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शैफालिका अनकहा सफ़र (अंतिम पार्ट) – 54

रात जैसे सोई भी नही और सुबह जल्दी उठते बस भागने लगी….एक बार को भावना से पूछा भी गया कि उसकी भी कोई रस्मे होगी वे सब उसे भी कर लेते पर भावना तो जैसे शैफाली को उन्हें सौप ही दी आखिर ये उनका प्यार था जिसने उसे रोक लिया नही तो क्या वे आज ये दिन देख पाते…यूँ तो कोई रस्म या कसम किसी रिश्ते को नही रोक सकती बस एक प्यार की अनदेखी डोर थी जिसने शैफाली को रोक लिया था| अब बस एक ही दिन में सारी रस्मे अदा करनी थी सभी को तो सुबह से ही चुडा रस्म करके सब गुरूद्वारे में इकट्ठे होने लगे, गुरूद्वारे में पवित्र शबद का पाठ शुरू हो चुका था..

एक ओंकार सतनाम सतगुरु….करता पुरख..निरभऊ निरबैर..अकाल मूरत..अजूनी सैभं….गुरु प्रसाद….

जब सजी संवरी लाल जोड़े में शैफाली मोहित के सामने आई तो बस दिल थामे वह देखता रह गया| वह आगे बढ़कर उसका हाथ थामने बढ़ा तो दोस्तों की मस्ती का ये आलम था कि वे उसे पीछे खींच लेते है तो दूसरी ओर से शैफाली को थामे तीनों लड़कियां चिहुंक पड़ती है तब सब हैरान देखते रह गए जब मोहित सबको पीछे छोड़ आगे बढ़कर शैफाली का हाथ थाम लेता है, वे विश्वास भरा हाथ थामे साथ में गुरु ग्रन्थ साहिब का (लावां) फेरा लेते है| पहला फेरे के साथ वे अपने गृहस्थ जीवन में सदा एकदूसरे के सुख दुःख अपनाते प्रवेश करते दूसरा फेरा लेते है जिसमे वाहेगुरु के आशीर्वाद के साथ वे सदा उनके सानिध्य में रहने का वचन देते है, तीसरे और अंतिम चौथे फेरे के साथ वे सदा के लिए एकदूसरे के हो गए| इस पल भर को भी शैफाली और मोहित एकदूसरे से निगाह न हटा पाए आखिर ये दो तन और एक मन का साथ था|

शादी की मस्ती सभी दोस्तों पर चढ़ी थी, मानसी ने भावना को याद दिलाया कि जूता चुराई भी तो करनी है, भावना जो तब से मनभर बस उन दोनों को देखे जा रही थी उसी पल चौंकती मुस्करा उठी|

“मैं क्या चुराऊँ – मोहित ने खुद मेरी सबसे कीमती चीज चुरा ली |”

ये सुन सारा माहौल हँसी से गुलजार हो उठा|

“वैसे भी बड़ी हूँ तो इन दोनों को मैं सरप्राइज दूंगी जिसे ले कर अभी पवन आने वाले है – |”

“लो नाम लिया और हाज़िर |” सबने देहरी पर खड़े पवन की ओर सबका ध्यान खींचा तो भावना लगभग दौड़ती उसके पास जा पहुंची| अब सभी की निगाह को भी उस सरप्राइज का इंतज़ार था| पवन के साथ कोई सूट बूट में हाथ में एक बिजनेस सूटकेस लिए खड़ा था जिनकी निगाह को किसी की तलाश सी थी|

भावना झट से उनके पास पहुँचती पैर छूती है तो वे भावुक आँखों से उसे देखते रह जाते है| भावना से मिलकर अब उनकी आँखों का जिसका इंतजार था भावना अब उन्हें उस ओर लेकर आती है|

“मोहित चैटर्जी अंकल है – यही सरप्राइज है तुम दोनों के लिए – शादी की सुनते तुरंत चले आए मिलने |”

दुल्हे के भेष में सजा मोहित शैफाली का हाथ थामे उनकी ओर बढ़ता हुआ उनके पैर छूता है तो वे एक दम से उसे कंधे से पकड़ते अपने सीने से लगा लेते है ऐसा करते वे दूसरी बार फिर उसे खींचकर अपने सीने से लगा लेते है ये उस पल मोहित को अटपटा लगा| जिसे वह उसकी आँखों में पढ़ते हुए कह रहे थे – “सच कहता हूँ तुमसे मिलने भागा चला आया – आखिर तुमने मेरे यार का सपना जो पूरा कर दिया और ये दूसरी बार गले अपने यार श्रीधर की ओर से लगा क्योंकि अपना यार तो आज भी अपने दिल में बसता है |” कहते हुए उनका अपनी आँखों से झरती भावनाओं पर नियत्रण न रहा, वे नयन भर शैफाली को देखते रह गए, लाल सुर्ख जोड़े में ये शैफाली थी !! वह उसकी ओर बढ़ते उसे कुछ पल निहारते रह जाते है, उसकी कलाई को दोनों हाथों में थामे अपनी बहती आँखों से लगा लेते है| उस पल जैसे सारे शब्द चुक गए बस स्नेह गंगा की तरह आँखों से बह निकला|

“ये सपना तो नही है न – ईश्वर ने ढेर ख़ुशी डाल दी झोली में – खुश रहो सदा|” वे शैफाली की चुडे भरी कलाई को पकडे उसे नजदीक से निहारते रहे – “और ये मेरी ओर से तुम्हारे लिए – तुम्हारे हिस्से की अपने पिता की मिलियन डालर की सारी सम्पति |” कहते हुए वे अपने साथ लाए सूटकेस को अब उसकी ओर बढ़ाते हुए कह रहे थे – “ये तो तुम्हारा ही था सदा और श्रीधर जो चाहता था वो उसे मिल गया आज मेरे यार की आत्मा को शांति मिल गई – अब संभालो इसे और परेशान मत होना मैंने तुम्हारे खत्म हो रहे वीजा से पहले ही सारे कागजी काम कर लिए – तुम्हें अब लन्दन भी आने की कोई जरुरत नही |”

“और आपको भी |”

शैफाली की बात सुन चैटर्जी के साथ सभी चौंककर उसकी ओर देखने लगे थे|

“लन्दन में जैसे आपने पापा का सब संभाला अब आपको यहाँ मेरा साथ देना होगा – यहाँ ट्रस्ट बनाकर मैं आपके सहयोग से लड़कियों की एजुकेशन के लिए कुछ करना चाहती हूँ जो आपके साथ के बिना कैसे होगा अंकल |”

शैफाली के मुंह से अंकल सुन उनका अंतर्मन मानों बिन शब्दों के आँखों के रास्ते बह निकला वे उसके सर पर हाथ फेरते आँखों से आश्वासन देते है| और शैफाली बढ़कर उनके गले लगती हुई कह रही थी –

“समय बीता हुआ तो नहीं वापिस कर सकता पर जो है उसे जरुर सुरक्षित रखने का मौका देता है – अब आपको मेरे पापा की कमी पूरी करनी होगी जिसके लिए आपको मेरे साथ यही रहना होगा अपने देश में |”

अपनी उमड़ती भावनाओं से कुछ नही कह पाए बस भरी आँखों से हाँ में सर हिलाते है| सभी इस भावुक पल को अपनी अपनी नम आँखों से बस निहारते रहे|

ये खुशियों का उन्मुक्त जहाँ था जहाँ सभी एकदूसरे का साथ पाते ख़ुशी से झूम रहे थे| भांगड़ा बजते अब किसी के पैर का रुकना जैसे नामुमकिन ही था, सारे यार दोस्त अपने अपने हमनवां का हाथ थामे बस झूम ही उठे, इस पल चैटर्जी अंकल भी उनके बीच आते नाच उठे तो सारा माहौल खुशियों की तरगों से भर उठा|

खिलखिलाहट के बीच अब ढलते दिन से सारे दोस्त मिलकर मोहित और शैफाली को लिए कमरे में लाते है| दोनों नज़र उठाकर कमरे को देखते रह गए, यारों ने मिलकर जैसे सारे जहाँ के फूलों से कमरा नही दिल का दरबार सजा दिया था|

भौं उचकाकर वे पूछते है और मोहित खुश होता मुस्करा देता है, वह अब मुस्करा कर शैफाली की ओर देखता है जो पलंग पर मानसी, ऋतु और नूर के साथ फूलों की लड़ियों के बीच बैठी थी| अचानक मोहित के चेहरे के भाव बदल गए, उसे लगा दोस्त अब चले जाएँगे पर सभी वहां महफ़िल सजाए बिस्तर पर जड़ें बैठने लगे जिससे मोहित खड़ा खड़ा बस उन्हें घूरता देखता रहा लेकिन उन सबने में से किसी ने जैसे उसकी ओर देखा भी नही और अपनी अपनी मस्ती भरी किस्सों की पोटली खोले बैठ गए|

समर जोक सुनाने लगा – “जब उस लंगड़ाते आदमी को देखते दो डॉक्टरों ने पूछा कि तुम्हारे कौन से पैर की हड्डी टूटी है बताओ क्योंकि वे डॉक्टर आपस में शर्त लगा चुके थे तो वह आदमी बोला हड्डी नही डॉक्टर साहब मेरी तो चप्पल टूटी है|”

ये सुनते सभी कसकर हँस पड़े पर इसके विपरीत मोहित का गुस्से में मुंह बनता गया, वह हज़ार बार समर के मुंह से ये चुटकला सुन चुका था फिर भी सारे दोस्त ऐसे हँस रहे थे मानों पहली बार सुन रहे हो| अब जय कुछ अपने किस्से सुनाने लगा कि कैसे एक बार रात वह किसी नए थाने गए और उस जगह फंस गए तब सारी रात पुलिस वाले भटकते रहे और जब सुबह हुई तो पता चला वो किसी थाना चौकी के पीछे ही थे तब सबकी जो किरकरी हुई पूछो मत समझ नही आया कि अपनी हालत पर हँसे या रोए |ये सुन नूर को भी अपने हॉस्टल का कोई भुतिया किस्सा याद आ गया| उसका किस्सा सुनकर ऋतु समर के पास सरक आई तो सबका हँसते हँसते पेट दर्द हो गया| अब इरशाद और मानसी अपने अपने किस्सा पहले सुनाने आपस में लड़ पड़े |तब से उन सबका नाटक देखते मोहित का चेहरा गुस्से में लाल हो रहा था पर दोस्तों पर इसका लेशमात्र भी फर्क नही पड़ते देख मोहित गुस्से में बाहर निकल गया|

वह बाहर निकला ही था कि उसके चिल्लाने की आवाज गूंजी तो सब एकसाथ दौड़ते हुए बाहर आए जहाँ मोहित को फर्श पर अपने एक पैर पर झुका देख घेर कर सब खड़े हो गए|

“क्या हुआ मोहित ?”

“क्या दर्द है ?”

“पैर में कुछ चोट लग गई क्या ?”

सबके चेहरों पर एकसाथ ढेर परेशानी उतर आई| शैफाली भी परेशान सी मोहित के पास आई तो मोहित उसका हाथ पकडे उसे अपने पीछे की ओर कर देता है और सभी आगे उसके सामने झुके थे| उसी पल सब देखते रह गए जब सबका ध्यान उसके पैर की ओर था और मोहित तेजी से खड़ा होता शैफाली का हाथ पकडे कमरे के अन्दर जाता झट से अन्दर से दरवाजा बंद कर लेता है| सारे दोस्त अवाक् खड़े देखते रह गए| अन्दर आते शैफाली अब सारा माजरा समझती पैर पर पैर चढ़ाए बैठी हलकी मुस्कान से उसकी ओर देखने लगी इधर मोहित की चालाकी पर दोस्त दरवाजे के बाहर हंगामा मचाए थे| मोहित के होंठ के किनारे मुस्करा उठे तो दोस्त भी हँसते हुए अपने अपने हमनवां का हाथ थामे जा चुके थे क्योंकि उनकी बदमाशी पकड़ी जो जा चुकी थी|     

शैफाली भौं उचकाती मानों पूछ रही थी – “कुछ कहना है ?”

“हूँ – सॉरी कहना था |” उसकी ओर बढ़ता कहता है|

“हूँ !!!” शैफाली भौं जोड़े आश्चर्य से देखती है|

“इतनी देर जो लगा दी दिल की बात कहने में |”

“लेकिन मुझे तो थैंक्स कहना था |”

“हूँ !!!” अब मोहित भौं जोड़े आश्चर्य से देखता है|

“उन सब खूबसूरत रिश्तों के लिए जिनसे मैं बिलकुल अनजान थी |”

अबकी मोहित हलके से मुस्कराता उसकी ओर कदम बढ़ाते हुए कह रहा था – “तब तो मुझे भी थैंक्स कहना है |”

“हूँ !!!”

अब मोहित शैफाली के बहुत पास आता उसका चेहरा अपनी हथेली में भरे उसकी मांग चूमते हुए कह रहा था – “इस खूबसूरत अहसास के लिए तो थैंक्स भी अदना शब्द है |” उसके हाथ सरकते उसके उदर को किसी नन्हे बच्चे सा सहलाते कह रहे थे जिससे मचलती शैफाली उसकी बाँहों में समां जाती है अब मोहित उसे अपने पाश में घेरे प्रेम के अनंत झील में गुम हो जाना चाहता था जहाँ शब्दों के अंतहीन अहसास उन्हें सदा के लिए एकदूसरे में समाए लिए जा रहे थे….

@समाप्त

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