पूरी रात अपनी उदासी में वे कुर्सी पर सोते रह गए सुबह उठते वे तैयार होकर अपने ऑफिस पहुँचते अपने एक भारतीय असिस्टेंट को बुलाकर पूछते है – “शर्मा – तुमसे जो विल तैयार करने को कहा था – वो लेकर आओ |”
अगले ही पल उनके बीच विल पड़ी थी जिसे किसी मज़ार सा वे कुछ पल निहारते रहे ये देख शर्मा को कुछ अजीब लगा तो वह उनको पुकारता है जिससे अपनी चेतना में वापिस आते वे चौंककर उसकी ओर देखते है|
“सर पेपर पूरे तैयार है बस मिस शैफाली का सिग्नेचर चाहिए इसमें |”
“हाँ हाँ – |” फिर जैसे जबरन खुद को चेतन करते हुए कहते है – “हमे अभी लन्दन निकलना होगा – चलो |”
शर्मा हुक्म की तरह सुनता उनके उठते उनके पीछे पीछे चल देता है| चैटर्जी शैफाली के फ्लैट में फिर नहीं जाना चाहता था तो वह रास्ते से ही फोन कर उसे टावर ऑफ़ लन्दन के पास मिलने बुला लेते है|
वे पहुंचकर देखते है कि ब्रिज के खुलने के दृश्य पर अपनी नज़र जमाए शैफाली उनकी तरफ पीठ करे खड़ी थी|
“शैफाली…|”
वह आवाज पर उनकी तरफ पलटती है|
कुछ पल तक वे उसके चेहरे के सपाट भाव देखते रह जाते है, उस पल उनके लिए ये यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि क्या सच में शैफाली को आभास भी है कि अब उसके पिता नही रहे !!
“शैफाली – अपने आखिरी वक़्त तक वे तुम्हारा इंतजार करते रहे पर तुम नहीं आई |”
वे उसके चेहरे को देखते रहे जिसे फेरती अब फिर से वह थेम्स की लहरों पर अपनी दृष्टि दौड़ा देती है|
“खैर – मेरा फर्ज था तुम्हें बताना और अब उनकी विल तुम्हें देना – लो |”
शैफाली अनमने भाव से उनके हाथों से विल ले लेती है|
“पढ़कर साईन कर दो |”
शैफाली एक नज़र उनकी तरफ देख विल लेकर उसे अपनी सरसरी दृष्टि से पढने लगती है, ज्यों ज्यों वह पन्ने पलटती पढ़ती गई उसके चेहरे के भाव बदलते गए, अचानक आखिरी पन्ना तेजी से पलटते वह विल उनकी तरफ दिखाती हुई बोल पड़ी – “व्हाट इस थिस नोनसेंस !!”
“हाँ नोनसेंस ही लगेगा – सेंसबल काम कभी श्रीधर ने किया कहाँ |”
वह आँखों से उनका चेहरा तकती रही|
“अब जब तक तुम इस विल की शर्त को पूरा नहीं कर दोगी तुम्हें अपनी पिता ही संपत्ति से एक फूटी कौड़ी भी नही मिलेगी |”
“रबिश |” कहती हुई वह चीखी – “लिसेन मैं कही नहीं जा रही – उस देश से और न उसके रहने वालों से मेरा कोई सम्बन्ध है –|”
“तुम्हारे कह देने से क्या होगा – रिश्ते लकीर नही होते जो तुम जब चाहो अपनी मर्जी से मिटा सको – यहाँ अब कौन है तुम्हारा – वहां तुम्हारी बहन है – भारत देश से तुम्हारा रिश्ता है क्योंकि तुम्हारे पिता का उस देश से रिश्ता है इसलिए उस देश से भी तुम्हारा रिश्ता है ये मत भूलो तुम |” वे बड़े सख्त लहजे में कहते हुए शैफाली के चेहरे के बदलते भाव देखते रहे|
“ओह माय माय – रिअरली – ये बात मिस्टर सेन को खुद याद रही कभी |” हंसी उड़ाने के अंदाज में वह हंस पड़ती है|
शैफाली के इस जवाब से उनका मन सिहर उठता है पर किसी तरह से हौसला करते वे कहते है – “कुछ भी कहो पर शर्त तो माननी ही पड़ेगी तुम्हें |”
“गो टू हैल एंड आई डोंट गो एनी वेयर चाहे अकेले मैं यहाँ मर जाऊं क्योंकि उस देश से मेरा कोई लेना देना नहीं बिकॉज़ आई हेट इंडियन्स |” कहती हुई हाथ की पकड़ी विल वह वही फेंकती तेज क़दमों से वहां से जाने लगती है| वे पीछे से उसे रोकने आवाज लगाते रह जाते है पर शैफाली के तेज कदम एक बार भी पीछे नही पलटते|
वे झुककर विल उठाने बढ़ते है तो दूर से उन्हें देखता शर्मा भागता हुआ उनकी तरफ आता उन पेपर को समेटने में उनकी मदद करता है| वे साथ में पेपर समेटते हुए उसे फाइल में सहेजते अब एक दूसरे की ओर देखते हुए वापसी की ओर अपने कदम बढ़ा देते है|
चैटर्जी किसी सोच में डूबे बोझिल क़दमों से बढ़ रहे थे तो शर्मा उन्हें टोकता हुआ पूछता है – “सिग्नेचर तो नही किया तो अब सर !!”
वे उन पेपर को ठीक से सीट के कवर में रखते हुए धीरे से कहते है – “चलते है वापस |” कहते हुए वे ड्राइविंग सीट पर बैठ जाते है|
शर्मा बगल में बैठता अपनी सीट बैल्ट लगाता हुआ पूछता है – “फिर विल सम्मिट कैसे होगी !!”
“अब हमे इंतजार करना होगा तब देखते है क्या होगा !!” कहते वे कार को रेस देते हुए धीरेसे बुदबुदाते है – ‘पता नही आने वाले वक़्त में क्या होगा ?’
***
वापस आती शैफाली जिस तेजी से अन्दर प्रवेश करती है साथ बैठे एडवर्ड और केनी अपलक उसे देखते रह जाते है, गुस्से में अपनी सैंडिल हवा में उछालती एक झटके में वोडका की बोतल उठाकर उसे एक साँस में अपने हलक में उतारने के बाद ही वह अगली साँस लेती है| वे दोनों अभी भी शैफाली के गुस्से में तने चेहरे को देख रहे थे जो अब कमरे की ओर जाती अपनी देह बिस्तर पर ढीला छोड़ देती है|
सुबह आवाजों के शोर से शैफाली की नींद उचटती है तो करवट लेती वह चेतन में आती अपना सारा ध्यान आवाज़ की ओर लगा देती है फिर बिस्तर को छोड़ती वह बाहर निकलकर सामने मुख्य दरवाजे से फ्लैट के मालिक मिस्टर जॉन को गुस्से में निकलते हुए देखती हुई वही बुझे चेहरे के साथ खड़े एडवर्ड को देख माजरा समझते उसे देर नही लगती, वह तेजी से उसकी ओर आती कहती है – “एडवर्ड क्या तुमने रेंट नही दिया – पिछले महीने का दे चुकी थी न !”
अचानक शैफाली को वहां देख पहले वह चौंकता है फिर धीरे से चेहरे का भाव बदलता हुआ उसके पास आता हुआ कहता है – “वो मैं दे नहीं पाया और लास्ट पार्टी में खर्च हो गया – पर डोंट वॉरी मैं दे दूंगा कहीं से |” अपना आखिरी शब्द वह जान कर धीरे से कहता है|
“हूं |” ये सुन शैफाली का चेहरा गुस्से में तन जाता है, फिर अगले क्षण वह अन्दर जाकर अपने हैण्ड बैग से कुछ डॉलर निकालती उसकी ओर बढ़ाती हुई कहती है – “ये लो इसमें इस मंथ का भी है – अभी जाकर दो |” वह हुक्म सा देती और हाँ में सर हिलाता उससे नोट लेता वह तुरंत बाहर की ओर निकल जाता है|
वापस आते वह देखता है शैफाली अपने हैण्ड बैग में कुछ ढूंढ रही थी या देख रही थी| पर उसके आते शैफाली बैग लिए कमरे की ओर जाती हुई बस इतना उससे कहती है – “मुझे अभी बाहर जाना है |”
कुछ देर बाद जब शैफाली पीच कलर की मिडी में बाहर आई तो एडवर्ड एकदम से उसके पास आता उसके गाल चूमता हुआ बोल उठा – “यू ऑलवेज लुक गौर्जियस – आई लव यू शेफी |”
पर ये सुन वह उसे धक्का देकर अपने से परे हटाती नाराज़ हो उठी लेकिन इसके विपरीत एडवर्ड अपने लम्बे हिप्पी बालों को पीछे करता हंस पड़ा|
अब शैफाली लोअर सिटिंग में बैठी सिगरेट होंठों से लगा लेती है जिसपर तुरंत एडवर्ड उसका सिरा सुलगा कर अब शैफाली की सैंडिल लाता उसे अपनी आस्तीन से पोछता उसके सामने रख देता है|
शैफाली थैंक्स कहती सिगरेट का धुंआ फेंकती फेंकती एक नज़र एडवर्ड की ओर देखती है, वह अच्छे से जानती थी कि उसके पैसों की धूप इतनी कड़ी थी कि हर कोई शैफाली की छतरी में आना चाहता, वह इसी कारण सबसे कटी रहती क्योंकि अपने आस पास बस उसके पैसों के लिए नाचते ऐसे कई लोगों की भीड़ थी जिसमें हर लड़का उसे आई लव यूं बोलता उसके इर्दगिर्द मंडराता रहता और शैफाली उन सबको नजरअंदाज करती अपनी जिंदगी धुंए में उड़ाती रहती|
***
शैफाली को खुद पर यकीन नही हुआ कि उसे मिस्टर चैटर्जी के ऑफिस में आना पड़ेगा, मिस्टर चैटर्जी भी शैफाली का इतनी जल्दी आना यकीन नही कर पाए पर ज्योंही उसका आना सुना अपनी अगली अपोइंटमेंट कैंसल कर शैफाली को तुरंत अपने केबिन में बुला लेते है| अब शैफाली ठीक उनके सामने बैठी अपने अनमने स्वर में कह रही थी –
“क्या जाने के अलावा कुछ और हो सकता है !!”
ये सुन वे आश्चर्य से एक पल उसका चेहरा देखते रहे फिर न में सर हिलाते हुए फिर उसका चेहरा तकते रहे जहाँ अब बेहद तनाव की सिलवटे चेहरे पर सिमट आई थी| वे समझ रहे थे कि शैफाली की जरूरते उसे यहाँ तक खींच लाई है पर अभी भी जाने को लेकर उसकी उतनी ही बेरुखी है|
“देखो शैफाली मैं समझ रहा हूँ कि एक अनजान जगह तुम नही जाना चाहती हो पर मैं लीगली टर्म एंड कंडिशनर के बिना कुछ नही कर सकता |” वे अपनी भरसक कोशिश में शैफाली को समझाने की कोशिश करते हुए कहते रहे – “सिर्फ सिक्स मंथ की ही तो बात है – तुम ये सोच लो कि तुम भारत घूमने जा रही हो – बस |”
कहते हुए वे शैफाली के चेहरे पर बढ़ते तनाव को देख रहे थे, जिसके फलस्वरूप वह तुरंत एक सिगरेट जलाती होंठ भींचे एक गहरा कश खींचती हुई कहती है – “मैं वहां जाने के अलावा कुछ भी कर सकती हूँ |”
ये सुनकर उन्हें कोई ख़ास आश्चर्य नही हुआ क्योंकि वे जानते थे उसे इसलिए बस सब्र से उसे किसी भी तरह से उन्हें उसे भारत भेजना ही था|
“जितनी जल्दी फैसला बदल लो अच्छा है उतनी जल्दी ये छह महीने कट जाएँगे – टेक योर ओन टाइम |”
ये सुन शैफाली एक झटके में खड़ी होती टेबल पर रखी ऐशट्र पर सिरगेट मसलती गुस्से में तुरंत बाहर चल देती है, इसके विपरीत वे तसल्ली से बैठे उसे जाता हुआ देखते हुए सोचते रहे कि अब शैफाली की जरूरते ही उसे फिर वापस लाएंगी|
***
शैफाली लोअर सिटिंग में लेटी कानों में हेड फोन लगाए थी कि एडवर्ड बाहर से आता उसके सामने आता पहले शैफाली को हाय बोलता है फिर अपने पीछे पीछे लाते किसी डिलीवरी बॉय से लीकर रखाता शैफाली के पास आया तो मौन सहमति में ही शैफाली अपने पाउच में रखा कार्ड उसकी ओर बढ़ा देती है जिसे डिलीवरी बॉय के हाथों की मशीन पर स्वैप करता कार्ड फिर शैफाली के सुपुर्द कर लीकर रखने सेल्फ की ओर देखने लगता है|
शैफाली उसकी नज़रों के प्रश्न को समझती धीरे से कहती है – “आई हैव सोल्ड |” अपनी अत्यधिक जरूरतों में उसे भी नही पता था कि कब तक और कैसे वह उन्हें अब सामान बेच कर पूरा कर पाएगी !!
एडवर्ड ये सुन लीकर का बॉक्स पकड़े उसकी ओर देखता रह जाता है, पर फिर कुछ न कहते हुए पास की डेस्क पर बोतलें सजाने लगता है फिर एक सिगरेट का पैकेट हाथ में आते उसे शैफाली की ओर उछालते हुए कहता है – “दिस इज फॉर यू |”
शैफाली सिरगेट का पैकेट लेती एक सिगरेट होठों से लगाती महसूस करती है कि सच में उसे अभी इसी की तलब थी| कुछ पल बाद केनी भी बाहर से आती अब उसके पास बैठी शैफाली की जली सिगरेट बारी बारी से दोनों पी रही थी|
“बोस्टन यूनिवर्सिटी में सेमीनार है – मे बी फिर फ़्रांस जाना पड़ सकता है – यू शुड हैव कम्पलीटेड योर कोर्स आल्सो |”
इस पर शैफाली उसकी तरफ आश्चर्य से देखती हुई पूछती है – “विल यू लीव ?”
अबकी सहमति में सर हाँ में हिलाती केनी एडवर्ड की ओर देखती है जो अभी भी तन्मयता से बोतल लगाने में व्यस्त था|
“व्हाट डू यू वांट टू डू इन योर लाइफ शेफी ?” केनी सिगरेट उसकी तरफ बढ़ाती हुई अब उसके चेहरे की ओर देख रही थी|
शैफाली सिगरेट का आखिरी सिरा फूंकती हुई कहती है – “जिस दिन पता चलेगा तो पहले खुद को बताउंगी |” कहती हुई एक खाली खाली सी हंसी उसके होंठों पर तैर गई – “आज रात की पार्टी तुम्हारे नाम – हुर्रे |” वह खुद में ही खुश होती सिगरेट को फर्श पर ही मसल देती है|
क्रमशः………………
शैफालिका अनकहा सफ़र – 4
