Kahanikacarvan

शैफालिका अनकहा सफ़र  – 16

शैफाली को नहीं पता वो कहाँ जा रही है पर जब बहुत देर तक कार सड़क पर चलती रही तो सिगरेट उंगली के बीच फंसाए फंसाए वह उसकी ओर देखती हुई पूछती है –

“हाउ फार ?”

“जस्ट रीचिंग |” वह हौले से उसकी तरफ गर्दन मोड़ता स्टेरिंग पर हाथ फिराता उसकी ओर देखता हुआ जवाब देता है|

अगले कुछ क्षण बाद कार दिल्ली से निकलकर रोहिणी इलाके के किसी बंगले की ओर बढ़ गई| रात के दस बज रहे थे लैम्पपोस्ट से दिखता शहर अभी भी जल्दबाजी में था, लोग गाड़ियों से यहाँ तहां भाग रहे थे| अँधेरे को मात देते लोग दिन की तरह ही बेशुमार संख्या में सड़क पर मौजूद थे लेकिन कार जिस बंगले के मुहाने पर खड़ी थी उसके आस पास कम लोग ही मौजूद थे, मुख्य फाटक खुलते पोर्च तक आते धुंधली रौशनी में शैफाली देखती है कि एक दम सूने पड़े बंगले के पार्किंग हिस्से में गाड़ियों की अच्छी खासी भीड़ मौजूद थी लेकिन लोग एक भी नज़र नही आ रहे थे| फिर कार के रुकते वह अपनी ओर से उतरकर एक सरसरी निगाह से उस बगले को देखती है जो आबादी से हटकर पेड़ो के झुरमुट से छुपा जैसा था| वहां कृत्रिम रौशनी नाममात्र की थी जिससे दालान की घास काली सड़क की तरह नज़र आ रही थी| शैफाली उस युवक के कहने पर उसके पीछे पीछे दालान के बीच बीच में धसे पत्थर पर पैर रखती हुई चली जा रही थी|

बंगले के अन्दर आते एक बड़े हॉलनुमा कमरे को पार करते वे अगले कमरे की ओर बढ़ते है जहाँ का दृश्य अचानक से बदल जाता है| उस बंद बड़े कमरे में जरुरत से ज्यादा ही लोग मौजूद थे जो मध्यम  लाल पीली डिस्को लाइट में बजते संगीत पर अपने अपने स्थान पर झूम रहे थे| उस युवक के आते तुरंत उसके पास एक तीन चार लडको का झुण्ड आ जाता है| वे आपस में इस तरह से मिलते है जिससे कल रात के बार के दोस्त उसे याद आ जाते है|

अब सब बार में खड़े अपना अपना ड्रिंक थामे झूम रहे थे| वहां मौजूद हर शख्स झूम रहा था मानों हवा में मादकता का असर आ गया हो| शैफाली भी एक हाथ में ड्रिंक लिए दूसरे हाथ की उंगली के बीच फंसी सिगरेट का बीच बीच में गहरा कश लगा लेती| उसके साथ आया युवक अब बार टेबल पर बिछे कागज के टुकड़े को सिगरेट की बड से छुआए सुड़क रहा था| इससे उसमे नशा का ऐसा गहरा सुरूर छाता है कि दूसरे हाथ से अपने सर को ठोकते अब वह पलटकर शैफाली की ओर देखता है जो उसके विपरीत देखती हलके हलके झूम रही थी| वह उसके पास आता झट से उसकी मिडी के ऊपर खुली कमर में अपनी बांह फैला देता है| अचानक हुए इस व्यवहार से शैफाली उसे पीछे धकेल उससे कुछ दूर छिटकती अब उसकी हालत देखती है जो हलके से हँसता हुआ हवा में अपना दोनों हाथ उठाए जैसे उससे माफ़ी मांग रहा था जिससे कुछ सयंत होती शैफाली अगला ड्रिंक लेने जाती है तब वो युवक किसी दूसरे लड़के को आँखों से कुछ इशारा करता है जिससे वह शैफाली के अपना ड्रिंक लेने से पहले अन्यत्र ड्रिंक उसकी आँखों के सामने कर देता है जिसे वह सहजता से ले लेती है| सिप सिप में लेकर ड्रिंक खत्म होते अब नशा उसमे भी तारी होने लगता है जिससे वह बैठने का स्थान खोजती एक कोच में जाकर पसर जाती है अब उसके आस पास वही ग्रुप के लड़के बैठे उसे अगला ड्रिंक दे रहे थे पर शैफाली अब अपने घूमते सर को अपने हाथ से सयंत करती पलके झपकाकर खुद को ठीक से बैठाती है|

“डोन्ट |” बार बार ड्रिंक उसकी तरफ बढ़ाते हाथ को पीछे धकेलती शैफाली किसी तरह से ये कह पाई| उसे अब कुछ ठीक नही लग रहा था क्योंकि पास बैठा लड़का अब और उसके पास आ गया था तो कोई दूसरा उसे जबरन ड्रिंक लेने को मना रहा था| आस पास जहाँ तक भी उसकी नज़र जा रही थी लड़के लड़की एकदूसरे में झुके हुए उसे नज़र आ रहे थे, चारोंओर धुँआ का गुबार सा उठता उसे दिख रहा था| शैफाली किसी तरह से खुद पर नियंत्रण कसती तुरंत उठ जाती है और उसी लड़के की ओर बढ़ जाती है जिसके साथ वह आई थी|

वह बार पर खड़ा फिर से कागज से कुछ सुड़क रहा था जो निसंदेह ड्रग था, शैफाली शराब पीती थी पर ड्रग से वह दूर थी और ऐसी किसी पार्टी में भी वह नहीं जाती थी| उसे नहीं पता था कि वह युवक उसे किसी ड्रग पार्टी में ले आएगा|

अब वह उसे हिलाती अपनी बात आक्रोश में कह रही थी – “आई वांट टू गो |”

वह अब मुड़कर एक गहरी सांस हवा में छोड़कर उसकी ओर मुस्कराकर देख रहा था|

“आई वांट टू गो – राईट नाव |” वह अपनी लडखडाती स्थिति में चीखी|

“चिल बेबी – पार्टी हैज जस्ट बिगन दिस इज जस्ट बिगनिंग बेब |” शैफाली जितनी व्यग्र थी वह उतने ही इत्मिमान से बोल रहा था|

इससे शैफाली को गुस्सा आ गया वह गुस्से में जबड़े कसती हुई सैंडिल से कट कट करती वह बाहर की ओर कदम बढ़ा देती है पर दो कदम चलते ही थोड़ा लडखडा जाती है| अब नशा उसपर चढ़ने लगा था| उसे कुछ समझ नहीं रहा था क्योंकि एक दो ड्रिंक तो उसपर कुछ असर ही नहीं करते थे पर ये कुछ अलग था, वह थकी थी वही फर्श पर घुटनों के बल बैठ गई, वह चाहकर भी अपना शरीर हिला नही पा रही थी बस महसूस कर रही थी कि उस युवक ने अब उसे थाम रखा है और उसे फिर से कोच के किनारे सहारा देकर बैठा दिया है| वह अपनी अर्धचेतना में देखती है कि एक और ड्रिंक वह जबरन उसके होठों पर लगाए उसके हलक में उतारे दे रहा था, वह पलके झपकाकर इंकार करना चाहती थी लेकिन अपना शरीर वह अपनी मर्जी से बिलकुल नही हिला पा रही थी, वह ड्रिंक उसके लगे से उतरता उसकी नसों में फैलता हुआ उसकी चेतना धीरे धीरे सोखता जा रहा था, अब वह युवक उसपर झुका जबरन शैफाली के शरीर को खुद से सटाए उसके चेहरे को अपने कर्कश हाथों के बीच कसे उसके होठों की ओर बढ़ रहा था, इस पल शैफाली खुद को सबसे बेबस महसूस कर रही थी, इससे पहले कभी उसके साथ इस तरह ही अवांछित स्थिति नही आई, वह उसे दूर धकेल देना चाहती थी पर अपनी गुम होती चेतना से वह बेबस हो रही थी| इस एक पल जाने कैसे उसके मस्तिष्क की याद में भावना का चेहरा घूम गया जिससे दर्द की एक बूंद उसकी बंद हो रही पलक के कोर से उसके कपोल पर लुढ़क गई|  

क्रमशः……………

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