लगा था| मेनका हतप्रभ उनकी ओर देख रही थी|
“मुझे बिलकुल उम्मीद नहीं थी कि तुम दोनों आपस में इस तरह भीड़ जाओगे |” कहते हुए दीवान साहब बारी बारी से दोनों की ओर देखते रहे – “वैसे भी लग रहा है जैसे कोई दीवान मेंशन में सेंध लगा रहा है और ऊपर से तुम दोनों का ये रवैया |”
“क्या मतलब डैड ?” अरुण चौंकता है|
“बहुत कुछ हो रहा है हमारी नाक के नीचे और हम समझ भी नहीं पा रहे – मुझे समझ नहीं आता हमारी प्राइवेसी की खबर बाहर तक कैसे जा सकती है – पिछली बार मैंने टैक्स में कुछ कटोती करने के लिए अकाउंट स्टेटमेंट चेंज करने की सोची ही थी उससे पहले ही सरकारी अफसर आ गया प्री टेक्स पेइंग के लिए – कभी हाथ आया टेंडर निकल जाता है – आखिर ये सब हो क्या रहा है – मैंने जिस सिस्टम को निजी होने के लिए बनवाया था उसकी खबरे बाहर तक जा रही है – आखिर कैसे ?” वे बारी बारी से तीनो को देखते है जबकि तीनो आपस में एकदूसरे की ओर देखने लगे थे|
कुछ पल के मौन के बाद वे आगे कहते है – “खैर इस बारे में बाद में देखते है पहले इस टेंडर को किसी भी तरह से हासिल करो – अगर इस बार हमे ये टेंडर मिल गया तो समझो हमारी खोयी किस्मत की चाभी फिर से हमे वापस मिल जाएगी – मार्किट में गया हमारा ट्रस्ट हमे फिर से वापस मिल जाएगा इसलिए अब तुम दोनों इस टेंडर के बारे में सोचो और साथ में इसकी प्रक्रिया पूरी करो |”
ये सुनते अरुण और आकाश साथ में हामी भरते है|
अब तीनो उठने लगे तो एकबार फिर से दीवान साहब बोलते है – “लेकिन इस बात का भी ध्यान रखना कि ये बहुत सिक्रेटली हो क्योंकि इसमें बहुत बड़ी रकम लगने वाली है और अगर हमारा टेंडर पास नही हुआ तो इनेशली अमाउंट वापस भी नहीं होगा |”
“ओके डैड |” कहते हुए अरुण और आकाश साथ में बाहर आ जाते है|
तब तक मेनका उस रूम से काफी आगे आती एक कॉल करती हुई बहुत धीमे से कह रही थी – “हाँ विवेक मीटिंग खत्म हो गई – बोलो क्यों कहा था कि मीटिंग खत्म होते मैं तुम्हे कॉल करूँ ?”
उधर से विवेक कहा रहा था – “हाँ किसी ख़ास जगह पर तुम्हे ले जाना था तो अब से पांच मिनट में मिलो अपनी पुरानी जगह पर फिर चलते है वही से |”
इस पर मेनका बड़े प्यार से हाँ कहती मुस्करा देती है|
वह नहीं जानती थी कि इस समय विवेक आकाश के केबिन में था और उसके सामानों के साथ छेड़छाड़ कर रहा था| जैसे ही मेनका का कॉल आया वह उसका लैपटॉप बंद करके तुरंत वहां से निकलने लगा कि तभी रूम का दरवाजा खुल गया….
क्रमशः……….

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