
बेइंतहा सफ़र इश्क का – 94
बहुत बड़ा फैसला था जो धवल भाई ने सिर्फ दोस्ती के खतिर ले लिया और रात में ही सेठ घनश्याम को फोन करके बताने का तय किया| मज़बूरी में किए गए फैसले अपने हाव भाव में उसकी छाप छोड़ ही देते है जिसे भांपती उनकी पत्नी आखिर पूछ बैठी –
“क्या सच में आप भूमि की शादी दीवान परिवार से तय करने का मन बना चुके है ?”
अपने हाव भाव को समेटते एक गहरा श्वांस खींचते हुए वे कहते है – “वक़्त ने ज्यादा सोचने का मौका नही दिया बाकी बेटी की किस्मत – फैसले तो लेने ही पड़ते है अब आगे जाकर वे गलत या सही कुछ भी साबित हो – ये हमारे बस में तो नहीं |”
आखिर वे फोन पर सेठ दीवान को अपना फैसला बताते हुए कहते है – “अब आप अगर आज ही वो शेयर्स मेरी कम्पनी के नाम कर दे तो…|”
“देखिए धवल भाई – मैं आपके व्यापारिक गुण का बड़ा प्रशंसक हूँ आपको पता होगा कि लेन के साथ देन भी आता है |”
धवल भाई बहुत अच्छे से उनकी मंशा समझ चुके थे कि दीवान कच्चा खिलाडी कतई नही है आखिर वे उसकी बात मान लेते है| जो वे चाहते थे सेठ दीवान ने उन्हें दे दिया और जो दीवान चाहते थे वो इतनी जल्दी संभव नही था तो उन्होंने सुबह के अखबार में आकाश और भूमि की शादी होने की खबर निकालने की उन्हें इज़ाज़त दे दी|
***
एक ही पल में रेत की तरह समय सबकी हथेली से सरक गया| धवल भाई जिस रुपयों के इंतजाम के साथ सेठ धनपतराय के घर आए उन्हें क्या पता था कि वो वक़्त निकल चुका है|
बाहर से ही कुछ अनहोनी होने का आभास उन्हें मिल गया| बड़े हॉल में काफी लोग एकत्र थे और कुछ लोग राय साहब के कमरे में आ जा रहे थे| पर उनका ध्यान किनारे बैठे रंजीत पर गया जिसकी गोद में सर रखे वर्तिका शायद सो गई थी| वह किसी रुके तूफान की तरह बैठा नज़र आ रहा था| वे उसकी तरफ बढ़ते हुए पूछते है –
“ये सब क्या हो गया ?”
आवाज सुनते रंजीत उनकी ओर नज़र उठाकर देखता है| उनकी आग्नेय ऑंखें बता रही थी कि वे दर्द में कितना भीगी और कितना जागी है| वे धीरे से वर्तिका का सर रखकर उसे ओढ़ाकर उठता हुआ अपने पिता के कमरे की ओर बढ़ जाता है| रंजीत को कुछ न कहते देख वे उसको आवाज लगाते हुए कहते है –
“रंजीत बेटा ये सब क्या हो गया – तुमने मुझे क्यों नही बताया – मैं धनपत को इस मुसीबत से निकाल लेता |”
अब रंजीत उनकी ओर मुड़ता हुआ सख्त स्वर में कहता है – “डॉक्टर का कहना है उनकी मौत हार्ट अटैक से हुई है पर शायद असल कारण वह डॉक्टर भी नहीं जानता |”
“रंजीत…!!”
“जानते है डैड हमेशा एक बात कहते थे कि हमारे पास क्या है ये इतना जरुरी नही जितना हमारे संग कौन है ये जरुरी है – फ़िक्र मत करिए उनके सारे अधूरे काम मैं पूरा करूँगा साथ ही सबका हिसाब चुकता भी करूँगा वो भी सूद समेत |” दांत पीसते हुए वह तेज कदमो से आगे बढ़ जाता है उसके आगे बढ़ने के साथ उसके पैरो में फस आया अख़बार का एक टुकड़ा भी बुरी तरह से कुचल जाता है जिसपर धवल भाई का भी ध्यान चला जाता है वह आज का वही अखबार था जिसमे आकाश और भूमि की शादी होने की खबर हेड लाइन की तरह छपी थी|
रंजीत समझता रहा कि धवल भाई और दीवान मिल गए और उन्होंने चाहकर भी उसके पिता की मदद नही की| बची कसर आकाश और भूमि की शादी की इस खबर ने इस बात को और भी पुख्ता कर दिया| अतीत कितना कुछ ले कर जा चुका था रंजीत से और बदले में एक रुखा बेजान इंसान बनाकर छोड़ गया था उसे| सब कुछ खोने के बाद अब बस वर्तिका ही उसके पास थी जो उसकी एकमात्र दुनिया थी|
इसके बाद का वक़्त रंजीत ने खुद अपने हौसले पर तय किया न धवल भाई की मदद ली और न कभी पलटकर पीछे देखा| जबकि अपना वादा देकर धवल भाई दोस्ती के साथ अपने दोस्ती की आखिरी उम्मीद भी खो चुके थे| एक तरफ भूमि की आकाश के साथ शादी हो गई तो दूसरी तरफ अपने पिता की गई इज्ज़त वापसी के लिए रंजीत ने शराब की स्मगलिंग का रास्ता चुना और उस रकम से अपने पिता पर आए सारे कर्ज को चुका दिया| कर्ज तो चुका दिया पर जिस दलदल में वह फंसा उससे फिर बाहर नही निकल सका|
रंजीत का अतीत उसके जहन में दर्द की तरह गुजर गया| जिस दर्द को अपने सीने में दबाए पिछले दस सालो से वह एक ख़ामोशी अपने में ओढ़े था लेकिन आज वो किसी टूटे बांध में तब्दील हो गई थी|
***
देर रात तक आकाश अपने केबिन में ही था वह दीपांकर संग बैठा कुछ डिस्कस कर रहा था तभी एक कॉल ने उसका ध्यान अपनी तरफ खींचा|
“हाय जानू – कैसे हो – क्या मुझे ही याद कर रहे थे |”
उस पार स्टैला थी जो अपने ही अंदाज में लहकती हुई बोल रही थी जबकि उसकी आवाज सुनते आकाश का मूड पूरी तरह से उखड़ गया लेकिन अबकी वह उससे संभलकर बात करने लगता है –
“हाँ कुछ ऐसा ही समझ लो |”
“ओह रियली !!”
“तुमसे दुबारा मिलना है – बोलो कहाँ मिलोगी ?” आकाश ही जानता था कि आज उसके मन के भाव उसके शब्दों से कतई मेल नहीं खा रहे थे|
“वूहू – लगता है पिछली हमारी मुलाकात वाकई जबरदस्त रही जिससे पुराना आकाश वापस आ रहा है – |”
“हाँ सच में मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ और अबकी बार की मुलाकात तुम्हे हमेशा के लिए याद रह जाएगी – आई प्रोमिस |”
“उफ़ ऐसे कहोगे तो मेरा दिल और भी मचल उठेगा और फिर जो कहने के लिए फोन किया था सब भूल जाउंगी मैं |” स्टैला नजाकत के साथ कहती रही और आकाश फोन लिए खामोश रहा|
“अच्छा एक क्लिप भेजी है उसे देखो तो !”
ये सुनते मोबाईल में ही अन्य स्किन में वह उसका भेजा वीडियो देखने के बाद तुरंत कहता है – “ये तो वही वीडियो का एक क्लिप भर है जो मैंने तुम्हे भेजा था |”
“पता है – पर अब जरा ध्यान से देखो तो |”
“हाँ देख लिया – क्या ख़ास है इसमें – रंजीत दिख रहा है – आखिर उसी पार्टी का वीडियो है |”
“डेमिड जरा ध्यान से देखो रंजीत की आँखों की दिशा की ओर |”
“हाँ हाँ देख लिया – अब ये बताओ कहना क्या चाहती हो ?” अब आकाश थोड़ा झल्ला उठा था|
“वाकई तुम जैसे बन्दे से मैंने ये उम्मीद ही कैसे कर ली कि तुम आँखों की भाषा पढ़ पाओगे जिसे जिस्म के आगे कुछ दिखता ही नहीं|”
स्टैला के कहने से आकाश का तेवर चढ़ रहा था फिर भी वह किसी तरह से अपने आप को संयमित किए रहा|
“चलो मैं बताती हूँ रंजीत की निगाह बस भूमि पर टिकी है आई मीन तुम्हारी बीवी पर – क्या कुछ चक्कर था इनका ?”
“क्या बकवास कर रही हो |” आखिर आकाश फट पड़ा|
“बकवास नही बल्कि ख़ास बात ढूंढ रही हूँ |”
“अब इस बात से मतलब क्या निकालना चाहती हो ?”
“हम तो बाल की खाल निकालने वाले है बस कुछ क्लू मिलना चाहिए फिर वो भी सामने ले आते है जो किसी ने सोचा भी नहीं होता –|”
“तुम..|” आकाश बुरी तरह दांत पीसकर रह गया था|
“ओह डार्लिंग कहना तो नहीं चाहती थी और ऐसा करते बुरा भी लग रहा है पर क्या करे – मैंने पैरिस से हैण्ड बैग और सैंडिल मंगा ली – सोचा तुम मुझे कोई गिफ्ट नहीं देते तो क्या इसे तुम्हारी ओर से ही गिफ्ट मान लेती हूँ – तो मैंने उसके बिल तुम्हारे पास भेज दिए है – तुम्हे बुरा तो नहीं लगा न जाननू….|” कहती हुई स्टैला उस पार से तेजी से हँस रही थी जबकि फोन लिए आकाश बुरी तरह से भन्नाया हुआ था|
लेकिन इस बार वह ठान चुका था कि स्टैला का कुछ तो करना ही होगा उसे..|
***
वर्तिका का अपने भाई का इस तरह दरवाजा बंद करके चले जाना मन को टीस से भर गया| जब खटखटाने पर भी रंजीत ने दरवाजा नही खोला तो वर्तिका उस कमरे की अन्य चाभी खोज कर लाती कमरे को झट से खोल देती है|
दरवाजा खुलते उनकी नज़र की सीध में अंदर अँधेरे कमरे में बैठे अपने भाई पर जाती है| ये अँधेरा उसे उसके दर्द को छिपाने के लिए आज कम पड़ गया वर्तिका ने उसका दर्द समझ लिया वह दौड़ती हुई आती अपने भाई से लिपट गई| रंजीत इतना टूटा था कि बहन का मर्म स्नेह पाते बिलखकर बिखर गया| वह वर्तिका की गोद में सर रखे किसी छोटे बच्चे की तरह बिलख उठा था| न रंजीत खुद को रोक सका और न वर्तिका ने उसे रोका| अपने भाई को उसके दिल का दर्द बहाने से आज वह भी उसे रोकना नही चाहती थी|
जाम ए मोहब्बत ज़ह ए इश्की है….
पूछो न पूछो हम सताए हुए है…
हम सताए हुए है…
मांगते है खुदा से…
प्यार न दोबारा हो…
प्यार न दोबारा हो….
क्रमशः………..