Kahanikacarvan

बेइंतहा सफ़र इश्क का – 92

एकदम से हवा का रुख पूरी तरह से बदल चुका था| रंजीत वकील के साथ पुलिस स्टेशन में बैठा था और अपने पिता से मिलने का समय मांग रहा था| वकील उनकी तबियत का हवाला देकर उनकी बेल कराने में लगे थे| इस सब प्रक्रिया के बीच रंजीत को बहुत ही सीमित समय के साथ अपने पिता से मिलने का समय दिया गया|
एक अदद छोटा हवाबंद डब्बे जैसा कमरा था जहाँ एक लम्बी बैंच पर उसके पिता दीवार का टेक लिए बैठे थे|
“डैड – आप ठीक तो है न – ये सब क्या हो रहा है ?”
रंजीत की हड़बड़ाहट को समझते वे उसे बैठने को कहते है – “मैं ठीक हूँ बेटा – अभी इनका डॉक्टर देखकर गया है मुझे – मेरी चिंता मत करो |”
“आप को इस हालात में देखकर भी आप मुझसे कैसे ये उम्मीद कर सकते है कि मैं खुद को शांत कर लूँगा – कुछ भी हो मैं ज्यादा देर तक आपको यहाँ नहीं रहने दूंगा |”
वे भरोसे से रंजीत का हाथ पकड़ते हुए कहते है – “मुझे तुमपर खुद पर से ज्यादा भरोसा है बेटा और इतना ही भरोसा मैं चाहता हूँ कि तुम मुझपर करो कि मैंने कुछ भी गलत नही किया लेकिन वक़्त और हालात इस समय मेरे विपरीत है बस|”
रंजीत मौन रहकर उनकी बात पर अपना सारा ध्यान लगाए था|
वे आगे कहने लगे – “तुम जानते हो कि हमारी कंपनी कोई प्रोडक्ट का निर्माण नहीं करती – ये बस एक फाईनेन्शल कंपनी के रूप में काम करती है – मेरी कंपनी कम आय वर्ग और समृद्ध व्यापारियों के बीच एक पुल की तरह काम करती है समझो आज बस ये पुल कमजोर हो गया है लेकिन मैं बताना चाहता हूँ कि ये पुल टूटा नहीं है बस कमजोर हुआ है – तुम बस किसी तरह से मेरी बेल करा दो – मैं बाहर आते सब ठीक कर दूंगा |”
“आप फ़िक्र मत करिए – मैं ज्यादा देर आपको यहाँ नही रहने दूंगा |” वह उनके हाथ पर अपना हाथ रखता हुआ भरोसा देता है| तभी एक पुलिस वाला आकर उसे बाहर जाने को कहता है|
रंजीत उस पल क्रोध को अपनी आँखों में दबाए वहां से निकल जाता है पर उसके बाद अगले कई घंटो से उनके वकील और ऑफिस के मेनेजर से हालात का जायजा ले रहा था|
ऑफिस का मेनेजर सारंग जी और वकील दुबे रंजीत के सामने बैठे थे| आधा दिन गुजर जाने के बाद भी उनके हाथ में कुछ नहीं आया था जिससे रंजीत बहुत अपसेट नज़र आ रहा था|
“दुबे जी आप डैड का सारा लीगल काम सँभालते है – कुछ तो रास्ता होगा आपके पास जिससे वे कम से कम जमानत पर ही बाहर आ जाए |”
वकील दुबे अपना हाथ फाइल पर समेटता हुआ कहना शुरू करता है – “रंजीत सर ये केस इतना भी आसान नहीं है जितना आपको लग रहा होगा – राय साहब पर केस करने वाले उनके अपने निवेशक है जब तक निवेशको को अपनी आरडी का भुगतान नहीं हो जाता वे मानने वाले नही है|”
वकील की बात पर निराशा से हाथ मलता हुआ रंजीत अब सारंग जी की ओर देखता हुआ कहता है –
“सारंग जी आप तो डैड के सबसे पुराने सहयोगी है – क्या आप कुछ भी ऐसा बीच का रास्ता नही निकाल सकते ?”
“मेरे बस में होता तो मैं राय साहब को एक दिन भी इस तरह के हालात में नहीं रहने देता – उनके व्यक्तिगत अहसान भी है मुझपर लेकिन हालात को समझो रंजीत…|”
इतने सुनते रंजीत क्रोध में टेबल पर हाथ मारते हुए चीखा – “ये है कौन निवेशक जो कल तक उनके साथ थे और अचानक उनके खिलाफ हो गए |”
अब दोनों बारी बारी से रंजीत को देखते है जो कह रहा था – “मुझे किसी भी कीमत में डैड को वहां से बाहर निकालना है – आप बस रास्ता बताए |”
वकील तुरंत बोलता है – “निवेशको को तय सीमा में अपना भुगतान नहीं मिला जिससे उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया उसके बाद राय साहब को कोर्ट की ओर से नोटिस मिला कि अगले बीस दिन में उन्हें उन सारे निवेशको को पंद्रह प्रतिशत ब्याज की दर्ज पर भुगतान करना था लेकिन राय साहब ने किसी का भी भुगतान नहीं किया जिसके कारण ही उन्हें हिरासत में लिया गया – अब मामला कोर्ट तक जा पहुंचा है और जब तक इसकी अगली हियरिंग नहीं होगी कुछ कह पाना मुश्किल है |”
“और वो रकम है कितनी ?”
“आठ हज़ार करोड़ |” सारंग जी सन्न हुआ रंजीत का चेहरा देखते हुए आगे कहते है – “रंजीत वे सारे निवेशक कम आय वर्ग वाले लोग है जिन्होंने हमेशा राय साहब की कंपनी पर भरोसा करके चिट फंड के जरिए अपना अपना पैसा लगाया और राय साहब ने भी हमेशा सही समय पर उन्हें उनका पैसा वापस किया |”
“फिर प्रोबलम क्या हो गई ?” रंजीत तुरंत चीखा|
“मार्किट में आई एक नई कावेरी चिट फंड योजना आने से समस्या हुई |”
“मतलब |” रंजीत हैरान नज़रो से देखता रहा|
सारंग जी आगे कहते है – “रंजीत बात को इस तरह से समझो – जब निवेशको का पैसा मेच्योर होने लगता था तब राय साहब की कंपनी नई नई योजनाओ को लौन्च कर देती जिससे उन निवेशको का पैसा दुबारा वे बिना वापस किए फिर से अपनी कम्पनी में इन्वेस्ट करा लेते थे और यही इन्वेस्टमेंट की स्ट्रेजिडी है – उसके बाद उनमे से बहुत ही कम लोग ऐसे होते थे जो अपना पैसा वापस ले लेते जिससे उन्हें किसी भी निवेशक को इक्कठे धनराशी वापस नही करनी पड़ती थी और इसी विश्वास के चलते इस बार उन्होंने बहुत बड़ी चिट फंड योजना चलाई थी जिसका सारा का सारा पैसा उन्होंने बहुत सारे व्यापारियों के व्यापार में लगा रखा है जो तय समय पर ही वापस मिलेगा – इस तरह सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन तभी मार्किट में कावेरी चिट फंड योजना नाम से नई इन्वेस्टमेंट स्कीम आई जो हमारी कम्पनी से कही ज्यादा ब्याज दर पर निवशको को कम समय में उनका धन दुगना वापस करने लगी जिससे सारे निवेशक अब हमारी स्कीम छोड़कर उस नई स्कीम की ओर शिफ्ट हो गए और समस्या इसी से शुरू हुई – अब राय साहब के लिए उन सारे निवेशको को एकसाथ उनकी धनराशी वापस करना मुश्किल है और निवेशक इंतजार करने को तैयार नही |”
“नई स्कीम लाने वाला है कौन ?” रंजीत पूछता है|
“सेठ धनश्याम दीवान एक उभरते हुए नए बिजनेसमैन जिन्होंने लगभग हर तरह की कम्पनी में अपने शेयर मजबूत कर रखे है – वे चाहे इस इन्वेस्टमेंट से स्किप कर सकते है |”
सारंग जी की बात पर रंजीत जल्दी से कहता है – “तो देर किस बात की है उनसे मीटिंग करिए – उन्हें समझाईए कि वे कुछ समय के लिए इस तरह के इन्वेस्टमेंट से अपना हाथ खींच ले तो शायद निवेशको पर कुछ दवाब बने |”
“बिलकुल बात करते पर वे मिले तब न |” रंजीत के हतप्रभ चेहरे को देखते हुए सारंग जी आगे कहते रहे – “मैं खुद कई बार कोशिश कर चुका हूँ पर दीवान साहब ने अभी तक मिलने का समय नही दिया – अगर मिल पाता तो उनसे कुछ समय के लिए अपना इन्वेस्टमेंट रोकने की प्रार्थना कर सकता |”
“तो सारंग जी बताईए कि अब आगे क्या कर सकते है |” रंजीत परेशानी में हाथ मलते हुए पूछता है|
सारंग जी कहते है – “अब बस एक आखिरी उम्मीद वे दो हज़ार निवेशक ही है अगर उनमे से कुछ भी लोग अपना केस वापस ले ले तो हमारा केस मजबूत हो जाएगा |”
“तो देर किस बात की है – उनमे से कुछ निवेशको को मजबूर कर दीजिए अपना केस वापस लेने के लिए बाय हुक और बाय क्रुक |”
“ये क्या कह रहे हो रंजीत – अगर राय साहब को पता चला तो उन्हें ये कतई अच्छा नही लगेगा – अगर उन्हें ऐसा ही करना होता तो वे जेल क्यों जाते |”
“लेकिन मैं उन्हें ऐसे नही देख सकता – आप बस उनमे से कुछ निवेशको संग मेरी मीटिंग कराइए बाकी सब मैं देख लूँगा |”
“ठीक है रंजीत – मैं बात करके अभी बताता हूँ |” कहते हुए सारंग जी के साथ साथ वकील भी उठकर बाहर चले गए| अब कमरे में अकेला बैठा रंजीत परेशानी में अपना माथा मसलने लगता है| इस वक़्त अपने पिता को बाहर लाने के सिवाए उसके दिमाग में कुछ नही चल रहा था कि तभी एक नौकर आता है जिसके हाथ में कोडलेस फोन था और जिसे उसकी ओर बढ़ाता हुआ वह कह रहा था –
“साहब एक फोन बार बार आ रहा है |”
“किसका ?” रंजीत चौंक जाता है|
“पता नही साहब – इसमें उनका सन्देश सेव है|”
रंजीत तुरंत उसके हाथ से कोडलेस फोन लेता हुआ उसमे सेव सन्देश सुनता है|
‘रंजीत जी मैं भूमि बोल रही हूँ आपने हमारी संस्था की जो मदद की उसके लिए आपके सम्मान में हमारी ओर से आज शाम सात बजे एक पार्टी रखी गई है – मुझे उम्मीद है आप उसमे जरुर आएँगे |’
रंजीत आंख बंद किए भी उस सन्देश को पहचान सकता था| ये भूमि थी जो खुद उसे निमंत्रण दे रही थी और एक तरफ उसकी दुनिया कितनी मजबूर थी वह चाहकर भी उसकी ओर कदम नही बढ़ा सकता था| तभी एक आवाज उसे फिर से चेतन में लाती है –
“रंजीत जल्दी चलो – कुछ निवेशको से मीटिंग फिक्स हो गई है – तुरंत आओ |” ये सारंग जी थे जो शायद अभी गए ही नहीं थे और फोन पर ही उन्होंने मीटिंग फिक्स कर ली थी| वह उठा और बाहर निकला ही था उनकी आवाज सुनते वह कोडलेस फोन को टेबल पर छोड़कर आगे बढ़ गया था|
***
सेठ दीवान सोच में डूबे अपने सामने बैठे शख्स की सुन रहे थे जो उनका सेकेटरी ब्रिज था|
“सर मार्किट पूरी तरह से आपके होल्ड में आ चुकी है लेकिन बस एक समस्या है अगर किसी बड़े बिजनेसमैन ने धनराशी से उनकी मदद कर दी तो आपकी स्कीम का असर कम हो जाएगा |”
“और वो कौन हो सकता है ?”
“सेठ धवल भाई जो सेठ धनपतराय के बड़े अच्छे मित्र भी है और सुना है अपने बच्चो के आपस में विवाह को इच्छुक भी है – एक बस वही है जिनके शेयर मार्किट में सबसे ज्यादा जगह बनाए है |”
“लेकिन उनके कुछ शेयर ऐसे भी तो होंगे जो दूसरी कम्पनी के पास होंगे उन्हें खरीद लो ताकि उनकी कम्पनी में हमारी कम्पनी की भी हिस्सेदारी हो जाए बाकी और किस तरह से उनसे बात करनी है ये मैं खुद देखता हूँ |”
“ओके सर |” कहता हुआ ब्रिज उठकर बाहर निकल जाता है|
उसके जाते सेठ दीवान फोन उठाकर एक कॉल लगाते है| उस पार से हड़बड़ाते हुए फोन उठाया जाता है|
ये आकाश था जो किसी होटल के रूम में किसी लड़की संग अपने अन्तरंग पल बिता रहा था और उसे इस वक़्त अपने पिता का फोन आने की बिलकुल उम्मीद नही थी|
“कहिए डैड |”
“तुरंत वापस आओ – तुम्हारी शादी तय कर रहा हूँ – ये हमारे बिजनेस के लिए जरुरी है|”
“ओके डैड |”
उसके इतना कहते फोन डिस्कनेक्ट हो जाता है और आकाश फोन रखता हुआ एक गहरा श्वास छोड़ता हुआ अपने बगल में लेटी लड़की की ओर देखता है जो अब परेशान भाव से उसकी ओर देखती हुई कह रही थी –
“तुम्हारी शादी !! आकाश तुमने तो मुझसे शादी का वादा किया था !”
“बेबी वादा किया था अग्रीमेंट तो साइन नही किया – फिर उन्माद में जाने मैं क्या क्या कह बैठता हूँ मुझे खुद भी याद नहीं रहता |” बेफिक्री से हँसते हुए आकाश अब उठकर कपड़े पहनने लगता है जबकि वह लड़की रुआंसी सी उसकी ओर देख रही थी|
***
जिंदगी बहुत कम मौका देती है खुद को सँभालने का और यही ठीक रंजीत के साथ हुआ जिस सात बजे भूमि को रंजीत का इंतज़ार रहा होगा उस वक़्त रंजीत निवेशको संग मीटिंग कर रहा था| बहुत तरह से समझाने और अपनी दलील रखने के बाद वह उन कुछ निवेशको को अपनी शिकायत में से कुछ पॉइंट हटाने पर मना पाया जिसके बाद आखिर अगली सुबह उसके पिता की जमानत हो पाई |
वह घर वापिस आ गए| लेकिन रंजीत उनकी हालत देखते मायूस हो उठा| एक ही दिन में उनकी हालत काफी बद्दतर नज़र आने लगी थी उनकी ऐसी हालत देखते रंजीत उनसे बच्चो सा लिपट गया|
“अरे रंजीत – बेटा मैं बिलकुल ठीक हूँ – बस थोड़ा थक गया हूँ – आराम करूँगा तो ठीक हो जाऊंगा |” अपनी बेहद थकी हुई धीमी आवाज में कहते धनपतराय उससे अलग होते चुपचाप बिस्तर पर बैठ जाते है|
उन्हें ठीक से लेटाकर रंजीत कुछ पल तक उनके पास बैठा रहा| ये उसका दिल ही जानता था कि उन सबके हालात किस दर्द से गुजर रहे है, उसके पिता ऑंखें बंद किए लेटे जरुर थे पर उनकी आँखों के भीतर बहुत कुछ चल रहा था इधर रंजीत भी हद तक खुद को जब्त किए मौन रहा|
तभी उसका साइलेंट मोबाईल उसकी पॉकेट में झनझना उठा जिससे वह तुरंत कमरे से बाहर निकलते कॉल रिसीव करता है| उसके पार सारंग जी थे जो जल्दी जल्दी अपनी बात कह रहे थे –
“राय साहब को जमानत पर रिहा किया गया है तो रंजीत हमारे पास बहुत ही कम समय है जो करना है जल्दी करना होगा – निवेशक ज्यादा देर शांत नहीं बैठेंगे –|”
“तो क्या दीवान साहब ने मिलने का समय दिया ?”
“नहीं अभी भी नहीं – मैं खुद परेशान हूँ क्योंकि इस समय एक वही है जो हमारी मदद कर सकते है लेकिन उनसे मिले तो कैसे मिले ?”
कुछ क्षण के मौन के बाद रंजीत आगे कहता है – “मेरे पास एक तरीका है – यहाँ हर रोज किसी न किसी बिजनेसमैन की पार्टी होती रहती है – बस आप पता करिए कि वे आज रात किस पार्टी में मिलेंगे – मैं वही पर उनसे मिलने की कोशिश करूँगा |”
“आई होप सो ये आइडिया काम कर जाए – मैं पता करके बताता हूँ |”
कॉल के डिस्कनेक्ट होते रंजीत वापस अपने पिता के पास जाकर बैठ जाता है|
क्रमशः………….

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